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शनिवार, 19 मार्च 2022

विगत 70 वर्षों से जनता को भेड़ की तरह हांकने वाले ये "बड़े नाम" कदाचित भूल गये कि "ये नया भारत है, ये 2022 का भारत है"..

1. अच्छी-भली 370 हट गई थी. कांग्रेस को कीड़ा काटा.. 370 पर बहस की मांग की...  
परिणाम:- pok से लेकर चीन तक नेहरू जीे के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. 70 वर्षो से बनाया गया नेहरू जी का आभामंडल जनता के समक्ष खत्म हो गया.. नेहरू देश के दिल से उतर गए...

2. अच्छा-भला रफेल सौदा हो गया था.. कांग्रेस को कीड़ा काटा. बहस की मांग की...  
परिणाम:- राजीव गांधी जी के भ्रष्टाचार के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. 30 वर्षो से बनाई गई "मिस्टर क्लीन" छवि जनता के समक्ष धूमिल हो गई.. राजीव गांधी देश के दिल से उतर गए...

3. कोरोना असफलता, पालघर लिंचिंग, सुशांत मामले जैसे मुद्दों के वाबजूद शिवसेना, उद्धव ठाकरे की छवि जैसे-तैसे बची हुई थी.. संजय राउत को कीड़ा काटा.. कंगना को गाली दे दी...  
परिणाम:- उद्धव ठाकरे, शिवसेना के कच्चे चिट्ठे खुल गए.. वर्षो से बनी "हिंदुत्व" छवि हिन्दुओ के समक्ष धूमिल हो गई.. शिवसेना की "दबंगई छवि".. सड़कछाप गुंडागर्दी, महिला विरोधी पार्टी में बदल गई.. "ठाकरे नाम" का आभामंडल जनता के दिल से उतर गया...

4. पालघर चुप्पी, रामजन्मभूमि चुप्पी, सुशांत चुप्पी, कंगना अपमान चुप्पी के बाबजूद बच्चन परिवार की लँगोट जैसे-तैसे बची हुई थी.. जया को कीड़ा काटा.. थाली में छेद बयान दे दिया..  
परिणाम:- अमिताभ बच्चन जिन पर कोई उंगली भी नही उठा सकता था, उनके कच्चे चिट्ठे खुल गए.. जया-अमिताभ के पाखण्ड के पर्दे उठ गए. 50 वर्षो से बना "महानायक" आभामंडल जनता के समक्ष खत्म हो गया.. बच्चन फैमिली जनता के दिल से उतर गई...

5. अच्छी-भली द कश्मीर फाइल्स फ़िल्म 550 स्क्रीन पर रिलीज हो गई थी.. कब आई कब गई पता भी नही चलता.. कांग्रेस सेक्युलर लिब्रल जिहादियों बॉलीबुड गैंग को कीड़ा काटा फ़िल्म का विरोध कर दिया...  
परिणाम:- कांग्रेस के पापों के कच्चे चिट्ठे खुल रहे है, सेक्युलर लिबर्ल्स के नकाब निकल रहे है.. जिहाद की असलियत सामने आ रही है... 32 वर्षो से दफन कश्मीरी हिंदुओ की पीड़ा दर्द कब्र फाड़कर बाहर निकल रही है *और वो भी 4000+ स्क्रीन्स पर*

कल तक जिस घटना को कश्मीरी हिंदुओ का विस्थापन कहकर पर्दा डालने का प्रयास किया जाता था... आज लोग खुलकर उसे जीनोसाइड बोल रहे है.. उसे आधिकारिक मान्यता मिल रही है.. जिस जिहाद पर देश बोलने से भी कतराता था आज खुलकर चर्चा कर रहे है...

मात्र ढाई घण्टे की चिंगारी से 32 वर्षो के बने पंचमक्कार नरेटिव सच्चाई की अग्नि में जलकर भस्म हो गए.. सेक्युरिज्म की पट्टी आंखों से उतर गई...

विगत 70 वर्षों से जनता को भेड़ की तरह हांकने वाले ये "बड़े नाम" कदाचित भूल गये कि "ये नया भारत है, ये 2022 का भारत है"..

जो यदि प्यार लुटाकर आपको अर्श तक पहुंचा सकता है.. तो भरोसा टूटने पर आपको फर्श पर गिरा भी सकता है...

"छल की बुनियाद" पर बनी, झूठी "शान-ओ-शौकत" की "इमारतें" कितनी ही "मजबूत" क्यों न हो.. एक दिन भरभराकर "गिरती" अवश्य है...

**ये नियति का "लोकतंत्र" है**

दिक्कत ये नहीं है किसी ने गन उठाई किसी ने नरसंहार किया दिक्कत ये है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर उसे किसने और कैसे जस्टिफाई किया

दिक्कत ये नहीं है किसी ने गन उठाई किसी ने नरसंहार किया दिक्कत ये है कि सेक्युलरिज्म के नाम पर उसे किसने और कैसे जस्टिफाई किया

काशी विश्नाथ विध्वंस- मंदिर पुजारी रेप कर रहा था तो बादशाह औरंगजेब को अच्छा नहीं लगा तो उन्होंने तोड़ दिया। जैसे होली पर ढाका में इस्कॉन मंदिर में जो हमला हुआ है ये ही लॉजिक किसी दूसरे बहाने के साथ वहां भी फिट हो सकता है।

मालाबार नरसंहार- संघ बना नहीं है, भाजपा है नहीं, सावरकर भी जेल में बंद हैं तो कोई आदमी है नहीं जिसके सिर पर ठीकरा फोड़ सके तो ये किसान आंदोलन था जमींदारों के खिलाफ, बस वो सारे किसान एक ही मजहब से थे और जमींदार हिन्दू थे

विभाजन नरसंहार- सावरकर जिम्मेदार है, सबसे पहले टू नेशन थ्योरी कि बात उसने ही 1937 में कि थी (1932 में 'पाकिस्तान अभी नहीं तो कभी नहीं" के पर्चे गोलमेज सम्मेलन में बंट रहे थे)  

बांग्लादेश 1971 नरसंहार- ये तो दूसरे देश की बात है हमारा क्या मतलब, वो अलग बात है कि वो देश 25 साल पहले भारत ही था 

1990 कश्मीर नरसंहार- दिसंबर 1989 में वीपी सिंह (जो खुद राजीव गांधी सरकार में पांच साल मंत्री थे) की सरकार थी इसलिए जनवरी 19 के लिए वीपी सिंह को को बाहर से समर्थन देने वाली भाजपा जिम्मेदार है और 21 जनवरी को जगमोहन ( जो 84-89 तक कांग्रेस के आदेश पर गर्वनर रहे थे) जिम्मेदार हैं (जिन्हें पीड़ित कश्मीरी पंडित मसीहा मानते हैं) मुफ्ती मोहम्मद सईद जो वीपी सरकार में गृह मंत्री थे, फारुक अब्दुल्ला जो 1986-जनवरी 18 1990 तक कांग्रेस के समर्थन से राज्य के सीएम थे, राजीव गांधी जो 84-89 पीएम थे ये जिम्मेदार नहीं है जिम्मेदार वो हैं जो एक महीने पुरानी सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।

9/11- यहुदियों ने कराया है हर कोई जानता है इस बात को

गोधरा कांड- संसद में दिए गए यूपीए रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के बयान के हिसाब से ट्रेन में आग अंदर से लगी थी। बाद में कोर्ट ने सजा ही हैं उन लोगों को जो स्टेशन पर डीजल इकट्ठा करने से लेकर आग लगा रहे थे।

मुंबई हमले- वो तो भगवा आतंकवाद, संघ की साजिश था। कसाब कलावा भी पहनकर आया था लेकिन पता नहीं कैसे जिंदा पकड़ में आ गया तो पाकिस्तान को बड़े भारी मन से मानना पड़ता है।

पुलवामा- मोदी जिम्मेदार है, चुनाव जीतने के लिए कराया है।

दिल्ली दंगे- कपिल मिश्रा जिम्मेदार है क्योंकि उसने दिल्ली की जाम सड़क खुलवाने की चेतावनी दी थी। वो जो ट्रंप आएगा तब बताएंगे और ट्रंप के आने पर गुजरात से लेकर दिल्ली तक दंगे किए, जिनके पार्षदों के घरों से जखीरे निकले, जो लखनऊ तक पहुंच गए दंगे करने वो जिम्मेदार नहीं है।

समस्या उनसे नहीं है जो ये सब कर रहे हैं, करते जा रहे हैं, मान ही नहीं रहे 
समस्या उनसे है जो हर कुकर्म पर पर्दा डालने के लिए बैठे हैं, वो कभी सच का सामना होने ही नहीं दे रहे, जवाबदेही तय ही होने नहीं दे रहे
क्योंकि किसी को वोट कि चिंता और कुछ सेक्युलरिज्म ताना-बाना न बिगड़ जाए इसकी टेंशन में दुबले हो रहे हैं। इन लोगों को पहचानिए, इन्हें जवाब देने के लिए बाध्य कीजिए। 

नहीं तो एक दिन आएगा वो कहेंगे 
हिन्दू ही जिम्मेदार है न हिन्दू होते न हिन्दू मुस्लिम दंगे होते
57 देश है मुसलमानों के बताओ कहीं हिन्दू-मुस्लिम दंगे होते हों 
सिर्फ यहीं होते हैं क्यों क्योंकि हिन्दुओं को दंगे करने का शौक है

हिंदी भजन के लिरिक्स - मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने

 


मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
क्या जाने कोई क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने 
मुझे मिल गया मन का मित ये दुनिया क्या जाने 

छवि लखी मैंने श्याम की जब से भयी बावरी मै तो तब से 
बांधी प्रेम की डोर मोहन से नाता तोडा मैंने जग से 
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

मोहन की सुन्दर सुरतिया मन में बस गयी मोहन मुरतिया 
लोग कहे मै भयी बावरिया हो जाऊ अब तेरी रे सांवरिया 
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

हर दम अब तो रहू मस्तानी लोक लाज की नी बिसरानी 
रूप राश अंग अंग समानी हेरत हेरत रहू दिवानी 
मै तो गाऊ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने 
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने 

क्या जाने कोई क्या जाने क्या जाने कोई क्या जाने 
मुझे मिल गया मन का मित ये दुनिया क्या जाने 


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