सेक्स शब्द को हमने बहुत नॉर्मल ले लिया है,मैं उसे मजाक में लिख देता हूँ तो आप सब भी हंस के निकल जाते है।
जबकि सेक्स आपके पुरे जीवन को प्रभावित करता है।आपकी सामाजिक इज़्ज़त को प्रभावित करता है।आप मान के चलिये आपने खूब अच्छा जीवन जिया खूब पैसा कमाया एक लड़के को पढ़ाया लिखाया और वो पढ़ने में ठीक भी है।
देखने में सामान्य है बहुत शिष्टाचार से रहता है आप उसे देख के खुश है कि कितना अच्छा है हमारा बेटा इतना शरीफ है।
किसी लड़की को नही देखता है।लेकिन कुछ साल बाद अचानक आपको पता चलता है कि उसे लड़कियों में इंटरेस्ट ही नही है या वो गे है तो ???????
आप सिर पकड़ के बैठ जाएंगे, या उसे डरा धमका ,इज़्ज़त की दुहाई देकर या ब्लैकमेल करके शादी के लिये जबर्दस्ती राजी करके उसकी शादी करके अपनी पीढ़ी को आगे बढ़ाना चाहते है।
आपने अपने लड़के के साथ एक लड़की को और बर्बाद कर दिया है,वो लड़का तो उससे बचेगा ही वो लड़की अच्छी खासी होकर भी सोचेगी की मुझ में क्या कमी है।जो ये मुझे भाव नही देते।उस बेचारी को क्या पता है भाई साहब नवाबी शौक रखते है।ये आजकल आम बात है जिस प्रकार की हम परवरिश कर रहे है बच्चो की या उन्हें फोन के साथ अकेला छोड़ रहे है ,या छोटेपन से ही होस्टल में डाल देते है तो वो किसी भी संगत में पड़ सकते है।आजकल जितना ध्यान लड़कियों का रँखे उससे ज्यादा लड़को का भी रखें में।
मेरा बेटा तो लड़कियों से बात नही करता उन्हें देखता भी नही ये शराफत नही है प्रॉब्लम है।
लड़कियों को देखना उन्हें देख के खुश होना एक नॉर्मल ह्यूमन नेचर है उन्हें नही देखना एब्नॉर्मल है।
पोर्न ने हमारे समाज मे नॉर्मल घूमने वाले,अच्छा कमाने वाले,अच्छे से दिखने वाले लड़के और लड़कियों में अप्राकृतिक सेक्स की बीमारी भर दी है।
अब हम चर्चा उसपर करते नही है कोई कर ले तो हंस कर साइड हो जाते है।बाद में माथा पकड़ के घूमते है।
ऐसे ऐसे मिलते है कि मेरे एक दोस्त को एक मेडम मिली और 2 या 3 दिन में ही सीधे बोली कि हिसार आ जाओ घर पर ही लेकिन पहले मेरे हसबेंड से जयभीम करना होगा।
वाला दोस्त बोला हट BC ये कोई गरीब कल्याण योजना थोड़ी है जो तेरे पूरे कुनबे का ठेका लिये घूमूँ।
मुझे नही मिलना।