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शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

राज्यलक्ष्मी (महायोग लक्ष्मी) मांत्रोक्त साधना

राज्यलक्ष्मी (महायोग लक्ष्मी) मांत्रोक्त साधना……………….

यह साधना राज्य पक्ष को अपने अनुकूल करने की साधना है। राज्य का तात्पर्य व्यक्ति के जीवन में कर, मुकदमा इत्यादि से आने वाली बाधाओं से है
साधक के लिए आवश्यक है कि वे पूर्ण रूप से सिद्ध लक्ष्मी लघु शंख प्राप्त करें और उसे पूरी तरह से काजल में रंग दे तथा मूंगे की माला द्वारा निम्न मंत्र का पांच माला मंत्र जप करें।
यह प्रयोग मंगलवार के दिन ही किया जा सकता है। मंत्र जप की समाप्ति पर साधक मूंगे की माला को स्वयं धारण करें तथा शंख को काले कपड़े में लपेट कर जेब अथवा बैग में रखें जिस पर किसी कि नजर न पड़े।

मंत्र…………….
॥ ॐ श्रीं श्रीं राज्यलक्ष्म्यै नमः ॥


जब भी आवश्यकता हो, तब उपरोक्त शंख को वार्तालाप करते समय अपने साथ ले जाएं और आप पाएंगे कि स्थितियां आपके अनुकूल हो रही हैं। अनावश्यक रूप से लगने वाली बाधाएं और अड़चनें समाप्त हो रही हैं तथा आपके प्रति सहयोग का वातावरण बनने लगा है। सामान्य साधक भी ऐसे शंख को अपने साथ रखकर जिस दिन मुकदमों में पेशी हो या कहीं अन्य कोई महत्वपूर्ण कार्य हो तो इसका प्रभाव प्रत्यक्ष अनुभव कर सकते हैं।
 

दक्षिणावर्ती शंख………………

दक्षिणावर्ती शंख………………


इस संसार में अनेकों वस्तुएं ऎसी होती है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऎसी चमत्कारी वस्तुओं में दक्षिणावर्ती शंख भी एक है। शंख की महिमा और महत्तव प्रत्येक अनुष्ठान में विशेष रूप से हैं। साधारणत: मंदिर में रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार में आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है।

शंख बहुत प्रकार के होतें हैं , लेकिन प्रचलन में मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख है प्रथम वामवर्ती शंख......
दूसरा दक्षिणावर्ती शंख ...
वामवर्ती शंख का पेट बांयी ओर को खुला होता है |तंत्र शास्त्र में वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया गया है | यह शंख वामवर्ती शंख के विपरीत इनका पेट दायीं ओर खुला होता है | इस प्रकार दायीं ओर की भंवर वाला शंख " दक्षिणावर्ती " कहलाता है |प्रायः सभी दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद किये होते हैं | यह शंख बजाये नहीं जाते हैं , केवल पूजा रूप में ही काम में लिए जाते हैं | शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख के कई लाभ बताये गए है :-

**राज सम्मान की प्राप्ति
**लक्ष्मी वृद्धि
**यश और कीर्ति वृद्धि
**संतान प्राप्ति
**बाँझपन से मुक्ति
**आयु की वृद्धि
**शत्रु भय से मुक्ति
**सर्प भय से मुक्ति
**दरिद्रता से मुक्ति
**दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उसे जिसके ऊपर छिड़क दिया जाये . वह व्यक्ति तथा वस्तु पवित्र हो जाता है |
**सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में अलग- अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है।
**दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी मे रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
**वास्तु-दोषों को दूर करता है
**दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
**दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार में रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। शयन कक्ष में इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
** इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
** किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।

# पूजन की विधि ……………………

तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख को विधि-विधान पूर्वक जल में रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और भाग्य का दरवाजा खुल जाता है। साथ ही धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए- लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-

“ऊँ श्री लक्ष्मी सहोदरया नम:”

इस मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें और इसके बाद शंख को पूजा स्थान पर स्थापित कर दें।

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दरिद्रता निवारण एवं लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये दीपावली के दिन या फिर किसी शुक्रवार को अष्ट धातु में बने कुबेर एवं श्री यंत्र, लघु नारियल के अतिरिक्त एकाक्षी नारियल, कमलगट्टा का कुछ दाना, 11चित्ति कौडी, 11 गौमती चक्र, गणेश लक्ष्मी बना चांदी का सिक्का, काला लाल गुंजा के दानों को दक्षिणावर्ति शंख में अरवा चावल के साथ रख कर दीपावली के दिन कुमकुम आदि लगा कर दीपावली पूजन करें. पूजा करने के दूसरे दिन उसे लाल वस्त्र में लपेट कर लक्ष्मी की आराधना करते हुए तिजोरी अथवा धन रखने के स्थान में रखें तथा नित्य पूजा करें. ऐसा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है एवं दरिद्रता करा नाश होता है

हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो''

हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो''
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"प्राथमिक पाठशाला की एक शिक्षिका ने अपने छात्रों को एक निबंध लिखने को कहा विषय था "भगवान से आप क्या बनने का वरदान मांगेंगे" एक निबंध ने उस क्लास टीचर को इतना भावुक कर दिया कि रोते-रोते उस निबंध को लेकर वह घर आ गयी.पति ने रोने का कारण पूछा तो उसने जवाब दिया 'इसे पढ़ें, यह मेरे छात्रों में से एक ने यह निबंध लिखा है.'
निबंध कुछ इस प्रकार का था.
"हे भगवान,मुझे एक टीवी बना दो. क्योंकि तब मैं अपने परिवार में खास जगह ले पाउंगा और बिना रुकावट या सवालों के मुझे ध्यान से सुना-देखा जायेगा. जब मुझे कुछ होगा तब टीवी खराब होने की खलबली पूरे परिवार में सबको होगी और मुझे जल्द से जल्द सब ठीक हालत में देखने के लिये लालायित रहेंगें.वैसे मम्मी-पापा के पास स्कूल और आफ़िस में बिल्कुल टाइम नही है लेकिन मैं जब अस्वस्थ रहूंगा तब मम्मी का चपरासी और पापा की आफ़िस का स्टाफ़ मुझे सुधरवाने के लिये दौडकर आयेगा. दादा का पापा के पास कई बार फोन चला जायेगा कि टीवी जल्दी सुधरवा दोदादी का फ़ेवोरेट सीरियल आने वाला है.मेरी दीदी भी मेरे साथ रहने के लिये हमेशा सबसे लडती रहेगी.पापा जब भी आफ़िस से थक कर आयेंगे मेरे साथ ही अपना समय गुजारेंगे. मुझे लगताहै कि परिवार के हर सदस्य कुछ न कुछ समय मेरे साथ अवश्य गुजारना चाहेगा.मैं सबकी आंखों में कभी खुशी के तो कभी गम के आंसू देख पाउंगा. आज मैं स्कूल का बच्चा मशीन बन गयां हूं भगवान, स्कूल में किसी काम न आने वाली पढाई, घर में होम-वर्क और ट्यूशन पे ट्यूशन से न खेल पाता हूं न ही पिकनिक जा पाता हूं. इसलिये भगवान मैं सिर्फ एक टीवी की तरह रहना चाहता हूं, कम से कम रोज़ मै अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ अपना बेशकीमती समय तो गुज़ार पाऊंगा !"
'पति ने पूरा निबंध ध्यान से पढा और अपनी राय ज़ाहिर की:"हे भगवान, कितने जल्लाद होंगे इस गरीब बच्चे के माता - पिता!"
पत्नी ने पति को करूण आंखों से देखा और कहा, 'वह निबंध हमारे बेटे ने लिखा है !!'

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