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गुरुवार, 19 अगस्त 2021

कपालभाति के कई विशेष लाभ भी हैं


कपालभाती यह केवल एक प्राणायाम ही नही, बल्कि एक शुद्धी क्रिया भी है, 


*कपालभाती को बीमारी दूर करनेवाले प्राणायाम के रूप में देखा जाता है। मैने ऐसे पेशंट्स को देखा है जो बिना बैसाखी के चल नही पाते थे लेकिन नियमित कपालभाती करने के बाद उनकी बैसाखी छूट गई और वे ना सिर्फ चलने, बल्कि दौड़ने भी लगे.....!*

*1* -  _कपालभाती करने वाला साधक आत्मनिर्भर और स्वयंपूर्ण हो जाता है, कपालभाती से हार्ट के ब्लॉकेजेस् पहले ही दिन से खुलने लगते हैं और 15 दिन में बिना किसी दवाई के वे पूरी तरह खुल जाते है !_

*2* -  _कपालभाती करने वालों के हृदय की कार्यक्षमता बढ़ती है, जबकि हृदय की कार्यक्षमता बढ़ाने वाली कोई भी दवा उपलब्ध नही है !_

*3* -  _कपालभाती करने वालों का हृदय कभी भी अचानक काम करना बंद नही करता, जबकि आजकल बड़ी संख्या में लोग अचानक हृदय बंद होने से मर जाते हैं !_
     
*4* -  _कपालभाती करने से  शरीरांतर्गत और शरीर के ऊपर की किसी भी तरह की गाँठ गल जाती है, क्योंकि कपालभाती से शरीर में जबर्दस्त उर्जा निर्माण होती है जो गाँठ को गला देती है, फिर वह गाँठ चाहे ब्रेस्ट की हो अथवा अन्य कही की। ब्रेन ट्यूमर हो अथवा ओव्हरी की सिस्ट हो या यूटेरस के अंदर फाइब्रॉईड हो, क्योंकि सबके नाम भले ही अलग हो लेकिन गाँठ बनने की प्रक्रिया एक ही होती है  !_

*5* -  _कपालभाती से बढा हुआ कोलेस्टेरोल कम होता है। खास बात यह है कि मैं कपालभाती शुरू करने के प्रथम दिन से ही मरीज की कोलेस्टेरॉल की गोली बंद करवाता हूँ !_
    
*6* -  _कपालभाती से बढा हुआ इएसआर, युरिक एसिड, एसजीओ, एसजीपीटी, क्रिएटिनाईन, टीएसएच, हार्मोन्स, प्रोलेक्टीन आदि सामान्य स्तर पर आ जाते है !_

*7* -  _कपालभाती करने से हिमोग्लोबिन एक महीने में 12 तक पहुँच जाता है, जबकि हिमोग्लोबिन की एलोपॅथीक गोलियाँ खाकर कभी भी किसी का हिमोग्लोबिन इतना बढ़ नही पाता है। कपालभाती से हीमोग्लोबिन एक वर्ष में 16 से 18 तक हो जाता है। महिलाओं में हिमोग्लोबिन 16 और पुरुषों में 18 होना उत्तम माना जाता है !_

*8* -  _कपालभाती से महिलाओं के मासिक धर्म की सभी शिकायतें एक महीने में सामान्य हो जाती है  !_

*9* -  _कपालभाती से थायरॉईड की बीमारी एक महीने में ठीक हो जाती है, इसकी गोलियाँ भी पहले दिन से बंद की जा सकती है !_

*10* -  _इतना ही नही बल्कि कपालभाती करने वाला साधक 5 मिनिट में मन के परे पहुँच जाता है। गुड़ हार्मोन्स का सीक्रेशन होने लगता है। स्ट्रेस हार्मोन्स गायब हो जाते है, मानसिक व शारीरिक थकान नष्ट हो जाती है। इससे मन की एकाग्रता भी आती है  !_

    *_कपालभाति के कई विशेष लाभ भी हैं ।_* 

*(A)*  -  _कपालभाती से खून में प्लेटलेट्स बढ़ते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स या रेड ब्लड सेल्स यदि कम या अधिक हुए हो तो वे निर्धारित मात्रा में आकर संतुलित हो जाते हैं। कपालभाती से सभी कुछ संतुलित हो जाता है, ना तो कोई अंडरवेट रहता है, ना ही कोई ओव्हरवेट रहता है। अंडरवेट या ओव्हरवेट होना दोनों ही बीमारियाँ है !_
     
*(B)*  -  _कपालभाती से कोलायटीस, अल्सरीटिव्ह कोलायटीस, अपच, मंदाग्नी, संग्रहणी, जीर्ण संग्रहणी, आँव जैसी बीमारियाँ ठीक होती है। काँस्टीपेशन, गैसेस, एसिडिटी भी ठीक हो जाती है। पेट की समस्त बीमारियाँ ठीक हो जाती है !_

*(C)*  -  _कपालभाती से सफेद दाग, सोरायसिस, एक्झिमा, ल्युकोडर्मा, स्कियोडर्मा जैसे त्वचारोग ठीक होते हैं। स्कियोडर्मा पर कोई दवाई उपलब्ध नही है लेकिन यह कपालभाती से ठीक हो जाता है। अधिकतर त्वचा रोग पेट की खराबी से होते है, जैसे जैसे पेट ठीक होता है ये रोग भी ठीक होने लगते हैं !_

*(D)*  -  _कपालभाती से छोटी आँत को शक्ति प्राप्त होती है जिससे पाचन क्रिया सुधर जाती है। पाचन ठीक होने से शरीर को कैल्शियम, मैग्नेशियम, फॉस्फरस, प्रोटीन्स इत्यादि उपलब्ध होने से कुशन्स, लिगैमेंट्स, हड्डियाँ ठीक होने लगती हैं और 3 से 9 महिनों में अर्थ्राइटीस, एस्ट्रो अर्थ्राइटीस, एस्ट्रो पोरोसिस जैसे हड्डियों के रोग हमेशा के लिए ठीक हो जाते हैं !_

*ध्यान रखिये की कैल्शियम, प्रोटीन्स, हिमोग्लोबिन, व्हिटैमिन्स आदि को शरीर बिना पचाए बाहर निकाल देता है क्योंकि केमिकल्स से बनाई हुई इस प्रकार की औषधियों को शरीर द्वारा सोखे जाने की प्रक्रिया हमारे शरीर के प्रकृति में ही नही है !*

_हमारे शरीर में रोज 10 % बोनमास चेंज होता रहता है, यह प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक निरंतर चलती रहती है अगर किसी कारणवश यह बंद हुई, तो हड्डियों के विकार हो जाते हैं.... कपालभाती इस प्रक्रिया को निरंतर चालू रखती है इसीलिए कपालभाती नियमित रूप से करना आवश्यक है !_

*सोचिए, यह सिर्फ एक क्रिया कितनी लाभकारी है इसीलिए नियमित रूप से कपालभाति करना एक उत्तम व्यायाम प्रक्रिया है !!*




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कुदरती खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ


कुदरती खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारियाँ 

1. खेत के बांध पर खाली जगह पर तथा एक एकड भुमी  में  आम, कटहल, इमली,रामफल ,सिताफल ,जांबूण,बैर, चीकू, नारियल, पपीता, केला व पिपल, बरगद,उंबर सागौन आदि ऐसे पेड़ जो खेत की उर्वरता बढ़ाने में मदद करते हैं, को अवश्य लगाने चाहिए।मधुमख्यिया इनपर छत्ता बनाकर परागिकरन करती है। इन वृक्षों पर बैठने वाले पंछी कीटों को खाकर फसलों को बचाने का काम करते हैं साथ ही खेत में खाद भी देते हैं। पंछी अनाज कम व फसल को नुकसान पहुँचाने वाले कीड़ों को अधिक खाते हैं। एक चिड़िया दिन में लगभग 250 सूंडी खा लेती है। पेड़ों से 10-20 साल में किसानों को अतिरिक्त आर्थिक लाभ मिलता है। जाटी आदि से पशुओं को आहार्। रसोई के लिए लकड़ी तथा परिवार के लिए फल मिलते हैं। पेड़ों के साथ गिलोय व काली मिर्च आदि लगाकर और अcधिक आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।

2. एक ग्राम मिट्टी में लगभग 3 करोड़ सूक्ष्म जीव होते हैं। खेत के पत्तों, धान व अन्य प्रकार के चारे में आग लगाने एवं जहरीली खाद व कीटनाशकों को डालने, ट्रैक्टर से खेत जोतने पर ये सूक्ष्म जीव मरते हैं और धरती धीरे-धीरे बंजर बन जाती है।

3. अधिक पानी जमीन का शत्रु, नई जमीन का मित्र तथा फसलों व गोभी आदि सब्जियों का कचरा भूमि माता के वस्त्रों का काम करते हैं, जो जमीन को सर्दी गर्मी से बचाते हैं, तापमान को नियन्त्रित रखते हैं तथा जमीन की नमी को भी बरकरार रखते हैं। अत: भूमि की मल्चिंग के लिए फसलों का कचरा खेत के लिए खतरा नहीं उसकी ताकत है।

4. लगभग एक एकड़ भूमि में 90 हजार केंचुएँ होते हैं। एक केंचुवा खेत में हजारों किलोमीटर खुदाई करने की क्षमता रखता है। जो भूमि जैविक कृषि द्वारा पोषित होती है और जहाँ केचुँए संरक्षित किये जाते हैं उस भूमि की कीचड़ वर्षों में –
(क) 5 गुणा नाईट्रोजन की ताकत बढ़ जाती है।
(ख) 7 गुणा फास्फोरस की ताकत बढ़ जाती है।
(ग) 11 गुणा पोटास की ताकत बढ़ जाती है।
(घ) 2.5 गुणा मैग्नीशियम की ताकत बढ़ जाती है।
अत: प्राकृतिक खेती में कृत्रिम रासायनिक खाद, यूरिया, व डी.ए.पी. की जरूरत नहीं पड़ती है। गोबर, गोमूत्र व पेड़ के पत्तों से भूमि को ये पोषण तत्व स्वयं ही मिलते रहते हैं।

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