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रविवार, 11 अक्तूबर 2020

खेती-किसानी की कहावतें ...जो बताती हैं कि किसान को कब क्या करना चाहिए


*खेती किसानी*
हजार साल के अनुभव के बाद एक कहावत बनती है 🌱🥦🌲🌴🌳

🌎 खेती-किसानी की कहावतें ...
जो बताती हैं कि किसान को कब क्या करना चाहिएa -

भारत गाँवों का देश है, यहां अच्छी फसल की पैदावार यहां के लोगों का सौभाग्य है और फसल नष्ट होना मौत के समान है। इसलिए यहां लोग अच्छी फसल की कामना करते हैं। इस बारे में लोक का अनुभव ही उसकी ज्ञान सम्पदा है। अनुभवी लोग इस बारे में जो कहते आए हैं, वह 'कहावत' के रूप में मान्य है। समान अनुभव से कही गई इन कहावतों के अधिकतर सूत्र सार्वभौमिक सत्य (Universal truth) होते हैं।

इन कहावतों में खेती को आजीविका का सर्वश्रेष्ठ साधन माना गया है। खेती-किसानी करने वाले को खूब मेहनत करने की सलाह दी जाती है, आलस्य न होना उसका पहला धर्म माना गया है। लोक ज्योतिष वर्षा को बहुत मान्यता देता है, कब किस ग्रह-नक्षत्र में क्या किया जाए कि अच्छी फसल हो, नुकसान (बरबादी) न हो! ये सब कहावतों में वताया गया है, तो आइये हम आपको ऐसी ही कुछ कहावतों से आपको रूबरू करवाते हैं।

*उत्तम खेती मध्यम बान। अधम चाकरी भीख निदान॥*
अर्थ - सर्वश्रेष्ठ व्यवसाय खेती (कृषि) है। मध्यम कोटि का व्यवसाय वाणिज्य (व्यापार) है। नौकरी अधम है। किन्तु भीख मांगना सबसे निकृष्ट (निचले स्तर) कोटि का है।

*भूमि न भुमियां छोडि़ये, बड़ौ भूमि कौ वास। भूमि बिहीनी बेल जो, पल में होत बिनास॥*
अर्थ - अपनी जमीन (आधार) नहीं छोड़नी चाहिये। भूमि पर वास का अपना बड़प्पन है। भूमि छोड़ देने वाली बेल का कुछ ही क्षणों में नाश हो जाता है।

*खेती उत्तम काज है, इहि सम और न होय। खाबे कों सबकों मिलै, खेती कीजे सोय॥*
अर्थ - कृषि उत्तम कार्य है, इसके बराबर और कोई कार्य नहीं है। यह सबको भोजन देती है इसलिये खेती करनी चाहिये।

*असाड़ साउन करी गमतरी, कातिक खाये, पुआ। मांय बहिनियां पूछन लागे, कातिक कित्ता हुआ॥*
अर्थ - आषाढ़ और सावन माह में जो गाँव-गाँव में घूमते रहे तथा कार्तिक में पुआ खाते रहे (मौज उड़ाते रहे) वह माँ, बहिनों से पूछते हैं कि कार्तिक की फसल में कितना (अनाज) पैदा हुआ। अर्थात् जो खेती में व्यक्तिगत रुचि नहीं लेते हैं उन्हें कुछ प्राप्त नहीं होता है।

*उत्तम खेती आप सेती, मध्यम खेती भाई सेती। निक्कट खेती नौकर सेती, बिगड़ गई तो बलाय सेती॥*
अर्थ - उत्तम खेती वह है जो स्वयं की जाय (स्वयं द्वारा सेवित हो), मध्यम खेती वह है जो भाई देखे, निकृष्ट खेती वह है जिसे नौकर देखें। जो बला की तरह की जाय वह खेती बिल्कुल बिगड़ जाती है।

*नित्तई खेती दूजै गाय, जो ना देखै ऊ की जाय। खेती करै रात घर सोवै, काटै चोर मूंड़ धर रोवै॥*
अर्थ - नित्य ही खेती और गाय को जो स्वयं नहीं देखते हैं उसकी (खेती या गाय) चली जाती है। जो खेती करके रात्रि में घर पर सोते हैं- उनकी खेती चोर काट ले जाते हैं, और वह सिर पीटकर रोते हैं अर्थात् कृषि कार्य और गौ सेवा स्वयं करनी चाहिये, दूसरों के भरोसे नहीं।

*कच्चौ खेत न जोतै कोई। नईं तो बीज न अंकुरा होई॥*
अर्थ - कच्चा खेत किसी को नहीं जोतना चाहिये नहीं तो बीज अंकुरित नहीं होता है। कच्चे खेत से तात्पर्य फसल बोने के पूर्व की गयी तैयारी जैसे जोतना, गोड़ना, खाद मिलाने आदि मृदा-संस्कार से है।

*जरयाने उर कांस में, खेत करौ जिन कोय। बैला दोऊ बैंच कें, करो नौकरी सोय॥*
अर्थ - कंटीली झाडि़यों और कांस से युक्त खेत में खेती नहीं करनी चाहिये अन्यथा उससे क्षति होगी। इससे बेहतर है कि दोनों बैल बेचकर नौकरी करें और निश्चिन्त होकर सोवें।

*अक्का कोदों नीम बन, अम्मा मौरें धान। राय करोंदा जूनरी, उपजै अमित प्रमान॥*
अर्थ - जिस वर्ष अकौआ, कोदों, नीम, कपास, और आम अधिक फूलें उस वर्ष धान राय करोंदा तथा ज्वार अधिक मात्रा में पैदा होते हैं।


*आलू बोबै अंधेरे पाख, खेत में डारे कूरा राख। समय समय पै करे सिंचाई, तब आलू उपजे मन भाई॥*
अर्थ - आलू कृष्ण पक्ष में बोना चाहिये, खेत में कूड़ा, राख की खाद डालकर सिंचाई करनी चाहिये तब आलू भारी मात्रा में पैदा होता है।

*गेंवड़े खेती, मेंड़ें महुआ। ऐसौ है तो कौन रखउआ॥*
अर्थ - गाँव के निकट खेती और सीमा पर फलदार वृक्ष नहीं लगाने चाहिये। ऐसा करने पर रखवाली कौन करेगा? अर्थात् कोई नहीं।

*हरिन फलांगन काकरी, पेंग, पेंग कपास। जाय कहौ किसान सें, बोबै घनी उखार॥*
अर्थ - हिरण की छलांग की दूरी पर ककड़ी बोनी चाहिये, किन्तु कपास कदम-कदम की दूरी पर बोना चाहिये। ऊख (गन्ना) को घना बोना चाहिये। ऐसा किसान से जाकर कहना।

*कातिक मास, रात हर जोतौ। टांग पसारें, घर मत सूतौ॥*
अर्थ - कार्तिक के मास में खेत तैयार करने के लिये रात्रि में भी हल जोतना चाहिये।( जुताई का समर्थन ये ग्रुप नही करता)(उन दिनों) घर में टांग पसारकर नहीं सोना चाहिये। अर्थात् रात-दिन का परिश्रम अपेक्षित हैं।

*उत्तर उत्तर दैं गयी, हस्तगओ मुख मोरि। भली बिचारी चित्रा, परजा लइ बहोरि॥*
अर्थ - उत्तरा और हस्त नक्षत्रों में वर्षा न होने से कृषि कार्य होने में बाधा रही उन्हें चित्रा ही भली लगती है जिसके बरसने से खेती संभल गयी और प्रजा बच गयी।


*चित्रा बरसें तीन भये, गोंऊसक्कर मांस। चित्रा बरसें तीन गये, कोदों तिली कपास॥*
अर्थ - चित्रा नक्षत्र में बर्षा होने से कोदों, तिली तथा कपास की फसल नष्ट हो जाती है। किन्तु गेहूं, गन्ना, दाल और में वृद्घि होती है।

*चैत चमक्कै बीजली, बरसै सुदि बैसाख। जेठै सूरज जो तपैं, निश्चै वरसा भाख॥*
अर्थ - चैत्र में बिजली चमके, बैशाख के शुक्ल पक्ष में पानी बरसे तथा ज्येष्ठ में सूरज की गर्मी अधिक हो तो निश्चय ही अच्छी बरसात होगी।

*चौदस पूनों जेठ की बर्षा बरसें जोय। चौमासौ बरसै नहीं नदियन नीर न होय॥*
अर्थ - ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तथा पूर्णिमा को यदि पानी बरसे तो बरसात में पानी नहीं बरसेगा तथा नदियों में पानी नहीं होगा।

*मघा पूर्वा लागी जोर, उर्द मूँग सब धरो बहोर। बऊत बनै तो बैयो, नातर बरा-बरीं कर खैयो॥*
अर्थ - मघा तथा पूर्वा नक्षत्र में अधिक वर्षा होने पर कृषि का नाश हो जाता है, ऐसी स्थिति में उड़द तथा मूंग सब हिफाजत से रख लेना चाहिये। बोते बन सके तो बोना, अन्यथा इन्हीं उड़द मूंग की बड़ी-बरा खाकर संतोष कर लेना-क्योंकि अन्य उपज की आशा नहीं है।

*माघ मास में हिम परै बिजली चमके जोय। जगत सुखी निश्चय रहै वृष्टि घनेरी होय॥*
अर्थ - माघ मास में बिजली चमके और ओले पड़ें तो घनी बर्षा होगी तथा समस्त संसार सुखी रहेगा।

*सावन में पुरवैया, भादों में पछयाव। हरंवारे हर छांड़कें लरका जाय जिबाव॥*
अर्थ - सावन में पूर्व की ओर से (पुरवाई) हवा चले तथा भादों में पश्चिम की ओर से (पछुआ) हवा चले तो अकाल पड़ने की सम्भावना होती है तब किसानों हल छोड़कर बच्चे जीवित रखने का अन्य साधन तलाशना चाहिए।

*सांझें धनुष सकारें मोरा। जे दोनों पानी के बौरा॥*
अर्थ - शाम को इन्द्रधनुष का दिखाई देना और प्रात: काल मोर का नाचना- दोनों पानी बरसने के संकेत हैं।

*सोम, शुक्र, गुरुवार कों फूस अमावस होय। घर-घर बजें बधाइयां, दुखी न दीखै कोय॥*
अर्थ - यदि पौष माह की अमावस्या, सोमवार गुरुवार या शुक्रवार को हो, तो सुकाल आयेगा, कोई दीन दुखी नहीं होगा और घर-घर बधाइयां बजेगी.

चाइनीज़ फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें का जाल फैला हुआ है।


यह सच्ची घटना एक परिचित के साथ घटी थी, जो
उन्होंने बाद में सुनाया था। जब गृह प्रवेश के वक्त मित्रों ने नए घर की ख़ुशी में उपहार भेंट किए थे। अगली सुबह जब उन्हेंने उपहारों को खोलना शुरू किया तो उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं था!

  एक दो उपहारों को छोड़कर बाकी सभी में लाफिंग-बुद्धा, फेंगशुई-पिरामिड, चाइनीज़-ड्रेगन, कछुआ, फेंगसुई-सिक्के, तीन टांगों वाला मेंढक और हाथ हिलाती हुई बिल्ली जैसी अटपटी वस्तुएं दी गई थी।
 जिज्ञासावश उन्होंने इन उपहारों के साथ आए कागजों को पढ़ना शुरू किया जिसमें इन चाइनीज़ फेंगशुई के मॉडलों का मुख्य काम और उसे रखने की दिशा के बारे में बताया गया था। जैसे लाफिंग बुद्धा का काम घर में धन, दौलत, अनाज और प्रसन्नता लाना था और उसे दरवाजे की ओर मुख करके रखना पड़ता था। कछुआ पानी में डूबा कर रखने से कर्ज से मुक्ति, सिक्के वाला तीन टांगों वाला मेंढक रखने से धन का प्रभाव, चाइनीज ड्रैगन को कमरे में रखने से रोगों से मुक्ति, विंडचाइम लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह, प्लास्टिक के पिरामिड लगाने से वास्तुदोषों से मुक्ति, चाइनीज सिक्के बटुए में रखने से सौभाग्य में वृद्धि होगी ऐसा लिखा था।
यह सब पढ़ कर वह हैरान हो गया क्योंकि यह उपहार उन दोस्तों ने दिए थे जो पेशे से इंजीनियर, डॉक्टर और वकील जैसे पदों पर काम कर रहे थे। हद तो तब हो गई जब डॉक्टर मित्र ने रोग भगाने वाला और आयु बढ़ाने वाला चाइनीज ड्रैगन गिफ्ट किया! जिसमें लिखा था “आपके और आपके परिवार के सुखद स्वास्थ्य का अचूक उपाय”! 
    इन फेंगशुई उपहारों में एक प्लास्टिक की सुनहरी बिल्ली भी थी जिसमें बैटरी लगाने के बाद, उसका एक हाथ किसी को बुलाने की मुद्रा में आगे पीछे हिलता रहता था। कमाल तो यह था कि उसके साथ आए कागज में लिखा था “ मुबारक हो, सुनहरी बिल्ली के माध्यम से अपनी रूठी किस्मत को वापस बुलाने के लिए इसे अपने घर, कार्यालय अथवा दुकान के उत्तर-पूर्व में रखिए!”
उन्होंने इंटरनेट खोलकर फेंगशुई के बारे में और पता लगाया तो कई रोचक बातें सामने आई। ओह! जब गौर किया तो 'चीनीआकमण का यह गम्भीर पहलू समझ में आया।
   दुनिया के अनेक देशों में कहीं न कहीं फेंगशुई का जाल फैला हुआ है। इसकी मार्केटिंग का तंत्र इंटरनेट पर मौजूद हजारों वेबसाइट के अलावा, TV कार्यक्रमों, न्यूज़ पेपर्स, और पत्रिकाओं तक के माध्यम से चलता है। मजहबी बनावट के कारण अमूमन मुस्लिम उसके शिकार नही होते। यानी इस हथियार का असल शिकार कौन है? आप समझ सकते हैं। चीनी इस फेंगसुई का इस्तेमाल किसी बाजार में प्रारंम्भिक घुसपैठ के लिए करते हैं।

अनुमानत: भारत में ही केवल इस का कारोबार लगभग 200 करोड रुपए से अधिक का है। उसी के सहारे धीरे-धीरे भारत के उत्पाद मार्केट पर चीनी उत्पादों ने पचास प्रतिशत तक कब्ज़ा लिया है। किसी छोटे शहर की गिफ्ट शॉप से लेकर सुपर माल्स तक चीनी प्रोडक्ट्स आपको हर जगह मिल जाएंगे....वह छा गये है। उन्होंने स्थानीय उत्पादों को लगभग समाप्त कर दिया है। चाइनीज उत्पादों का आक्रामक माल, भारत सहित दुनिया के अलग-अलग देशों में इस कदर बेचा जाता है कि दूसरों की मौलिक अर्थ-व्यवस्था तबाह हो जाती है। सस्ता और बड़ी मात्रा में होना उसका पैंतरा है यानी रणनीति।
 यहां मैं भारत-चीन सीमा संघर्ष, हमसे शत्रुता, उसके इतिहास, तिब्बत को हड़पना, पाकपरस्ती और आतंक को समर्थन, उसकी मिसाइल पालिसी, मक्कारिया आदि नही लिखूंगा जो समझदार है वे खुद समझ जाएंगे।

  अब आते हैं उसके जादुई हथियार पर जो जेहन का शिकार करती है !!!
    चीन में फेंग का अर्थ होता है ‘वायु’ और शुई का अर्थ है ‘जल’ अर्थात फेंगशुई का कोई मतलब है जलवायु। इसका आपके सौभाग्य, स्वास्थ्य और मुकदमे में हार जीत से क्या संबंध है? आप खुद ही समझ सकते हैं. 

  सांस्कृतिक और ऐतिहासिक परिपेक्ष्य से भी देखा जाए तो कौन सा भारतीय अपने घर में आग उगलने वाली चाइनीज छिपकली यानी dragon को देख कर प्रसन्नता महसूस कर सकता है? किसी जमाने में जिस बिल्ली को अशुभ मानकर रास्ते पर लोग रुक जाया करते थे; उसी बिल्ली के सुनहरे पुतले को घर में सजाकर सौभाग्य की मिन्नतें करना महामूर्खता नहीं तो और क्या है?

अब जरा सर्वाधिक लोकप्रिय फेंगशुई उपहार लाफिंगबुद्धा की बात करें- धन की टोकरी उठाए, मोटे पेट वाला गोल मटोल सुनहरे रंग का पुतला- क्या सच में महात्माबुद्ध है? किसी तरह वह बुध्द सा सौम्य,शांत और सुडौल दीखता है??

 क्या बुद्ध ने अपने किसी प्रवचन में कहीं यह बताया था कि मेरी इस प्रकार की मूर्ति को अपने घर में रखो और मैं तुम्हें सौभाग्य और धन दूंगा? उन्होंने तो सत्य की खोज के लिए स्वयं अपना धन और राजपाट त्याग दिया था।
एक बेजान चाइनीज पुतले ( लाफिंगबुद्धा) को हमने तुलसी के बिरवे से ज्यादा बढ़कर मान लिया और तुलसी जैसी रोग मिटाने वाली सदा प्राणवायु देने वाली और हमारी संस्कृति की याद दिलाने वाली प्रकृति के सुंदर देन को अपने घरों से निकालकर, हमने लाफिंग बुद्धा को स्थापित कर दिया और अब उससे सकारात्मकता और सौभाग्य की उम्मीद कर रहे हैं? क्या यही हमारी तरक्की है?

अब तो दुकानदार भी अपनी दुकान का शटर खोलकर सबसे पहले लाफिंग बुद्धा को नमस्कार करते हैं और कभी-कभी तो अगरबत्ती भी लगाते हैं!
फेंगसुई की दुनिया का एक और लोकप्रिय मॉडल है चीनी देवता फुक, लुक और साऊ। फुक को समृद्धि, लुक को यश-मान-प्रतिष्ठा और साउ को दीर्घायु का देवता कहा जाता है। फेंगशुई ने बताया और हम अंधभक्तों ने अपने घरों में इन मूर्तियों को लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि इंटरनेट पर मिलने वाली इन मूर्तियों की कीमत भारत में ₹200 से लेकर ₹15000 तक है, मसलन  जैसी जेब- वैसी मूर्ति और उसी हिसाब से सौभाग्य का भी हिसाब-किताब सेट है।

 क्या आप अपनी लोककथाओं और कहानियों में इन तीनों देवताओं का कोई उल्लेख पाते हैं?  क्या भारत में फैले 33 कोटि देवी देवताओं से हमारा मन भर गया कि अब इन चाइनीज देवताओं को भी घर में स्थापित किया जा रहा है? 
 जरा सोचिए कि किसी कम्युनिस्ट चीन के बूढ़े देवता की मूर्ति घर में रखने से हमारी आयु कैसे ज्यादा हो सकती है?  क्या इतना सरल तरीका विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिकों को अब तक समझ में नहीं आया था?

इसी तरह का एक और फेंगशुई प्रोडक्ट है तीन चाइनीज सिक्के जो लाल रिबन से बंधे होते हैं, फेंगशुई के मुताबिक रिबिन का लाल रंग इन सिक्कों की ऊर्जा को सक्रिय कर देता है और इन सिक्कों से निकली यांग(Yang) ऊर्जा आप के भाग्य को सक्रिय कर देती है। दुकानदारों का कहना है कि इन सिक्कों पर धन के चाइनीज मंत्र भी खुदे होते हैं लेकिन जब मैंने उनसे इन चाइनीज अक्षरों को पढ़ने के लिए कहा तो ना वे इन्हें पढ़ सके और नहीं इनका अर्थ समझा सके?
 मेरा पूछना है कि क्या चीन में गरीब लोग नहीं रहते? क्यों चीनी क्म्यूनिष्ट खुद हर नागरिक के बटुवे में यह सिक्के रखवा कर अपनी गरीबी दूर नहीं कर लेती? हमारे देश के रुपयों से हम इन बेकार के चाइनीससिक्के खरीद कर न सिर्फ अपना और अपने देश का पैसा हमारे शत्रु मुल्क को भेज रहे हैं बल्कि अपने कमजोर और गिरे हुए आत्मविश्वास का भी परिचय दे रहे हैं।
   फेंगशुई के बाजार में एक और गजब का प्रोडक्ट है  तीनटांगोंवालामेंढक जिसके मुंह में एक चीनी सिक्का होता है। फेंगशुई के मुताबिक उसे अपने घर में धन को आकर्षित करने के लिए रखना अत्यंत शुभ होता है। जब मैंने इस मेंढक को पहली बार देखा तो सोचा कि जो देखने में इतना भद्दा लग रहा है वह मेरे घर में सौभाग्य कैसे लाएगा?

मेंढक का चौथा पैर काट कर उसे तीन टांग वाला बनाकर शुभ मानना किस सिरफिरे की कल्पना है?
क्या किसी मेंढक के मुंह में सिक्का रखकर घर में धन की बारिश हो सकती है? 
संसार के किसी भी जीव विज्ञान के शास्त्र में ऐसे तीन टांग वाले ओर सिक्का खाने वाले मेंढक का उल्लेख क्यों नहीं है?

   कम्युनिष्ट चाइना ने इसी तरह के आक्रामक रणनीति के सहारे धीरे-धीरे भारतीय अर्थ-व्यवस्था पर लगभग कब्ज़ा लिया है। उनके इस हथियार से देश के हजारों छोटे कारीगर, लघु उद्यमी, स्थानीय व्यापार, छोटे-कल कारखाने नष्ट हो चुके है। सब वस्तुएं China से बनकर आ रही हैं।

वह वस्तुएं भी जिन्हें बनाने में हजारों सालो से हमारे कारीगर निपुण थे। केवल कुम्हार, बढ़ई, लुहार, कर्मकार आदि 2 करोड़ से अधिक जनसँख्या वाली जातियां थे। वे बेकारी के शिकार हो रहे हैं। आप लिस्टिंग करें। ऐसे हजारों काम-व्यापार दिखेगा जिसे चीन ने अपने छोटे-सस्ते उत्पादों को पाट कर नष्ट करके कब्ज़ा लिया।

हम केवल एक बिचौलिए विक्रेता की भूमिका में ही रह गये हैं।
 बहुत दिमाग लगाकर समझिये अब युद्द के हथियार वह नही होते हैं जो पारपंरिक थे। अब पूरी योजना से शत्रु  के पास जाकर उसके दिमाग को ग्रिप में लेना पड़ता है। यह फेंग-शुई भी उसी दिमागी खेल का हिस्सा है, जो हमारे हजारों साल के अध्यात्मिक ज्ञान को कमजोर करने के लिए भेजा गया है। कम्युनिष्टों ने उसे गोरिल्ला रणनीति की तरह अपनाया है।

  अपनी वैज्ञानिक सोच को जागृत करना और इनसे पीछा छुड़ाना अत्यंत आवश्यक है। आप भी अपने आसपास गौर कीजिए आपको कहीं ना कहीं इस फेंगशुई की जहरीली और अंधविश्वास को बढ़ावा देती चीजें अवश्य ही मिल जाएगी। अब जरा इस पर गौर फरमाएं!!  आपने किसी प्रगतिशीलतावादी क्म्युनिष्ट को इनकी बुराई करते देखा है??

दिन भर टीवी पर हिन्दू विश्वासों का "मखौल उड़ाने वालो सो-काल्ड को आपने कभी इस चाइनीजकम्यूनिष्ट अंध-विश्वास के खिलाफ बोलते सुना है???
समय रहते स्वयं को अपने परिवार को और अपने मित्रों को इस अंधेकुएं से निकालकर अपने देश की मूल्यवान मुद्रा को कम्युनिष्ट चाइना के फैलाए षड्यंत्र की बलि चढ़ने से बचाइए।
मस्तिष्क का इस्तेमाल बढाइये....हथियार पहचानिए......!
ऐसी बेहूदा वस्तुओं को आज ही अपने घर से बाहर फेंकिए

ॐ नमो: नारायण!
🙏जय हिंद जय भारत 🙏🇮🇳

मोदी जो कर रहा है इस तेजी से किसी देश का प्रधानमंत्री नही कर सकता। Pushp...



पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने इस वीडियो के माध्यम से यह भारत की युवाओं को संदेश देते हुए अपने विचारों को भारत की समस्त युवाओं के साथ शेयर किया है। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ के विचारों के बारे में आप क्या सोचते हैं अपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हैं और इस वीडियो को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर कर सकते हैं और हमारे यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करके हमारा मनोबल बढ़ा सकते हैं। इस वीडियो को लाइक शेयर करना ना भूले
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जनरल जीडी बख्शी: हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा प्रोपोगेंडा का हुआ खुलासा - Gen...




भारतमाता के लिए मर मिटना मंजूर है मुझे
अखंड हिन्द बनाने का जूनून है मुझे

जनरल जीडी बख्शी द्वारा हिन्दुस्तान का सबसे बड़ा प्रोपोगेंडा का हुआ खुलासा - General GD Bakshi Latest Speech - पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ | Pushpendra Kulshrestha Latest Speech

General GD Bakshi जी ने इस वीडियो में कई असामाजिक तत्वों के बारे में बात की है जो हमारे सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों को इफेक्ट करती है। इसके अलावा General GD Bakshi जी ने कई अन्य मुद्दों पर भी बात की है जिसे आज के सभी युवा को जानने तथा समझने की अत्यंत आवश्यकता है। आप इस वीडियो के बारे में क्या सोचते हैं अपने विचार नीचे कमेंट के माध्यम से हमारे साथ शेयर कर सकते हैं और अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने के लिए आप इस वीडियो को अपने परिवार तथा सभी दोस्तों के साथ शेयर करें एवंम आप अपने सभी सोशल मीडिया पर भी इस वीडियो को सांझा कर सकते हैं।




NOTE: All copyrights go to their respective owners.

इस वीडियो का पूरा श्रेय श्री पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी पूर्व रॉ अधिकारी ले कर्नल आर एस एन सिंह जी मेजर जनरल जी डी बक्शी जी श्री सुशील पंडित जी श्री तुफैल चतुर्वेदी जी श्री ललित अंबरदार जी श्री गौरव आर्य जी श्री ओम नरेश यादव जी और उनके साथ उनकी पूरी टीम को जाता है जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किए हुए अनवरत कार्यरत हैं।

पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ जी और उनकी टीम का एकमात्र ऑफिसियल चैनल "PUBLIC 24x7" है जिसपर आप उनके सभी फुल लेंथ स्पीच सुन सकते हैं।

SOURCE and CREDIT of these videos:-
CREDIT GOES to following channel and foundation
"PUBLIC 24x7"
https://www.youtube.com/channel/UC1hH...

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