भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की कई लीलाओं के बारे में आपने सुना होगा और टीवी पर देखा भी होगा.लेकिन जन्माष्टमी और कृष्ण भगवान के बारे में अपने कुछ हैरान करदेने वाली बात नहीं सुनी होगी,तो चलिए आपको बताते कुछ अद्बुध बाते.
भगवान कृष्ण के कुल 108 नाम हैं, जिनमें गोविंद, गोपाल, घनश्याम, गिरधारी, मोहन, बांके बिहारी, बनवारी, चक्रधर, देवकीनंदन, हरि, और कन्हैया प्रमुख हैं.अपने गुरु संदिपनी को गुरु दक्षिणा देने के लिए भगवान ने उनके मृत बेटे को जीवित कर दिया था.श्रीकृष्ण की कुल 16108 पत्नियां थीं, जिनमें से 8 पटरानी हैं.इन सभी का परिचिए करने के बाद आपको जन्माष्टमी से जुडी कुछ खास बताते है. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लेकर चारों तरफ उत्साह बना हुआ है। लेकिन ज्योतिषाचार्यों की मानें तो इसबार कृष्ण जन्माष्टमी पर ठीक वैसा ही संयोग बना है, जैसा द्वापर युग में कान्हा के जन्म क समय बना था.
इस खास संयोग को कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में आधी रात यानी बारह बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हों, तब श्रीकृष्ण ज
यंती योग बनता है.हम सब के प्यारे नटखट नंदलाल, राधा के श्याम और भक्तों के भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन की तैयारियां पूरे देश में चल रही हैं.
इस बार श्रीकृष्ण की 5245वीं जयंती है. मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद यानी कि भादो माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था. हालांकि इस बार कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami) की तारीख को लेकर लोगों में काफी असमंजस में हैं.
इस बार जन्माष्टमी दो दिन पड़ रही है क्योंकि यह त्योहार 2 सितंबर और सितंबर दोनों ही दिन मनाया जाएगा. वहीं, वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर को है. अब सवाल उठता है कि व्रत किस दिन रखें? जवाब है 2 सितंबर यानी कि पहले दिन वाली जन्माष्टमी (Janmashtami) मंदिरों और ब्राह्मणों के घर पर मनाई जाती है. 3 सितंबर यानी कि दूसरे दिन वाली जन्माष्टमी वैष्णव सम्प्रदाय के लोग मनाते हैं.
जन्माष्टमी पर भक्तों को दिन भर उपवास रखना चाहिए और रात्रि के 11 बजे स्नान आदि से पवित्र हो कर घर के एकांत पवित्र कमरे में, पूर्व दिशा की ओर आम लकड़ी के सिंहासन पर, लाल वस्त्र बिछाकर, उस पर राधा-कृष्ण की तस्वीर स्थापित करना चाहिए, इसके बाद शास्त्रानुसार उन्हें विधि पूर्वक नंदलाल की पूजा करना चाहिए।
मान्यता है कि इस दिन जो श्रद्धा पूर्वक जन्माष्टमी के महात्म्य को पढ़ता और सुनता है, इस लोक में सारे सुखों को भोगकर वैकुण्ठ धाम को जाता है।
जन्माष्टमी की तिथि और शुभ मुहूर्त
इस बार अष्टमी 2 सितंबर की रात 08:47 पर लगेगी और 3 तारीख की शाम 07:20 पर खत्म हो जाएगी.
अष्टमी तिथि प्रारंभ: 2 सितंबर 2018 को रात 08 बजकर 47 मिनट.
अष्टमी तिथि समाप्त: 3 सितंबर 2018 को शाम 07 बजकर 20 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ: 2 सितंबर की रात 8 बजकर 48 मिनट.
रोहिणी नक्षत्र समाप्त: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 5 मिनट.
निशीथ काल पूजन का समय: 2 सितंबर 2018 को रात 11 बजकर 57 मिनट से रात 12 बजकर 48 मिनट तक.
व्रत का पारण: 3 सितंबर की रात 8 बजकर 05 मिनट के बाद.
वैष्णव कृष्ण जन्माष्टमी 3 सितंबर को है और व्रत का पारण अगले दिन यानी कि 4 सितंबर को सूर्योदय से पहले 6:13 पर होगा.
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