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सोमवार, 20 नवंबर 2023

बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहु बनकर कौन आता है ? जिसका तुम्हारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही आयेगा।

🌴🌴ॐ नमो नारायण🌴🌴
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♻जो लोग 84 लाख योनि भोगने के बाद अनमोल मनुष्य जीवन प्राप्त करके हरिभजन नही करते, और मांस, मछली, खाकर पाप इकठ्ठा करते हैं, जिनके कारण बेज़ुबान जानवरों की क्रूर हत्या की जाती है और वो लोग बोलते हैं कि हमने कौनसा जानवर को मारा है, हमने तो होटल में बैठकर खाया है |
यमराज के दरबार मे उनका ये हाल होता है...।👇
♻ये एक अविवादित सत्य है👏
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🌟कर्मों का लेना देना🌟
गुरु महाराज क्या कहतें हैं, ध्यान से सुनो नर-नारियों। 
गुरु महाराज कहतें हैं कि बेटा बन कर, बेटी बनकर, दामाद बनकर और बहु बनकर कौन आता है ? जिसका तुम्हारे साथ कर्मों का लेना देना होता है। लेना देना नही होगा तो नही आयेगा।
♻एक फौजी था। उसके मां नहीं, बाप नहीं, शादी नहीं, बच्चे  नहीं, भाई नहीं, बहन नहीं। अकेला ही कमा कमा के फौज में जमा करता जा रहा था, तो थोड़े दिन में एक सेठ जी फौज में माल सप्लाई करते थे उनका परिचय हो गया। 
🍁सेठजी ने कहा जो तुम्हारे पास पैसा है वो उतने के उतने ही पड़ा हैं तुम मुझे दे दो मैं कारोबार में लगा दूं तो पैसे से पैसा बढ़ जायेगा, इसलिए तुम दे दो। 
फौजी ने सेठजी को पैसा दे दिया। सेठ जी ने कारोबार में लगा दिया। कारोबार उनका चमक गया, खूब कमाई होने लगी, कारोबार बढ़ गया।
थोड़े ही दिन में लड़ाई लग गई। लड़ाई में फौजी घोड़ी पर चढ़कर लड़ने गया। घोड़ी इतनी बदतमीज थी कि जितनी जोर जोर से लगाम खींचे उतनी ही तेज भागे। खीेंचते खींचते उसके गल्फर तक कट गये लेकिन लेकिन वो दौड़कर दुश्मनों के गोल में जाकर खड़ी हो गई। दुश्मनों ने बार किया, फौजी भी मर गया, घोड़ी भी मर गई।
अब सेठजी को मालूम हुआ कि फौजी मर गया तो सेठ जी बहुत खुश हुए कि उसका कोई वारिस तो है नहीं, अब ये पैसा देना किसको। अब मेरे पास पैसा भी हो गया, कारोबार भी चमक गया, लेने वाला भी नहीं रहा तो सेठजी बहुत खुश हुए। 

🌱तब तक कुछ ही दिन के बाद सेठजी के घर में लड़का पैदा हो गया, अब सेठजी और खुश, कि भगवान की बड़ी दया है। खूब पैसा भी हो गया, कारोबार भी हो गया, लड़का भी हो गया, लेने वाला भी मर गया सेठजी बहुत खुश। तब तक वो लड़का होशियार था पढ़ने में समझदार था । सेठजी ने उसे पढ़ाया लिखाया, जब वह पढ़ लिखकर बड़ा हो गया तो सोचा कि अब ये कारोबार सम्हाल लेगा, चलो अब इसकी शादी कर दें।
शादी करते ही घर में आ गई बहुरानी, दुल्हन आ गई। 
अब उसने सोचा कि चलो, बच्चे की शादी हो गई अब कारोबार सम्हालेगा। लेकिन कुछ दिन में बच्चे की तबियत खराब हो गई। 

🌞अब सेठ जी डाॅक्टर के पास, हकीम के पास, वैद्य के पास दौड़ रहे हैं। वैद्य जी जो दे रहे हैं दवा खिला रहे हैं, और दवा असर नहीं कर रही, बीमारी बढ़ती ही जा रही। पैसा बरबाद हो रहा है, और बीमारी बढ़ती ही जा रही है, रोग गठ नही रहा, पैसा खूब लग रहा है। अब अन्त में डाॅक्टर ने कह दिया कि ला-इलाज मर्ज हो गया, इसको अब असाध्य रोग हो गया, ये बच्चा दो दिन में मर जायेगा।
डाॅक्टरों के जवाब देने पर सेठजी निराश होकर बच्चे को लेकर रोते हुए आ रहे। रास्ते में एक आदमी मिला। कहा अरे सेठजी क्या हुआ बहुत दुखी लग रहे हो ? 
♻सेठजी ने कहा, ये बच्चा जवान था, हमने सोचा बुढ़ापे में मदद करेगा। अब ये बीमार हो गया शादी होते ही। हमने इसके लिये खूब पैसा लगा दिया, जिसने जितना मांगा उतना दिया लेकिन आज डाॅक्टरों ने जवाब दे दिया, अब ये बचेगा नहीं। असाध्य रोग हो गया, लाइलाज मर्ज हो गई। अब ले जाओ घर दो दिन में मर जायेगा। 
आदमी ने कहा अरे सेठजी, तुम क्यों दिल छोड़ रहे हो। मेरे पड़ोस में वैद्य जी दवा देते हैं। दो आने की पुड़िया खाकर मुर्दा भी उठकर खड़ा हो जाता है। जल्दी से तुम वैद्य जी की दवा ले आओ।
🌿सेठजी दौड़कर गये, दो आने की पुड़िया ले आये और पैसा दे दिया। पुड़िया ले आये बच्चे को खिलाई बच्चा पुड़िया खाते ही मर गया। जब बच्चा मर गया अब सेठजी रो रहे हैं, सेठानी भी रो रही और घर में बहुरानी और पूरा गांव भी रो रहा । गांव में शोर मच गया कि बहुरानी सेठ की कमर जवानी में टूट गई, सब लोग रो रहे हैं।
तब तक एक महात्मा जी आ गये। 

♻उन्होनें कहा भाई क्यों रोना धोना। बोले- इस सेठ का एक ही जवान लड़का था वो भी मर गया इसलिए सब लोग रो रहे हैं। सब दुखी हो रहे हैं। 
🍁महात्मा बोले- सेठजी रोना क्यों, बोले महाराज जिसका जवान बेटा मर जाये वो रोयेगा नही तो क्या करेगा। 
बोले तो आपको क्यों रोना, बोले मेरा बेटा मरा तो और किसको रोना।
कहने लगे और उस दिन तो आप बड़े खुश थे। बोले कि किस दिन? बोले फौजी ने जिस दिन पैसा दिया था। 
🌞कहने लगे हां कारोबार के लिए पैसा मिला था तो खुशी तो थी। 
बोले कि और उस दिन तो आपकी खुशी का ठिकाना ही नही था। 
बोले कि किस दिन? अरे जिस दिन फौजी मर गया, सोचा कि अब तो पैसा भी नहीं देना पड़ेगा। माल बहुत हो गया, कारोबार खूब चमक गया, अब देना भी नहीं पड़ेगा बहुत खुश थे। बोले हां महाराज! खुश तो था। 
🌾बोले और उस दिन तो आपकी खुशी का ठिकाना ही न था, पता नही कितनी मिठाईयां बट गईं। बोले किस दिन?  अरे जिस दिन लड़का पैदा हुआ था। बोले महाराज लड़का पैदा होता है तो सब खुश होते हैं मैं भी हो गया तो क्या बात।

🍁कहने लगे उस दिन तो खुशी से आपके पैर जमीन पर नही पड़ता था। बोले किस दिन? अरे जिस दिन बेटा ब्याहने जा रहे थे। कहने लगे महाराज बेटा ब्याहने जाता है तो हर आदमी खुश होता है तो मैं भी खुश हो गया। 
🌿तो जब इतनी बार खुश हो गए तो जरा सी बात के लिए रो क्यों रहे हो। 
महाराज ये जरा सी बात है।  जवान बेटा मर गया ये जरा सी बात है।
कहने लगे अरे सेठजी वहीं फौजी पैसा लेने के लिए बेटा बन कर आ गया। पढ़ने में, लिखने में, खाने में, पहनने में और शौक मे, श्रृंगार में जितना लगाना था लगाया। शादी ब्याह में सब लग गया। और ब्याज दर ब्याज लगाकर डाक्टरों को दिलवा दिया। अब जब दो आने पैसे बच गये वो भी वैद्य जी को दिलवा दिये और पुड़िया खाकर चल दिया। जब कर्मो का लेना देना पूरा हुआ गया।

♻सेठजी ने कहा हमारे साथ तो कर्मो का लेन देन था। चलो हमारे साथ तो जो हुआ सो हुआ। लेकिन वो जवान बहुरानी घर में रो रही है, जवानी में उसको धोखा देकर, विधवा बनाकर चला गया उसका क्या जुर्म था कि उसके साथ ऐसा गुनाह किया। 
महात्मा बोले- यह वही घोड़ी है । जिसने जवानी में उसको धोखा दिया इसने भी जवानी में उसको धोखा दे दिया।
ऐ नर नारियों! अगर तुम सत्संग सुनोगे तो तुम इनके लिए रोने वाले नहीं और ये तुम्हारे लिए रोने वाले नहीं। लेकिन सत्संग न सुनने से विवेक न होने से तुम इनके लिए रोते हो, ये तुम्हारे लिए रोते हैं। 
जब तुम्हारे साथ कर्मो का लेन देन है, कर्मो का लेन देन पूरा हुआ चला गया रोना .......हरि ॐ
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अच्छे अच्छे महलों मे भी एक दिन कबूतर अपना घोंसला बना लेते है ..

*" अच्छे अच्छे महलों मे भी एक दिन कबूतर अपना घोंसला बना लेते है ...*

               *💥सेठ घनश्याम के दो पुत्रों में जायदाद और ज़मीन का बँटवारा चल रहा था*
और एक चार बेड रूम के घर को लेकर विवाद गहराता जा रहा था
  *एकदिन दोनो भाई मरने मारने पर उतारू हो चले , तो पिता जी बहुत जोर से हँसे।* 

*पिताजी को हँसता देखकर दोनो भाई  लड़ाई को भूल गये,*  और पिताजी से हँसी का कारण पूछा । 
               *पिताजी ने कहा-- इस छोटे से ज़मीन के टुकडे के लिये इतना लड़ रहे हो*

*छोड़ो इसे आओ मेरे साथ एक अनमोल खजाना दिखता हूँ मैं तुम्हे !*

              पिता घनश्याम जी और दोनो पुत्र पवन और मदन उनके साथ रवाना हुये ।

पिताजी ने कहा देखो यदि तुम आपस मे लड़े तो फिर मैं तुम्हे उस खजाने तक नही लेकर जाऊँगा और बीच रास्ते से ही लौटकर आ जाऊँगा !
                  *अब दोनो पुत्रों ने खजाने के चक्कर मे एक समझौता किया की चाहे कुछ भी हो जाये पर हम लड़ेंगे नही प्रेम से यात्रा पे चलेंगे !*

   गाँव जाने के लिये एक बस मिली पर  सीट दो की मिली, और  वो तीन थे, 

अब पिताजी के साथ थोड़ी देर पवन बैठे तो थोड़ी देर मदन ।

ऐसे चलते-चलते लगभग दस घण्टे का सफर तय किया ,तब गाँव आया।
                  *घनश्याम जी दोनो पुत्रों को लेकर एक बहुत बड़ी हवेली पर गये हवेली चारों तरफ से सुनसान थी।* 
घनश्याम जी ने देखा कि हवेली मे जगह जगह कबूतरों ने अपना घोसला बना रखा है, तो घनश्याम वहीं बैठकर रोने लगे।

   *पुत्रों ने पुछा क्या हुआ पिताजी आप रो क्यों रहे है ?*

     रोते हुये उस वृद्ध पिता ने कहा जरा ध्यान से देखो इस घर को, जरा याद करो वो बचपन जो तुमने यहाँ बिताया था ,

*तुम्हे याद है बच्चों इसी हवेली के लिये मैं ने अपने बड़े भाई से बहुत लड़ाई की थी, ये हवेली तो मुझे मिल गई पर मैंने उस भाई को हमेशा के लिये खो दिया ।*

क्योंकि वो दूर देश में जाकर बस गया और फिर वक्त्त बदला 

एक दिन हमें भी ये हवेली छोड़कर जाना पड़ा ! 

         *अच्छा तुम ये बताओ बेटा कि जिस सीट पर हम बैठकर आये थे*
*क्या वो बस की सीट हमें मिल गई?*
*और यदि मिल भी जाती तो क्या वो सीट हमेशा-हमेशा के लिये हमारी हो जाती ?* 

मतलब की उस सीट पर हमारे सिवा और कोई न बैठ सकता ।

*दोनो पुत्रों ने एक साथ कहा कि ऐसे कैसे हो सकता है , बस की यात्रा तो चलती रहती है और उस सीट पर सवारियाँ बदलती रहती है।* 
पहले हम बैठे थे ,

आज कोई और बैठा होगा 

और

पता नही ,कल कोई और बैठेगा।

*और वैसे भी उस सीट में क्या धरा है जो थोड़ी सी देर के लिये हमारी है !*

                 पिताजी पहले  हँसे और  फिर आंखों में आंसू भरकर बोले , देखो यही  मैं तुम्हे समझा रहा हूँ ,*कि जो थोड़ी देर के लिये जो तुम्हारा है , *तुमसे पहले उसका मालिक कोई और था, थोड़ी सी देर के लिये तुम हो और थोड़ी देर बाद कोई और हो जायेगा।*

  *बस बेटा एक बात ध्यान रखना कि इस थोड़ी सी देर के लिये कही  तुम अपने अनमोल रिश्तों की आहुति न दे देना*, 
*यदि पैसों का प्रलोभन आये तो इस हवेली की इस स्थिति को देख लेना कि अच्छे अच्छे महलों में भी* 

*एक दिन कबूतर अपना  घोंसला बना लेते है।*

*बेटा मुझे यही कहना था --कि  बस की उस सीट को याद कर लेना जिसकी रोज  सवारियां बदलती रहती है* 

*उस सीट के खातिर अनमोल रिश्तों की आहुति न दे देना*

*जिस तरह से बस की यात्रा में तालमेल बिठाया था बस वैसे ही जीवन की यात्रा मे भी तालमेल बिठाते  रहना  !*
           *दोनो पुत्र पिताजी का अभिप्राय समझ गये, और पिता के चरणों में गिरकर रोने लगे !*

                 *शिक्षा :-*

     *मित्रों, जो कुछ भी ऐश्वर्य -धन  सम्पदा हमारे पास है वो सबकुछ बस थोड़ी देर के लिये ही है , थोड़ी-थोड़ी देर मे यात्री भी बदल जाते है और मालिक भी।*

*रिश्तें बड़े अनमोल होते है* 

*छोटे से ऐश्वर्य धन  या *सम्पदा* के चक्कर मे कहीं किसी *अनमोल रिश्तें को न खो देना*    ...

🙏🙏

*जो प्राप्त है-पर्याप्त है*
*जिसका मन मस्त है*
*उसके पास समस्त है!!*


*हमारा आदर्श : सत्यम्-सरलम्-स्पष्टम्*

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