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मुसलमान ईद की तरह मनाते हैं कृष्ण जन्माष्टमी, हिंदुओं के साथ मिलकर बदल रहे इतिहास
भगवान कृष्ण के जन्मदिन यानी जन्माष्टमी के मौके पर जयपुर शहर में
तीन दिनों का उत्सव आयोजित किया जाता है। इस दौरान यहां कव्वाली, नृत्य और
नाटकों का आयोजन होता है। लोगों का कहना है कि यहां इस त्योहार को हिंदू,
मुस्लिम और सिख एक साथ मिलकर मनाते हैं। एक बुजुर्ग ने बताया कि इस दरगाह
में पिछले कई सालों से जन्माष्टमी मनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसा
इसलिए किया जा रहा है ताकि देश में हिंदू मुस्लिम में भाईचारे को कायम रखा
जा सके।
देश में आज भी कई ऐसी जगह हैं
जहां कुछ लोग धर्म व कट्टरवाद से ऊंचा उठकर आपसी खुशी को अहमियत देते हैं।
और अपनी ही पहल से हिंदू-मुस्लिम की एकता की मिसाल बने हुए हैं।
जयपुर से 200 किलोमीटर दूर झुंझुनू जिले के चिड़ावा स्थित
नरहड़ दरगाह, शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह लोगों के लिए विभिन्न धर्मों
की एकता का सबक सिखाती है। यहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में
जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाते हैं।
यहां
आयोजित मेले में दूरदराज से लोग पहुंचते हैं और मेले का लुत्फ उठाते हैं।
इस दौरान यहां पहुंचने वाले हिंदू श्रद्धालु मंदिर में पूजा करने के
साथ-साथ दरगाह में फूल, चादर, मिठाई आदि चढ़ाकर अपनी-अपनी मुरादें मांगते
हैं। वाकई देश के लिए मिसाल है ये दरगाह।शक्करबार शाह अजमेर के सूफी संत
ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के समकालीन थे तथा उन्हीं की तरह सिद्ध पुरुष थे।
शक्करबार शाह ने ख्वाजा साहब के 57 साल बाद देह त्यागी थी। राजस्थान व
हरियाणा में तो शक्करबार बाबा को लोक देवता के रूप में पूजा जाता है। शादी,
विवाह, जन्म, मरण कोई भी कार्य हो बाबा को अवश्य याद किया जाता है। इस
क्षेत्र के लोग गाय, भैंसों के बछड़ा पैदा होने पर उसके दूध से जमे दही का
प्रसाद पहले दरगाह पर चढ़ाते हैं। इसके बाद ही पशु का दूध घर में इस्तेमाल
होता है।
जन्माष्टमी की रात इनमें से करें कोई 1 अचूक उपाय, हो जाएंगे मालामाल
इस विशेष दिवस को भगवान विष्णु के आठवें अवतार माने जाने वाले
श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यही कारण है कि इस पर्व
को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के नाम से जाना जाता है।
इस
वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 2 सितंबर दिन रविवार को मनाई जाएगी। हिंदूओं
में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व बहुत शुभ माना जाता है। यही कारण है कि इस
दिन किये जाने वाले उपाय बहुत फलदायी साबित होते हैं और व्यक्ति की
मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। कृष्ण जन्माष्टमी पर लक्ष्मी-कृष्ण से जुड़े हम
आपको 5 ऐसे महत्वपूर्ण उपाय बताने जा रहे हैं जिन्हें करने पर आपका घर में
धन धान्य से संपन्न हो जाएगा। लक्ष्मी-कृष्ण से जुड़े इन पांच उपायों में
से आप कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कोई भी उपाय कर सकते हैं।
जन्माष्टमी की रात इनमें से करें कोई 1 उपाय शंख
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन प्रभु श्रीकृष्ण के नंदलाल स्वरूप का अभिषेक एक
शंख में दूध डालकर अच्छी तरह से करें। अभिषेक करने के बाद माता लक्ष्मी की
पूजा करें। भगवान कृष्ण और मां लक्ष्मी की कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति
बेहतर हो जाएगी और आपको धन की कभी कमी नहीं होगी। फल और अनाज
यदि आप वास्तव में कृष्ण जन्मोत्सव और उपवास को सफल बनाना चाहते हैं तो
जन्माष्टमी के शुभ दिन गरीबों को फल और अनाज दान करें। आप चाहें तो किसी
धार्मिक जगह जैसे मंदिर और मठ जाकर भी गरीब लोगों को अपने सामर्थ्य के
अनुसार दान दे सकते हैं। संभव हो तो आप किसी ज्योतिष से पूछ लें कि आपको
कितना दान करना चाहिए। इस दिन दान करना वास्तव में फलदायी होता है। सिक्का
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण की पूजा करते समय पूजा स्थल पर
कुछ सिक्के रखें और उसके बाद पूजा शुरू करें। जब पूजा खत्म हो जाए तो उस
सिक्के को उठाकर अपने बटुए में रख लें और हमेशा रखे रहें। माना जाता है कि
यह उपाय करने से लक्ष्मी जी की कृपा होती है। धन कौड़ी
कृष्ण जन्माष्टमी पर पूजा शुरू करने से पहले 11 कौड़ियों को एक पीले
वस्त्र में बांधकर पूजा स्थल पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा के पास रखें और
भगवान श्रीकृष्ण और मां लक्ष्मी का पूजन एक साथ करें। माना जाता है कि
कौड़ियां मां लक्ष्मी को बहुत प्रिय हैं। पूजा समाप्त करने के बाद कौड़ियों
को पीली पोटली को अपने धन के भंडार या तिजोरी में रख दें। मां की कृपा से
आपके धन धान्य में वृद्धि हो जाएगी। दीया
श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की शाम तुलसी पूजन करें। तुलसी के पौधे को लाल चुनरी
ओढ़ाकर दीपक जलाएं। इसके बाद तुलसी के पौधे के सामने ही बैठकर माला लेकर "ॐ
वासुदेवाय नम:" का जाप दो बार पूरी माला फेरकर करें। आपकी आर्थिक परेशानी
दूर हो जाएगी और घर में समृद्धि आएगी।
जन्माष्टमी के दिन रात को कृष्ण जन्म के समय भगवान कृष्ण को धनिया
पंजीरी का भोग लगाया जाता है और इसके बाद इस प्रसाद को सभी भक्तों में
बांट दिया जाता है। आप भी जन्माष्टमी पर अपने घर में धनिया पंजीरी बनाकर
कान्हा को भोग लगाएं, इसे आसानी से बनाया जा सकता है। चलिए आपको बताते हैं
धनिया पंजीरी बनाने की विधि...
एक कढ़ाई में घी गरम करें, इसमें सारे मेवे डाल कर हल्का भून लें। उसके
बाद इसी कढ़ाई में घिसा नारियल भूनें और इसे बाहर निकालकर कढ़ाई में और घी
डालें, इस घी में धनिया पावडर डाल कर महक आने तक भूनें।
जब धनिया अच्छी तरह भुन जाएं तो गैस बंद कर दें, इसके बाद धनिया पावडर
में इलायची पावडर और भुने मेवे, मखाने, किशमिश और शक्कर मिलाएं, पंजीरी को
अच्छी तरह से मिलाएं। भोग के लिए धनिया पंजीरी बनकर तैयार है।
कृ्ष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के लिये पारंपरिक रूप से धनिये की पंजीरी (Dhania Panjiri)
और धनिया की बर्फी बनाई जाती है. धनिया बर्फी पिसे हुए धनिया में नारियल पाउडर, मावा या फूले हुये रामदाना - राजगिरा मिला कर बनाई जाती है. आप इस जन्माष्टमी पर नारियल का पाग और मिगी का पाग तो बना ही रहे होंगे, प्रसाद के लिये धनिया बर्फी भी बना डालिये.
आवश्यक सामग्री - Ingredients for Dhania Barfi
धनियां पाउडर - 1 कप
नारियल चूरा - 1 कप
चीनी - 1 कप
खरबूजे के बीज - 1/4 कप
छोटी इलाइची - 4
देशी घी - 2 टेबल स्पून
विधि:
पैन में घी डालकर गरम कीजिये, धनियां पाउडर डालिये और मीडियम फ्लेम पर 3-4 मिनिट, खुशबू आने तक भून लीजिये. भुना हुआ धनियां पाउडर प्याली में निकाल कर रख लीजिये.
पैन में नारियल चूरा डालकर 1 मिनिट चलाते हुये भून लीजिये. भुना नारियल पाउडर प्याली में निकालिये.
अब खरबूजे के बीज पैन में डालिये और लगातार चलाते हुये बीज फूलने तक भून लीजिये (खरबूजे के बीज भूनते समय उचटकर कढ़ाई से निकल कर बाहर आ रहे हों तो ऊपर से हाथ से पकड़ कर प्लेट ढककर रखें और कलछी से चलाते हुये बीज भूने, ये बहुत जल्दी भून जाते हैं). भुने बीज प्याले में निकाल लीजिये.
इलाइची को छील कर पाउडर बना लीजिये.
पैन में चीनी और आधा कप से थोड़ा कम पानी डालिये, चीनी घुलने के बाद चाशनी को और 2 मिनिट और पका लीजिये, चाशनी में भुना धनियां पाउडर, नारियल चूरा, इलाइची पाउडर और बीज डालकर मिलाइये और मिलाते हुये तब तक पका लीजिये जब तक कि मिश्रण जमने वाली कनिसिसटेन्सी पर न पहुंच जाय. चैक करने के लिये चम्मच से जरा सा मिश्रण प्याली में डालिये ठंडा होने पर उंगली और अंगूठे से चिपका कर देखिये, आप महसूस कर लेंगे कि वह जम जायेगा, अगर लगे कि गीला है, तो 1-2 मिनिट और पका लीजिये.
किसी प्लेट या ट्रे में घी लगाकर चिकना कीजिये, मिश्रण को प्लेट में एक जैसा फैला दिजिये. बर्फी जमने के बाद बर्फी को अपने मन पसन्द आकार में काट कर तैयार कर लीजिये.
धनिये की बर्फी तैयार है,
कृष्णा को प्रसाद चढ़ाने के बाद सभी को प्रसाद दीजिये और आप भी खाइये. धनिये की बर्फी को 15 दिन तक फ्रिज से बाहर रख कर खाया जा सकता है
भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की कई लीलाओं के बारे में आपने सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा.लेकिन जन्माष्टमी और कृष्ण भगवान के बारे में अपने कुछ हैरान करदेने वाली बात नहीं सुनी होगी,तो चलिए आपको बताते कुछ अद्बुध बाते.
भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, बनवारी, चक्रधर, देवकीनंदन, हरि, और कन्हैया प्रमुख हैं.अपने गुरु संदिपनी को गुरु दक्षिणा देने के लिए भगवान ने उनके मृत बेटे को जीवित कर दिया था.श्रीकृष्ण की कुल 16108 पत्नियां थीं, जिनमें से 8 पटरानी हैं.इन सभी का परिचिए करने के बाद आपको जन्माष्टमी से जुडी कुछ खास बताते है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर चारों तरफ उत्साह बना हुआ है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसबार कृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बना है, जैसा द्वापर युग में कान्हा के जन्म क समय बना था.
इस खास संयोग को कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण ज
यंती योग बनता है.हम सब के प्यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्याम और भक्तों के भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं.
इस बार श्रीकृष्ण की 5245वीं जयंती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था. हालांकि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं.
इस बार जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है क्योंकि यह त्योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.
जन्माष्टमी पर भक्तों को दिन भर उपवास रखना चाहिए और रात्रि के 11 बजे स्नान आदि से पवित्र हो कर घर के एकांत पवित्र कमरे में, पूर्व दिशा की ओर आम लकड़ी के सिंहासन पर, लाल वस्त्र बिछाकर, उस पर राधा-कृष्ण की तस्वीर स्थापित करना चाहिए, इसके बाद शास्त्रानुसार उन्हें विधि पूर्वक नंदलाल की पूजा करना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन जो श्रद्धा पूर्वक जन्माष्टमी के महात्म्य को पढ़ता और सुनता है, इस लोक में सारे सुखों को भोगकर वैकुण्ठ धाम को जाता है।
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
हम सब के प्यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्याम और भक्तों के भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं। इस बार श्रीकृष्ण की 5245वीं जयंती है। मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। हालांकि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं।
इस बार जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है क्योंकि यह त्योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा। वहीं, वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर को है। अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है। 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं।
जन्माष्टमी का महत्व श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्व है। यह हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप में आठवां अवतार लिया था। देश के सभी राज्य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं। इस दिन क्या बच्चे क्या बूढ़े सभी अपने आराध्य के जन्म की खुशी में दिन भर व्रत रखते हैं और कृष्ण की महिमा का गुणगान करते हैं। दिन भर घरों और मंदिरों में भजन-कीर्तन चलते रहते हैं। वहीं, मंदिरों में झांकियां निकाली जाती हैं और स्कूलों में श्रीकृष्ण लीला का मंचन होता है।
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी। अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट। अष्टमी तिथि समाप्त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट।
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट। रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट।
निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक।
व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद।
वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर को है और व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सूर्योदय से पहले 6:13 पर होगा।
जो भक्त जन्माष्टमी का व्रत रखना चाहते हैं उन्हें एक दिन पहले केवल एक समय का भोजन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन सुबह स्नान करने के बाद भक्त व्रत का संकल्प लेते हुए अगले दिन रोहिणी नक्षत्र और अष्टमी तिथि के खत्म होने के बाद पारण यानी कि व्रत खोल सकते हैं। कृष्ण की पूजा नीशीत काल यानी कि आधी रात को की जाती है।
जन्माष्टमी की पूजा विधि कृष्ण जन्माष्टमी के दिन षोडशोपचार पूजा की जाती है, जिसमें 16 चरण शामिल हैं-
ध्यान- सबसे पहले भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा के आगे उनका ध्यान करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करें। ॐ श्री कृष्णाय नम:। ध्यानात् ध्यानम् समर्पयामि।।
आवाह्न- इसके बाद हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण का आवाह्न करें।
आसन- अब श्रीकृष्ण को आसन देते हुए श्री कृष्ण का ध्यान करें।
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पाद्य- आसन देने के बाद भगवान श्रीकृष्ण के पांव धोने के लिए उन्हें पंचपात्र से जल समर्पित करें।
अर्घ्य- अब श्रीकृष्ण को इस मंत्र का उच्चारण करते हुए अर्घ्य दें।
आचमन- अब श्रीकृष्ण को आचमन के लिए जल अर्पित करें।
स्नान- अब भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को कटोरे या किसी अन्य पात्र में रखकर स्नान कराएं। सबसे पहले पानी से स्नान कराएं और उसके बाद दूध, दही, मक्खन, घी और शहद से स्नान कराएं। अंत में साफ पानी से एक बार और स्नान कराएं।
वस्त्र- अब भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को किसी साफ और सूखे कपड़े से पोंछकर नए वस्त्र पहनाएं. फिर उन्हें पालने में रखें और इस मन्त्र का जाप करें- शति-वातोष्ण-सन्त्राणं लज्जाया रक्षणं परम्। देहा-लंकारणं वस्त्रमतः शान्ति प्रयच्छ में।। ॐ श्री कृष्णाय नम:। वस्त्रयुग्मं समर्पयामि।
यज्ञोपवीत- इस मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान श्रीकृष्ण को यज्ञोपवीत समर्पित करें।
चंदन: अब श्रीकृष्ण को चंदन अर्पित करते हुए।
गंध: इस मंत्र का उच्चारण करते हुए श्रीकृष्ण को धूप-अगरबत्ती दिखाएं।
दीपक: अब श्रीकृष्ण की मूर्ति को घी का दीपक दिखाएं।
नैवैद्य: अब श्रीकृष्ण को भागे लगाते हुए।
ताम्बूल: अब पान के पत्ते को पलट कर उस पर लौंग-इलायची, सुपारी और कुछ मीठा रखकर ताम्बूल बनाकर श्रीकृष्ण को समर्पित करें।
दक्षिणा: अब अपनी सामर्थ्य के अनुसार श्रीकृष्ण को दक्षिणा या भेंट दें।