आजकाल मास्टरनियों के जो हाल है उण नै बयां करती मारवाड़ी र मांय लिखी ये दो चारेक लाइनाँ...
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।
भूल गई टाबरां टीकरां ने,
सारे टाइम मोबाइल चलावण लागी।
सुबह घरां टाइम हूं खाणों कदै बण कोनी,
पर स्कूल में टेम हूं खाणों खुवावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।
घर हूं बाहर कदे निकली कोनी,
पर इब स्कूल में,
स्कूटी पे एकली ही जावण लागी।
बांध के मुंह पर कपड़ों,
मुंह धूल सूं बचावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।
कदे किं की भी हाजिरी लगाई कोनी जीवन में,
आजकाल ऑनलाइन हाजिरी लगावण लागी।
कदे ही टेम पर तैयार कोनी होयी,
पर इब टेम हूं स्कूल में खड़ी तैयार पावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।
घर की और टाबरां की कांस तो पहला सूं ही थी,
इब ऑनलाइन हाली कांस भी इनै खावण लागी।
बावली होगी स्कूल की भाग दौड़ में,
स्कूल और कागज कारवाही के नाम हूं ही घबरावण लागी।
मैडम जी जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी।
कदे सासू की सुनी कोनी,न आदमी की सुणी,
पर इब रोज पीईईओ कन सूं डाँट खावण लागी।
अगले जन्म मोहे मास्टरनी ना बणा दीज्यो,
टाबरां न बस आ ही बात सिखावण लागी।
मैडम जद हूं स्कूल जावण लागी,
दर्पण ने छोड़कर शाला दर्पण पर समय बितावण लागी.....