यह ब्लॉग खोजें

गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

गोमती चक्र की उपयोगिता

 गोमती चक्र की उपयोगिता 

बहुत उपयोगी प्रश्न पूछा है , गोमती चक्र की उपयोगिता क्या है ?

सोया भाग्य जगा देते हैं , गोमती चक्र

शनिवार को लोहा ( कार , ट्रेक्टर या और कोई वाहन ) खरीद लेते हैं , एक दो अपवाद छोड़कर ,इस दिन खरीदा हुआ लोहा कभी वफ़ा नहीं देता । शनिवार को यदि घर की नीवं रखते हैं , वो घर शुभ फलदायी होता है। शुक्रवार को यदि झाड़ू ख़रीदकर लाते हैं ,तो समझो लक्ष्मी माता घर ले आये। ये कुछ उदहारण जो हमारे जीवन पर बहुत असर डालते हैं। शुभ समय ,शुभ दिन , शुभ मुहूर्त पर चीजें खरीदना ,हमारे जीवन पर बहुत असर डालती हैं।

कुछ चीजें हैं , जिनको घर लाने में किसी शुभ समय ,शुभ दिन , शुभ मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं , और उनको कभी भी खरीदो हमेशा वफ़ा ही देती हैं। जैसे गोमती चक्र , नाम आपने सुना होगा , लेकिन इसका प्रभाव और चमत्कार नहीं देखा होगा।

जिस घर में गोमती चक्र हो , वैवाहिक जीवन सफल और सुखी रहता है,कोई हारी बीमारी नहीं होती ,दुकान व्यापार सही चलता है, घर के सभी सदस्य व्यापार ,नौकरी ,पढाई में उन्नति करते हैं ,ग्रह कलेश नहीं होता । फालतू के खर्चे और कर्जा नहीं होता।

गोमती चक्र अभिमंत्रित कैसे करें? ये भी कई लोगों का सवाल है

तो बता दें , माता गोमती नदी के गोमती चक्र और माता नर्मदा नदी से निकलने वाले नर्मदेश्वर शिवलिंग अभिमंत्रित नहीं करने होते। इनको घर पर पूजा के स्थान पर रख कर साधारण पूजा कीजिए ,अपार शुभ फल देंगे।

तांत्रिक क्रियाओं में इसका बहुत उपयोग किया जाता है। जो दिखने में बहुत ही साधारण होता है लेकिन इसका प्रभाव असाधारण होता है।गोमती चक्र कम कीमत वाला ऐसा पत्थर है। जो गोमती नदी में मिलता है।

गोमती चक्र के साधारण तंत्र उपयोग इस प्रकार हैं। पेट संबंधी रोग होने पर 10 गोमती चक्र लेकर रात को पानी में डाल दें तथा सुबह उस पानी को पी लें। इससे पेट से सम्बंधित कई रोग दूर हो जाते हैं।

धन लाभ के लिए 11 गोमती चक्र अपने पूजा स्थान में रखें। उनके सामने नियमित " श्री नम:" का जप करें। इससे आप जो भी कार्य या व्यवसाय करते हैं। उसमें बरकत होगी और आमदनी बढऩे लगेगी।

गोमती चक्रों को यदि चांदी अथवा किसी अन्य धातु की डिब्बी में सिंदूर तथा चावल डालकर रखें तो ये शीघ्र शुभ फल देते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है , हमेशा पैसा हाथ में रहता है। कर्जा नहीं होता ,आय के स्त्रोत बने रहते हैं ,आय के नए साधन बनते हैं।

इनकी बहुत ही खास बात ये है की ,ये सर्वसुलभ हैं , आसानी से खरीदे जा सकते हैं। आप ऑनलाइन ले सकते हो ,किसी भी पूजा पाठ की दूकान से ले सकते हो। और ये कम खर्च में बहुत सस्ते मिल जाते हैं।


16000 रानियों की चिता की राख से अल्लाउद्दीन ने "सवा चौहत्तर मन सोना" (एक मन = 37.3242 किग्रा ) लूटा था।

 कभी प्रसिद्ध इतिहासविद् अतुल रावत की किताब पढ़ियेगा ।

जिसमें बताया है कि

16000 रानियों की चिता की राख से अल्लाउद्दीन ने

"सवा चौहत्तर मन सोना"

(एक मन = 37.3242 किग्रा ) लूटा था।

यह जूता है उनके मुँह पर जो इस विषय पर भंसाली जैसे बॉलीवुड भाँडो के लिये सहानुभूति रखते हैं अल्लाउद्दीन की मरघटी मोहब्बत का आखिर यही अर्थशास्त्र है!!

अतुल रावत का कथन पढ़िए –

"भारतीय सन्दर्भ में लोक परंपरा किस प्रकार इतिहास को संरक्षित किये रहती है यह पद्मिनी की महान गाथा से स्पष्ट है"।

जौहर की ज्वाला शांत होने के बाद अलाउद्दीन ने उस विशाल चिता को भी नहीं छोड़ा।

सभी राजपूतानियाँ पूरा श्रृंगार करके चिता पर आरूढ़ हुई थीं। अलाउद्दीन ने चिता की राख से "सवा चौहत्तर मन सोना" लूटा था।

हिन्दू समाज ने राजपूतानियों के उस महान बलिदान की स्मृति बनाये रखने के लिए एक लोक परंपरा आरम्भ की जो अब से पचास -साठ वर्ष पूर्व तक चलती रही – हिन्दू अपने पत्रों पर "सवा चौहत्तर का अंक" अंकित किया करते थे।

इसका आशय यह था कि जिसको पत्र लिखा गया है उसके अलावा यदि कोई अन्य व्यक्ति इस पत्र को खोले तो उसे वही पाप लगे जो पाप पद्मिनी की चिता से सवा चौहत्तर मन सोना लूटने पर अल्लाउद्दीन को लगा था।

लोक इतिहास संरक्षण का यह अनूठा तरीका था। इसीलिए यह इतिहास दो पीढ़ी पहले तक तो बचा रहा।

ये हमारा दुर्भाग्य है कि वर्तमान पीढ़ी विकृत इतिहास और अल्प इतिहास ही पढ़ पायी है, इन्हें अपनी ठसक से नीचे उतरकर खुद को पहचानने की फुर्सत ही नहीं!

वास्तविक से दूर सपनों में जीने की आदि युवा पीढ़ी इस संरक्षण के योग्य बची ही नहीं हैं जो महारानी पद्मिनी को रज मात्र भी समझ पाये

🙏

जौहर कुंड चित्तौड़गढ़

👇


घर पर बनायें कफ सिरप.

घर पर बनायें कफ सिरप....

ठंड के मौसम ने हलकी हलकी दस्तक देनी शुरू कर दी है ! इस मौसम में सेहत का खास ध्यान रखना पड़ता है,क्योकि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी, गले की खराश आदि समस्याएँ होने का खतरा बना रहता है ! बहुत लोग सर्दी जुकाम हो जाने पर एंटी एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करते है लेकिन ये आपकी सेहत पर बहुत बुरा असर डालती है, इसलिए इन दवाओं को लेने से अच्छा है की आप घर पर सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक सिरप का इस्तेमाल करे !आप इसे घर पर ही बना सकते है !

आवश्यक सामग्री....

10-12 तुलसी के पत्ते,
3-4 लौंग,
2 चम्मच शहद ,
चुटकीभर सेंधा नमक ,
सोंठ और दालचीनी पाउडर,
2-3 काली मिर्च

बनाने का तरीका ....

कफ सिरप बनाने के लिए सबसे पहले तुलसी के थोड़े से पत्तो को लेकर धो ले,अब इसमें लौंग, सेंधा नमक, काली मिर्च, सोंठ और दालचीनी पाउडर मिला दे,अब इन सभी को एक साथ मिलाकर अच्छे से पीस लें ! अब गैस पर एक बर्तन में एक गिलास पानी डालकर चढ़ा दे,जब ये पानी उबलने लगे तो इसमें तुलसी के पेस्ट डाल दे ।जब पानी उबलते उबलते आधा रह जाएं तो इसे आंच से उतार ले ! जब ये पानी ठंडा हो जाये तो इसमें शहद मिला दे ! सिरप तैयार है।

 अब इसे एक कांच की शीशी में भरकर रख लें ! 

सर्दी-जुकाम, गले में खराश होने पर इसका सेवन करें।

सुखी खांसी (Dry cough) का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार.....

जुकाम के या बुखार के बाद प्रायः सूखी खांसी होती है जिसमे बहुत खांसने पर भी कुछ नही निकलता। खांसते खांसते हालत खराब हो जाती है।

सूखी खांसी, जिसमें बलगम तो नहीं आता लेकिन गले में दर्द, खराश से लेकर जलन तक हो सकती है. कई बार खांसते खांसते व्यक्ति की पसलियां भी दुखने लग जाती हैं। सूखी खांसी आसानी से ठीक नहीं हो पाती, इसलिए इसमें व्यक्ति को काफी परेशानी हो जाती है।

क्या न करें.....

शहद, अदरक, तुलसी आदि का प्रयोग न करें। ये कफ सुखाती हैं।

 एंटीबायोटिक का प्रयोग केवल चिकित्सक के कहने पर करें।

 विज्ञापन वाले खांसी सिरप न लें। भोजन में खट्टी चीजें न खाएं।

 दही लस्सी न लें। 

भोजन गर्म ही लें। 

भोजन के 30 मिनट बाद तक पानी न पिएं। 

आयुर्वेदिक औषधि....

 चन्द्रामृत रस....

खांसी गीली है या सूखी। नई है या पुरानी। बड़े को है या बच्चे को। जुकाम के साथ है या बुखार के साथ। सोचने की आवश्यकता नही है। यह कभी असफल नहीं होती। सभी प्रकार की खांसी में सफल।

प्रयोग विधि.....

2 गोली 3 बार गुनगुने पानी से।

वासावलेह.....

 यह ग्रेन्यूल्स और चटनी की तरह मिलता है। ग्रेन्यूल्स ही लें। चटनी का स्वाद खराब है।

वैद्यनाथ का वासावलेह ग्रेन्यूल्स के रूप में मिलता है। नई पुरानी खाँसी व अस्थमा में बहुत प्रभावशाली है। कफ के साथ खून आता हो। वृद्धावस्था की खांसी में अधिक प्रभावी है। 

प्रयोग विधि.....

1 चम्मच 2 समय गुनगुने पानी से लें। अधिक लाभ के लिए इसके साथ 2 गोली चन्द्रामृत रस भी लें।

द्राक्षासव....

 पुरानी खांसी जो बार बार लौट आती हो, जिसमे खांसी के साथ खून आता हो। वजन घट गया हो। भूख न लगती हो। कब्ज हो। आंखों के आगे तारे से टूटे। चलते समय जल्दी थकान व सांस फूले। धूल मिट्टी में जाते ही खांसी हो जाए। बार बार जल्दी जल्दी खांसी जुकाम व इंफेक्शन हो तो यह लाभदायक है। लम्बे समय लेने से ही लाभ होगा। तत्काल लाभ नही होगा।

प्रयोग विधि.....

2 से 4 चम्मच 2 समय।
 बराबर पानी मिलाकर। 
भोजन के 30 मिनट बाद। जिन्हें एसिडिटी है वह न लें।

घरेलू प्रयोग....

सुखी खांसी के लिए....

हल्दी पाउडर 4 चम्मच। 
देशी घी 1 चम्मच।
नमक आधा चम्मच।

तीनो को तवे या कड़ाही में मिलाकर इतना पकाएं कि हल्दी का रंग लाल काला सा हो जाएं। इसे ठण्डा करके शीशी में रख लें।

छोटे बच्चे को 1 ग्राम बड़े को 2 ग्राम गुनगुने पानी से दें।

function disabled

Old Post from Sanwariya