साभार
अप्सराएं और हूरें,,
एक व्याख्यान में एकबार एक वामपंथी ने हमसे पूछा था की अकेले ग्रीन पिग को दोष क्यों देना,, सनातन में भी तो अप्सराओं का कॉन्सेप्ट है,, वे कहते हैं की हूरें मिलेंगी तो सनातन में भी स्वर्ग में अप्सरा मिलने की बातें हैं, हैं तो दोनों एक समान ही,,
आज गाजियाबाद में मिलने आए कुछ मित्रों में से एक मित्र ने वही सेम बात उठाई की आचार्य जी हम हूरों की कोई बात कहते हैं तो वे लोग हमें अप्सराओं की बात कहकर चुप करा देते हैं,, कमी तो अपने यहाँ भी लगती ही है कुछ न कुछ,,
हमने कहा की बात उद्देश्य की है,, उसी का सारा अंतर है,, कीसी बच्चे को #टॉफी या चॉकलेट का लालच दिया जा सकता है की वो जो गली में आ रहा है उसे #गाली दे दे, या किसी की गाड़ी का कांच तोड़ दे या फलाने की बाइक की हवा निकाल दे तुझे टॉफी दूंगा,, या बच्चे को ये भी कहा जा सकता है की #मंदिर में पंछीयो को जल डाल दे सकोरे में, अगर यह काम कर दिया तो टाफी दूंगा,, चॉकलेट मिलेगी,,टाफी एक है लेकिन उसके सहारे काम कराने के उद्देश्य बदलने से सबकुछ बदल गया,,
बस इतना ही अंतर है,,वे लालच देते हैं की हूरें मिलेंगी,, काफि रों के गले रेतो,, हूरें मिलेंगी जि हादी बनो, हूरें मिलेंगी बम बांधकर फट पड़ो,, हूरें मिलेंगी जो जितना अधिक कत्लेआम करेगा,, शबाब मिलेगा,,
यहाँ कॉन्सेप्ट है की अप्सरा हैं स्वर्ग में,,#चींटीयों को दाना डालो स्वर्ग मिलेगा,, मछलियों को आटा डालो स्वर्ग मिलेगा,, गाय को चारा दो स्वर्ग मिलेगा, गरीबों का सहयोग करो स्वर्ग मिलेगा, भंडारे लगाओ #अन्नक्षेत्र चलाओ कुएं बावड़ी बनवाओ स्वर्ग मिलेगा, यज्ञ करो दान करो स्वर्ग मिलेगा,, यानी अगर टाफी का लालच दिया भी जा रहा है तो उसके अंदर निहित उद्देश्य क्या है,,
प्राणी मात्र की सेवा करके आपकी चेतना का विकास करना,, जप तप करके आपकी #चेतना का विकास करना, दया धर्म दान करके आपकी चेतना का विकास करना, सद्गुणों का विकास करना,,
वहाँ लालच देकर धरती को रक्त से लाल करना अपने सिवाय किसी को जीने न देना बस चारों तरफ तबाही बर्बादी उजाड़ फैलाना,,
हालांकि सत्य इससे एक कदम आगे है,, सनातन स्वर्ग और अप्सराओं जैसी भसड़ को बिलकुल नहीं मानता,, यहाँ तो सनातन कॉन्सेप्ट ही है धर्म अर्थ काम #मोक्ष,, यानी मुक्ति यानी परमेश्वर में लीन हो जाना,, आत्मसाक्षात्कार और समाधि में उस प्रभु से एकाकार,,
ॐ श्री परमात्माने नम *सूर्यदेव*