📌 रिसोर्ट मे शादियां !
नई सामाजिक बीमारी
कौन जिम्मेदार !
क्या निवारण सम्भव है
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मर्ज बढ़ता गया ज्यों-ज्यों दवा करी
समाज प्रमुख चिल्ला चिल्ला कर थक गए
चिंतन करने वाले अभी भी चिंतन में लगे हैं
किस तरह समाज को राह दिखाई जाए
किस तरह समाज को दिखावे के दंश से मुक्त किया जाए
हम बात करेंगे शादी समारोहो में होने वाली भारी-भरकम व्यवस्थाओं
और उसमें खर्च होने वाले अथाह धन राशि के दुरुपयोग की
सामाजिक भवन अब उपयोग में नहीं लाए जाते हे
शादी समारोह हेतु यह सब बेकार हो चुके हैं
कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियां होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है
अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादीया होने लगी है
शादी के 2 दिन पूर्व ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है
आगंतुक और मेहमान सीधे वही आते हैं और वहीं से विदा हो जाते
इतनी दूर होने वाले समारोह में जिनके पास अपने चार पहिया वाहन होते हैं वहीं पहुंच पाते हैं
और सच मानिए समारोह के मेजबान की दिली इच्छा भी यही होती है कि
सिर्फ कार वाले मेहमान ही रिसेप्शन हॉल में आए
और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है
दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है
किसको सिर्फ लेडीस संगीत में बुलाना है
किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है
किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है
और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है
इस आमंत्रण में अपनापने की भावना खत्म हो चुकी है
सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है
लेडीज संगीत कहने को तो महिलाओं के लिए ही होता है
परंतु इसमें भी डिनर की व्यवस्था
रिसेप्शन की तरह ही इतनी भारी-भरकम होती है कि
एक आम व्यक्ति अपने दो बच्चों की शादी का रिसेप्शन कर ले
महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं
मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे हैं
हल्दी लगाने के लिए भी एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं
ब्यूटी पार्लर को दो-तीन दिन के लिए बुक कर दिया जाता है
प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरते हैं
दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है
क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए हैं
मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका हे
रस्म अदायगी पर मोबाइलो से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते हैं
सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते हैं
और यही अमीरीयत का दंभ
उनके व्यवहार से भी झलकता है
कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं
परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता
वे अपना अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने कमरो में ही गुजार देते हैं
रिसेप्शन हाल की पार्किंग और बाहर खड़ी गाड़ियों से अंदाजा लग जाता हे कि अंदर व्यवस्था कितनी आलीशान होगी
मुख्य स्वागत द्वार पर
नव दंपत्ति के विवाह पूर्व आलिंगन वाली तस्वीरें
हमारी विकृत हो चुकी संस्कृति पर
सीधा तमाचा मारते हुए दिखती हैं
मखमल के कालीनो पर चल कर आगे बढ़ते हैं
सुगंधित धुअे के मदहोश करने वाले गुब्बार स्पर्श करते हैं
ऐसा लगता है किसी पांच सितारा मधुशाला या नवाबी मुजरे मे पहुंच रहे हो
अंदर एंट्री गेट पर आदम कद स्क्रीन पर नव दंपति के विवाह पूर्व आउटडोर शूटिंग के दौरान फिल्माए गए फिल्मी तर्ज पर गीत संगीत और नृत्य चल रहे होते हैं
इच्छा होती है सिनेमाघरों की तरह कुछ खुले पैसे स्क्रीन की तरफ उछाल दे
क्योंकि इस तरह की शादिया, एंटरटेनमेंट स्पाट ज्यादा लगती हैं
आशीर्वाद समारोह तो कहीं से भी नहीं लगते है
स्क्रीन पर पूरा परिवार प्रसन्न होता है अपने बच्चों के इन करतूतों पर
पास में लगा मंच
जहां नव दंपत्ति लाइव
गल - बगियाँ करते हुए मदमस्त दोस्तों और मित्रों के साथ अपने
परिवार से मिले संस्कारों का प्रदर्शन करते हुए दिखते हैं
मंच पर वर-वधू के नाम का बैनर लगा हुआ था
अब वर वधू के नाम के आगे कहीं भी चि० और सौ०का० नहीं लिखा जाता
क्योंकि अब इन शब्दों का कोई सम्मान बचा ही नहीं
इसलिए अंग्रेजी में लिखे जाने लगे है
लेख को ज्यादा लंबा नहीं करूंगा
रिसेप्शन में क्या-क्या
वेराइटीया थी
बताना बेकार हे
क्योंकि वहा इतना कुछ होता है
उसमें किए गए खर्चे से
गरीब परिवार की 25 - 30 कन्याओं का विवाह हो सकता है
रिसोर्ट में होने वाले एक शादी समारोह का कम से कम 25 से 30 लाख खर्च आता है
हमारी संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा एसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है
ओर ये किसी की सुनने या मानने वाले नहीं होते हे
हम कितने ही सामाजिक नियम बना ले, कितनी ही आचार संहिता बना ले
परंतु कुछ हल नहीं निकलने वाला
समाज में पैदा होने वाली
हर सामाजिक बुराई इन्हीं लोगों की देन है
इन लोगो के परिवार मे हमारी संस्कृति का कोई अंश बचा ही नहीं है
और यह लोग अब अपनी बुराइयां
मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग को देना चाहते हैं
मेरा अपने मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है
आपका पैसा है , आपने कमाया है
आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं
पर किसी दूसरे की देखा देखी नही
कर्ज लेकर
अपने और परिवार के मान सम्मान को खत्म मत करिएगा
जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा
4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है
और आप कितना ही बेहतर करें
लोग जब तक रिसेप्शन हॉल में है तब तक आप की तारीफ करेंगे
और लिफाफा दे कर
आपके द्वारा की गई आव भगत की कीमत अदा करके निकल जाएंगे
मेरा युवा वर्ग से भी अनुरोध है कि
अपने परिवार की हैसियत से ज्यादा खर्चा करने के लिए अपने परिजनों को मजबूर न करें
लोगों की झुठी तारीफ से ज्यादा
आपके अपने परिवार की इज्जत और सम्मान अधिक महत्वपूर्ण होता है
आपके इस महत्वपूर्ण दिन के लिए
आपके माता-पिता ने कितने समर्पण किए हैं यह आपको खुद माता-पिता बनने के उपरांत ही पता लगेगा
दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए
अपना दांपत्य जीवन सर उठा के , स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को
अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !अभी समाज ने कुछ समय पहले प्री वेडिंग सूट को प्रतिबंधित किया था? कितने लोग मान रहे है?समाज कम व्यंजनों की बात करता है?कोई सुनता है क्या?जगह जगह अच्छी बातें बिखरी पड़ी है,अच्छे उदाहरण आंखों के सामने है?अच्छी पहल करते हमने देखा है,कोई नज़र डालता है क्या? बारहवी गंगा प्रसादी की बात 100 साल से समाज कर रहा है,क्या नही हो रही है ?भगवान स्वरूप रामसुख दास जी महाराज पुरजोर शब्दो मे बोल कर गए,परिवार नियोजन मत करो, कोई एक भी सुनता है क्या? सब को पता है,अच्छे सवास्थ्य के लिए नियमित व्यायाम जरूरी है,10 पर्तिशत भी करते है क्या?
इसलिए बेहतर यह रहता है,जो ठीक नही है,जो समाज के लिए अनुकरणीय नही है,जिसके दुष्परिणाम ज्यादा है..हम किसी का इंतजार नही करे, कोई कहे?
बस जब भी अवसर आये, हम पहल करें।इस दुनिया मे अकेले चलने का साहस बहुत कम लोगो मे है।सब भीड़ का हिस्सा बन जाते है। पर पहल करने में जिस जिगर की जरूरत है,वो नही है। बस..हम फिर गेंद इस पाले से उस पाले में डालते रहते है।
।। जय महेश।।