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रविवार, 2 जनवरी 2022

आधारकार्ड से वोटर कार्ड को जोड़ के मोदी जी ने विपक्ष को नोटबन्दी से भी गहरी चोट लगेगी

*आधार कार्ड*
   🇮🇳🇮🇳🇮🇳

हमारा आधार कार्ड मोबाइल नंबर से जुड़ा हुआ है
हमारा आधार कार्ड बैंक एकाउंट से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड रेलवे के टिकट बुक करने वाली IRCTC की वेबसाइट पर पहचान पत्र के रूप में जुड़ा हुआ है 
हमारा आधार कार्ड हवाई टिकट से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड राशन कार्ड से जुड़ा हुआ है
हमारा आधार कार्ड जीवन बीमा LIC मेडिकल कार्ड से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड टीकाकरण सर्टिफिकेट से जुड़ा हुआ है
हमारा आधार कार्ड PAN कार्ड से जुड़ा हुआ है

रसोई गैस सिलिंडर से जुड़ा हुआ है
बिजली पानी के कनेक्शन से.. उसके बिल से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड बाइक मोटर साइकिल स्कूटर कार या जिस गाड़ी ऑटो ट्रक बस के हम मालिक हैं
उससे जुड़ा हुआ है..
उसके फाइनेंस के कागजों से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड हमारी गाड़ी की RC 
हमारे ड्राइविंग लाइसेंस से जुड़ा हुआ है 

और तो और..
हमारा आधार कार्ड फेसबुक ट्विट्टर मैट्रिमोनियल साइट्स के वेरिफाइड प्रोफाइल और एकाउंट तक से जुड़ा हुआ है

हमारा आधार कार्ड बच्चों के स्कूल में.. उनकी क्लास की मैडम के रजिस्टर तक में चढ़ा हुआ है
😀😀😀😀

*इतनी सारी चीजों से जुड़े होने पर भी किसी की निजता का हनन नहीं होता*
*प्राइवेसी को खतरा नहीं होता*

विपक्ष को भी इतनी सारी चीजों से आधार कार्ड जुड़ा हो तो कोई दिक्कत नहीं है

*बस आधार कार्ड अगर वोटर आई कार्ड से जुड़ जाय तो इनको यह निजता पर खतरा दिखाई देता है*

वाह क्या कहने..
कितना बड़ा ढोंग है यह
सोचिए जरा..!!

*सच तो यह है कि खान्ग्रेस सहित इसके काले धन से पैदा की हुई पार्टियां हर राज्य में किराए के वोटर पैदा किये पड़ी हैं*

आज गोवा में चुनाव हो तो बंगाल से लाखों फर्जी वोटर उधर ठेल दिए जाते हैं
बिल्कुल आधार कार्ड ..वोटर कार्ड के साथ ..सौ प्रतिशत सही कागजों के साथ

*दिल्ली में चुनाव होता है..*
*दूसरे राज्यों से ..अगल बगल युप्पी से हरियाणा से.. दिल्ली की हर विधानसभा में 2000 वोटर आधार कार्ड और वोटर आइडेंटिटी कार्ड सहित भेज दिए जाते हैं*

आज हर विधानसभा चुनाव में ये भाड़े के वोटर ही जीत हार तय कर रहे हैं
जहाँ हार जीत हजार पंद्रह सौ वोट से तय हो रही है

*विपक्ष क्यों बिलबिला रहा है*
*अब आप समझ गए होंगे*

ये मोदी जी ने भी ना..
चौंका दिया बिल्कुल..

*आधारकार्ड से वोटर कार्ड को जोड़ के मोदी जी ने विपक्ष को..*
*नोटबन्दी से भी गहरी चोट लगेगी.....!*

#ModiMatters 🤔

आखिर RSS की स्थापना क्यों हुई.?

RSS संस्था क्यों बनी* 
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आखिर RSS की स्थापना क्यों हुई.? इस प्रश्न का उत्तर पूरा पढ़िए.. 

संसद में मोदी जी ने हामिद मियां पर तंज कसते हुए कहा था कि आपके परिवार के लोगों ने खिलाफत आंदोलन में भाग लिया था, जिस पर हामिद मियां खींसे निपोरते रह गए !

*तो क्या था यह खिलाफत आंदोलन?* जिसे सुनते ही हामिद मियां और कांग्रेस असहज हो उठी? जानने के लिए पूरी पोस्ट को अंत तक अवश्य पढ़ें।

खिलाफत जानने से पहले आइए पहले जरा खलीफा को जान लें।

खलीफा एक अरबी शब्द है, जिसे अंग्रेज़ी में Caliph (खलीफ) या अरबी भाषा मे Khalifah (खलीफा) कहा जाता है।

*तो कौन होता है खलीफा?*

खलीफा मुसलमानों का वह धार्मिक शासक (सुल्तान) होता है जिसे मुसलमान मुहम्मद साहब का वारिस या successor मानते हैं।

खलीफा का काम होता है युद्ध कर के पूरे विश्व पर इस्लाम का निज़ाम कायम करना (जो कश्मीर में बुरहान वानी करना चाहता था)।

यानी इस्लाम की ऐसी हुकूमत कायम करना जिसमे इस्लामिक यानी शरीया कानून चले और जिसमे इस्लाम के अलावा किसी और धर्म की इजाज़त नही होती है।

जितने हिस्से या राज्य पर खलीफा राज करता है उसे Caliphate यानी अरबी भाषा में Khilafa (खिलाफा) कहते हैं।

*खलीफा* यानी इस्लामिक सुल्तान और *खिलाफा* यानी इस्लामिक राज्य ।

1919-22 के दौरान Turkey यानी तुर्की में *ओटोमन वंश* के आखिरी सुन्नी खलीफा *अब्दुल हमीद-2* का खिलाफा यानी शासन चल रहा था जो कि जल्दी ही धराशाई होने वाला था। 

इस आखिरी इस्लामिक खिलाफा (शासन) को बचाने के लिए अब्दुल हमीद-2 ने *जिहाद का आवाहन* किया ताकि विश्व के मुसलमान एक हो कर इस आखिरी खिलाफा यानी इस्लामिक शासन को बचाने आगे आएं।

पूरे विश्व मे इसकी कोई प्रतिक्रिया नही हुई सिवाए भारत के। भारत के अलावा एशिया का कोई भी दूसरा देश इस मुहिम का हिस्सा नही बना। 

लेकिन भारत के कुछ मुट्ठी भर मुसलमान इस मुहिम से जुड़ गए और हजारों किलोमीटर दूर , सात समंदर पार *तुर्की के खिलाफा यानी इस्लामिक शासन* को बचाने और अंग्रेज़ों पर दबाव बनाने निकल पड़े, जबकि इस समय भारत खुद गुलाम था और अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था।

लेकिन अंतः 1922 में तुर्की से सुलतान के इस्लामिक शासन को उखाड़ फेंका गया और वहाँ सेक्युलर लोकतंत्र राज्य की स्थापना हुई और कट्टर मुसलमानों का पूरे विश्व पर राज करने का सपना टूट गया, इसी सपने को संजोए आजकल ISIS काम कर रहा है ।

भारत के चंद मुसलमानों ने अंग्रेज़ी हुकूमत पर दबाव बनाने के लिए बाकायदा एक आंदोलन खड़ा किया , जिसका नाम था खिलाफा आंदोलन (Caliphate movement)

अब क्योंकि अंग्रेज़ी में लिखे जाने पर इसका हिन्दी उच्चारण खलिफत होता है (अरबी में caliphate को khilafa=खिलाफा लिखते है, 

तो *कांग्रेस ने बड़ी ही चतुराई से इसका नाम खिलाफत आंदोलन रख दिया* ताकि देश की जनता को मूर्ख बनाया जा सके और लोगों को लगे कि यह खिलाफत आंदोलन अंग्रेज़ो के खिलाफ है।

जबकि इसका असल मकसद *purely religious* यानी पूर्णतः धार्मिक था, इसका भारत की आज़ादी या उसके आंदोलन से कोई लेना देना नही था।

 *कुछ समझ मे आया?*

कैसे शब्दों की बाज़ीगरी से जनता को मूर्ख बनाया जा रहा था।

कैसे खलिफत को खिलाफत बताया जा रहा था, (ठीक वैसे ही जैसे Feroze Khan Ghandi (घांदी) को Feroze Gandhi (फ़िरोज़ गांधी) बना दिया गया) ।

उस समय भारत मे इतने पढ़े लिखे लोग और नेता नही थे कि गांधी-नेहरू की इस चाल को समझ सकें।

लेकिन इन सब के बीच कांग्रेस में एक पढ़ा लिखा व्यक्तित्व उपस्थित था, जिनका नाम था *डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार* था ! 

इन्होंने  इस आंदोलन का जम कर विरोध किया , क्योंकि खिलाफा सिर्फ तुर्की तक सीमित नही रहना था, इसका उद्देश्य तो पूरे विश्व पर इस्लाम की हुकूमत कायम करना था जिसमे गज़वा-ए-हिन्द यानी भारत भी शामिल था !

डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के गांधी और नेहरू को बहुत समझने की कोशिश की , लेकिन वे नही माने, *अंतः डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस के इस खिलाफत आंदोलन का विरोध किया* और कांग्रेस छोड़ दी !

तो अब समझ मे आया मित्रों की कांग्रेसी जो कहते हैं कि RSS ने आज़ादी के आंदोलन का विरोध किया था, तो वो असल मे किस आंदोलन का विरोध था? आप डॉ हेगड़ेवार के स्थान पर होते तो क्या करते? 

क्या आप भारत को गज़वा-ए-हिन्द यानी इस्लामिक देश बनते देखते? या फिर डॉ साहब की भांति इसका विरोध करते?

*1919 में खिलाफत आंदोलन* शुरू हुआ था और 1920 में डॉ हेगड़ेवार ने कांग्रेस छोड़ दी और सभी को इस आंदोलन के बारे में जागरूक किया कि इस आंदोलन का भारत की स्वतंत्रता से कोई लेना देना नही है और यह *एक इस्लामिक आंदोलन है !*

जिसका परिणाम यह हुआ कि यह आंदोलन बुरी तरह फ्लॉप हुआ ! और 1922 में अंतिम इस्लामिक हुकूमत धराशाई हो गयी !

मुस्लिम नेता इस से बौखला गए और मन ही मन *हिन्दुओ और संघ  को अपना शत्रु मानने लगे* और इसका बदला उन्होंने 1922-23 में केरल के मालाबार में हिन्दुओ पर हमला कर के लिया ! 

और असहाय अनभिज्ञ *हिन्दुओ को बेरहमी से काटा गया*, हिन्दू लड़कियों की इज़्ज़त लूटी गई, जबकि इस आंदोलन का भारत या उसके पड़ोसी देशों तक से कोई लेना देना नही था ।

*1923 के दंगों में गांधी ने* हिन्दुओ को ही दोषी ठहराते हुए हिन्दुओ को कायर और बुजदिल कहा था, गांधी ने कहा हिन्दू अपनी कायरता के लिए मुसलमानों को दोषी ठहरा रहे हैं। 

अगर हिन्दू अपने जान माल की सुरक्षा नही कर सकता, तो इसमें मुसलमानों का क्या दोष? 

*हिन्दुओ की औरतों की इज़्ज़त लूटी जाती है* तो इसमें हिन्दू दोषी है, कहां थे उसके रिश्तेदार जब उस लड़की की इज़्ज़त लूटी जा रही थी? 

कुलमिला कर गांधी ने सारा दोष दंगा प्रभावित हिन्दुओ पर मढ़ दिया और कहा कि उन्हें हिन्दू होने पर शर्म आती है, जब हिन्दू कायर होगा तो मुसलमान उस पर अत्याचार करेगा ही ।

डॉ हेगड़ेवार को अब समझ आ चुका था कि सत्ता के भूखे भेड़िये, भारत की जनता की बलि देने से नही चूकेंगे।

इसलिए उन्होंने हिन्दुओ की रक्षा और उनको एकजुट करने के उद्देश्य से तत्काल *एक नया संगठन* बनाने का काम प्रारंभ कर दिया और अंततः 1925 में संघ *(RSS)*  की स्थापना हुई ! 

आज अगर हम होली और दीवाली मानते हैं, आज अगर हम हिन्दू हैं , तो केवल उसी खिलाफत आंदोलन के विरोध और *संघ की स्थापना की कारण*, अन्यथा तो जाने कब का *गज़वा-ए-हिन्द* बन चुका होता ।

13 साल के बच्चे का यौन उत्पीड़न करने के दोषी पादरी को विशेष को उम्रकैद

*🚩इस खबर पर मीडिया ने न डिबेट की और न ही ब्रेकिंग न्यूज चलाई, छुपाने के पैसे मिले क्या?*

*02 जनवरी 2022*
azaadbharat.org

*🚩इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हो अथवा प्रिंट मीडिया उसपर कई बुद्धिजीवी लोगों ने आरोप लगाया है कि कोई पेड खबर चलाने के जितने पैसे लेते हैं उससे ज्यादा पैसे कोई खास खबर छुपाने के पैसे भी लेते हैं।*

*🚩अक्सर देखा गया है कि जभी किसी साधु-संत पर षड्यंत्र के तहत कोई झूठा आरोप भी लगता है तो मीडिया महीनों तक प्राइम टाइम में ब्रेकिंग न्यूज़ व डिबेट चलाती है, उदाहरण के लिए- शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वतीजी और संत आशारामजी बापू; उनके खिलाफ कई महीनों तक झूठी खबरें दिखाई, अन्य और भी साधु/संतों के प्रति ऐसे ही खबर चलाते हैं लेकिन किसी पादरी अथवा मौलवी पर अपराध सिद्ध भी हो जाये तो भी कोई खबर नहीं दिखाई जाती है। इससे साफ होता है कि मीडिया झूठी खबरें चलाने व कई वास्तविक खबरें छुपाने के भी पैसे लेती होगी।*

*🚩इस खबर पर मीडिया मौन रही...*
*👉मुंबई के उपनगरीय क्षेत्र दादर में 2015 में 13 साल के बच्चे का यौन उत्पीड़न करने के दोषी पादरी को विशेष अदालत ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई।*

*👉विशेष न्यायाधीश सीमा जाधव ने आरोपी पादरी जॉनसन लॉरेंस को यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) कानून के संबंधित प्रावधानों के तहत दोषी पाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, अगस्त से नवंबर 2015 के बीच पादरी ने दो बार नाबालिग बच्चे का यौन उत्पीड़न किया।*

*👉पुलिस को दिए गए बयान में किशोर ने बताया कि वह 27 नवंबर, 2015 को अपने भाई के साथ दादर के शिवाजी नगर इलाके में स्थित चर्च गया था। प्रार्थना के बाद आरोपी ने एक बक्सा रखने के लिए पीड़ित को अंदर बुलाया और दरवाजा बंद करके उसका यौन उत्पीड़न किया।*

*👉बच्चे ने आरोप लगाया कि पादरी ने कुछ महीने पहले भी उसके साथ ऐसा ही किया था। पीड़ित बच्चे ने मजिस्ट्रेट के समक्ष भी यही बयान दिया। विशेष लोक अभियोजक वीणा शेलार ने बताया कि इस मुकदमे में कम से कम नौ लोगों की गवाही हुई।*
https://twitter.com/ANI/status/1476456374385078274?t=v5rGAtMX_ZvUPJ3lihZeaA&s=19

*🚩सेक्युलर, बुद्धिजीवी और मीडिया के अधिकांश हिस्से हिन्दू धर्म के पवित्र मंदिरों, आश्रमों व साधु-संतों पर षड्यंत्र के तहत कोई आरोप भी लगा दे तो खूब बदनाम करते हैं, परंतु दुनियाभर में पादरी बच्चों का शोषण करते हैं फिर भी इन ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों पर चुप रहते हैं। क्या उन्हें वेटिकन सिटी से भारी फंडिंग मिलती है?*

*🚩भारत में साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं। उनको साजिश के तहत झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा पेड न्यूज एवं डिबेट दिखाकर तथा "आश्रम" जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर कई मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों और ननों के साथ रेप करते हैं, उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी बिकाऊ मीडिया और प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं तो इन षड्यंत्रों को सहन कर लेते हैं।*

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