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सोमवार, 23 जनवरी 2012

बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार.......


बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार.......

बजरंग बाण के बारे में कुछ विचार प्रचलित है कि इसका प्रयोग तभी करना चाहिए जब आप को और कोई भी उपाय नहीं समझ नहीं आ रहा हो और आप दुखों की पराकाष्ठा पार कर चुके हो...... क्योंकि इसमे श्री राम की सौगंध लगती है हनुमानजी को... .... क्या इसमे कुछ तथ्य है....????

एक वीतरागी सन्त महाराज ने बताया था कि बजरंग बाण के पाठ से कार्यसिद्धि तो हो जाती है परन्तु राम जी की दुहाई से हनुमान जी महाराज बहुत व्यथित होते हैँ, इसलिये इस पाठ को नहीँ करना चाहिये ।
सच्चा सेवक वही है जो अपने स्वामी को सँकोच में न डाले ।

सीता राम चरित अति पावन l मधुर सरस अरु अति मनभावन | |
जपहिं नामु जन आरत भारी । मिटहिं कुसंकट होहिं सुखारी ।।
नाना भाँति राम अवतारा । रामायन सत कोटि अपारा ।।
रामचरितमानस मुनि भावन । बिरचेउ संभु सुहावन पावन ।।

बजरंग बाण :-
भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग.....

अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें।
हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई के बराबर कलावे का एक तार लें अथवा एक कच्चे सूत को लम्बाई के बराबर काटकर लाल रंग में रंग लें। इस धागे को पाँच बार मोड़ लें। इस प्रकार के धागे की बत्ती को सुगन्धित तिल के तेल में डालकर प्रयोग करें। समस्त पूजा काल में यह दिया जलता रहना चाहिए। हनुमानजी के लिये गूगुल की धूनी की भी व्यवस्था रखें।
जप के प्रारम्भ में यह संकल्प अवश्य लें कि आपका कार्य जब भी होगा, हनुमानजी के निमित्त नियमित कुछ भी करते रहेंगे। अब शुद्ध उच्चारण से हनुमान जी की छवि पर ध्यान केन्द्रित करके बजरंग बाण का जाप प्रारम्भ करें। “श्रीराम–” से लेकर “–सिद्ध करैं हनुमान” तक एक बैठक में ही इसकी एक माला जप करनी है।
गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए।
बजरंग बाण ध्यान.....

श्रीराम
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।

दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।

चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
जै गिरधर जै जै सुख सागर। सुर समूह समरथ भट नागर।।
ॐ हनु-हनु-हनु हनुमंत हठीले। वैरहिं मारू बज्र सम कीलै।।
गदा बज्र तै बैरिहीं मारौ। महाराज निज दास उबारों।।
सुनि हंकार हुंकार दै धावो। बज्र गदा हनि विलम्ब न लावो।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुँ हुँ हुँ हनु अरि उर शीसा।।
सत्य होहु हरि सत्य पाय कै। राम दुत धरू मारू धाई कै।।
जै हनुमन्त अनन्त अगाधा। दुःख पावत जन केहि अपराधा।।
पूजा जप तप नेम अचारा। नहिं जानत है दास तुम्हारा।।
वन उपवन जल-थल गृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।।
पाँय परौं कर जोरि मनावौं। अपने काज लागि गुण गावौं।।
जै अंजनी कुमार बलवन्ता। शंकर स्वयं वीर हनुमंता।।
बदन कराल दनुज कुल घालक। भूत पिशाच प्रेत उर शालक।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर। अग्नि बैताल वीर मारी मर।।
इन्हहिं मारू, तोंहि शमथ रामकी। राखु नाथ मर्याद नाम की।।
जनक सुता पति दास कहाओ। ताकी शपथ विलम्ब न लाओ।।
जय जय जय ध्वनि होत अकाशा। सुमिरत होत सुसह दुःख नाशा।।
उठु-उठु चल तोहि राम दुहाई। पाँय परौं कर जोरि मनाई।।
ॐ चं चं चं चं चपल चलन्ता। ॐ हनु हनु हनु हनु हनु हनुमंता।।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल। ॐ सं सं सहमि पराने खल दल।।
अपने जन को कस न उबारौ। सुमिरत होत आनन्द हमारौ।।
ताते विनती करौं पुकारी। हरहु सकल दुःख विपति हमारी।।
ऐसौ बल प्रभाव प्रभु तोरा। कस न हरहु दुःख संकट मोरा।।
हे बजरंग, बाण सम धावौ। मेटि सकल दुःख दरस दिखावौ।।
हे कपिराज काज कब ऐहौ। अवसर चूकि अन्त पछतैहौ।।
जन की लाज जात ऐहि बारा। धावहु हे कपि पवन कुमारा।।
जयति जयति जै जै हनुमाना। जयति जयति गुण ज्ञान निधाना।।
जयति जयति जै जै कपिराई। जयति जयति जै जै सुखदाई।।
जयति जयति जै राम पियारे। जयति जयति जै सिया दुलारे।।
जयति जयति मुद मंगलदाता। जयति जयति त्रिभुवन विख्याता।।
ऐहि प्रकार गावत गुण शेषा। पावत पार नहीं लवलेषा।।
राम रूप सर्वत्र समाना। देखत रहत सदा हर्षाना।।
विधि शारदा सहित दिनराती। गावत कपि के गुन बहु भाँति।।
तुम सम नहीं जगत बलवाना। करि विचार देखउं विधि नाना।।
यह जिय जानि शरण तब आई। ताते विनय करौं चित लाई।।
सुनि कपि आरत वचन हमारे। मेटहु सकल दुःख भ्रम भारे।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छाँह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर काँपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।

दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।

*****बोल बजरंग बली की जय*****


नोट : इस ब्लॉग पर प्रस्तुत लेख या चित्र आदि में से कई संकलित किये हुए हैं यदि किसी लेख या चित्र में किसी को आपत्ति है तो कृपया मुझे अवगत करावे इस ब्लॉग से वह चित्र या लेख हटा दिया जायेगा. इस ब्लॉग का उद्देश्य सिर्फ सुचना एवं ज्ञान का प्रसार करना है

चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----


चाणक्य के 15 सूक्ति वाक्य ----

1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."

2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."

3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "

4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."

5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"

6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."

7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."

8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."

9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."

10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."

11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."

12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."

13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."

14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."

15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."

1) "दूसरो की गलतियों से सीखो अपने ही ऊपर प्रयोग... करके सीखने को तुम्हारी आयु कम पड़ेगी."

2)"किसी भी व्यक्ति को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए ---सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं."

3)"अगर कोई सर्प जहरीला नहीं है तब भी उसे जहरीला दिखना चाहिए वैसे डंस भले ही न दो पर डंस दे सकने की क्षमता का दूसरों को अहसास करवाते रहना चाहिए. "

4)"हर मित्रता के पीछे कोई स्वार्थ जरूर होता है --यह कडुआ सच है."

5)"कोई भी काम शुरू करने के पहले तीन सवाल अपने आपसे पूछो ---मैं ऐसा क्यों करने जा रहा हूँ ? इसका क्या परिणाम होगा ? क्या मैं सफल रहूँगा ?"

6)"भय को नजदीक न आने दो अगर यह नजदीक आये इस पर हमला करदो यानी भय से भागो मत इसका सामना करो ."

7)"दुनिया की सबसे बड़ी ताकत पुरुष का विवेक और महिला की सुन्दरता है."

8)"काम का निष्पादन करो , परिणाम से मत डरो."

9)"सुगंध का प्रसार हवा के रुख का मोहताज़ होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है."

10)"ईश्वर चित्र में नहीं चरित्र में बसता है अपनी आत्मा को मंदिर बनाओ."

11) "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं."

12) "ऐसे व्यक्ति जो आपके स्तर से ऊपर या नीचे के हैं उन्हें दोस्त न बनाओ,वह तुम्हारे कष्ट का कारण बनेगे. सामान स्तर के मित्र ही सुखदाई होते हैं ."

13) "अपने बच्चों को पहले पांच साल तक खूब प्यार करो. छः साल से पंद्रह साल तक कठोर अनुशासन और संस्कार दो .सोलह साल से उनके साथ मित्रवत व्यवहार करो.आपकी संतति ही आपकी सबसे
अच्छी मित्र है."

14) "अज्ञानी के लिए किताबें और अंधे के लिए दर्पण एक सामान उपयोगी है ."

15) "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है. शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है. शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही कमजोर हैं ."


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विशालकाय शिवलिंग


बन्दूक की गोली के समान इतने बड़े आकार में दिखने वाला ये चित्र एक सामान्य चित्र नहीं है| ये एक विशालकाय शिवलिंग है, ये चित्र १९०४ में बारामुला, जम्मू कश्मीर में किया गया था जो की ये दर्शाता है की यहाँ शिव उपसना का बड़ा केंद्र था| इतिहासकारों के अनुसार , चौथी शताव्दी के आसपास बारामुला से लेकर बजिरिस्तान(वर्तमान में पकिस्तान में) तक एक प्रसिद्ध शिव उपासक केंद्र रहा है| काफी संख्या में पुराने शिवलिंग अभी भी झेलम में पाए जाते है

ये चित्र (b/w) “A Vision of Splendour: Indian Heritage in the Photographs of Jean Philippe Vogel, 1901–1913 by Gerda Theuns-de Boer” से लिया गया है

वर्तमान में भी ये शिवलिंग उसी प्रकार वही स्थित है परन्तु ना तो वहा कोई श्रदालु है ना सरकारी या गैर सरकारी संस्था जो इसको सही रूप में स्थापित कर सके

जय भोले नाथ ..जय शिव शम्भू


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रविवार, 22 जनवरी 2012

एक सैनिक की व्यथा ---

एक सैनिक की व्यथा ---
एक भारतीय सियाचिन सैनिक का अपनी दिवंगत माँ को लिखा खत-

प्रणाम माँ,
"माँ" बचपन में मैं जब भी रोते - रोते सो जाया करता था तो तू चुपके से मेरे सिरहाने खिलौने रख दिया करती थी और कहती थी की ऊपर से एक परी ने आकर रखा है और कह गई है की अगर मैं फिर कभी रोया तो खिलौने नहीं देगी! लेकिन इस मरते हुए देश का सैनिक बनके रो तो मैं आज भी रहा हूँ पर अब ना तू आती है और ना तेरी परी। परी क्या....... यहाँ ढाई हज़ार मीटर ऊपर तो परिंदा भी नहीं मिलता।
मात्र 14 हज़ार के लिए मुझे कड़े अनुशासन में रखा जाता है, लेकिन वो अनुशासन ना इन भ्रष्ट नेताओं के लिए है और ना इन मनमौजी देशवासियों के लिए।
रात भर जागते तो हम भी है लेकिन अपनी देश की सुरक्षा के लिए लेकिन वो जागते हैं तो
"लेट नाईट पार्टी" लिए।
इस -12 डिग्री में आग जला के अपने को गरम करते है लेकिन हमारे देश के नेता हमारे ही पोशाको, कवच, बन्दूको, गोलियों और जहाजों में घोटाले करके अपनी जेबे गरम करते है।
आतंकियों से मुठभेड़ में मरे हुए सैनिक की संख्या को न्यूज़ चैनल में नहीं दिखाया जाता लेकिन सचिन के शतक से पहले आउट हो जाने को देश में राष्टीय शोक की तरह दर्शाया जाता है।
हर चार-पांच सालो में हमे एक जगह से दूसरे जगह उठा के फेंक दिया जाता है लेकिन यह नेता लाख चोरी कर लें, बार बार उसी विधानसभा - संसद में पहुंचा दिए जाते है।
मैं किसी आतंकी को मार दूँ तो पूरी राजनीतिक पार्टियां वोट के लिए उसे बेकसूर बना के मुझे कसूरवार बनाने में लग जाती है लेकिन वो आये दिन अपने अपने भ्रष्टाचारो से देश को आये दिन मारते है, कितने ही लोग भूखे मरते है, कितने ही किसान आत्महत्या करते है, कितने ही बच्चे कुपोषण का शिकार होते है लेकिन उसके लिए इन नेताओं को जिम्मेवार नहीं ठहराया
जाता ?
आज अल्पसंख्यको के नाम पर आरक्षण बांटा जा रहा है लेकिन आज तक मरे हुए शहीद सैनिक की संख्या के आधार पर कभी किसी वर्ग को आरक्षण नहीं दिया गया ?

मैं दुखी हूँ इस मरे हुए संवेदनहीन देश का सैनिक बनके। यह हमे केवल याद करते है 26 जनवरी और 15 अगस्त को। बाकी दिन तो इनको शाहरुख़, सलमान, सचिन, युवराज की फ़िक्र रहती है।
हमारी स्थिति ठीक वैसे ही पागल किसान की तरह है जो अपने मरे हुए बैल पर भी कम्बल डाल के खुद ठंड में ठिठुरता रहता है।

मैंने गलती की इस देश का रक्षक बनके।
तू भगवान् के ज्यादा करीब है तो उनसे कह देना की अगले जनम मुझे अगर इस देश में पैदा करे तो सैनिक ना बनाए और अगर सैनिक बनाए तो इस देश में पैदा ना करे।
यहाँ केवल परिवारवाद चलता है, अभिनेता का बेटा ज़बरदस्ती अभिनेता बनता है और नेता का बेटा ज़बरदस्ती नेता।

प्रणाम-
लखन सिंह ( मरे हुए देश का जिन्दा सैनिक )
भारतीय सैनिक सियाचिन।


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रविवार, 15 जनवरी 2012

सूर्य मकर संक्रान्ति : 15 जनवरी, 2012 को......

सूर्य मकर संक्रान्ति  : 15 जनवरी, 2012 को......

आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l

मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l

17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l

इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l

मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l

मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l

आम मान्यता रही है की 'सूर्य' के 'मकर' राशी में प्रवेश करने पर मकर संक्रान्ति होती है l 14-15 जनवरी, 2012 की रात 12.56 बजे सूर्य मकर राशी में प्रवेश करेगा, अत: कलेंडर दिनांक 15 जनवरी आ जायेगी और इस बार मकर संक्रान्ति का महापर्व 15 जनवरी, 2012 रविवार को मनाया जायेगा l संक्रान्ति का पुण्यकाल भी 15 जनवरी ही रहेगा l 
 
मकर संक्रान्ति अक्सर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है यह सच है, लेकिन इस साल 2012 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जायेगा और साल 2110 में यह 16 जनवरी को मनाई जायेगी l ग्रहों की चाल में अंतर आने के कारण करीब 100 साल से हर बार मकर संक्रान्ति का समय 24 घंटे अथवा एक दिन आगे बढ़ जाता है l 
 
17 वीं शताब्दी में संक्रान्ति 9-10 जनवरी को, 18 वीं शताब्दी में 11-12 जनवरी को, 19 वीं शताब्दी में 13-14 जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाई जाती रही है l अब 21 वीं एवं 22 वीं शताब्दी में यह 14, 15, 16 और 17 जनवरी को मनाई जायेंगी l 
 
इस दिन संक्रान्ति पुण्यकाल, रविवार और भानुसप्तमी का दुर्लभ संयोग बन रहा है, जो की इस वर्ष 61 वर्ष के बाद बन रहा है l इससे पहले यह संयोग 14 जनवरी, 1951 में बना था l सप्तमी तिथि जब रविवार को होती है, तो उसे भानुसप्तमी कहा जाता है l मकर संक्रान्ति, भानुसप्तमी और रविवार तीनो ही उत्सव सूर्योपासना के लिए अति सर्वश्रेष्ठ होते हैं l इन तीनो का साथ आना दुर्लभ महायोग कहा जाता है l 
 
मकर संक्रान्ति का महत्व इस कारण सबसे अधिक बढ़ जाता है कि उस समय सूर्य उस कोण पर आ जाता है, जब वह अपनी सम्पूर्ण रश्मियाँ मानवलोक पर उतारता है l इनको ग्रहण किस प्रकार किया जाये, इसके लिए चैतन्य होना आवश्यक है, तभी ये रश्मियाँ भीतर की रश्मियों के साथ मिलकर शरीर के कण-कण को जागृत कर देती है l सूर्य तो ब्रम्हा, विष्णु और महेश तीनों की शक्तियों का स्वरुप है, इस कारण "मकर-संक्रान्ति" पर सूर्य की साधना से इन तीनों की साधना का लाभ प्राप्त होता है l  
 
मकर संक्रान्ति के दिन प्रात: काल में जल में 'तिल' मिलाकर स्नान किया जाता है l तिल मिश्रित जल से ही सूर्य को अर्द्य, तिल से ही हवन किया जाता है और तिल युक्त भोजन सामग्री का प्रयोग किया जाता है l

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रविवार, 8 जनवरी 2012

सेल्समेन

एक लड़के को सेल्समेन के इंटरव्यू में इसलिए बाहर कर दिया गया क्योंकि उसे अंग्रेजी नहीं आती थी। लड़के को अपने आप पर पूरा भरोसा था । उसने मैनेजर से कहा कि आपको अंग्रेजी से क्या मतलब ? यदि मैं अंग्रेजी वालों से ज्यादा बिक्री न करके दिखा दूं तो मुझे तनख्वाह मत दीजिएगा।
मैनेजर को उस लड़के बात जम गई। उसे नौकरी पर रख लिया गया।
फिर क्या था, अगले दिन से ही दुकान की बिक्री पहले से ज्यादा बढ़ गई। एक ही सप्ताह के अंदर लड़के ने तीन गुना ज्यादा माल बेचकर दिखाया।
स्टोर के मालिक को जब पता चला कि एक नए सेल्समेन की वजह से बिक्री इतनी ज्यादा बढ़ गई है तो वह खुद को रोक न सका । फौरन उस लड़के से मिलने के लिए स्टोर पर पहुंचा। लड़का उस वक्त एक ग्राहक को मछली पकड़ने का कांटा बेच रहा था। मालिक थोड़ी दूर पर खड़ा होकर देखने लगा।
लड़के ने कांटा बेच दिया। ग्राहक ने कीमत पूछी। लड़के ने कहा – 800 रु. । यह कहकर लड़के ने ग्राहक के जूतों की ओर देखा और बोला – सर, इतने मंहगे जूते पहनकर मछली पकड़ने जाएंगे क्या ? खराब हो जाएंगे। एक काम कीजिए, एक जोड़ी सस्ते जूते और ले लीजिए।
ग्राहक ने जूते भी खरीद लिए। अब लड़का बोला – तालाब किनारे धूप में बैठना पड़ेगा। एक टोपी भी ले लीजिए। ग्राहक ने टोपी भी खरीद ली। अब लड़का बोला – मछली पकड़ने में पता नहीं कितना समय लगेगा। कुछ खाने पीने का सामान भी साथ ले जाएंगे तो बेहतर होगा। ग्राहक ने बिस्किट, नमकीन, पानी की बोतलें भी खरीद लीं।
अब लड़का बोला – मछली पकड़ लेंगे तो घर कैसे लाएंगे। एक बॉस्केट भी खरीद लीजिए। ग्राहक ने वह भी खरीद ली। कुल 2500 रु. का सामान लेकर ग्राहक चलता बना।

मालिक यह नजारा देखकर बहुत खुश हुआ । उसने लड़के को बुलाया और कहा – तुम तो कमाल के आदमी हो यार ! जो आदमी केवल मछली पकड़ने का कांटा खरीदने आया था उसे इतना सारा सामान बेच दिया ?

लड़का बोला – कांटा खरीदने ? अरे वह आदमी तो केयर फ्री सेनिटरी पैक खरीदने आया था । मैंने उससे कहा अब चार दिन तू घर में बैठा बैठा क्या करेगा । जा के मछली पकड़ ……


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रविवार, 1 जनवरी 2012

नए साल की नई कसम...

लो फिर आ गया एक और नया साल। पर जनाब इस बार कुछ करने की ठान लीजिए और कुछ करने के लिए जरूरी है कुछ संकल्प यानी रिजॉल्यूशन लेना। तो फिर बस फटाफट बताइए कि 2011 का आपका रिजोल्यूशन क्या है। पिछली साल की गई गलितयों को सुधारने का एक तरीका भी है रिजॉल्यूशन या फिर कुछ ऐसा जिसे आप करना चाह रहे हैं पर कर नहीं पा रहे।
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जनवरी 2012 : पं . केवल आनंद जोशी

पं . केवल आनंद जोशी
(kajoshi46@gmail.com )
मेष (ARIES):- महीने के पूर्वार्द्ध में सभी प्रकार के उत्पात और झगड़े विवाद आदि शांत होंगे। सौभाग्य और श्रेष्ठता के प्रमाण में आप खरे उतरेंगे। किसी भी दुर्घटना का आभास पहले ही मिल जाएगा। समय रहते ही विचारे हुए काम बन जाने की संतुष्टि होगी। स्मृति और याददाश्त की वृद्धि होगी। लेखन स्वाध्याय में मन लगेगा। किसी नई युक्ति और तकनीक को अपनाने से चालू व्यापार में भी मुनाफा होने लग जाएगा। महीने का उत्तरार्द्ध और भी व्यस्तता बढ़ाएगा। वैवाहिक जीवन अथवा दाम्पत्य जीवन में असंतोष पैदा होगा। साझे व्यापार में पृथक होने की नौबत सकती है। पुराने ऋण या रोग से फिर दवा - दारू का खर्च बढ़ सकता है। समय की मांग और जरूरत किसी किसी प्रकार पूरी हो जाएगी।

वृष (TAURUS):- कर्मनिष्ठ और व्यवसायकुशल महानुभावों के लिए इस महीने का पूर्वार्ध अनेक प्रकार की खुशियों से ओत प्रोत रहेगा। संतान से प्रसन्नता मिलेगी। परिवार के सदस्यों के भाग्योदय से विरोधी और प्रतिद्वंद्वी जलन करेंगे। रचनात्मक तथा बौद्धिक आजीविका वाले महानुभाव इस मास के पूर्वार्ध में जहां वरिष्ठ अधिकारियों की कृपा प्राप्त करेंगे वहां कुछ विशिष्ट पद और सम्मान भी सुयोग्य व्यक्तियों को प्राप्त होगा। महीने के मध्य भाग में दाम्पत्य सु , खभाव संबंधी गतिविधियों में सक्रियता आएगी। छिटपुट कारोबार या व्यापार आदि से वांछित लाभ की प्रसन्नता होगी। लंबित पड़े हुए कार्य को पूरा करने में आसानी होगी। जीवन की समस्याएं एक एक करके ओझल होती हुई प्रतीत होंगी।


मिथुन (GEMINI):- इस महीने के पूर्वार्ध में शरीर की आंतरिक स्थिति ठीक रहेगी। दर्द और पीड़ा से राहत मिलेगी। कामकाज में कुछ आराम मिलने से स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ेगा। राजनीति और समाज कार्य से जुड़े महानुभाव कुछ असंतोषजनक घटनाचक्र से प्रभावित होंगे। यदि आप किसी व्यापारिक संस्था में कार्यरत हैं तो आपको अपने ही फैसले बदलने पड़ सकते हैं। रोजगार व्यवसाय के लिए वैसे तो कोई प्रतिकूल समय नहीं है फिर भी लाभदायक समय की अभी प्रतीक्षा करनी ही पड़ेगी। जहां तक हो सके आप अपने धैर्य और दूसरों की निष्ठा पर अडिग रहें। भद्र पुरुषों का सहयोग मिलता रहेगा। महीने के उत्तरार्ध में एक एक करके सभी प्रयास सिद्ध होने लग जायेंगे। हमेशा की तरह आप एक बार फिर व्यस्त और कठोर परिश्रम के दायरे में सिमट जाएंगे।

कर्क (CANCER):- इस मास का पूर्वार्ध कुछ स्थिर कार्यों को निबटाने में व्यतीत होगा। यद्यपि परिवार के वरिष्ठ सदस्य आप से सहमत हों फिर भी आप कुछ ऐसा जोखिमपूर्ण कार्य करने में उतारू होंगे जिसका लाभ मिलने में अभी देर है। इस दौरान आपको अपने धन और चल संपत्ति की भी रक्षा करनी है। चोर उचक्के और वंचकों के कारण आंशिक धन का नुकसान हो सकता है। किसी के साथ व्यर्थ की बहसबाजी से माहौल गर्म हो सकता है। महीने के उत्तरार्ध में कुछ विचित्र समाचारों और फेरबदल का लाभ मिलेगा। यदि आप थोक व्यापार या निर्माण कार्यो से जुड़े हैं तो आपको पूंजीगत लाभ में अचानक वृद्धि हो सकती है। महीने के अन्त तक कुछ योजनाओं का परिणाम सामने आएगा और घर परिवार के सदस्यों के कार्यक्रम भी आपके व्यवसाय में सहयोग दे सकते हैं।


सिंह (LEO):- इस मास का आरम्भ भी कार्य व्यस्त जीवन से जुड़े प्रसंग और सफलता के आंकड़ों को एकत्रित करने से हो रहा है। अनेक महानुभावों को जो अधिकार प्राप्त पदों से जुड़े हैं , उनको व्यवस्था संबंधी समस्याओं से जूझना होगा। घर में स्त्री अथवा संतान आदि के कारण पैदा हुए छिटपुट विवाद और क्लेश को निपटाने की युक्ति भी आपके हाथ में होगी। यदि संदेह और संशय करें तो आपके द्वारा त्यागे हुए शुभचिन्तक और मित्र पुनः आपके कामकाज में सहयोगी बन सकते हैं। इस दौरान चाहते हुए भी आपको कुछ खर्चीले कार्य पूरे करने होंगे। अस्थाई तौर पर प्रवास अथवा यात्रा का दौर भी सकता है। सामान्य जातकों को सुख आराम के अवसर भी मिलेंगे। मासांत तक कुछ भौतिक सुखों की वृद्धि होने से कार्य क्षमता का विस्तार होगा।

कन्या (VIRGO):- इस महीने के मध्य तक बुध और शुक्र ही आपकी राशि में तीसरे और छठे विद्यमान रहेंगे। इस प्राकृतिक अवस्था में बदलाव के कारण महिलाओं तथा विद्यार्थी वर्ग को कुछ शारीरिक पीड़ाएं झेलनी पड़ सकती हैं। शरीर में फोड़े फुन्सी और रक्त विकार के कारण निद्रा और सुख चैन में खलल पहुंचेगा। वरिष्ठ महानुभाव अगर यथोचित साहस और अपनी प्रबंध व्यवस्था को मजबूत करें तो जीवन का कर्म क्षेत्र उनको अधिनायक बनाने में कामयाब हो सकता है। इस महीने के उत्तरार्ध में आर्थिक समस्याओं का निदान खोजना होगा। अनेक जटिल कार्यों को किसी भांति या कुछ ले देकर निबटाना होगा। यदि आप व्यापार अथवा किसी स्वतंत्र कारोबार से जुड़े हैं तो अपने आय - व्यय के लेखे से अपनी मान - प्रतिष्ठा भी बचानी जरूरी होगी। फिलहाल नजदीकी लोग या मित्र आदि कुछ हद तक आपकी शंकाओं को बढ़ा सकते हैं।


तुला (LIBRA):- इस मास के पूर्वार्ध में तीसरा चल रहा सूर्य और राशि पर चल रहा मंगल के गोचर के कारण स्वभाव में उग्रता आएगी। राशि पर चल रहे शनि के दुष्प्रभाव से आए दिन के झंझटों और नाना प्रकार के अवरोध के कारण किसी भी काम के बनने में शंका होने लगेगी। आर्थिक पक्ष से भी कुछ खिन्नता और निराशा झेलनी होगी। वांछित रकम समय पर मिलने से जुर्माना और देनदारी की आशंका रहेगी। यदि आप किसी राजकीय सेवा या प्रशासन व्यवस्था से जुड़े हैं तो अनियमितता के आरोप लग सकते हैं। व्यापारिक कार्यों से जुड़े हुए महानुभाव इस दौरान सावधानीपूर्वक काम करें क्योंकि जरा - सी लापरवाही के कारण कोई भी मामला विवादास्पद हो सकता है। महीने के उत्तरार्ध में सूर्य और बुध चौथे स्थान में प्रवेश करेंगे। जिसके उपरान्त एकाएक ही कार्यक्षेत्र की विपरीत परिस्थितियां बदल जाएंगी और दैनिक जीवन में आने वाली बाधाएं भी नष्ट होने लग जाएंगी। उत्साहजनक समाचार मिलेंगे रचनात्मक कार्यों में मन लगा रहेगा।

वृश्चिक (SCORPIO):- यह महीना पूर्वार्ध में दशम भाव का मंगल आपकी महत्वाकांक्षा और अभिलाषाओं का पूरक होगा। ज्ञान - विज्ञान और बौद्धिक स्तर के सज्जनों से मेल - मुलाकात होगी। अपरिचित जनता में आपकी सद्भावना बढ़ेगी। कला क्षेत्र या साहित्य लेखन एवं संचार माध्यमों से जुड़े हुए महानुभाव राजनैतिक अनुकम्पा से अथवा सरकार की ओर से विशेष पदों के उम्मीदवार बनेंगे। जीवन स्तर में उत्तरोत्तर सुधार होगा। चेहरे पर चमक बढ़ेगी। शरीर भी निरोगी रहेगा। मास के मध्य में सूर्य पराक्रम भाव में आएगा। सरकारी क्षेत्र में शक्तिशाली और अधिकार प्राप्त महानुभावों से प्रतिद्वन्दिता बढ़ेगी। अपनी शानोशौकत को बनाए रखने के लिए अनेक प्रकार के आडम्बर और दिखावे का प्रदर्शन करना होगा। व्यापार में कुछ महंगी शर्तों पर आप किसी लाभकारी अनुबन्ध या उपव्यवसाय की प्राप्ति कर लेंगे।

धनु (SAGITTARIUS):- इस मास का पूर्वार्ध भी अपने काम से काम रखने योग्य है। बिना कारण आप किसी भी प्रकार के जोखिम में नहीं उलझें तथा दूसरों के काम में हस्तक्षेप भी नहीं करें। महीने के पूर्वार्ध में अगर आप अपने भूले बिसरे मित्रों से मेल मुलाकात बढ़ाएं तो आपके कुछ गंभीर , मांगलिक तथा सामाजिक उत्तरदायित्व पूरे हो जाएंगे। व्यापार व्यवसाय से जुड़े महानुभाव इस बीच अपनी देनदारियों को चुकता करें। अगर संभव हो तो पुराने ऋण से भी मुक्त हो जाएंगे। महीने के मध्य में दूसरा भाव का सूर्य एक ओर आपको अनेक प्रकार से मालामाल करने में समर्थ है वहां कुछ जोखिम भरे कार्य का अप्रत्याशित लाभ भी आपको मिलेगा। मास के उत्तरार्ध में ही घर आवास की समस्याएं हल होंगी। लेन देन की माथा पच्ची से छुटकारा मिलेगा। किसी लाभदायक वस्तु का लाभ भी मासान्त में होगा।


मकर (CAPRICORN):- इस महीने के पूर्वार्ध में भी अनेकानेक प्रकार की हलचल और अविस्मरणीय घटनाएं आपको व्यस्त रखेंगी। साहस और शौर्य में वृद्धि होगी। मानसिक संकोच नष्ट होकर स्पष्टवादिता और निर्विकार हृदय से किए गए कार्य सफलता की ओर बढ़ाएंगे। वरिष्ठजनों के स्वास्थ्य के कारण यद्यपि महीने के मध्य भाग में कुछ परेशानी उत्पन्न हो सकती है या वाहन मकान एवं अन्य सुख साधनों में तकनीकी बाधा आने से बेचैनी बढ़ सकती है। परन्तु मास के मध्य में सूर्य के राशि स्थान में प्रवेश करते ही सभी पिछले संकट लुप्त हो जाएंगे। दूरस्थ मित्रों या विदेशी मेहमानों की आवक होगी। संलगन के भाग्य का अभ्युदय होगा। भौतिक सम्पदा के साथ साथ आर्थिक और आध्यात्मिक सम्पदा का भी लाभ होगा। प्रौढ़ जातकों के लिए मासान्त किसी शुभ समाचार की प्राप्ति करा सकता है।

कुंभ (AQUARIUS):- इस मास का पूर्वार्ध भी लाभकारी गोचर से ओत - प्रोत है। भविष्य की योजनाओं पर विचार विनिमय होगा। मित्रजनों एवं पारिवारिक सदस्यों से सहयोग की अपेक्षा रहेगी। महीने के पूर्वार्ध तक नित्य नवीन आयोजन तथा सुखद मनोरंजन की प्राप्ति होगी। जो जातक व्यापार आदि से सम्बद्ध हैं उन्हे नए सम्बन्ध बनाने में सुविधा होगी। प्रभावशाली मित्रों और अधिकारियों के बीच आवागमन रहेगा। महीने के मध्य भाग में सूर्य राशि परिवर्तन करेगा तो कुछ अनावश्यक खर्च और लाभ मार्ग में रुकावट भी पैदा हो सकती है। किसी दूसरे के विवाद में हस्तक्षेप करना पड़ेगा। सगे संबंधियों तथा शुभचिन्तकों से मन मुटाव या वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। किसी दूसरे के विवाद में हस्तक्षेप करना पड़ेगा। सगे से लिखा - पढ़ी के काम में सावधानी तथा दूसरे की जमानत प्रतिभूति आदि में विशेष सावधानी वांछित है। महीने तक यात्रा आदि के कार्यक्रम बन सकते हैं। संतान पक्ष से प्रसन्नता मिलेगी।

मीन (PISCES):- इस महीने के पूर्वार्ध में भी कुछ परिवर्तनशील गोचर का दुष्प्रभाव रहेगा। आजीविका अथवा व्यापार में स्थानांतरण या रद्दोबदल की आशंका रहेगी। सही समय पर निर्णय लें और कदम उठाने के बावजूद महत्वपूर्ण कार्यों में रुकावटें आएंगी। व्यवहार जगत में लोग अपने वायदे से मुकर जाएंगे। बड़ी पूजी वाले काम में एकदम धन की आवश्यकता होगी। महीने के मध्य भाग में सूर्य राशि परिवर्तन करके एकादश भाव में आएगा। पिछले घटनाक्रम पर अंकुश लगेगा। व्यापार व्यवसाय में नए सिरे से अनुबंध और समझौता आदि होगा। संचार माध्यम या कला जगत से जुड़े लोग अपनी बौद्धिक क्षमता के माध्यम से धन और यश कमाएंगे। राज्याधिकारियों एवं वरिष्ठ कर्मचारियों से मित्रता बढ़ेगी। युवा वर्ग को सज्जनों द्वारा लाभ होगा। यदि अस्थाई नौकरी में हों तो स्थाई रोजगार के आदेश प्राप्त होंगे। महीने के आखिर में कोई बड़ा कार्य कर दिखाने की प्रेरणा जाग्रत होगी। 



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