क्या आप - हम साम्प्रदायिक हैं ?
वैसे इस " साम्प्रदायिक " शब्द से ही मैं सहमत नहीं हूँ . लेकिन आज भारत
के राजनैतिक क्षितिज में यह शब्द बहुत फल - फूल रहा है अतएव इस शब्द पर
चर्चा भी अनिवार्य हो गयी है .
कांग्रेस तो खैर क्या बोलती है - क्या
करती है , इस दल का तो पूर्णतः दोहरा चरित्र शनैः शनैः उजागर होता जा रहा
है . बांग्ला देश के मुसलामानों ने आज असोम ( आसाम ) के क्या हालात कर दिए
हैं - इस बात से बहुत कम लोग परिचित है , क्यों ? क्योंकि पूर्वोत्तर के इस
क्षेत्र के समाचार हमारी बिकी हुई मीडिया प्रकाशित - प्रसारित ही नहीं
करती है . इन मुसलामानों की पीठ पर हमेशा कांग्रेस का ' हाथ ' रहा है . यही
नहीं , जहाँ जहाँ भी इस दल की सरकारे हैं - बांग्लादेशी मुसलमान लाखों की
संख्या में बसाए गए हैं . दिल्ली , जयपुर जैसे शहर आज इनकी आबादी से पटे
पड़े हैं . इन लोगों को तुरंत राशन कार्ड , मतदाता पहचान पत्र , आधार कार्ड
आदि सुलभ हो जाते हैं जबकि आम स्थानीय नागरिक इन कामों के लिए मारा मारा
फिरता है .
देश के किसी भी कोने में दुर्भाग्य वश यदि किसी मुसलमान के साथ कोई साधारण
सा भी हादसा हो जाय तो नेतागिरी , प्रशासन और मीडिया शुरू हो जाते हैं -
भोंपू बजाने . तिल का ताड़ बना डालने में मानों पी एच डी इन लोगों ने ही की
हो !
और साम्प्रदायिक हैं आप - हम , साम्प्रदायिक हैं नरेन्द्र मोदी ,
साम्प्रदायिक है भाजपा , संघ , साधु - सन्त . ये लोग भूल जाते हैं कि
बहुसंख्यक हिन्दू इस देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने को हर हमेश
तैयार रहते हैं . हर मुश्किल में पूरे भारत का हिन्दू अपने अन्य अल्पसंख्यक
भाइयो के लिए जी जान से सहायक बन जाते हैं . इन बातों को आज की भ्रष्ट
राजनीति और बिकी हुई मीडिया उत्साह से न तो प्रसारित करती है न आभार प्रगट
करने की जुर्रत समझती है .
कोई भगवा आतंकवाद तो कोई हिन्दू आतंकवाद कह
कर बदनाम करने की मुहीम छेड़ रक्खी है , यदि कोई भगवा वस्त्रधारी ( अग्निवेश
जैसे ) का संग मिल जाय तो फिर मीडिया वालों को मिर्च के साथ मसाला भी मिल
जाता है .
आज मैं एक प्रश्न खड़ा करना चाहता हूँ कि आप सर्व साधारण
निर्णय लें कि कौन है मौत का सौदागर ? कौन है सांप्रदायिक ? कौन है देश के
हितों पर दुधारी तलवार चलाने वाला ?
वस्तुस्थिति समझनी होगी .
परदेशियों को स्वदेशी बनवाकर , दारू - पैसों का लालच देकर , सी बी आई जैसी
संस्थाओं का डर दिखा कर आखिर कब तक आप - हम पर इन राक्षसों का राज रहेगा ?
कब तक हम हमारे वजूद को समझ पाएंगे ? कब तक हम राष्ट्रीयता के सतत प्रवाह
में जीने का संकल्प करेंगे ? कब तक जातिवाद की बैसाखियों का सहारा इन
भ्रष्ट नेताओं को देते रहेंगे ?
आइये ! संकल्प करें कि माँ भारती के
सच्चे सपूत बन कर इस आर्यावर्त को विश्व गुरु के आसन पर विराजित कर के ही
रहेंगे . सकारात्मक सन्देश इस ब्रह्माण्ड में गुंजाकर ही दम लेंगे .
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