यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 21 जनवरी 2022

तैमूरलंग_का_सामना


#तैमूरलंग_का_सामना 

हिन्दू समाज की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वे जातिवाद से ऊपर उठ कर सोच ही नहीं सकते। यही पिछले 1200 वर्षों से हो रही उनकी हार का मुख्य कारण है। इतिहास में कुछ प्रेरणादायक घटनाएं मिलती है। जब जातिवाद से ऊपर उठकर #हिन्दू_समाज ने एकजुट होकर अक्रान्तायों का न केवल सामना किया अपितु अपने प्राणों की बाजी लगाकर उन्हें यमलोक भेज दिया। तैमूर लंग के नाम से सभी भारतीय परिचित है। तैमूर के अत्याचारों से हमारे देश की भूमि रक्तरंजित हो गई। उसके अत्याचारों की कोई सीमा नहीं थी।
#तैमूरलंग ने मार्च सन् 1398 ई० में भारत पर 92000 घुड़सवारों की सेना से तूफानी आक्रमण कर दिया। तैमूर के सार्वजनिक कत्लेआम, लूट खसोट और सर्वनाशी अत्याचारों की सूचना मिलने पर संवत् 1455 (सन् 1398 ई०) कार्तिक बदी 5 को देवपाल राजा (जिसका जन्म निरपड़ा गांव जि० मेरठ में एक जाट घराने में हुआ था) की अध्यक्षता में हरयाणा सर्वखाप पंचायत का अधिवेशन जि० मेरठ के गाँव टीकरी, निरपड़ा, दोगट और दाहा के मध्य जंगलों में हुआ।
सर्वसम्मति से निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किये गये - (1) सब गांवों को खाली कर दो। (2) बूढे पुरुष-स्त्रियों तथा बालकों को सुरक्षित स्थान पर रखो। (3) प्रत्येक स्वस्थ व्यक्ति सर्वखाप पंचायत की सेना में भर्ती हो जाये। (4) युवतियाँ भी पुरुषों की भांति शस्त्र उठायें। (5) दिल्ली से हरद्वार की ओर बढ़ती हुई तैमूर की सेना का छापामार युद्ध शैली से मुकाबला किया जाये तथा उनके पानी में विष मिला दो। (6) 500 घुड़सवार युवक तैमूर की सेना की गतिविधियों को देखें और पता लगाकर पंचायती सेना को सूचना देते रहें।
पंचायती सेना - पंचायती झण्डे के नीचे 80,000 मल्ल योद्धा सैनिक और 40,000 युवा महिलायें शस्त्र लेकर एकत्र हो गये। इन वीरांगनाओं ने युद्ध के अतिरिक्त खाद्य सामग्री का प्रबन्ध भी सम्भाला। दिल्ली के सौ-सौ कोस चारों ओर के क्षेत्र के वीर योद्धा देश रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने रणभूमि में आ गये। सारे क्षेत्र में युवा तथा युवतियां सशस्त्र हो गये। इस सेना को एकत्र करने में धर्मपालदेव जाट योद्धा जिसकी आयु 95 वर्ष की थी, ने बड़ा सहयोग दिया था। उसने घोड़े पर चढ़कर दिन रात दूर-दूर तक जाकर नर-नारियों को उत्साहित करके इस सेना को एकत्र किया। उसने तथा उसके भाई करणपाल ने इस सेना के लिए अन्न, धन तथा वस्त्र आदि का प्रबन्ध किया।
प्रधान सेनापति, उप-प्रधान सेनापति तथा सेनापतियों की नियुक्ति
सर्वखाप पंचायत के इस अधिवेशन में सर्वसम्मति से वीर योद्धा जोगराजसिंह गुर्जर को प्रधान सेनापति बनाया गया। यह खूबड़ परमार वंश का योद्धा था जो हरद्वार के पास एक गाँव कुंजा सुन्हटी का निवासी था। बाद में यह गाँव मुगलों ने उजाड़ दिया था। वीर जोगराजसिंह के वंशज उस गांव से भागकर लंढोरा (जिला सहारनपुर) में आकर आबाद हो गये जिन्होंने लंढोरा गुर्जर राज्य की स्थापना की। जोगराजसिंह बालब्रह्मचारी एवं विख्यात पहलवान था। उसका कद 7 फुट 9 इंच और वजन 8 मन था। उसकी दैनिक खुराक चार सेर अन्न, 5 सेर सब्जी-फल, एक सेर गऊ का घी और 20 सेर गऊ का दूध।
महिलाएं वीरांगनाओं की सेनापति चुनी गईं उनके नाम इस प्रकार हैं - (1) रामप्यारी गुर्जर युवति (2) हरदेई जाट युवति (3) देवीकौर राजपूत युवति (4) चन्द्रो ब्राह्मण युवति (5) रामदेई त्यागी युवति। इन सब ने देशरक्षा के लिए शत्रु से लड़कर प्राण देने की प्रतिज्ञा की।
उपप्रधान सेनापति - (1) धूला भंगी (बालमीकी) (2) हरबीर गुलिया जाट चुने गये। धूला भंगी जि० हिसार के हांसी गांव (हिसार के निकट) का निवासी था। यह महाबलवान्, निर्भय योद्धा, गोरीला (छापामार) युद्ध का महान् विजयी धाड़ी (बड़ा महान् डाकू) था जिसका वजन 53 धड़ी था। उपप्रधान सेनापति चुना जाने पर इसने भाषण दिया कि - “मैंने अपनी सारी आयु में अनेक धाड़े मारे हैं। आपके सम्मान देने से मेरा खूब उबल उठा है। मैं वीरों के सम्मुख प्रण करता हूं कि देश की रक्षा के लिए अपना खून बहा दूंगा तथा सर्वखाप के पवित्र झण्डे को नीचे नहीं होने दूंगा। मैंने अनेक युद्धों में भाग लिया है तथा इस युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दे दूंगा।” यह कहकर उसने अपनी जांघ से खून निकालकर प्रधान सेनापति के चरणों में उसने खून के छींटे दिये। उसने म्यान से बाहर अपनी तलवार निकालकर कहा “यह शत्रु का खून पीयेगी और म्यान में नहीं जायेगी।” इस वीर योद्धा धूला के भाषण से पंचायती सेना दल में जोश एवं साहस की लहर दौड़ गई और सबने जोर-जोर से मातृभूमि के नारे लगाये।
दूसरा उपप्रधान सेनापति हरबीरसिंह जाट था जिसका गोत्र गुलिया था। यह हरयाणा के जि० रोहतक गांव बादली का रहने वाला था। इसकी आयु 22 वर्ष की थी और इसका वजन 56 धड़ी (7 मन) था। यह निडर एवं शक्तिशाली वीर योद्धा था।
सेनापतियों का निर्वाचन - उनके नाम इस प्रकार हैं - (1) गजेसिंह जाट गठवाला (2) तुहीराम राजपूत (3) मेदा रवा (4) सरजू ब्राह्मण (5) उमरा तगा (त्यागी) (6) दुर्जनपाल अहीर।
जो उपसेनापति चुने गये - (1) कुन्दन जाट (2) धारी गडरिया जो धाड़ी था (3) भौन्दू सैनी (4) हुल्ला नाई (5) भाना जुलाहा (हरिजन) (6) अमनसिंह पुंडीर राजपुत्र (7) नत्थू पार्डर राजपुत्र (😎 दुल्ला (धाड़ी) जाट जो हिसार, दादरी से मुलतान तक धाड़े मारता था। (9) मामचन्द गुर्जर (10) फलवा कहार।
सहायक सेनापति - भिन्न-भिन्न जातियों के 20 सहायक सेनापति चुने गये।
वीर कवि - प्रचण्ड विद्वान् चन्द्रदत्त भट्ट (भाट) को वीर कवि नियुक्त किया गया जिसने तैमूर के साथ युद्धों की घटनाओं का आंखों देखा इतिहास लिखा था।
प्रधान सेनापति जोगराजसिंह गुर्जर के ओजस्वी भाषण के कुछ अंश -
“वीरो! भगवान् कृष्ण ने गीता में अर्जुन को जो उपदेश दिया था उस पर अमल करो। हमारे लिए स्वर्ग (मोक्ष) का द्वार खुला है। ऋषि मुनि योग साधना से जो मोक्ष पद प्राप्त करते हैं, उसी पद को वीर योद्धा रणभूमि में बलिदान देकर प्राप्त कर लेता है। भारत माता की रक्षा हेतु तैयार हो जाओ। देश को बचाओ अथवा बलिदान हो जाओ, संसार तुम्हारा यशोगान करेगा। आपने मुझे नेता चुना है, प्राण रहते-रहते पग पीछे नहीं हटाऊंगा। पंचायत को प्रणाम करता हूँ तथा प्रतिज्ञा करता हूँ कि अन्तिम श्वास तक भारत भूमि की रक्षा करूंगा। हमारा देश तैमूर के आक्रमणों तथा अत्याचारों से तिलमिला उठा है। वीरो! उठो, अब देर मत करो। शत्रु सेना से युद्ध करके देश से बाहर निकाल दो।”
यह भाषण सुनकर वीरता की लहर दौड़ गई। 80,000 वीरों तथा 40,000 वीरांगनाओं ने अपनी तलवारों को चूमकर प्रण किया कि हे सेनापति! हम प्राण रहते-रहते आपकी आज्ञाओं का पालन करके देश रक्षा हेतु बलिदान हो जायेंगे।
मेरठ युद्ध - तैमूर ने अपनी बड़ी संख्यक एवं शक्तिशाली सेना, जिसके पास आधुनिक शस्त्र थे, के साथ दिल्ली से मेरठ की ओर कूच किया। इस क्षेत्र में तैमूरी सेना को पंचायती सेना ने दम नहीं लेने दिया। दिन भर युद्ध होते रहते थे। रात्रि को जहां तैमूरी सेना ठहरती थी वहीं पर पंचायती सेना धावा बोलकर उनको उखाड़ देती थी। वीर देवियां अपने सैनिकों को खाद्य सामग्री एवं युद्ध सामग्री बड़े उत्साह से स्थान-स्थान पर पहुंचाती थीं। शत्रु की रसद को ये वीरांगनाएं छापा मारकर लूटतीं थीं। आपसी मिलाप रखवाने तथा सूचना पहुंचाने के लिए 500 घुड़सवार अपने कर्त्तव्य का पालन करते थे। रसद न पहुंचने से तैमूरी सेना भूखी मरने लगी। उसके मार्ग में जो गांव आता उसी को नष्ट करती जाती थी। तंग आकर तैमूर हरद्वार की ओर बढ़ा।
हरद्वार युद्ध - मेरठ से आगे मुजफ्फरनगर तथा सहारनपुर तक पंचायती सेनाओं ने तैमूरी सेना से भयंकर युद्ध किए तथा इस क्षेत्र में तैमूरी सेना के पांव न जमने दिये। प्रधान एवं उपप्रधान और प्रत्येक सेनापति अपनी सेना का सुचारू रूप से संचालन करते रहे। हरद्वार से 5 कोस दक्षिण में तुगलुकपुर-पथरीगढ़ में तैमूरी सेना पहुंच गई। इस क्षेत्र में पंचायती सेना ने तैमूरी सेना के साथ तीन घमासान युद्ध किए।
उप-प्रधानसेनापति हरबीरसिंह गुलिया ने अपने पंचायती सेना के 25,000 वीर योद्धा सैनिकों के साथ तैमूर के घुड़सवारों के बड़े दल पर भयंकर धावा बोल दिया जहां पर तीरों* तथा भालों से घमासान युद्ध हुआ। इसी घुड़सवार सेना में तैमूर भी था। हरबीरसिंह गुलिया ने आगे बढ़कर शेर की तरह दहाड़ कर तैमूर की छाती में भाला मारा जिससे वह घोड़े से नीचे गिरने ही वाला था कि उसके एक सरदार खिज़र ने उसे सम्भालकर घोड़े से अलग कर लिया। (तैमूर इसी भाले के घाव से ही अपने देश समरकन्द में पहुंचकर मर गया)। वीर योद्धा हरबीरसिंह गुलिया पर शत्रु के 60 भाले तथा तलवारें एकदम टूट पड़ीं जिनकी मार से यह योद्धा अचेत होकर भूमि पर गिर पड़ा।
(1) उसी समय प्रधान सेनापति जोगराजसिंह गुर्जर ने अपने 22000 मल्ल योद्धाओं के साथ शत्रु की सेना पर धावा बोलकर उनके 5000 घुड़सवारों को काट डाला। जोगराजसिंह ने स्वयं अपने हाथों से अचेत हरबीरसिंह को उठाकर यथास्थान पहुंचाया। परन्तु कुछ घण्टे बाद यह वीर योद्धा वीरगति को प्राप्त हो गया। जोगराजसिंह को इस योद्धा की वीरगति से बड़ा धक्का लगा।
(2) हरद्वार के जंगलों में तैमूरी सेना के 2805 सैनिकों के रक्षादल पर भंगी कुल के उपप्रधान सेनापति धूला धाड़ी वीर योद्धा ने अपने 190 सैनिकों के साथ धावा बोल दिया। शत्रु के काफी सैनिकों को मारकर ये सभी 190 सैनिक एवं धूला धाड़ी अपने देश की रक्षा हेतु वीरगती को प्राप्त हो गये।
(3) तीसरे युद्ध में प्रधान सेनापति जोगराजसिंह ने अपने वीर योद्धाओं के साथ तैमूरी सेना पर भयंकर धावा करके उसे अम्बाला की ओर भागने पर मजबूर कर दिया। इस युद्ध में वीर योद्धा जोगराजसिंह को 45 घाव आये परन्तु वह वीर होश में रहा। पंचायती सेना के वीर सैनिकों ने तैमूर एवं उसके सैनिकों को हरद्वार के पवित्र गंगा घाट (हर की पौड़ी) तक नहीं जाने दिया। तैमूर हरद्वार से पहाड़ी क्षेत्र के रास्ते अम्बाला की ओर भागा। उस भागती हुई तैमूरी सेना का पंचायती वीर सैनिकों ने अम्बाला तक पीछा करके उसे अपने देश हरयाणा से बाहर खदेड़ दिया।
वीर सेनापति दुर्जनपाल अहीर मेरठ युद्ध में अपने 200 वीर सैनिकों के साथ दिल्ली दरवाज़े के निकट स्वर्ग लोक को प्राप्त हुये।
इन युद्धों में बीच-बीच में घायल होने एवं मरने वाले सेनापति बदलते रहे थे। कच्छवाहे गोत्र के एक वीर राजपूत ने उपप्रधान सेनापति का पद सम्भाला था। तंवर गोत्र के एक जाट योद्धा ने प्रधान सेनापति के पद को सम्भाला था। एक रवा तथा सैनी वीर ने सेनापति पद सम्भाले थे। इस युद्ध में केवल 5 सेनापति बचे थे तथा अन्य सब देशरक्षा के लिए वीरगति को प्राप्त हुये।
इन युद्धों में तैमूर के ढ़ाई लाख सैनिकों में से हमारे वीर योद्धाओं ने 1,60,000 को मौत के घाट उतार दिया था और तैमूर की आशाओं पर पानी फेर दिया।
हमारी पंचायती सेना के वीर एवं वीरांगनाएं 35,000, देश के लिये वीरगति को प्राप्त हुए थे।
प्रधान सेनापति की वीरगति - वीर योद्धा प्रधान सेनापति जोगराजसिंह गुर्जर युद्ध के पश्चात् ऋषिकेश के जंगल में स्वर्गवासी हुये थे।
(सन्दर्भ-जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-३७९-३८३ )
ध्यान दीजिये। एक सवर्ण सेना का उपसेनापति वाल्मीकि था। अहीर, गुर्जर से लेकर 36 बिरादरी उसके महत्वपूर्ण अंग थे। तैमूर को हराने वाली सेना को हराने वाली कौन थे? क्या वो जाट थे? क्या वो राजपूत थे? क्या वो अहीर थे? क्या वो गुर्जर थे? क्या वो बनिए थे? क्या वो भंगी या वाल्मीकि थे? क्या वो जातिवादी थे?
नहीं वो सबसे पहले देशभक्त थे। धर्मरक्षक थे। श्री राम और श्री कृष्ण की संतान थे? गौ, वेद , जनेऊ और यज्ञ के रक्षक थे।
आज भी हमारा देश उसी संकट में आ खड़ा हुआ है। आज भी विधर्मी हमारी जड़ों को काट रहे है। आज भी हमें फिर से जातिवाद से ऊपर उठ कर एकजुट होकर अपने धर्म, अपनी संस्कृति और अपनी मातृभूमि की रक्षा का व्रत लेना हैं। यह तभी सम्भव है जब हम अपनी संकीर्ण मानसिकता से ऊपर उठकर सोचना आरम्भ करेंगे। आप में से कौन कौन मेरे साथ है?

श्रेय - अम्बरीष गुप्ता
दिनांक - २१.०१.२०२२
---#राज_सिंह---

#अंगदान_धर्म_की_नजर_से इस्लाम मे अंगदान और रक्तदान हराम हो गया ।

-------- #अंगदान_धर्म_की_नजर_से ----
देवबंद की वेबसाइट पर हलाल और हराम संबंधी फतवों की श्रेणी के सवाल क्रमांक 27466 में पूछा गया है कि रक्तदान शिविरों में रक्तदान करना इस्लाम के हिसाब से सही है या गलत ?
 इसके उत्तर में देवबंद ने कहा है कि अपने शरीर के अंगों के हम मालिक नहीं हैं जो अंगों का मनमाना उपयोग कर सकें इसलिए रक्तदान या अंगदान करना अवैध है  इस तरह इस्लाम मे अंगदान और रक्तदान हराम हो गया ।

AIIMS की 1 रिपोर्ट के अनुसार पिछले 3 सालों में दिल्ली में 39 मुस्लिमो को अंगदान किए गए
लेकिन अंग देने वाले 231 डोनर में एक भी मुस्लिम नहीं। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि सिर्फ भारत मे ही नही पूरे विश्व मे इस्लामिक डोनर मिलना बहुत कठिन हैं।
आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल लगभग 95 लाख लोगों की मौत होती है और इनमें से लगभग एक लाख लोग ऐसे होते हैं जो अंगदान के लिए सक्षम होते हैं। इसके बावजूद भारत में रोजाना 300 लोग अलग-अलग अंगों के खराब होने की वजह से दम तोड़ देते हैं। इसका मतलब है एक साल में एक लाख से ज्यादा मौतें। डॉक्टरों के मुताबिक मौत के बाद अंगदान करके एक व्यक्ति 50 जिंदगियां तक बचा सकता है। 
विज्ञान की नजर में अंगदान सबसे बड़ा कर्म है जबकि इस्लाम , ईसाई समुदाय में इसे हराम माना गया है जबकि अभी हाल में मेरा कोई मित्र इन धर्मो में परोपकार शांति और सहयोग का धर्म है का ज्ञान दे रहा था । मेरे मित्रो ने काफी दिनों से लिखने को कहा कि सनातन धर्म क्या कहता है अंगदान के विषय मे तो आइए देखते है सनातन धर्म क्या मत रखता है अंगदान के विषय मे ---
1 -- #श्रीमद्भागवत_गीता_के_अनुसार --
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।
तथा शरीराणि विहाय जीर्णानि अन्यानि संयाति नवानि देही॥
अर्थात --
 जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है। इसका मतलब यह है कि शरीर का आत्मा से कोई मतलब नही है वो नए शरीर को जब धारण करती है तो न तो उसे उसके पुराने शरीर से मतलब होता है ना उसका प्रभाव । अर्थात अंग दान करने से नए शरीर पर (अगले जन्म ) पुराने शरीर का कोई प्रभाव नही पड़ेगा ।।

2-- #वैदिक शास्त्रों में एक कथानुसार  महर्षि दधिचि ने संसार के हित में अपने अस्थियों का दान दिया। देव शिल्पी विश्वकर्मा ने इनकी हड्डियों से इंद्र के लिए वज्र नामक अस्त्र का निर्माण किया और दूसरे देवताओं के लिए भी अस्त्र शस्त्र बनाए। यानी कि परोपकार के लिए अंगदान को गलत नही अपितु श्रेष्ठ कर्म बताया गया है ।।

3 -- #कर्ण ने अपनी त्वचा का , शिवि ने अपने मांस का, जीमूतवाहन ने अपने जीवन का तथा दधीचि ने अपनी अस्थियों का दान कर दिया था।ययाति पुत्र पुरु की दानशीलता जगविख्यात है ही। यानी शास्‍त्रों और पुराणों में कई ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जो बताते हैं क‌ि अंग दान महादान है। अंग दान से दोष नहीं महापुण्य म‌िलता और परलोक में उत्तम स्‍थान और अगले जन्म में उत्तम कुल प्राप्त होता है।
ये तो बात हुई पौराणिक अब कुछ प्राचीन वैदिक भारत के उदाहरण देखते है जो निश्चित ही धर्म के विषय मे आज के धर्माचार्यो से अधिक ज्ञानी थे तो क्या उस काल मे अंगप्रत्यारोपण होते थे आइये देखते है --

#ऋग्वेद_के_अनुसार --
रोगों के समवायिकारण (दोष) तथा निमित्त कारण (क्रिमि) औरी दोष प्रयत्नपूर्वक चिकित्सा का स्पष्ट संकेत है और अंग प्रत्यारोपण का भी -
साकं यक्ष्म प्रपत चाषेण किकिदीविना ।।
साकं वातस्य साकं नश्य निहाकया॥ -(ऋ० १०- १७)
इसके अतिरिक्त अथर्ववेद में कई जगह इसका उल्लेख मिलता है ।।

#वेदों में रुद्र, अग्नि, वरुण, इन्द्र, मरुत् आदि दैव भीषण कहे गये हैं, किन्तु इनमें सर्वाधिक प्रसिद्धि अश्विनी कुमारों की है जो ''देवानां भिषजौ'' के रूप में स्वीकृत हैं ।।
ऋग्वेद में इनके जो चमत्कार वर्णित हैं उनसे अनुमान किया जा सकता है कि उस काल में अंगप्रत्यारोपण की स्थिति उन्नत थी ।।अश्विनीकुमार आरोग्य, दीर्घायु शक्ति प्रजा वनस्पति तथा समृद्धि शक्ति के प्रदाता कहे गये हैं उनके चिकित्सा चमत्कारों का वर्णन ऋग्वेद में विस्तार से किया गया है ।।
अश्विनौ द्वारा अंग प्रत्यारोपण का सपष्ट उल्लेख मिलना यह सिद्ध करता है कि अंग दान कही से भी गलत नही है ना तो इसका कोई दुष्प्रभाव पड़ता है ।।

#Surgical Procedures के बारे में जब दुनिया कुछ नहीं जानती थी, तब भी भारत में सुश्रुत शल्य चिकित्सा किया करते थे. 1200BC में ही उन्होंने 184 अध्यायों का Medical Encyclopaedia लिख दिया था. आयुर्वेद में जड़ी-बूटियों से Anesthesia भी बनाया जाता था, और इसमे शालक्य शास्त्र में अंग प्रत्यारोपण इस बात की पुष्टि करता है कि उस समय भी अंग प्रत्यारोपण को एक अच्छा कर्म माना जाता था जिसके लिए कोई मनाही नही थी।।

#चरक संहिता तथा सुश्रुत संहिता में वर्णित इतिहास एवं आयुर्वेद के अवतरण के क्रम में अंग प्रत्यारोपण सर्जरी करके अंगों को ठीक करने का बार बार उल्लेख इस बात पर मुहर लगा देता है कि सनातन धर्म में परोपकार से बड़ा कोई पुण्य नही है और इसके लिए ईश्वर भी अनुमति देते है , और अंग दान करके किसी के जीवन मे खुसी भर देने से बड़ा परोपकार क्या हो सकता है ।।

#निष्कर्ष -- सनातन संस्कृति में कही भी अंगदान के लिए मना नही किया गया है एक भी उदाहरण ऐसा नही मिलता जो अंगदान के लिए मना करता हो अपितु मनुस्मृति में धन गौ भूमि के  अलावा शरीर दान करने के लिए भी बताया गया है , वेदों में परोपकार के लिए शरीर दान (अंगदान) की अनुमति दी गयी है इसके अतिरिक्त सभी धार्मिक शास्त्रों में अनुमति है ।। 
हम अंग दान कर सकते है हमारे धर्म शास्त्र इसकी अनुमति देते है कोई मनाही नही है ।।

#विशेष -- दो तरह के अंगदान होते है एक होता है अंगदान और दूसरा होता है टिशू का दान। अंगदान के तहत आता है किडनी, लंग्स, लिवर, हार्ट, इंटेस्टाइन, पैनक्रियाज आदि तमाम अंदरूनी अंगों का दान। टिशू दान के तहत मुख्यत: आंखों, हड्डी और स्किन का दान आता है।ज्यादातर अंगदान तब होते हैं, जब इंसान की मौत हो जाती है लेकिन कुछ अंग और टिशू इंसान के जिंदा रहते भी दान किए जा सकते हैं।
मरने के बाद हमे जला दिया जाना है। कितना अच्छा हो कि मरने के बाद ये अंग किसी को जीवनदान दे सकें। अगर धार्मिक अंधविश्वास आपको ऐसा करने से रोकते हैं तो महान ऋषि दधीचि को याद कीजिए, जिन्होंने समाज की भलाई के लिए अपनी हड्ड़ियां तक दान कर दी थीं। उन जैसा धर्मज्ञ अगर ऐसा कर चुका है तो आम लोगों को तो डरने की जरूरत ही नहीं है। सामने आइए और खुलकर अंगदान कीजिए, इससे किसी को नई जिंदगी मिल सकती है।

#चित्र -- सुश्रुतसंहिता में वर्णित मानव अंग जिनका इलाज और अधिकांश का प्रत्यारोपण किया जा सकता था ।

गुजरात में विदेशी फंडिंग से ऐसे हो रहा है इस्लामिक धर्मान्तरण, जरूर जानें


🚩 *गुजरात में विदेशी फंडिंग से ऐसे हो रहा है इस्लामिक धर्मान्तरण, जरूर जानें*
20 जनवरी 2022
azaadbharat.org

🚩 *गुजरात के भरूच जिले का आमोद तालुका, दांडी मार्ग... जब आप राष्ट्रीय राजमार्ग से आमोद तालुका की ओर दाएँ मुड़ते हैं, जिसकी आबादी लगभग 1 लाख (2011 में) है, तो आपका स्वागत विशाल मस्जिदों के साथ किया जाता है, जो सुन्दर नक्कासी वाली पत्थरों से निर्मित हैं। यहाँ तक ​​कि शहरों में भी इतनी बड़ी मस्जिदें नहीं हैं, जितनी कि लगभग 32% मुसलमानों की आबादी वाले इस छोटे से शहर में हैं। आमोद तालुका जैसी छोटी सी जगह में ढेर सारे मस्जिद हैं।*

🚩 *दमोह के एक गाँव में जहाँ पिछले कुछ वर्षों में वसावा समुदाय के आदिवासियों का बड़े पैमाने पर इस्लाम में धर्मांतरण हुआ था।*

*गाँव के कुछ लोगों से बात की, जिन्हें पैसे, भोजन और नौकरी की पेशकश के वादे पर इस्लाम कबूल करने का लालच दिया गया था। वे खुल गए कि उन्हें कैसे फुसलाया गया और आखिरकार उन्हें क्या बोलने के लिए मजबूर किया गया और इसके खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई। चूँकि उनकी जान को खतरा है और उनमें से कुछ पर हमले हुए हैं।*

🚩 *प्रकाश (बदला हुआ नाम) ने 2018 में इस्लाम धर्म अपना लिया और सलमान पटेल बन गए। नवंबर 2021 में उसने 9 लोगों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। आमोद पुलिस ने 15 नवंबर 2021 को गुजरात फ्रीडम फॉर रिलिजन बिल के तहत मामला दर्ज किया था। शिकायत के बाद आरोपित अब्दुल अजीज पटेल (अजीतभाई छगन वसावा), यूसुफ जीवन पटेल (महेंद्र जीवन वसावा), अयूब बरकत पटेल (रमन बरकत वसावा), इब्राहिम पुनाभाई पटेल (जितुभाई पुनाभाई वसावा) जो आमोद तालुका के काकरिया गाँव के ही निवासी हैं उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।*

*16 दिसंबर को भरूच पुलिस ने मामले में छह और आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पाटन से याकूब इब्राहिम शंकर, पालेज से रिजवान महबूब पटेल, ठाकोरभाई गिरधरभाई वसावा, आमोद से साजिद मोहम्मद पटेल और यूसुफ पटेल जबकि जंबूसर से अयूब बशीर पटेल को गिरफ्तार किया गया।*

🚩 *कैसे गरीब आदिवासियों को इस्लाम कबूल करने का लालच दिया गया?*

*जब आप कांकरिया गाँव में प्रवेश करते हैं, तो आप देख सकते हैं कि गाँव में केवल एक ही घर है जो गाँव के सरपंच का ‘पक्का घर’ है। प्रकाश ने हमें बताया, “हम यहाँ बहुत गरीब लोग हैं। हम यहाँ के खेतों में काम करते हैं, जिनमें से ज्यादातर पर मुस्लिम जमींदारों का कब्ज़ा है। हमारे लिए 500 रुपए भी बड़ी बात है।”*
*मूल प्राथमिकी में नामजद आरोपितों में से एक ठाकोरभाई गिरधरभाई वसावा दुकान के मालिकों में से एक थे। प्राथमिकी में नामजद आरोपित शब्बीर और समाज बेकरीवाला भी उसके आपूर्तिकर्ता थे। प्रकाश ने कहा कि उन्होंने 2008-09 में वसावा को पहली बार इस्लाम कबूल करने का लालच दिया। इसके बाद, उसने अजीत छगन वसावा (जिसे प्राथमिकी में एक आरोपित के रूप में भी नामित किया गया) को अपने झाँसे में लिया और कुछ महीने बाद उसे इस्लाम में परिवर्तित कर दिया। उनके बाद गाँव के करीब 5-6 लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया।*
*2009 में गाँव से इस्लाम धर्म अपनाने वाला सातवाँ व्यक्ति वह था जो गाँव के मंदिर में भजन और आरती करता था। तभी ग्रामीणों ने विरोध किया। ग्रामीणों ने ठाकोर और अन्य लोगों को या तो हिंदू धर्म में लौटने या गाँव छोड़ने के लिए कहा। इसके बाद सभी 7 लोग गाँव छोड़कर चले गए। यद्यपि ठाकोर ने अपने भले के लिए गाँव छोड़ दिया, बाकी शेष छह गाँव लौट आए और 2009-10 में किसी समय हिंदू धर्म में वापस लौटने का फैसला किया।*
*सिवाय, अजीत वसावा के जो हिंदू धर्म में वापस आ गए थे, अब लोगों को फिर से इस्लाम में परिवर्तित करना शुरू कर दिया है। 2010 से 2018 के बीच 37 आदिवासी परिवारों को इस्लाम में परिवर्तित किया गया और यह सिलसिला 2021 तक एफआईआर दर्ज होने तक चलता रहा। उन्होंने हमें आगे बताया, “जिस गाँव में हम झोपड़ी में रहते हैं और घर जैसी स्थायी संरचना नहीं है, अजीत के घर को इबादत घर में बदल दिया गया था। इसे 16 लाख रुपए की लागत से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इबादत घर का इस्तेमाल नमाज अदा करने और इस्लाम का प्रचार करने के लिए किया जाता था। एक मौलाना, जो मदरसा भी चलाता था, अछोद (पास के एक गाँव) से यहाँ तकरीर देने आता था।”*

🚩 *पैसा, हिंदू देवी-देवताओं का अपमान और ब्रेनवॉश : कैसे आदिवासियों को इस्लाम में परिवर्तित किया गया*

*प्रकाश ने कहा, “यह एक रैकेट था जिसे वे चला रहे थे। वे यह दावा करके विदेश से धन की उगाही करते थे कि वे हमें दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने हमें पैसे देने का वादा किया था यदि हम इस्लाम में परिवर्तित हो जाते हैं। लेकिन अगर वे प्रति व्यक्ति 1 लाख रुपए माँगते हैं, तो वे हमें केवल 500 रुपए से 2,000 रुपए का भुगतान करेंगे। करोड़ों हमारे नाम आए लेकिन वे हम तक कभी नहीं पहुँचे।” उन्होंने आगे कहा कि अजीत दावा करेगा कि पूरा गाँव इस्लाम में परिवर्तित हो गया है और उनके नाम पर पैसे माँगेगा।*
*जब उनसे पूछा गया कि इस्लाम में धर्मांतरण पर उन्हें क्या सिखाया गया, तो प्रकाश ने कहा कि उन्हें नमाज़ पढ़ना सिखाया गया था। साथ ही प्रकाश ने यह भी कहा, “हमें बताया गया कि हिंदू धर्म जैसा कुछ नहीं है। हिंदू कोई धर्म नहीं है क्योंकि हर कोई अलग-अलग देवताओं की पूजा करता है। इतने सारे देवता कैसे हो सकते हैं?”*
*उन्होंने आगे बताया कि वे नियमित रूप से हिंदू देवी-देवताओं को बदनाम करते थे और उनके लिए अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करते थे ताकि यह साबित हो सके कि हिंदू धर्म बुरा है और इस्लाम एक सच्चा और शुद्ध धर्म है। प्रकाश ने कहा, “हमें पार्वती और गणेश की कहानी के बारे में बताया गया। कैसे एक बार देवी पार्वती स्नान कर रही थीं और गणेश जी पहरेदारी कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भगवान शिव ने क्रोधित होकर गणेश जी का सिर काट दिया।” वे पूछते, “यह कैसा पिता जो अपने ही बेटे को नहीं पहचानता?" उन्होंने आगे बताया, “गणेश जी के सिर के लिए एक निर्दोष हाथी को मारना क्रूर हरकत थी। अगर भगवान शिव असली देवता होते, तो वह अपने बेटे को जीवित कर देते।”*
*उन्होंने आगे कहा कि कैसे भगवान राम को बदनाम करने के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया। हमसे बात करते हुए प्रकाश ने कहा, “उन्होंने हमें बताया कि भगवान राम की पूजा करना अच्छा नहीं है। भगवान राम भगवान नहीं थे, वह एक राजा थे, एक इंसान थे और फिर हम दूसरे इंसान की पूजा क्यों करें? हमें यह भी बताया गया कि कैसे देवताओं को चढ़ाए जाने वाले प्रसाद में अक्सर मक्खियाँ होती हैं। यदि आपके (हिंदू) भगवान इतने शक्तिशाली थे, तो क्या वे मक्खियों को भोजन पर रहने देंगे? अगर वह भगवान मक्खियों को प्रसाद से दूर नहीं भगा सकता, तो वह आपकी रक्षा कैसे करेगा?”*
*साथ ही उसने हमें यह भी कहा, “हमें बताया गया कि गोधरा कांड में, (पीएम) मोदी और (एचएम) शाह ने वास्तव में ट्रेन के अंदर मुसलमानों को जिंदा जला दिया और फिर दावा किया कि हिंदू मारे गए थे। उन्होंने हमें बताया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर कोई मंदिर नहीं था और यह हमेशा एक मस्जिद रहेगा।”*
*प्रकाश ने यह भी कहा कि उन्हें बताया गया था कि कैसे महिलाओं को परदा में रखा जाना चाहिए और उन्हें बिना बुर्के के बाहर नहीं जाने देना चाहिए। एक चौकाने वाला खुलासा करते हुए प्रकाश ने कहा, “वे हमें जिहादी हमलों के लिए भी प्रशिक्षित करना चाहते थे। उन्होंने हमें आत्मघाती हमलों के लिए प्रेरित किया और हमें बताया कि दीन (धर्म / आस्था) के लिए मरने से हमें जन्नत मिलेगी। हमें बताया गया कि मूर्ति पूजा करने वाले काफिरों (गैर-मुसलमानों) को मारना कोई अपराध नहीं है। ये कट्टरपंथी बातें हमारे मुसलमान होने के कुछ सालों बाद बताई गईं।”*

🚩 *जबरन धर्म परिवर्तन के लिए फंडिंग*

*“आपका पैगाम लंदन पहुँचा दिया है, अच्छा काम हो रहा है (आपका संदेश लंदन को दिया गया है। आप लोग अच्छा काम कर रहे हैं),” धर्मांतरण रैकेट के मुख्य आरोपितों में से एक, हाजी अब्दुल्ला फेफड़ावाला को यह कहते हुए सुना जा सकता है इस वीडियो में जो कुछ समय पहले वायरल हुआ था।*

*🚩वीडियो में फेफड़ावाला कहता है कि वह लंदन से है।उसने आगे कहा, “मुझे आप लोगों के बारे में पता चला कि आपने इस्लाम कबूल कर लिया है। मैं आपसे विशेष रूप से मिलने आया हूँ। मैं लंदन में आपके संदेश को पहुँचाऊँगा कि अल्लाह ने आपको स्वीकार कर लिया है। अब तुम कलमा के अनुसार हमारे भाई हो। हम हर संभव मदद प्रदान करेंगे।” बिना तारीख वाले वीडियो में, उसे यह कहते हुए सुना जा सकता है कि उसने लंदन में यह संदेश दिया है कि वह आमोद के कांकरिया गाँव में हैं, जहाँ 37 परिवारों ने इस्लाम धर्म अपना लिया था। उन्होंने मदद के लिए ‘अजीत भाई’ का शुक्रिया अदा किया। फिर वह ‘अजीत भाई’ से पूछता है कि क्या उन्हें भोजन, घर या ऐसी किसी वित्तीय सहायता के संबंध में किसी मदद की ज़रूरत है। फिलहाल हाजी फेफड़ावाला के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी है। वह मूल रूप से भरूच के पास नबीपुर का रहने वाला है लेकिन वह फिलहाल लंदन में रहता है।पिछले साल अक्टूबर में, वडोदरा शहर पुलिस के विशेष जाँच दल (एसआईटी) ने पाया कि शहर स्थित अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन (एएफएमआई) ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुसलमानों के विस्थापितों के लिए गाजियाबाद के पास 400 फ्लैटों के निर्माण सहित कई गतिविधियों के लिए हवाला से फंड भेजा था। उस पर भारत-नेपाल सीमा के पास मौलवियों को फंडिंग करने का भी आरोप लगा था।*
*सलाउद्दीन शेख AFMI के ट्रस्टियों में से एक हैं। कुछ साल पहले मुंबई में इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक से प्रभावित होकर शेख ने ट्रस्ट की शुरुआत की थी। उसका नाम उत्तर प्रदेश सामूहिक धर्म परिवर्तन रैकेट में भी सामने आया था, जहाँ उमर गौतम प्रमुख संदिग्धों में से एक है।*
*हाजी फेफड़ावाला पर 2019 में वडोदरा में भड़काऊ भाषण देने का भी आरोप है और वह 2002 के गुजरात दंगों में भी शामिल था, जो गोधरा में एक ट्रेन के जलने के बाद भड़के थे, जहाँ अयोध्या से लौट रहे हिंदू कारसेवकों को जिंदा जला दिया गया था। उसने कहा था कि 2003 में उसने यूके में ट्रस्ट की स्थापना की जहाँ उसने करीब 125 दानदाताओं से संपर्क किया और भारत को डोनेशन के पैसे भेजने शुरू किए। फेफड़ावाला ने कहा था कि पैसा समुदाय को मजबूत करने के लिए एकत्र किया गया था ताकि वह ‘अन्य धर्मों के हमलों के खिलाफ खुद का बचाव’ कर सके। करीब एक घंटे तक फेफड़ावाला गुजरात में ‘समुदाय को मजबूत करने’ की बात करता रहा।*
*उक्त कार्यक्रम में सलाहुद्दीन शेख और उमर गौतम भी शामिल थे, जिन्हें हाल ही में हवाला और धर्म परिवर्तन केस में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ऐसा माना जाता है कि फेफडावाला ने पिछले 18 वर्षों में भारत में मुस्लिम समुदाय को 150 करोड़ रुपए से अधिक का ‘दान’ दिया है।*
*बता दें कि दिसंबर 2021 में, वडोदरा पुलिस द्वारा एक रिपोर्ट भेजे जाने के बाद, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने AFMI ट्रस्ट का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया। ट्रस्ट के सबसे बड़े लाभार्थियों में से दो फेफड़ावाला और मुस्तफा थानावाला के लिए पुलिस ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।*

🚩 *हवाला और टेरर फंडिंग*

*इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, वडोदरा सिटी के सहायक पुलिस आयुक्त ने कहा कि ट्रस्ट के माध्यम से धन का दुरुपयोग विभिन्न इस्लामिक गतिविधियों के लिए किया गया था, जिसमें अवैध धार्मिक रूपांतरण, मस्जिदों का निर्माण, कश्मीर और भारत-नेपाल के पास गतिविधियों के लिए लोगों को पैसे देना शामिल था। फेफड़ावाला और थानावाला ने कथित तौर पर अपने सभी संपर्क सूत्रों को नष्ट कर दिया है और वो सम्मन का भी जवाब नहीं दे रहे हैं। जाँच में आगे पता चला कि सलाउद्दीन शेख ने दो और लोगों के लिए इस्लाम धर्म परिवर्तन के लिए पैसे की व्यवस्था की थी।*
*नवंबर 2021 में, एसआईटी द्वारा दायर एक चार्जशीट से पता चला कि एएफएमआई द्वारा प्राप्त 80 करोड़ रुपए की जाँच की जा रही है, जिसमें से 1.65 करोड़ रुपए एक आईएच कासुवाला ट्रस्ट की मिलीभगत से फर्जी चालान पेश करके निकाले गए। पुलिस ने यह भी आरोप लगाया है कि ट्रस्ट ने फरवरी 2020 में दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के साथ-साथ सीएए के विरोध प्रदर्शनों को बढ़ावा देने के लिए भी विदेशी धन का इस्तेमाल किया, जो बाद में हिंसक हो गया था। सलाउद्दीन शेख के साथ भारतीय दावा केंद्र के उमर गौतम पर वर्तमान में आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है और वह वर्तमान में उत्तर प्रदेश एटीएस की हिरासत में है।*

🚩 *इस तरह की गतिविधियों को फण्ड देने के प्रमुख तरीकों में से एक है ओवर-इनवॉइसिंग और जीएसटी रिफंड के माध्यम से फंडिंग, ऐसी बातों की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने हमें बताया, “अगर सरकार वास्तव में गंभीर है, तो वे सूरत से हीरे की बिक्री की जाँच करे। हीरे और वस्त्रों के लिए ओवर-इनवॉइसिंग या अंडर-इनवॉइसिंग के जरिए अधिकारियों को धोखा देते हुए भारत को ‘कानूनी रूप से’ पैसा भेजने के बहुत प्रमुख तरीकों में से एक है, जिसका इस्तेमाल किया जाता है और ज्यादातर पैसा दुबई के रास्ते पाकिस्तान से आता है।” उन्होंने कहा कि इस तरह से भेजे जाने वाले ज्यादातर पैसे का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया जाता है। हमारे सूत्र ने आगे समझाते हुए कहा, “एक व्यक्ति दुबई में व्यक्ति B को 10 रुपए का हीरा बेचता है। वह 1,000 रुपए का इनवॉइस बनाता है और दुबई में 1,000 रुपए का भुगतान करता है। फिर भारत में तुरंत पैसा निकाल लिया जाता है और इस पर बाकायदा करों का भुगतान किया जाता है। यह हवाला का नया कानूनी तरीका है।”*
*उन्होंने आगे कहा कि अक्सर कुछ ट्रस्ट मदरसों को फंडिंग और मुस्लिम समुदाय के गरीब लोगों के उत्थान के नाम पर विदेशों से पैसा लाते हैं, लेकिन फिर उन्हें टेरर फंडिंग में इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में, सूरत स्थित एक ऐसा ट्रस्ट कोरोनावायरस महामारी के दौरान किए गए अपने ‘अच्छे काम’ के लिए चर्चा में था।*

🚩 *हालाँकि, इस मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों का कहना है कि ट्रस्ट के संदिग्ध संबंध हैं और डोनेशन उसके लिए एक मुखौटा है। ऐसे ही अन्य संदिग्ध ट्रस्ट भरूच में है जो अस्पताल चलाता है। भरूच में कई प्रमुख अस्पताल भी धर्म परिवर्तन के केंद्र हैं। भरूच में एक सूत्र, जिन्होंने कांकरिया गांव के आदिवासी परिवारों को पुलिस शिकायत दर्ज करने और हिंदू धर्म में वापस लाने में मदद की, उन्होंने हमें यह भी बताया, “महिलाओं को आदिवासी बेल्ट से लाया जाता है और नर्स बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। आखिरकार, उन्हें बेहतर जीवन, पैसा और नौकरी का वादा किया जाता है और इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है।”*
*वहीं सूरत के एक सूत्र ने बताया कि इस तरह के मनी लॉन्ड्रिंग में मुस्लिम समुदाय के कुछ प्रमुख वकील, व्यवसायी भी शामिल हैं, लेकिन प्रशासन के ढुलमुल रवैए के कारण ये कानून से बच जाते हैं।*
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1484101341152694274?t=FkEN59jfryzoLhu32Ob6gA&s=19
*नोट: मूल रूप से गुजरात के भरूच से यह ग्राउंड रिपोर्टिंग Opindia अंग्रेजी की संपादक निरवा मेहता ने किया है। उनकी इंग्लिश में इस ग्राउंड रिपोर्ट का हिंदी रूपांतरण रवि अग्रहरि ने किया है।*

🚩Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan

🔺 facebook.com/ojaswihindustan

🔺 youtube.com/AzaadBharatOrg

🔺 twitter.com/AzaadBharatOrg

🔺.instagram.com/AzaadBharatOrg

🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ


 

function disabled

Old Post from Sanwariya