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बुधवार, 26 जून 2024

आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद

📌 *आमदनी कर योग्य नही है या टैक्स नही कटा तो भी आयकर रिटर्न भरना है फायदेमंद*


यदि आपकी वार्षिक आय 2.50 लाख रुपये से कम है और उम्र 60 साल से कम, तो आपको देश के आयकर कानून के तहत कोई इनकम टैक्स नहीं देना होगा। ऐसे लोगों के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करना भी जरूरी नहीं है।

ऐसा इसलिए क्योंकि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बेसिक एग्जम्पशन लिमिट 2.5 लाख रुपये सालाना है। 

दरअसल, भारत में आपके या किसी भी व्यक्ति के लिए इनकम टैक्स भरना जरूरी है या नहीं, यह बेसिक एग्जम्पशन लिमिट के आधार पर तय होता है, जो आपकी उम्र और सालाना आमदनी के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। 

आमतौर पर बेसिक एग्जम्पशन लिमिट से कम आमदनी होने पर आईटीआर भरना जरूरी नहीं होता है। 

नई और ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लिमिट अलग-अलग है।

*ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट*

अगर आपने ओल्ड टैक्स रिजीम को चुना है, तो उम्र के हिसाब से बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट इस तरह होगी:

60 साल से कम उम्र के व्यक्ति : 2.5 लाख रुपये
वरिष्ठ नागरिक (60 से 80 साल की उम्र) : 3 लाख रुपये
सुपर सीनियर सिटीजन (80 साल से अधिक) : 5 लाख रुपये
पुरानी टैक्स रिजीम से अलग न्यू टैक्स रिजीम में कंपनियों और फर्मों को छोड़कर बाकी सभी लोगों के लिए 3 लाख रुपये की एक जैसी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट तय है।।

*इन मामलों में भी जरूरी है ITR भरना*

आमतौर पर आपके लिए आईटीआर दाखिल करना तभी अनिवार्य होता है, जब आपकी कुल सालाना आय बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा हो। लेकिन सालाना आय इस लिमिट से कम होने पर भी जिन लोगों की आमदनी का जरिया कैपिटल गेन यानी पूंजीगत लाभ है या उन्हें विदेशी संपत्तियों से आय होती है, उनके लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना जरूरी हो सकता है।

*नील टैक्स रिटर्न फाइल करने के फायदे*

जिन लोगों के लिए किसी भी टैक्स रिजीम के तहत आयकर रिटर्न भरना जरूरी नहीं है, वे भी अगर चाहें, तो अपनी मर्जी से आयकर रिटर्न भर सकते हैं। इस तरह के आयकर रिटर्न को “जीरो रिटर्न” (Zero ITR) या 'निल रिटर्न' (Nil ITR) कहा जाता है। दरअसर जीरो रिटर्न आयकर विभाग को यह बताने का एक तरीका है कि उस वित्तीय वर्ष के दौरान आपकी आमदनी टैक्सेबल नहीं रही है। लेकिन आपको जीरो रिटर्न क्यों दाखिल करना चाहिए? 
क्या इस तरह का जीरो रिटर्न दाखिल करने का कोई फायदा है?।
 दरअसल, आपके लिए ऐसा करना भले ही जरूरी नहीं हो, लेकिन जीरो रिटर्न दाखिल करने के कई फायदे हैं:

1. लोन एप्लीकेशन में एलिजिबिलिटी तय करने के लिए भी आईटीआर की जरूरत पड़ती है। हो सकता है आपको अभी लोन की जरूरत नहीं लग रही हो, लेकिन अगर आगे चलकर आपको कर्ज लेना पड़ा, तो पिछले आयकर रिटर्न के डॉक्युमेंट आपके काफी काम आएंगे।
2. वाहन दुर्घटना के क्लेम को सेटल करने में- यदि किसी आयकर दाता के साथ सड़क दुर्घटना हो जाती है तो उसके फाइनेंशियल लॉस को दावे के रूप में स्वीकार किया जाता है अर्थात वह भविष्य में कितना कमाएगा इसका फैसला उसके पूर्ववर्ती आयकर रिटर्न के आधार पर किया जाता है
3. वीज़ा के लिए आवेदन करते समय आयकर रिटर्न मांगा जा सकता है। ऐसे में अगर आपने जीरो रिटर्न फाइल किया है, तो आपके काम आ सकता है।
4. पासपोर्ट एप्लीकेशन में भी आईटीआर/असेसमेंट ऑर्डर को एड्रेस के वैध प्रमाण के रूप में भी स्वीकार किया जाता है।
5. बैंक आपके डिपॉजिट पर टीडीएस (TDS) काट सकते हैं। अगर आपकी आय टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो भी आपको काटे गए टीडीएस का रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर दाखिल करना होगा।
6. अगर आपने एडवाइजर या फ्रीलांसर के रूप में काम करते हैं, तो पेमेंट करने वाले भी टीसीएस काट सकते हैं। ऐसे मामलों में भी रिफंड क्लेम करने के लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है
7. अगर किसी पिछले साल में आपकी आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से ज्यादा थी और मौजूदा साल में नहीं है, तो भी आपको इनकम टैक्स विभाग की नजर में अपना स्टेटस क्लियर रखने के लिए रिटर्न फाइल कर देने चाहिए। आयकर विभाग से बाद में रिटर्न फाइल नहीं करने का नोटिस मिलने और उसका जवाब भेजने से जीरो रिटर्न भरना बेहतर है।
8. अगर आपके पास विदेश में कोई संपत्ति, कारोबार या बैंक अकाउंट है, तो भी आपके लिए आईटीआर फाइल करना जरूरी है, भले ही आपकी सालाना आमदनी बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट से कम हो।
9. अगर आप एक वित्त वर्ष के दौरान हुए कैपिटल लॉस को अगले वित्त वर्ष में कैरी-फॉरवर्ड करना चाहते हैं, ताकि आगे चलकर होने वाले कैपिटल गेन में उसे एडजस्ट कर सकें, तो इसके लिए नियमित रूप से आईटीआर फाइल करना जरूरी है।


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