*हर एक लाइन पर गौर करने की जरूरत है*
चर्चों से चिठ्ठी निकल पड़ी,
मस्जिद का फतवा बोल रहा।
यदि मंदिर अब खामोश रहे,
समझो फिर खतरा डोल रहा।
वो देश चलाएं फतवे से,
तुम तेल सूंघते रहना।
जब घर में घुसकर मारेंगे,
तब हाथ रगड़ते रहना।
वो काल-खण्ड हम याद करें,
जब बटे हुए थे जाति में।
पराधीन यह देश हुआ,
व घाव मिला था छाती में।
हिन्दू विघटन के कारण ही,
परतन्त्र रहे हम सदियों तक।
अगर अभी न हम चेते,
फिर करो तैयारी जन्मों तक।
परिदृश्य वही फिर आज यहां,
सबको मिलकर चलना होगा।
नहीं जातिवाद, अब राष्ट्रवाद,
की धारा में ही बहना होगा।
एकत्र हो रहे फ्यूज बल्ब,
सूरज को दिया दिखाने को।
नहीं हैं दाने जिनके घर,
वो अम्मा चली भुनाने को।
हुंकार भरें जब एक अरब,
सारी दुनियाँ हिल जाएगी।
चोरों की गठबंधन नीती,
सब धरी पड़ी रह जाएगी।
हम लाखों वीर शहीदों का,
अपमान नहीं कर सकते हैं।
हो उनके सपनों का भारत,
संकल्प तो हम कर सकते हैं।
धन्य देश की है जनता,
सरकार बनाई मोदी की।
औलादें बाहर निकल रहीं,
बाबर खिलजी व लोधी की।
है पीएम की बारात बड़ी,
फिर दूल्हा किसे बनाएंगे।
वो अभी वोट लेकर सबका,
सन अस्सी को दोहराएंगे।
देश की सत्ता गद्दारों को,
नहीं सौंपने अब दूंगा।
मेरे तन में शक्ती जितनी,
सब कुछ अर्पण मैं कर दूंगा।
गठबंधन जाली टोपी का,
सड़कों पर रौंदा जाएगा।
चुनाव तो आने दो मित्रों,
फिर घर-घर भगवा छाएगा।
दी आज चुनौती है उनको,
जो चले हैं देश मिटाने को।
हम भी कट्टर हिन्दू ठहरे,
हिन्दू को चले जगाने को।
वो आग से लड़ने है निकला,
अंगारों से अब डरना क्या।
वो शेर है भारत माता का,
गद्दारों से अब डरना क्या।
गठबंधन करके सारे दल,
देश को दलदल कर देंगे।
जो भरा खजाना मोदी ने,
वो लूट के खाली कर देंगे।
है देश तुम्हारे हाथों में,
निज भाग्य तुम्हारे हाथों में।
अब देश की भावी पीढ़ी का,
निर्माण तुम्हारे हाथों में।
चहुँ ओर से फतवा निकल रहा,
क्या अपनी हंसी कराओगे।
बन जाएंगे गीदड़ एक अरब,
क्या फतवा सरकार बनाओगे।
अब बड़ी चुनौती चुनाव की,
मिलकर विजयी होना होगा।
नव स्वर्णिम भारत के खातिर,
फिर से मोदी लाना होगा