आषाढ़ अमावस्या आज
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कालसर्प और पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
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वैसे तो हिंदू धर्म में हर माह पड़ने वाली अमावस्या और पूर्णिमा की तिथि का महत्व है। लेकिन आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का अपना अलग ही महत्व है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद जरूरतमंदों को दान देता है, उसके जीवन में सुख-समृद्धि हमेशा बरकरार रहती है। इतना ही नहीं इस दिन कालसर्प दोष और पितृदोष से मुक्ति के लिए भी पूजा किया जाता है।
आषाढ़ अमावस्या तिथि
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हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 28 जून मंगलवार को सुबह 05 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है। अमावस्या तिथि का समापन 29 जून बुधवार को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगा।
आषाढ़ अमावस्या पर पितृदोष के लिए करें ये उपाय
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पितृदोष से मुक्ति के लिए आषाढ़ माह के अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने के बाद पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर जरूरतमंदों को किए गए दान से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं और पितृदोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
आषाढ़ी अमावस्या पर पितरों को इस तरह करें प्रसन्न
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1. इस दिन सुबह जल्दी उठकर पवित्र नदियों में स्नान करना चाहिए। अगर आप किसी नदी के तट पर न जा सकें तो घर में ही जल में गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके बाद पितरों के निमित्त श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण करें। साथ ही पशु पक्षियों को भी भोजन कराएं। इससे आपके पितर बहुत प्रसन्न होते हैं।
2. अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें। एक कलश में जल और दूध और मिश्री मिश्रित करके जल पेड़ में अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है।
3. अगर आपके घर में पितृदोष लगा हुआ है, तो आपको अमावस्या के दिन पीपल का पौधा लगाना चाहिए और इसी सेवा करनी चाहिए। हर अमावस्या पर इस पौधे के नीचे दीपक जलाना चाहिए। इससे पितृ दोष का प्रभाव दूर होता है और आपके जीवन की तमाम समस्याओं का अंत होता है।
4. अमावस्या के दिन किसी ब्राह्मण को घर में बुलाकर उन्हें ससम्मान भोजन कराएं और सामर्थ्य के अनुसार दान देकर विदा करें। इसके अलावा गरीब और जरूरतमंदों को दान दें। इससे भी आपको पितरों का आशीष प्राप्त होता है।
5. पितरों की शांति के लिए आप अमावस्या के दिन रामचरितमानस या गीता का पाठ करें। इसके अलावा पितरों का आशीष प्राप्त करने के लिए उनके मंत्र का जाप करें।
करें यह मंत्र जाप
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ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्.
ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्.
ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च, नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए इस विधि से करें पूजा
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जिस इंसान के कुंडली में काल सर्पदोष है वो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष के अमावस्या को शिव मंदिर में कालसर्प दोष की पूजा किसी विद्वान द्वारा करवा सकते हैं। इस दिन यदि आप महामृत्युंजयमंत्र का जप करते हैं तो राहु-केतु का असर खत्म हो जाता है।