घर पर बनायें कफ सिरप....
ठंड के मौसम ने हलकी हलकी दस्तक देनी शुरू कर दी है ! इस मौसम में सेहत का खास ध्यान रखना पड़ता है,क्योकि इस मौसम में सर्दी-जुकाम, खांसी, गले की खराश आदि समस्याएँ होने का खतरा बना रहता है ! बहुत लोग सर्दी जुकाम हो जाने पर एंटी एंटीबायोटिक्स दवाओं का सेवन करते है लेकिन ये आपकी सेहत पर बहुत बुरा असर डालती है, इसलिए इन दवाओं को लेने से अच्छा है की आप घर पर सर्दी-जुकाम को ठीक करने के लिए आयुर्वेदिक सिरप का इस्तेमाल करे !आप इसे घर पर ही बना सकते है !
आवश्यक सामग्री....
10-12 तुलसी के पत्ते,
3-4 लौंग,
2 चम्मच शहद ,
चुटकीभर सेंधा नमक ,
सोंठ और दालचीनी पाउडर,
2-3 काली मिर्च
बनाने का तरीका ....
कफ सिरप बनाने के लिए सबसे पहले तुलसी के थोड़े से पत्तो को लेकर धो ले,अब इसमें लौंग, सेंधा नमक, काली मिर्च, सोंठ और दालचीनी पाउडर मिला दे,अब इन सभी को एक साथ मिलाकर अच्छे से पीस लें ! अब गैस पर एक बर्तन में एक गिलास पानी डालकर चढ़ा दे,जब ये पानी उबलने लगे तो इसमें तुलसी के पेस्ट डाल दे ।जब पानी उबलते उबलते आधा रह जाएं तो इसे आंच से उतार ले ! जब ये पानी ठंडा हो जाये तो इसमें शहद मिला दे ! सिरप तैयार है।
अब इसे एक कांच की शीशी में भरकर रख लें !
सर्दी-जुकाम, गले में खराश होने पर इसका सेवन करें।
सुखी खांसी (Dry cough) का आयुर्वेदिक घरेलु उपचार.....
जुकाम के या बुखार के बाद प्रायः सूखी खांसी होती है जिसमे बहुत खांसने पर भी कुछ नही निकलता। खांसते खांसते हालत खराब हो जाती है।
सूखी खांसी, जिसमें बलगम तो नहीं आता लेकिन गले में दर्द, खराश से लेकर जलन तक हो सकती है. कई बार खांसते खांसते व्यक्ति की पसलियां भी दुखने लग जाती हैं। सूखी खांसी आसानी से ठीक नहीं हो पाती, इसलिए इसमें व्यक्ति को काफी परेशानी हो जाती है।
क्या न करें.....
शहद, अदरक, तुलसी आदि का प्रयोग न करें। ये कफ सुखाती हैं।
एंटीबायोटिक का प्रयोग केवल चिकित्सक के कहने पर करें।
विज्ञापन वाले खांसी सिरप न लें। भोजन में खट्टी चीजें न खाएं।
दही लस्सी न लें।
भोजन गर्म ही लें।
भोजन के 30 मिनट बाद तक पानी न पिएं।
आयुर्वेदिक औषधि....
चन्द्रामृत रस....
खांसी गीली है या सूखी। नई है या पुरानी। बड़े को है या बच्चे को। जुकाम के साथ है या बुखार के साथ। सोचने की आवश्यकता नही है। यह कभी असफल नहीं होती। सभी प्रकार की खांसी में सफल।
प्रयोग विधि.....
2 गोली 3 बार गुनगुने पानी से।
वासावलेह.....
यह ग्रेन्यूल्स और चटनी की तरह मिलता है। ग्रेन्यूल्स ही लें। चटनी का स्वाद खराब है।
वैद्यनाथ का वासावलेह ग्रेन्यूल्स के रूप में मिलता है। नई पुरानी खाँसी व अस्थमा में बहुत प्रभावशाली है। कफ के साथ खून आता हो। वृद्धावस्था की खांसी में अधिक प्रभावी है।
प्रयोग विधि.....
1 चम्मच 2 समय गुनगुने पानी से लें। अधिक लाभ के लिए इसके साथ 2 गोली चन्द्रामृत रस भी लें।
द्राक्षासव....
पुरानी खांसी जो बार बार लौट आती हो, जिसमे खांसी के साथ खून आता हो। वजन घट गया हो। भूख न लगती हो। कब्ज हो। आंखों के आगे तारे से टूटे। चलते समय जल्दी थकान व सांस फूले। धूल मिट्टी में जाते ही खांसी हो जाए। बार बार जल्दी जल्दी खांसी जुकाम व इंफेक्शन हो तो यह लाभदायक है। लम्बे समय लेने से ही लाभ होगा। तत्काल लाभ नही होगा।
प्रयोग विधि.....
2 से 4 चम्मच 2 समय।
बराबर पानी मिलाकर।
भोजन के 30 मिनट बाद। जिन्हें एसिडिटी है वह न लें।
घरेलू प्रयोग....
सुखी खांसी के लिए....
हल्दी पाउडर 4 चम्मच।
देशी घी 1 चम्मच।
नमक आधा चम्मच।
तीनो को तवे या कड़ाही में मिलाकर इतना पकाएं कि हल्दी का रंग लाल काला सा हो जाएं। इसे ठण्डा करके शीशी में रख लें।
छोटे बच्चे को 1 ग्राम बड़े को 2 ग्राम गुनगुने पानी से दें।
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