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मंगलवार, 9 अक्तूबर 2012

संकटमोचक हनुमान की उपासना

संकटमोचक हनुमान की उपासना मानवीय जीवन के दु:ख, भय और चिंता को दूर करने के लिए अचूक मानी जाती है। श्री हनुमान साधना की इसकड़ी में बजरंग बाण का जप और पाठ हनुमान जयंती, शनिवार व मंगलवार के दिन करने का महत्व है। इस दिन यथाशक्ति श्री हनुमान की प्रसन्नता के लिए व्रत भी रख सकतेहैं।


- सुबह स्नान कर पवित्रता के साथ भगवा या सिंदूरी वस्त्र पहनें। तब मंदिर या घर के ही देवालय में बजरंग बाण का जप किया जा सकता है। इसके लिए तन के साथ मन की पवित्रता और शांत स्थान का जरूर ध्यान रखें।
- श्री हनुमान की मूर्ति या तस्वीर के सामने कुश के आसन पर बैठें।
- बजरंग बाण के जप प्रयोग की शुरुआत पवित्रीकरण और संकल्प के साथ करें।
- संकल्प में मात्र बजरंग बाण के जप का ही न हो, बल्कि इसके साथ यह भी संकल्प करें कि मनोरथ पूर्ति और कष्ट शमन होने पर श्री हनुमान की तन, मन, धन से यथाशक्ति सेवा करेंगे।
- शास्त्रों में हनुमान साधना मेंदीपदान का बहुत महत्व बताया गया है। अत: पंचधानों यानि गेंहू, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल के मिश्रित आटे में गंगाजल मिलाकर एक दीपक बनाएं।
- इस दीपक में सुगंधित तेल भरें औरउसमें एक कच्चे सूत की मोटी बत्तीजो सिंदूरी रंग में रंगी हो, को जलाएं। बजरंग बाण के पाठ और अनुष्ठान पूर्ण होने तक यह दीपक प्रज्जवलित रखें।
- श्री हनुमान को गुग्गल की धूप में लगाएं।
- इसके बाद श्री राम और श्री हनुमान का ध्यान कर श्री हनुमान की मूर्ति पर ध्यान लगाकर स्थिर मन से बजरंग बाण का जाप शुरू करें। जाप करते समय अशुद्ध उच्चारण से बचें।
- पूरे बजरंग बाण का पाठ की एक माला जप करें। एक माला संभव न होने पर 11, 21, 31 इसी तरह की संख्या में जप भी कर सकते हैं।
- जप पूरे होने पर गुग्गल धूप, दीप,नैवेद्य अर्पण करें। नैवेद्य मेंविशेष रुप से गुड़, चने या गुड़ औरआटे का मीठा चूरमा, लाल अनार या मौसमी फलों का भोग लगाएं।
इस तरह बजरंग बाण का ऐसा पाठ तन, मन और धन से जुड़े सभी कलह और संताप दूर करता है।

सावधान ! ही जाइए अपनी ओर आती इस मौत से

सावधान ! ही जाइए अपनी ओर आती इस मौत से

आज भारत के 99.5% किसान अपना पारंपरिक बीज गवा चुके है ,
और वे अब विदेशी कंपनियो के नपुंसक बीज के अधीन हो गए है
अब उनके पास सिवाय विदेशी कंपनियो के बीज खरीदने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है अब विदेशी कंपनिया भारत मे gm seeds भारत मे भेज रही है इस बीज को खाते ही भारत वासी ऐसी बीमारियो की चपेट मे आएगे की आप उस बात का अंदाजा भी नहीं कर सकते है जिन बीमारियो का ड
ाक्टर को पता नहीं है वो उन बीमारिया का इलाज कैसे कर सकेंगे
अब आप ही निर्णय कीजिये आप किस ओर जाना चाहते है तथाकथित इस विकसित भारत की ओर या फिर पारंपरिक ऋषि व्यवस्था और कृषि व्यवस्था आधारित भारत की ओर .................
तो आज से संकल्प लीजिये की हम विदेशी कंपनियो से इस देश की और अपने परिवार के स्वास्थ्य की रक्षा ठीक वैसे ही करेंगे जैसे हमारे क्रांतिकारियों ने की थी

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