यह जम्मू के पहाड़ पर वन भूमि पर बने बड़े-बड़े इमारत देख रहे हैं न, यह सब अवैध है! क्योंकि यह नया पाकिस्तान बन चुका है। यहां फार्रुख अब्दुल्ला तक के मकान हैं।
यह जम्मू का भटिंडी है, जिस पर अब्दुल्ला-मुफ्ती-गुलाम नबी आजाद ने रौशनी-एक्ट के तहत अवैध तरीके से म्लेच्छों को बसाया है। वहां मक्का मस्जिद से लेकर विदेशी गाड़ियों के बड़े-बड़े शो रूम तक बने हैं। यह बहावी-मनी का कमाल है कि वहां का एक-एक घर करोड़ों का है।
रौशनी एक्ट को एडवोकेट अंकुर शर्मा ने निरस्त करवाया था, लेकिन तथाकथित हिंदूवादी केन्द्र सरकार हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका लेकर पहुंच गई कि इन्हें हम नहीं हटा सकते।
इससे पूर्व महबूबा मुफ्ती जब भाजपा के साथ सरकार चला रही थी तब अदालती आदेश को अमल में लाने से न सिर्फ उसने मना किया गया, बल्कि पुलिस बल को खुला आदेश दिया कि अवैध निर्माण हटाने वाली टीम को कोई संरक्षण प्रदान नहीं किया जाए! हद तो तब हुई जब इसे और बढ़ाने वाले कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म पुरस्कार तक दे दिया गया!
आज एडवोकेट अंकुर शर्मा की याचिका पर कश्मीर घाटी व जम्मू में जब अवैध निर्माण हटाने का काम आरंभ हुआ है तो फिर महबूबा मुफ्ती चिल्ला रही है और आतंकवादी संगठन ने यह धमकी दे दी है कि जो अवैध निर्माण हटाने के लिए जाएगा, बुल्डोजर आदि देगा उसे मार दिया जाएगा। वहां अवैध निर्माण हटाने वालों पर पथराव किया जा रहा है।
जम्मू का सिर्फ भटिंडी नहीं, बल्कि तबी नदी का पूरा बेल्ट अवैध घुसपैठियों से भरा हुआ है। जम्मू में ऐसे कई 'भटिंडी' बन चुके हैं। यही हालत रहा तो 50 साल बाद कश्मीर की तरह जम्मू से भी हिंदुओं को पलायन करना पड़ेगा।
हिंदुओं की देश में हर जगह यह स्थिति म्लेच्छों और अवैध घुसपैठियों को 'स्टेट' से मिल रहे प्रश्रय के कारण है। हिंदुओं को केवल घुसपैठियों से ही नहीं, सरकारों से भी लड़ना पड़ रहा है।
और जब हिंदू इसके विरुद्ध उठता है तो म्लेच्छों के पक्ष में सरकारें हिंदुओं का दमन करती हैं। उसके बाद ऐसा माहौल बनाती हैं कि हिंदू समाज ही अपने हिंदू भाईयों को गाली देने लगता है कि लड़े क्यों नहीं भाग क्यों आए? पलायन को अभिशप्त कश्मीरी व बंगाली हिंदुओं को आज भी गाली देते आपको हिंदू ही मिलेंगे!
वर्तमान में एंटी-हिंदू दिल्ली दंगा प्रत्यक्ष उदाहरण है जहां म्लेच्छ आरोपियों को बरी करवाया जा रहा है और हिंदुओं को सजा दिलवाई जा रही है।
हिंदू समाज हर तरफ से पिस रहा है, फिर भी वह 'गांधी' के समय से ही नेता और पार्टी पर फोकस्ड है, न कि अपने हितों पर।
हिंदुओं को व्यक्ति व पार्टीवाद छोड़कर अपने हितों की राजनीति अब्राहमिकों से सीखनी चाहिए। किसी भी पार्टी की सरकार आए, अब्राहमिकों के हितों को वो चोट नहीं पहुंचाते, बल्कि उसका तुष्टिकरण-तृप्तीकरण वो और जोर-शोर से करते हैं!
दूसरी तरफ किसी भी पार्टी की सरकार आए हमेशा हिंदुओं के हितों को रौंदा जाता है। उसे जातियों में बांटने के लिए नये-नये कमीशन व कानून बनाए जाते हैं! उनके हिस्से का लाभ भी म्लेच्छों को दे दिया जाता है।
*सोच कर देखिए भारत में बहुसंख्यक से अब आप तेजी से अल्पसंख्यक होते जा रहे हैं! नौ राज्यों में अल्पसंख्यक हो भी चुके हैं, लेकिन विभाजन के बाद भी आपको क्या मिला? आज भी हर जगह एक 'नया पाकिस्तान' मुंह बाए खड़ा है, जिसमें आखिरकार हिंदू समाज का ही विध्वंश होना निश्चित है।*