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रविवार, 29 जनवरी 2023

अंग्रेजी भाषा का प्रयोग करते समय कौन सी चीज़ें एक हिन्दू द्वारा ध्यान में रखनी चाहिए?

 

"भगवान का डर" शब्द का प्रयोग बंद करें।

- हिंदू कभी भगवान से नहीं डरते। हमारे लिए, ईश्वर हर जगह है और हम ईश्वर के अभिन्न अंग भी हैं। भगवान डरने के लिए एक अलग इकाई नहीं है।

किसी की मृत्यु होने पर कृपया व्यर्थ शब्द "RIP" (रेस्ट इन पीस) का उपयोग न करें।

- रेस्ट इन पीस मतलब शांति से आराम करें। "ओम शांति", "सद्गति / वैकुंठ / शिवलोक स्तुतिरास्तु" या "मैं कामना करता हूं कि आपकी आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति हो" का उपयोग करें। हिंदू धर्म में न तो आत्मा " मृत्यु" की अवधारणा है और न ही इसके "आराम" की। शब्द "आत्म" और "जीव" एक तरह से "आत्मा" शब्द के लिए विलोम हैं।

कृपया ऐतिहासिक महाकाव्य (इतिहस) रामायण और महाभारत के लिए शब्द "MYTHOLOGY" का उपयोग न करें।

राम और कृष्ण ऐतिहासिक नायक हैं, न कि पौराणिक चरित्र।

कृपया मूर्तिपूजा के बारे में संकोच न करे और ऐसा तो कभी मत कहिये "अरे, ये तो सिर्फ प्रतीकात्मक है"।

- सभी धर्मों के प्रकार या रूपों में मूर्ति पूजा है। जैसे क्रॉस, शब्द, अक्षर (सुलेख) या दिशा। जब हम अपने देवताओं की मूर्तियों का उल्लेख करते हैं, तो ’मूर्तियों ’ या ’छवियों’ शब्दों का उपयोग करना बंद कर दें। 'मूर्ति' या 'विग्रह' शब्दों का प्रयोग करें। यदि कर्म, योग, गुरु और मंत्र जैसे शब्द मुख्यधारा में हो सकते हैं, तो मूर्ति या विग्रह क्यों नहीं?

भगवान श्री गणेश और श्री हनुमान को क्रमश: "हाथीओ के भगवान" और "वानर भगवान" के रूप में न बताएं।

- आप बस श्री गणेश और श्री हनुमान लिख सकते हैं।

कृपया अपने मंदिरो को प्रेयर हॉल या प्राथनालय ना कहे।

- मंदिर "देवालय" (ईश्वर का निवास स्थान) हैं न कि "प्राथनालय" (प्रार्थना कक्ष)।

कृपया अपने बच्चों को जन्म दिन केक के ऊपर रखे जाने वाले मोमबत्तियों को न रख के "जन्मदिन" की कामना न करें और अग्नि देव पर थूक न डालें।

- बजाय इसके, एक दीपक जलाकर उन्हें प्रार्थना करें और कहें: "हे दिव्य अग्नि, मुझे अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो"। ये सभी मजबूत चित्र हैं जो गहरे मानस में जाते हैं।

कृपया "SPIRITUALITY" और "MATERIALISTIC" शब्दों का उपयोग न करें।

- एक हिंदू के लिए, सब कुछ दिव्य है। "SPIRITUALITY" और "MATERIALISTIC" शब्द एंजलवादियों और यूरोपीय लोगों के माध्यम से भारत में आए थे जिनके पास चर्च बनाम राज्य की अवधारणा थी। या विज्ञान बनाम धर्म। इसके विपरीत, भारत में, ऋषि वैज्ञानिक थे और सनातन धर्म की आधारशिला विज्ञान था।

कृपया "पाप" के बजाय "SIN" शब्द का उपयोग न करें।

हमारे पास केवल धर्म (कर्तव्य, धार्मिकता, जिम्मेदारी और विशेषाधिकार) और अधर्म (जब धर्म का पालन नहीं किया जाता है) है। धर्म का सामाजिक या धार्मिक नैतिकता से कोई लेना-देना नहीं है। । पाप का पालन अधर्म से होता है।

कृपया “ध्यान” के लिए मेडिटेशन और “प्राणायाम” के लिए ’BREATHING EXERCISE’ जैसे ढीले अनुवाद का उपयोग न करें।

- यह गलत अर्थ बताता है। मूल शब्दों का प्रयोग करें।

कृपया "हिन्दू" के बजाय "सनातनधर्मी" शब्द का उपयोग करें।

- हिन्दू नामक धर्म या शब्द बमुश्किल कुछ सौ साल पुराना है। हमारे पुराणों में ऐसा कोई शब्द नहीं मिलता है। सनातन धर्म ही सभी धर्मों का मूल है।

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याद रखें, विश्व केवल उन लोगों का आदर करता है जो खुद का आदर करना जानता है!

[1]

धन्यवाद।

फुटनोट

[1] PROUD HINDU

बॉलीवुड में इंडियन आर्मी का चित्रण ख़राब ही क्यों किया जाता है ?

 

हॉलीवुड मूवीज में आपको विलन ज़्यादातर KGB जो की रूस की सिक्योरिटी एजेंसी है उसे दिखाया जाता है , या फिर कोई रुस्सियन साइंटिस्ट विलन होता जिसने कोई जानलेवा वायरस बनाया है।

ये स्वाभाविक है क्यूंकि अमेरिका और रूस परस्पर विरोधी हैं। तो अमेरिका अपनी सॉफ्ट पावर रूस को विलन दिखाने और अमेरसा को दुनिया का रखवाला दिखाने में लगते हैं।

लेकिन यहाँ पर स्थिति एकदम विपरीत है।

यहाँ भारत की आर्मी को अत्याचारी और भारत के विरोधी देश पाकिस्तान की, उसे इंटेलिजेंस एजेंसी कहना भी गलत ही होगा , वहां के आतंकी एजेंसी को अच्छा दिखाया जाता है।

आप 'मैं हूँ ना ' से 'पठान' तक देखलीजिये , दोनों में विलन , आतंकी एक एक्स-आर्मी अफसर को दिखाया गया है !

पठान में तो एक कदम आगे बढ़कर ISI को आतंक के खिलाफ लड़ते हुए ही दिखा दिया है !

इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं ?

  • बॉलीवुड की फिल्मों में अंडरवर्ल्ड का पैसा लगता है।
  • बॉलीवुड के लोगों के मन में पाकिस्तान के लिए सॉफ्ट कार्नर है।
  • हमारा सेंसर बोर्ड इस सब पर ध्यान नहीं देता या फिर वहां भी इसी मानसिकता के लोग हैं। और हमारी सरकार भी इस सब पर ज़्यादा ध्यान नहीं देतीं।
  • भारतीय लोग भी इनका एजेंडा देख नहीं पाते थे, जागरूकता की कमी थी। अब लोग थोड़ा जागरूक हुए हैं लेकिन बॉलीवुड फिर भी बाज़ नहीं आरहा है।

मंगल ग्रह पर क्या कभी परमाणु युद्ध हुआ था? क्या वहाँ कभी इंसान रहते थे?

 

मंगल ग्रह के चित्र को अगर आप देखते हैं तो आप पाएंगे कि मंगल ग्रह पर कुछ अजीब लाइंस खींची हुई है जो कि वाकई बहुत डरावनी और अजीब है।

सबसे अजीब बात यह है कि यह इतनी बड़ी दूरी में बनी हुई है, कि इसे आसानी के साथ चित्र में देखा जा सकता है ( इस आर्टिकल्स के साथ मैंने कुछ चित्र को भी साझा किया है जो आप को समझने में मदद करेंगी ) कि मैं किस लाइंस की बात कर रहा हूं यह लाइंस इतनी बड़ी है जितना बड़ा पूरा रूस का भाग है जोकि देखने में प्राकृतिक बिल्कुल नहीं लगती।

प्राचीन अंतरिक्ष विचारक भी मंगल ग्रह पर जीवन होने का दावा करते हैं माया सभ्यता ने भी मंगल ग्रह पर कभी जीवन होने की बात कही थी ।आधुनिक साइंटिस्ट मानते हैं कि मंगल ग्रह पर पृथ्वी की ही तरह जीवन था और टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट जैसा कि हम पृथ्वी पर इस दौर में अनुभव कर रहे हैं उससे भी कहीं अधिक एडवांस टेक्नोलॉजी मंगल ग्रह पर कभी हुई थी ।

जैसा कि हम देख सकते हैं, आज के समय में हम परमाणु हथियारों से घिरे हुए हैं हर देश के पास कोई ना कोई एटॉमिक या परमाणु हथियार मौजूद है या होने वाला है और जो तेजी से बढ़ रहा है ।

अंतरिक्ष विचारक मानते हैं कि मंगल ग्रह पर भी वहा के निवासियों में तनाव होने के बाद युद्ध हुआ होगा जिसमें मंगल ग्रह और वहां के निवासी तबाह हो गए, यह बातें बहुत गहन अध्ययन के बाद और मंगल की संरचना को देखने पर कही गई हालांकि इस बात पर कभी सत्यापन की मुहर नहीं लगी।

कुछ अंतरिक्ष विचारकों का यह भी मानना है कि युद्ध के दौरान कुछ मंगल निवासी पृथ्वी पर आ गए और पृथ्वी कोई अपना निवास स्थान मान लिया। कुछ समय पहले इस पर एक प्रोग्राम जो "हिस्ट्री टीवी" पर आता है "एन्शियंट एलियन" में कही गई इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई जो कि अंतरिक्ष विद्वानों द्वारा बनाई गई थी।

क्या यह सच है ? कि एक एडवांस सभ्यता एक एटॉमिक युद्ध में पूरी तरीके से समाप्त हो सकती है, क्योंकि नासा के वैज्ञानिकों ने भी मंगल की धरती पर रेडियो एक्टिव पार्टिकल्स प्राप्त किए जो कि काफी हद तक इशारा करते हैं कि मंगल ग्रह पर परमाणु युद्ध हुआ था।

कुछ महीने पहले नासा के "आॉपरचुनेटी" रोवर ने बहुत सारी ऐसी कड़ियां पाई जो यह स्थिति को दर्शाती है कि मंगल ग्रह पर कुछ तो ऐसा हुआ था जिसकी वजह से वहां का पूरा प्रारूप ही बदल गया नासा ने यह माना है कि मंगल ग्रह पर कभी पानी मौजूद था हालांकि नासा मानता है कि हो सकता है अभी भी सॉलिड या आइस कैप्स की संरचना में पानी मंगल ग्रह पर सतह के नीचे मौजूद हो अगर मंगल ग्रह पर पानी मिल जाता है तो मंगल ग्रह को पृथ्वी की ही तरह फिर से बचाया जा सकता है क्योंकि मंगल और पृथ्वी में बहुत अंतर नहीं है चाहे वह वातावरण से संबंधित या फिर भौगोलिक स्थिति से संबंधित क्यों ना हो।

क्या आपको लगता है ? कि हमारी दुनिया भी ऐसे ही एक परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ रही है कुछ दिनों पहले ईरान ने (जो एक परमाणु देश नहीं है उसने) भी अमेरिका के ऊपर परमाणु हमला करने की बात कही इस बात से हम क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं क्या ईरान के पास भी परमाणु हथियार है जो ईरान ने दुनिया के नजरों से छुपा कर रखा है भूतकाल में भी ऐसी कई घटनाओं ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया था जैसे कि जापान पर दो परमाणु हमला।

और भी बहुत सारी जानकारियां इस बात को और पुख्ता बनाती है कि मंगल ग्रह पर भी कभी जीवन था जो किसी भयानक स्थिति में मंगल ग्रह के जीवन को खत्म करके सन्नाटा छोड़ गया।

ज्यादा जानकारी के लिए आप एंशियंट एलियंश सीज़न 14 - "न्युक्लियर वार्स आॉन मार्स" देख सकते हैं।

अगर आपको यह जानकारी पसंद आई तो आप अपवोट कर के मुझे और लिखने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।

धन्यवाद।

क्या एलियंस के पीछे का सच दुनिया से छुपा रहा है अमेरिका?

 क्या एलियंस के पीछे का सच दुनिया से छुपा रहा है अमेरिका?

अंतरिक्ष से आने वाले Aliens को लेकर पेंटागन का सबसे बड़ा खुलासा, कही ऐसी बात- दुनिया रह गई हैरान

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन (Pentagon) ने एलियंस और उनके यानों को लेकर ऐसी बात कही है, जिससे दुनिया भर के वैज्ञानिक और लोग हैरान हैं। लोगों का मानना है कि अमेरिका एलियन यानों को लेकर कोई बड़ी बात छिपा रहा है. पेंटागन ने एलियन घटनाओं की जांच की है. आइए जानते हैं क्या है उनकी जांच रिपोर्ट में...

अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने की एलियन घटनाओं की जांच और किया है बड़ा खुलासा. (फोटोः एपी)

पेंटागन (Pentagon) ने एक बार फिर अपने खुलासे से पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है. उसने ऐसी बात कही है, जिसे मानने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक और लोग तैयार नहीं है. लोगों का मानना है कि अमेरिका एलियन (Alien) और उनके एलियनशिप (Alienship) यानी UFO को लेकर कुछ छिपा रहा है।

पेंटागन ने एक लंबी-चौड़ी जांच के बाद कहा कि आजतक अंतरिक्ष से आने वाले एलियन और UFO के कोई सबूत नहीं मिले हैं. इससे यह पता चलता है कि एलियन कभी धरती पर आए ही नहीं. न ही उनके यानों ने पृथ्वी पर कहीं क्रैश लैंडिंग की है. यह बात पेंटागन के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने कही है।

पेंटागन लगातार ऐसी घटनाओं की जांच कर रहा है, जिसमें एलियन यानों के दिखने की रिपोर्ट्स आई हैं. चाहे वह अंतरिक्ष में दिखे हों, आसमान में या फिर समुद्र में जाते या निकलते हुए. ऐसी सैकड़ों रिपोर्ट्स की जांच अब भी चल रही है. लेकिन अभी तक पेंटागन को एलियन और उनके स्पेसशिप यानी UFO के आने-जाने, पृथ्वी पर लैंडिंग या टेकऑफ के सबूत नहीं मिले हैं।

पेंटागन को नहीं मिले एलियन या UFO के सबूत

पेंटागन का कहना है कि ऐसे प्रमाण हैं ही नहीं कि ये बात पता चले कि इंटेलिजेंट एलियन जीवन (Intelligent Alien Life) धरती पर आती-जाती हो. या फिर यहां रहती हो. पेंटागन में इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी विभाग में डिफेंस के अंडर सेक्रेटरी रोनैल्ड मॉल्ट्री ने कहा कि मैंने अभी तक ऐसी कोई चीज नहीं देखी है. न ही एलियन स्पेसशिप कहीं क्रैश हुए हैं, न ही इस तरह की कोई घटना कहीं दुनिया में हुई है।

पेंटागन कह रहा- हम कैसे मान ले एलियन आए थे

पेंटागन में बने नए ऑल डोमेन एनोमली रेजोल्यूशन ऑफिस (AARO) के डायरेक्टर सॉन कर्कपैट्रिक इससे उलटा कहते हैं. वो मानते हैं कि हो सकता है कि एलियन धरती पर आए हों. लेकिन हमें इसकी जांच साइंटिफिक तरीके से करनी होगी. एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल लाइफ हो सकती है लेकिन बिना सबूतों के हम इस बात को मान नहीं सकते. हम लगातार इस तरह की चीजों की जांच कर रहे हैं. जब तक हम पुख्ता नहीं हो जाते, हम कैसे मान लें कि एलियन आए थे।

साइंटिफिक जांच के बाद ही करेंगे खुलासा

सॉन कर्कपैट्रिक कहते हैं कि बतौर फिजिसिस्ट मुझे हर चीज की जांच साइंटिफिक तरीके से करनी होती है. एलियन मामलों की जांच भी ऐसे ही करेंगे. सही फैसला डेटा और साइंटिफिक मेथड के हिसाब से ही होगा. AARO का गठन इसलिए किया गया ताकि वो अमेरिकी मिलिट्री कैंपों, प्रतिबंधित वायुक्षेत्रों और जरूरी स्थानों पर एलियन या ऐसे किसी भी वस्तु के आने की जांच करेगा. ताकि अमेरिकी सैन्य ऑपरेशंस और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा न हो।

पहले अमेरिका ने कहा था- दिखे थे UFO

पिछले साल अमेरिका की एक सरकारी रिपोर्ट थी, जिसमें कहा गया था कि साल 2004 तक 140 मामले सामने आए थे, जिसमें एलियन स्पेसशिप देखे गए थे. इन घटनाओं की रिपोर्ट अमेरिकी मिलिट्री ने की थी. अमेरिका इस प्रक्रिया को अनआइडेंटिफाइड एरियल फेनोमेना (UAP) कहता है. इनके अलावा 143 ऐसी घटनाएं अलग-अलग स्थानों से रिपोर्ट की गई थीं. इससे पहले 1969 में ऐसी ही जांच शुरू की गई थी. जिसका नाम था प्रोजेक्ट ब्लू बुक (Project Blue Book). इसमें 12,618 बार UFO देखे गए थे. जिसमें से 701 घटनाओं का कोई खुलासा नहीं हो पाया।

अलौकिक शक्तियां कैसे प्राप्त की जा सकती हैं?

 

जो ध्यान-साधना में उतरा नहीं, अपने सूक्ष्म से जिसका पाला तक पड़ा नहीं वह भला क्या जाने पारलौकिक सिद्धि और शक्तियों के बारे में | साल भर पहले मैं केवल भगवान् को मानता था उन पर पूरा विश्वास था लेकिन सिद्धि, शक्ति आदि से मेरा कोई लेना-देना नहीं और ना ही कोई विस्वास था लेकिन यह एक कड़वा सच है उनके लिए जो कहते हैं की सिद्धि, शक्ति जैसा कुछ नहीं है |

सबसे पहला चमत्कार तो तभी हो जायेगा जब वह अपने सूक्ष्म से परिचित होगा और पायेगा की कैसे यह ब्रहांड एक अदृश्य ईथर तत्व से भरा पड़ा है और वह अदृश्य नहीं बल्कि दृश्य है बस अपना सूक्ष्म जानना होगा |

Image from Google (कंपनी)

सबसे पहले तो आप पारलौकिक शक्ति की बात कर रहे हो अलौकिक शक्ति की नहीं | अब आते हैं सिद्धियों, ताकतों, शक्तियों, मंत्र आदि पर तो भाई मेरे यह बताओ की क्यों चाहिए पारलौकिक शक्ति ? हमारे बड़े-बुजुर्ग कहते हैं की असली सिद्ध पुरुष तो समाज के सामने आते ही नहीं, वो कहाँ रहते हैं यह किसी को नहीं पता और आखिर वो क्या कारण है की समाज में नहीं आते ? समझो भाई की परमाणु बॉम्ब हर किसी के हाथ में दे दिया हो और घूम रहे हैं खुले आम बाजार में, मॉल्स में, गली मुहल्लों में ?

चलो आप ही बताओ की अगर किसी को यह सिद्धि मिल जाये की किसी भी मनुष्य का आगा-पीछा-भूत -भविष्य पता चलने लगे तो क्या होगा ? वह बेचारा अपने आप को संभाल लेगा क्या ? सबसे पहले वह अपने घरवाले, भाई, बहन, माता-पिता, यार-दोस्त इन सबके बारे में जान जायेगा और यह है कलियुग तो कौन क्या कर रहा है, किससे मिल रहा है, कितनी बार किसी से झूंठ बोला, क्या गलत कर्म किया, किसी का बुरा तो नहीं किया, किसी को आने वाले दिनों में कुछ विपत्ति तो नहीं आने वाली ? कहीं किसी अति प्रियजन की मृत्यु का दिन आपको पता चल जायेगा तो ? किसी ने एक से ज्यादा रिलेशन बना रखे हैं, किसी के पास करोड़ों का काला धन है ? कौन चरस फूंक रहा है ? ये सभी प्रकार के गलत कृत्य आप जानने लगोगे हर दिन, हर पल तो कैसे अपने आपको इन सबसे निकालोगे ?

इसमें भी सबसे बड़ी दिक्कत की होने वाली इन घटनाओं को आप जान जाओगे लेकिन यह आपके बस में नहीं की इनको सही कर सके क्यूंकि होनी तो होकर रहनी है भाई | तभी इसीलिए सिद्ध महात्मा पुरुष लोग अपने आप को समाज से काट लेते हैं ताकि इन सब से कोई पाला ही न पड़े, ना किसी से मिलेंगे और ना उसके बारे में जानेंगे | जानकर अनजान बनो तो गलत है लेकिन जब जाना ही नहीं किसी के बारे में तो कुछ भी गलत नहीं |

तो ऐसे परमाणु बॉम्ब की चाबी छुपी रहनी ही सही है !

रिसोर्ट मे शादियां ! नई सामाजिक बीमारी

 आज का दौर

इन बातोपे भी ध्यान देना

💥रिसोर्ट मे शादियां ! नई सामाजिक बीमारी



🙏हम बात करेंगे शादी समारोहो में होने वाली भारी-भरकम व्यवस्थाओं और उसमें खर्च होने वाले अथाह धन राशि के दुरुपयोग की!

सामाजिक भवन अब उपयोग में नहीं लाए जाते हैं
शादी समारोह हेतु यह सब बेकार हो चुके हैं
कुछ समय पहले तक शहर के अंदर मैरिज हॉल मैं शादियां होने की परंपरा चली परंतु वह दौर भी अब समाप्ति की ओर है! अब शहर से दूर महंगे रिसोर्ट में शादियां होने लगी है!

शादी के 2 दिन पूर्व से ही ये रिसोर्ट बुक करा लिया जाते हैं और शादी वाला परिवार वहां शिफ्ट हो जाता है
*आगंतुक और मेहमान सीधे वही आते हैं और वहीं से विदा हो जाते हैं।
इतनी दूर होने वाले समारोह में जिनके पास अपने चार पहिया वाहन होते हैं वहीं पहुंच पाते हैं!
*और सच मानिए समारोह के मेजबान की दिली इच्छा भी यही होती है कि सिर्फ कार वाले मेहमान ही  रिसेप्शन हॉल में आए!!
*और वह निमंत्रण भी उसी श्रेणी के अनुसार देता है दो तीन तरह की श्रेणियां आजकल रखी जाने लगी है

*किसको सिर्फ लेडीज संगीत में बुलाना है !किसको सिर्फ रिसेप्शन में बुलाना है!
*किसको कॉकटेल पार्टी में बुलाना है !और किस वीआईपी परिवार को इन सभी कार्यक्रमों में बुलाना है!!
*इस आमंत्रण में अपनापन की भावना खत्म हो चुकी है!

सिर्फ मतलब के व्यक्तियों को या परिवारों को आमंत्रित किया जाता है!!
महिला संगीत में पूरे परिवार को नाच गाना सिखाने के लिए महंगे कोरियोग्राफर 10-15 दिन ट्रेनिंग देते हैं!

मेहंदी लगाने के लिए आर्टिस्ट बुलाए जाने लगे हैं!हल्दी लगाने के लिए भी एक्सपर्ट बुलाए जाते हैं!
ब्यूटी पार्लर को दो-तीन दिन के लिए बुक कर दिया जाता है !
प्रत्येक परिवार अलग-अलग कमरे में ठहरते हैं जिसके कारण दूरदराज से आए बरसों बाद रिश्तेदारों से मिलने की उत्सुकता कहीं खत्म सी हो गई है!!
क्योंकि सब अमीर हो गए हैं पैसे वाले हो गए हैं!मेल मिलाप और आपसी स्नेह खत्म हो चुका है!
रस्म अदायगी पर मोबाइलों से बुलाये जाने पर कमरों से बाहर निकलते हैं !
सब अपने को एक दूसरे से रईस समझते हैं!
और यही अमीरीयत का दंभ उनके व्यवहार से भी झलकता है !
*कहने को तो रिश्तेदार की शादी में आए हुए होते हैं परंतु अहंकार उनको यहां भी नहीं छोड़ता !
*वे अपना अधिकांश समय करीबियों से मिलने के बजाय अपने अपने कमरो में ही गुजार देते हैं!!

*विवाह समारोह के मुख्य स्वागत द्वार पर नव दंपत्ति के विवाह पूर्व आलिंगन वाली तस्वीरें, हमारी विकृत हो चुकी संस्कृति पर सीधा तमाचा मारते हुए दिखती हैं!

*अंदर एंट्री गेट पर आदम कद  स्क्रीन पर नव दंपति के विवाह पूर्व आउटडोर शूटिंग के दौरान फिल्माए गए फिल्मी तर्ज पर गीत संगीत और नृत्य चल रहे होते हैं!
आशीर्वाद समारोह तो कहीं से भी नहीं लगते हैं
पूरा परिवार प्रसन्न होता है अपने बच्चों के इन करतूतों पर पास में लगा मंच जहां नव दंपत्ति लाइव गल - बहियाँ करते हुए मदमस्त दोस्तों और मित्रों के साथ अपने परिवार से मिले संस्कारों का प्रदर्शन करते हुए दिखते हैं!

मंच पर वर-वधू के नाम का बैनर लगा हुआ होता है!"*
अब वर वधू के नाम के आगे कहीं भी चि० और सौ०का० नहीं लिखा जाता क्योंकि अब इन शब्दों का कोई सम्मान बचा ही नहीं इसलिए अंग्रेजी में लिखे जाने लगे है"

*हमारी संस्कृति को दूषित करने का बीड़ा ऐसे ही अति संपन्न वर्ग ने अपने कंधों पर उठाए रखा है

*मेरा अपने मध्यमवर्गीय समाज बंधुओं से अनुरोध है आपका पैसा है ,आपने कमाया है,आपके घर खुशी का अवसर है खुशियां मनाएं,पर किसी दूसरे की देखा देखी नही!
*कर्ज लेकर अपने और परिवार के मान सम्मान को खत्म मत करिएगा!
जितनी आप में क्षमता है उसी के अनुसार खर्चा करिएगा
*4 - 5 घंटे के रिसेप्शन में लोगों की जीवन भर की पूंजी लग जाती है !
और आप कितना ही बेहतर करें लोग जब तक रिसेप्शन हॉल में है तब तक आप की तारीफ करेंगे!
और लिफाफा दे कर आपके द्वारा की गई आव भगत की कीमत अदा करके निकल जाएंगे!
मेरा युवा वर्ग से भी अनुरोध है कि अपने परिवार की हैसियत से ज्यादा खर्चा करने के लिए अपने परिजनों को मजबूर न करें!

आपके इस महत्वपूर्ण दिन के लिए आपके माता-पिता ने कितने समर्पण किए हैं यह आपको खुद माता-पिता बनने के उपरांत ही पता लगेगा!

दिखावे की इस सामाजिक बीमारी को अभिजात्य वर्ग तक ही सीमित रहने दीजिए!

अपना दांपत्य जीवन सर उठा के, स्वाभिमान के साथ शुरू करिए और खुद को अपने परिवार और अपने समाज के लिए सार्थक बनाइए !




चिन्तनीय...........वास्तविकता

समयसूचक AM और PM का उदगम भारत ही था।

 

समयसूचक AM और PM का उदगम भारत ही था।

 पर हमें बचपन से यह रटवाया गया, विश्वास दिलवाया गया कि इन दो शब्दों AM और PM का मतलब होता है :

AM : एंटी मेरिडियन (ante meridian)

PM : पोस्ट मेरिडियन (post meridian)

एंटी यानि पहले, लेकिन किसके?

पोस्ट यानि बाद में, लेकिन किसके?

यह कभी साफ नहीं किया गया, क्योंकि यह चुराये गये शब्द का लघुतम रूप था।

अध्ययन करने से ज्ञात हुआ और हमारी प्राचीन संस्कृत भाषा ने इस संशय को अपनी आंधियों में उड़ा दिया और अब, सब कुछ साफ-साफ दृष्टिगत है।

कैसे?

देखिये...

AM = आरोहनम् मार्तण्डस्य Aarohanam Martandasya

PM = पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasya

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सूर्य, जो कि हर आकाशीय गणना का मूल है, उसीको गौण कर दिया। अंग्रेजी के ये शब्द संस्कृत के उस 'मतलब' को नहीं इंगित करते जो कि वास्तव में है।

आरोहणम् मार्तण्डस्य Arohanam Martandasaya यानि सूर्य का आरोहण (चढ़ाव)।

पतनम् मार्तण्डस्य Patanam Martandasaya यानि सूर्य का ढलाव।

दिन के बारह बजे के पहले सूर्य चढ़ता रहता है - 'आरोहनम मार्तण्डस्य' (AM)।

बारह के बाद सूर्य का अवसान/ ढलाव होता है - 'पतनम मार्तण्डस्य' (PM)।

पश्चिम के प्रभाव में रमे हुए और पश्चिमी शिक्षा पाए कुछ लोगों को भ्रम हुआ कि समस्त वैज्ञानिकता पश्चिम जगत की देन है।

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