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मंगलवार, 4 जुलाई 2023

शिव का सावन

शिव का सावन
#शिव का सावन #समुद्र-मंथन #विनाशकारी रत्न हलाहल #कंठ #पवित्र गंगा #प्रकृति के ही देवता #जय श्री राम
आज सावन का आरंभ हो गया है। सावन को भगवान शिव का महीना कहा गया है। इस मान्यता के पीछे की पौराणिक कथा यह है कि प्राचीन काल में देवों और असुरों के संयुक्त प्रयास से समुद्र-मंथन का अभियान सावन में ही चला था। अभियान में मिले ज्यादातर रत्नों का बंटवारा तो देवों और असुरों ने आपस में कर लिया लेकिन एक विनाशकारी रत्न हलाहल का कोई दावेदार नहीं था। सृष्टि को इस विष के घातक प्रभाव से बचाने के लिए शिव ने उसे स्वयं पीना स्वीकार किया। यह नीला जहर उनके कंठ में एकत्र हो गया जिसके कारण उन्हें नीलकंठ का नाम मिला। उनके शरीर में विष का ताप कम करने के लिए देवों ने दूर-दूर से गंगाजल लाकर उनका अभिषेक किया। तब से शिवभक्तों द्वारा सावन के महीने में पवित्र गंगा से जल लेकर भारत के विभिन्न ज्योतिर्लिंगों और शिव मंदिरों में अर्पित करने की परंपरा चली आ रही है। यह कथा तो खैर कथा ही है, वरना जिस शिव की जटा में ही गंगा का वास है उनके लिए कहीं दूर से गंगाजल ढोकर लाने की क्या आवश्यकता थी ?

मेरी समझ से शिव और सावन का रिश्ता यह है कि सावन में प्रकृति अपने को नए सिरे से गढ़ती है और शिव प्रकृति के ही देवता हैं। प्रकृति के एक विराट रूपक। पर्वत उनका आवास है। वन उनकी क्रीड़ाभूमि। सांप, बैल, मोर, चूहा उनके परिवार के सदस्य हैं। उनके पुत्र गणेश का सर हाथी का है। उनकी पत्नी पार्वती के एक रूप दुर्गा का वाहन सिंह है। नदी उनकी जटाओं से निकलती है। योग से वे वायु को नियंत्रित करते हैं। उनकी तीसरी आंख में अग्नि का तेज और माथे पर चंद्रमा की शीतलता है। उनका त्रिशूल प्रकृति के तीन गुणों – रज, तम और सत का प्रतीक है। उनके डमरू के स्वर में प्रकृति का संगीत है। उनके तांडव में प्रकृति का आक्रोश। उनकी पूजा दुर्लभ और महंगी पूजन सामग्रियों से नहीं, प्रकृति में बहुतायत से उपलब्ध बेलपत्र, भांग की पत्तियों, धतूरे और कनैल के फूलों से होती है। शिव निश्छल, भोले, कल्याणकारी हैं। एकदम प्रकृति की तरह। शिव का जीवन इस बात का प्रतीक है कि प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर जीवन में सुख-शांति, सरलता, सादगी, शौर्य, योग, अध्यात्म सहित कोई भी उपलब्धि हासिल की जा सकती है। शिव का सावन प्रकृति के साथ साहचर्य का संदेश है। यह चेतावनी भी कि प्रकृति के साथ अनाचार का नतीजा अंततः प्रलयंकारी तांडव के सिवा कुछ नहीं होने वाला है।

आप सबको सावन की असीम शुभकामनाएं !

जय श्री राम

इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग

आज से शुरू होगा सावन मास
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इस बार दो महीने का होगा सावन, वर्षों बाद बना है बेहद शुभ संयोग
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सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में 8 सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना 2 महीने का रहने वाला है। 

कब से शुरू हो रहा है सावन 
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हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार सावन का महीना करीब 2 महीने का होने वाला है। सावन मास की शुरुआत 4 जुलाई 2023 से होगी और 31 अगस्त 2023 तक रहेगा। यानी इस बार भक्तों को भगवान शिव की उपासना के लिए कुल 58 दिन मिलने वाले हैं। कहा जाता है कि यह शुभ संयोग 19 साल बाद बना है।

दरअसल, इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहने वाला है। यानी इस बार 18 जुलाई से 16 अगस्त तक मलमास रहेगा। यानी इस बार सावन में भगवान शिव के साथ साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

बता दें कि वैदिन पंचांग की गणना सौर मास और चंद्रमास के आधार पर की जाती है। चंद्रमास 354 दिनों का होता है। और सौर मास 365 दिन का। ऐसे में 11 दिन का अंतर आता है और 3 साल के अंदर यह अंतर 33 दिन का हो जाता है। जिसे अधिकमास कहा जाता है। इस बार सावन एक की बजाय दो महीना का होने वाला है। यानी इस बार भोलेनाथ के भक्तों को उनकी उपासना करने के लिए 8 सोमवार मिलेंगे।

सावन का महीना महादेव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि सावन के महीने में हर एक सोमवार को भगवान शिव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है। साथ ही व्यक्ति की मनोकामना भी पूरी होती है। कहा जाता है कि सावन का महीना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण मास की शुरुआत कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से होती है। इस बार सावन का महीना करीब ०२ महीने का रहने वाला है। आइए जानते हैं कब से शुरू होगा सावन का महीना। इस बार सावन में ०८ सोमवार पड़ने वाले हैं। यानी इस बार सावन का महीना ०२ महीने का रहने वाला है। 


सावन सोमवार का महत्व
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कहा जाता है कि जो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है उसके वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि की कमी भी नहीं रहती है। सावन के महीने में भगवान शिव पर धतूरा, बेलपत्र चावल चंदन, शहद आदि जरूर चढ़ाना चाहिए। सावन के महीने में की गई पूजा से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा सावन के सोमवार का व्रत करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है। साथ ही आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहता है।

०४ जुलाई २०२३ से शुरु हो रहा है सावन का
पवित्र महीना, कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?
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देवों के देव महादेव अपने भक्त की थोड़ी सी भक्ति पर भी प्रसन्न हो जाते हैं और उसको उसका मनवांछित फल दे देते हैं, तभी तो उन्हें भोलेनाथ भी कहते हैं। आप अगर जीवन में हर तरफ से संकटों से घिर जाते हो तो महादेव की आराधना ही आपको सभी कष्टों से दूर करती है। पर भगवान भोलेनाथ की आराधना भक्त के सभी संकट दूर करती हैं।

सावन के महीने की शुरुआत हो गई है। कहते हैं कि सावन का ये महीना भगवान शिव को बेहद प्रिय है और शास्त्रों में भी इसे पवित्र महीना माना गया है। शिव भक्तों को इस महीने का बेसब्री से इंतजार रहता है। गुरुवार यानि ०४ जुलाई से इस पवित्र महीने की शुरुआत हो रही है। मान्यता है कि इस पूरे महीने में भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से वो प्रसन्न होते हैं। साथ ही ये भी मान्यता हैं कि जो भक्त सावन मास के सोमवार की पूजा करता है या व्रत रखता है तो भोलेनाथ उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं।

सभी देवी देवताओं में भगवान शिव ही अकेले ऐसे देवता है, जिन्हें प्रसन्न करना बेहद आसान है। कहते हैं कि इस महीने में भगवान शिव पर जलाभिषेक करने से शिवजी जल्दी प्रसन्न होते हैं। याद रखें कि इस दौरान भगवान शिव का मंत्रोचारण जरुर करें, महामृत्युञ्जय मंत्र उनका प्रिय मंत्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव के महामृत्युञ्जय मन्त्र का जाप करने से काल के भय से छुटकारा मिल जाता है। ये मंत्र है:

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीयमाऽमृतात्‌॥

ॐ नमः शिवाय.

सोमवार के दिन कैसे करें भगवान शिव की पूजा?

-सावन में सोमवार के दिन जल्दी उठकर स्नान करें।

-इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।

-साथ ही माता पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।

-पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेलपत्र अर्पित करें।

-शिवलिंग पर धतूरा, भांग, चंदन चढ़ाएं और सभी को तिलक लगाएं।

-प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।

-धूप और दीप से गणेश जी की आरती करें।

-आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी को प्रसाद बांटें।

मान्यता है कि सावन महीने भगवान शिव की विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करने से शिव भक्तों पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और आर्थिक परेशानियों से छुटकारा भी मिलता है।

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