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शनिवार, 9 मार्च 2013

शिवपुराण में बताए बिल्वपत्र के ये अचूक उपाय

कम ही लोगों को पता है शिवपुराण में बताए बिल्वपत्र के ये अचूक उपाय

वेद, प्रकृति रूप ईश्वर की अपार महिमा व शक्तियां उजागर करते हैं। धर्मग्रंथों में वेद भगवाव शिव का स्वरूप भी पुकारे गए हैं। यानी प्रकृति का कण-कण शिव रूप ही माना गया है। इसी कड़ी में बिल्व वृक्ष साक्षात शिव का ही रूप माना गया है।
शिवपुराण में तो बिल्ववृक्ष की जड़ में सभी तीर्थस्थान माने गए हैं। इसलिए बिल्ववृक्ष की पूजा शिव उपासना ही मानकर कई देवताओं की पूजा का पुण्य देने वाली मानी गई है। खासतौर पर हिन्दू धर्म परंपराओं में महाशिवरात्रि (10 मार्च) को भगवान शिव की उपासना की शुभ घड़ी में बिल्ववृक्ष पूजा के कई अचूक उपाय सांसारिक जीवन की कई इच्छाओं को पूरा करने वाले माने गए हैं। जानिए शिवपुराण में बताए बिल्ववृक्ष पूजा के ये खास उपाय किन-किन मुरादों को पूरा करते हैं-

- बिल्ववृक्ष के नीचे शिवलिंग पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती है।
- बिल्व की जड़ का जल अपने सिर पर लगाने से उसे सभी तीर्थों की यात्रा का पुण्य पा जाता है।
- गंध, फूल, धतूरे से जो बिल्ववृक्ष की जड़ की पूजा करता है, उसे संतान और सभी सुख मिल जाते हैं।
- बिल्ववृक्ष के बिल्वपत्रों से पूजा करने पर सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं।
- बिल्व की जड़ के पास किसी शिव भक्त को घी सहित अन्न या खीर दान देता है, वह कभी भी धनहीन या दरिद्र नहीं होता। क्योंकि यह श्रीवृक्ष भी पुकारा जाता है। यानी इसमें देवी लक्ष्मी का भी वास होता है।

नाश्ते में थोड़ा सा अंकुरित खाने के कुछ अनोखे फायदे

नाश्ते में थोड़ा सा अंकुरित खाने के कुछ अनोखे फायदे 
 
हेल्थ बनाने के लिए अधिकतर लोग भोजन में सलाद भी शामिल करते हैं क्योंकि माना जाता है कि खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, चुकन्दर, गोभी आदि खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा है। लेकिन अगर पत्तेदार सब्जी व सलाद के साथ ही भोजन में अंकुरित अनाज को शामिल किया जाए तो न सिर्फ यह बहुत फायदेमंद होता है क्योंकि बीजों के अंकुरित होने के बाद इनमें पाया जाने वाला स्टार्च- ग्लूकोज, फ्रक्टोज एवं माल्टोज में बदल जाता है जिससे न सिर्फ इनके स्वाद में वृद्धि होती है बल्कि इनके पाचक एवं पोषक गुणों में भी वृद्धि हो जाती है। वैसे तो अंकुरित दाल व अनाज खाना लाभदायक होता है ये तो सभी जानते हैं लेकिन आज हम बताते हैं इन्हें खाने के कुछ खास फायदे जिन्हें आप शायद ही जानते होंगे.....

- अंकुर उगे हुए गेहूं में विटामिन-ई भरपूर मात्रा में होता है। शरीर की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन-ई एक आवश्यक पोषक तत्व है। यही नहीं, इस तरह के गेहूं के सेवन से त्वचा और बाल भी चमकदार बने रहते हैं। किडनी, ग्रंथियों, तंत्रिका तंत्र की मजबूत तथा नई रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी इससे मदद मिलती है। अंकुरित गेहुं में मौजूद तत्व शरीर से अतिरिक्त वसा का भी शोषण कर लेते हैं।

- अंकुरित भोजन क्लोरोफिल, विटामिन ,कैल्शियम, फास्फोरस, पोटैशियम, मैगनीशियम, आयरन, जैसे खनिजों का अच्छा स्रोत होता है।अंकुरित भोजन से काया कल्प करने वाला अमृत आहार कहा गया है यह शरीर को सुंदर व स्वस्थ बनाता है।

- अंकुरित मूंग, चना, मसूर, मूंगफली के दानें आदि शरीर की शक्ति बढ़ाते हैं।अंकुरित दालें थकान, प्रदूषण व बाहर के खाने से उत्पन्न होने वाले ऐसिड्स को बेअसर कर देतीं हैं और साथ ही ये ऊर्जा के स्तर को भी बढ़ा देती हैं।

- अंकुरित भोजन शरीर का मेटाबॉलिज्म रेट बढ़ता है। यह शरीर में बनने वाले विषैले तत्वों को बेअसर कर, रक्त को शुद्घ करता है। अंकुरित गेहूं के दानों को चबाकर खाने से शरीर की कोशिकाएं शुद्घ होती हैं और इससे नई कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद मिलती है। अंकुरित गेहूं में उपस्थित फाइबर के कारण इसके नियमित सेवन से पाचन क्रिया भी सुचारु रहती है। अत: जिन लोगों को पाचन संबंधी समस्याएं हो उनके लिए भी अंकुरित गेहूं का सेवन फायदेमंद है। अंकुरित खाने में एंटीआक्सीडेंट, विटामिन ए, बी, सी, ई पाया जाता है। इससे कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, आयरन और जिंक मिलता है। रेशे से भरपूर अंकुरित अनाज पाचन तंत्र को सुदृढ बनाते हैं।

- अंकुरित भोज्य पदार्थ में मौजूद विटामिन और प्रोटीन होते हैं तो शरीर को फिट रखते हैं और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत बनाता है।

गाय का मतलब भारतीय नस्ल की गौ माँ के घी का सेवन करने से केन्सर जैसे रोग को ठीक करने मे बहुत सहायता मिलती है

गाय का मतलब भारतीय नस्ल की गौ माँ

-गौ माँ का घी खाने वाले लो जीवन मे कभी भी कोई रोग नहीं हो सकता है

गौ माँ के घी का सेवन करने से केन्सर जैसे रोग को ठीक करने मे बहुत सहायता मिलती है

गर्भवती माँ को गौ माँ का घी अवश्य खाना चाहिए इससे गर्भ मे पल रहा शिशु बलवान ,पुष्ट और बुद्धिमान होता है
माँ ,बहिनो को यदि गौ माँ का घी नियमित दिया जाये तो उनके शरीर मे होने वाली सारी समस्याए नष्ट हो जाती है


इसलिए गाय के घी को अमृत कहा गया है। जो जवानी को कायम रखते हुए, बुढ़ापे को दूर रखता है। काली गाय का घी खाने से बूढ़ा व्यक्ति भी जवान जैसा हो जाता है
। गाय के घी से बेहतर कोई दूसरी चीज नहीं है।
गाय का घी और चावल की आहुती डालने से महत्वपूर्ण गैसे जैसे – एथिलीन ऑक्साइड,प्रोपिलीन
ऑक्साइड,फॉर्मल्डीहाइड आदि उत्पन्न होती हैं । इथिलीन ऑक्साइड गैस आजकल सबसे अधिक प्रयुक्त होनेवाली जीवाणुरोधक गैस है,जो शल्य-चिकित्सा (ऑपरेशन थियेटर) से लेकर जीवनरक्षक औषधियाँ बनाने तक में उपयोगी हैं । वैज्ञानिक प्रोपिलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षो का आधार मानते है । आयुर्वेद विशेषज्ञो के अनुसार अनिद्रा का रोगी शाम को दोनों नथुनो में गाय के घी की दो – दो बूंद डाले और रात को नाभि और पैर के तलुओ में गौघृत लगाकर लेट जाय तो उसे प्रगाढ़ निद्रा आ जायेगी ।

गौघृत में मनुष्य – शरीर में पहुंचे रेडियोधर्मी विकिरणों का दुष्प्रभाव नष्ट करने की असीम छमता हैं । अग्नि में गाय का घी कि आहुति देने से उसका धुआँ जहाँ तक फैलता है,वहाँ तक का  सारा वातावरण प्रदूषण और आण्विक विकरणों से मुक्त हो जाता हैं । सबसे आश्चर्यजनक बात तो  यह है कि एक चम्मच गौघृत को अग्नि में डालने से एक टन प्राणवायु (ऑक्सीजन) बनती हैं जो अन्य किसी भी उपाय से संभव नहीं हैं ।


दो बूंद देसी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ढीक होता है।

सिर दर्द होने पर शरीर में गर्मी लगती हो, तो गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करे, सर दर्द ठीक हो जायेगा।

नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तारो ताजा हो जाता है।

गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।

हाथ पाव मे जलन होने पर गाय के घी को तलवो में मालिश करें जलन ढीक होता है।

20-25 ग्राम घी व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांझे का नशा कम हो जाता है।

फफोलो पर गाय का देसी घी लगाने से आराम मिलता है।

गाय के घी की झाती पर मालिश करने से बच्चो के बलगम को बहार निकालने मे सहायक होता है।

सांप के काटने पर 100 -150 ग्राम घी पिलायें उपर से जितना गुनगुना पानी पिला सके पिलायें जिससे उलटी और दस्त तो लगेंगे ही लेकिन सांप का विष कम हो जायेगा।

अगर अधिक कमजोरी लगे, तो एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पी लें।

गाय के घी का नियमित सेवन करने से एसिडिटी व कब्ज की शिकायत कम हो जाती है।

जिस व्यक्ति को हार्ट अटैक की तकलीफ है और चिकनाइ खाने की मना ही है तो गाय का घी खाएं, हर्दय मज़बूत होता है।

यह स्मरण रहे कि गाय के घी के सेवन से कॉलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ताहै। वजन संतुलित होता है यानी के कमजोर व्यक्ति का वजन बढ़ता है, मोटे व्यक्ति का मोटापा (वजन) कम होता है।

गाय के घी से बल और वीर्य बढ़ता है और शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।

देसी गाय के घी में कैंसर से लड़ने की अचूक क्षमता होती है। इसके सेवन से स्तन तथा आंत के खतरनाक कैंसर से बचा जा सकता है।

गाय का घी न सिर्फ कैंसर को पैदा होने से रोकता है और इस बीमारी के फैलने को भी आश्चर्यजनक ढंग से रोकता है।

गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है।

गाय का घी नाक में डालने से कोमा से बहार निकल कर चेतना वापस लोट आती है।

गाय का घी नाक में डालने से लकवा का रोग में भी उपचार होता है।

गाय का घी नाक में डालने से बाल झडना समाप्त होकर नए बाल भी आने लगते है।

गाय का घी नाक में डालने से कान का पर्दा बिना ओपरेशन के ठीक हो जाता है

गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।

विशेष :-स्वस्थ व्यक्ति भी हर रोज नियमित रूप से सोने से पहले दोनों नशिकाओं में हल्का गर्म (गुनगुना ) देसी गाय का घी डालिए,गहरी नींद आएगी, खराटे बंद होंगे और अनेको अनेक बीमारियों से छुटकारा भी मिलेगा।

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