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गुरुवार, 3 जुलाई 2014

कल्पना कीजिये एक बैंक अकाउंट की

कल्पना कीजिये

एक बैंक अकाउंट की

जिसमे रोज सुबह

आपके लिए कोई

86,400 रुपये

जमा कर देता है ।

लेकिन शर्त ये है की

इस अकाउंट का बैलेंस

कैरी फॉरवर्ड नहीं होगा,

यानि दिन के अंत में

बचे पैसे आपके लिए

अगले दिन उपलब्ध नहीं रहेंगे ।

और

हर शाम इस अकाउंट में

बचे हुए पैसे आपसे

वापस ले लिए जाते हैं।

ऐसे सिचुएशन में

आप क्या करेंगे ?

जाहिर है आप

एक-एक पैसा निकल लेंगे।

है ना ?

हम सब के पास

एक ऐसा ही बैंक है,

इस बैंक का नाम है

" समय".

हर सुबह समय हमको

86,400 सेकण्ड्स देता है।

और हर रात्रि ये

उन सारे बचे हुए सेकण्ड्स

जिनको आपने

किसी बहतरीन मकसद के लिए

इस्तेमाल नहीं किया है,

हमसे छीन लेती है।

ये कुछ भी बकाया समय

आगे नहीं ले जाती है।

हर सुबह आपके लिए

एक नया अकाउंट खुलता है,

और

अगर आप हर दिन के

जमा किये गए सेकण्ड्स को

ठीक से इस्तेमाल करने में

असफल होते हैं

तो ये हमेशा के लिए

आपसे छीन लिया जाता है।

अब निर्णय आपको करना है

की दिए गए 86,400 सेकण्ड्स

का आप उपयोग करना चाहते हैं

या फिर

इन्हें गंवाना चाहते हैं,

क्यूंकि एक बार खोने पर

ये समय

आपको कभी वापस नहीं मिलेगा।

आप हर दिन

दिए गए 86,400 सेकण्ड्स का

बेहतरीन इस्तेमाल

कैसे करना चाहेंगे??

एक प्यारी सी कविता

वक़्त पर ...

" वक़्त नहीं "

हर ख़ुशी है लोंगों के दामन में ,

पर एक हंसी के लिये वक़्त नहीं .

दिन रात दौड़ती दुनिया में ,

ज़िन्दगी के लिये ही वक़्त नहीं .

सारे रिश्तों को तो हम मार चुके,

अब उन्हें दफ़नाने का भी वक़्त नहीं ..

सारे नाम मोबाइल में हैं ,

पर दोस्ती के लिये वक़्त नहीं .

गैरों की क्या बात करें ,

जब अपनों के लिये ही वक़्त नहीं .

आखों में है नींद भरी ,

पर सोने का वक़्त नहीं .

दिल है ग़मो से भरा हुआ ,

पर रोने का भी वक़्त नहीं .

पैसों की दौड़ में ऐसे दौड़े,

कि थकने का भी वक़्त नहीं .

पराये एहसानों की क्या कद्र करें ,

जब अपने सपनों के लिये ही वक़्त नहीं

तू ही बता ऐ ज़िन्दगी ,

इस ज़िन्दगी का क्या होगा,

कि हर पल मरने वालों को ,

जीने के लिये भी वक़्त नहीं ..

HAVE A MEANINGFUL LIFE...

बिंदास मुस्कुराओ क्या ग़म हे,..
ज़िन्दगी में टेंशन किसको कम हे.
अच्छा या बुरा तो केवल भ्रम हे..
जिन्दगी का नाम ही कभी ख़ुशी कभी गम हे।.....

ताकि यह सफ़र अंतिम सफ़र न बने.

आजकल नए बने ताज एक्सप्रेस वे पर रोजाना गाड़ियों के टायर फटने के मामले सामने आ रहे हैं जिनमें रोजाना कई लोगों की जानें जा रही हैं.
एक दिन बैठे बैठे मन में प्रश्न उठा कि आखिर देश की सबसे आधुनिक सड़क पर ही सबसे ज्यादा हादसे क्यूँ हो रहे हैं? और हादसों का तरीका भी केवल एक ही वो भी टायर फटना ही मात्र, ऐसा कोन सी कीलें बिछा दीं सड़क पर हाईवे बनाने वालों ने?
दिमाग ठहरा खुराफाती सो सोचा आज इसी बात का पता किया जाये. तो टीम जुट गई इसका पता लगाने में.
अब सुनिए हमारे प्रयोग के बारे में.

मेरे पास तो इको फ्रेंडली हीरो जेट है सो इतनी हाई-फाई गाडी को तो एक्सप्रेस वे अथोरिटी इजाजत देती नहीं सो हमारे एडमिन पेनल की दूसरी कुराफाती हस्ती को मैंने बुला लिया उनके पास BMW X1 SUV है
(ध्यान रहे असली मुद्दा टायर फटना है)
सबसे पहले हमनें ठन्डे टायरों का प्रेशर चेक किया और उसको अन्तराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ठीक किया जो कि 25 PSI है. (सभी विकसित देशों की कारों में यही हवा का दबाव रखा जाता है जबकि हमारे देश में लोग इसके प्रति जागरूक ही नहीं हैं या फिर ईंधन बचाने के लिए जरुरत से ज्यादा हवा टायर में भरवा लेते हैं जो की 35 से 45 PSI आम बात है).

खैर अब आगे चलते हैं.
इसके बाद ताज एक्सप्रेस वे पर हम नोएडा की तरफ से चढ़ गए और गाडी दोडा दी. गाडी की स्पीड हमनें 150 - 180 KM /H रखी. इस रफ़्तार पर गाडी को पोने दो घंटे दोड़ाने के बाद हम आगरा के पास पहुँच गए थे. आगरा से पहले ही रूककर हमने दोबारा टायर प्रेशर चेक किया तो यह चोंकाने वाला था. अब टायर प्रेशर था 52 PSI .
अब प्रश्न उठता है की आखिर टायर प्रेशर इतना बढ़ा कैसे सो उसके लिए हमने थर्मोमीटर को टायर पर लगाया तोटायर का तापमान था 92 .5 डिग्री सेल्सियस.
सारा राज अब खुल चुका था, कि टायरों के सड़क पर घर्षण से तथा ब्रेकों की रगड़ से पैदा हुई गर्मी से टायर के अन्दर की हवा फ़ैल गई जिससे टायर के अन्दर हवा का दबाव इतना अधिक बढ़ गया. चूँकि हमारे टायरों में हवा पहले ही अंतरिष्ट्रीय मानकों के अनुरूप थी सो वो फटने से बच गए. लेकिन जिन टायरों में हवा का दबाव पहले से ही अधिक (35 -45 PSI) होता है या जिन टायरों में कट लगे होते हैं उनके फटने की संभावना अत्यधिक होती है.

अत : ताज एक्सप्रेस वे पर जाने से पहले अपने टायरों का दबाव सही कर लें और सुरक्षित सफ़र का आनंद लें. मेरी एक्सप्रेस वे अथोरिटी से भी येविनती है के वो भी वाहन चालकों को जागरूक करें ताकि यह सफ़र अंतिम सफ़र न बने.
आप सभी फेसबुक मित्रों से अनुरोध है कि इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करें. चूँकि ऐसा करके आपने यदि एक जान भी बचा ली तो आपका मनुष्य जन्म धन्य होगा |

एक समय था जब मन्त्र काम करते थे

एक समय था जब मन्त्र काम करते थे
उसके बाद समय आया उसमे
तन्त्र काम करते थे
फिर समय आया जिसमे यंत्र काम करते थे
आज समय आया जिसमे षडयंत्र काम करते है

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