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गुरुवार, 22 नवंबर 2012

पेट के विभिन्न हिस्सों में दर्द के कारण- आयुर्वेदिक उपचार:

पेट में दर्द के कई कारण हो सकते हैं। कई बार कब्ज के कारण, कई बार कोई गंभीर बीमारी से तो कभी आंतों में विकार के कारण ऐसे ही कुछ अन्य क्षणिक विकार पेट दर्द का कारण बनते हैं। हालांकि हल्का दृफुल्का पेट दर्द गुनगुना पानी पीकर ठीक किया जा सकता है लेकिन बार-बार पेट दर्द होने पर कोई बड़ी बीमारी भी हो सकती है। ऐसे में आपको कभी खुद से घरेलू उपचार नहीं करना चाहिए बल्कि तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए। आइए पेट दर्द के कारणों को।
पेट के विभिन्न हिस्सों में दर्द के कारण
पेट में ऊपर की तरफ दर्द सामान्यतः गैस्ट्राइटिस, लीवर में खराबी, आमाशय में छेद होने होने के कारण होता है।
पित्त की थैली में पथरी होने पर आमतौर पर पेट के दाएं तरफ दर्द होता है।
पेट के बीचोबीच दर्द का कारण अकसर पैन्क्रियाज की खराबी होता है।
पेट के निचले भाग में दर्द एपेन्डिसाइटिस, मूत्राशय में पथरी या संक्रमण के कारण होता है, लेकिन महिलाओं में पेट के निचले हिस्से में दर्द के कई कारण हो सकते हैं जैसे गर्भाशय में किसी तरह की खराबी, फाइब्रायड, एंड्रीयोमेट्रीयोसिस, माहवारी या कोई अन्य बीमारी। पेट के एक तरफ दर्द का कारण गुर्दे में पथरी या गुर्दे की अन्य कोई बीमारी हो सकती है।
जरूरी नहीं कि दर्द इन्हीं बीमारियों के कारण ही हो कई बार ओवरईटिंग करने, गलत खान-पान या कब्ज होने के कारण भी हो सकता है।
बच्चो में प्रायः पेट दर्द पेट में कीडे होने पर होता है।
एसीडिटी या अल्सर की शिकायत होने पर पेट के बीचोबीच अधिक दर्द होता है।
यदि आंतों में सूजन होती है तो लगभग पूरे पेट में ही दर्द होता है।
इन बीमारियों या दर्द के चलते यदि पेट दर्द का इलाज सही समय पर न करवाया जाए तो यही बीमारियां स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या बन सकती हैं।
पेट दर्द के लिए अल्ट्रासाउंड, एंडोस्कोपी, एक्सरे, सीटी स्कैन और रक्त की जांच कराई जाती हैं जिससे सही समय पर सही इलाज दिया जा सकें।


बच्चों से ले कर बूढ़ो तक की आंतों में ये कृमि पाये जाते हैं। इन कृमियों के कारण सैकड़ों लोग प्रतिवर्ष मौत का शिकार होते हैं और सैकड़ों ही अन्य रोगों की गिरफ्त में आ जाते हैं।

- पेट में कीड़ें होने के प्रमुख कारण हैं स्वच्छ पीने के पानी का अभाव, दूषित एवं अशुद्ध खाद्य पदार्थों का सेवन तथा शारीरिक स्वच्छता के प्रति उदासीनता।

- पेट में कीड़े होने से बुखार, शरीर का पीला पड़ जाना, पेट में दर्द, दिल में धक-धक होना, चक्कर आना, खाना अच्छा न लगना तथा यदा-कदा दस्त होना आदि लक्षण दिखाई देते हैं।

- पेट के कीड़े कई प्रकार के होते हैं। लेकिन मुख्यतः ये दो प्रकार की श्रेणियों में बंटे हैं- गोल कृमि, या ‘राउंड वर्म’ और फीता कृमि, या ‘टेप वर्म’।

- आयुर्वेदिक उपचार:

- वायबिडंग, सौंठ, पीपल और काली मिर्च, समान भाग में ले कर, चूर्ण बना लें और गर्म पानी के साथ कुछ दिन खाने से पेट के कीड़ों का नाश होता है।

- अजवायन के चूर्ण को गुड़ में मिला कर गोली बना लें। दिन में 3 बार खाने से पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं। सुबह खाली पेट गुड़ खा कर 15-20 मिनट बाद अजवायन का चूर्ण पानी के साथ लें। इससे आंतों के सभी प्रकार के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

- पीपल का चूर्ण, नींबू के रस के साथ थोड़ा शहद मिला कर, चाटें।

- नीम की कोमल पत्तियां, पुदीना, करेले के पत्ते, लहसुन, इन सबको मिला कर रस निकालें और प्रतिदिन 2 चम्मच पीएं।

- पलाश के बीज का काढ़ा शहद में मिला कर पीने और इसके बीज की चटनी बना कर शहद में मिला कर चाटने से भी आंत के कीड़े नष्ट होते हैं।

- धतूरे के पत्ते, अरंड के पत्ते, मेंहदी के पत्ते, प्याज, इन्हें पीस कर गुदा पर लेप करें।

- सोंठ, पीपर, पीपरामूल, चव्य, चिजक, तालीस पत्र, दालचीनी, जीरा, सौंठ, अम्लवेत, अनारदाना, पांचों नमक, बराबर मात्रा में चूर्ण कर, भोजन के बाद 2 माशे लें।

- 2, या 3 लाल टमाटर को काट कर सेंधा नमक और काली मिर्च मिला कर, खाली पेट शाम के वक्त कुछ दिन खाएं। याद रखें, इसे खाने के 2 घंटे पहले और 2 घंटे बाद कुछ और न खाएं।

- इमली की पत्तियाँ भी पेट के कीड़ों का नाश करती हैं।

- गाजर में आँतों के हानिकारक जंतुओं को नष्ट करने का अदभुत गुण पाया जाता है।

- नीम पत्र के चूर्ण में एक ग्राम अजवाइन डाल कर ले .

- पके हुए पपीते में भुना हुआ जीरा पीस कर तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक डाल कर ले .रोगी की आंतों में कीड़ों के अण्डे मल के साथ बाहर निकलते हैं।

- 10 ग्राम नींबू के पत्तों का रस (अर्क) में 10 ग्राम शहद मिलाकर पीने से 10-15 दिनों में पेट के कीड़े मरकर नष्ट हो जाते हैं। नींबू के बीजों के चूर्ण की फंकी लेने से कीड़ों का विनाश होता है।

- दो सप्ताह तक लगभग तीन ग्राम हरड़ के चूर्ण का सेवन करना चाहिए।

- कच्चे पपीते के छिलके छीलकर उसका रस निकाल लें। चार चम्मच रस सुबह और छः चम्मच रस शाम को पिलाएं। यह रस बच्चों के जिगर को भी ठीक करता है।

- एक चम्मच करेले का रस तथा आधा कप पपीते का रस—दोनों को मिलाकर रात को सोते समय रोगी को पिलाएं।

- पपीते का गूदा 200 ग्राम लेकर उसमें 20 ग्राम पुदीना तथा 10 दाने काली मिर्च की चटनी बनाकर मिला लें। इस अवलेह का नित्य सुबह-शाम रोगी को सेवन कराएं।

- एक कप पपीते का रस, आधा कप गाजर का रस तथा चार दाने काली मिर्च का चूर्ण तीनों को मिलाकर चार खुराक करें। फिर उसे बिना कुछ खाए दिन भर में चार बार सेवन करें। पेट के कृमि जड़-मूल से नष्ट हो जाएंगे।-

- लहसुन खाने से गोल कृमि का खात्मा होता है .

- कद्दू के बीज का पावडर किसी ज्यूस में लेने से फीता कृमि और गोल कृमि नष्ट होते है और आंत की सफाई होती है .

- रोजाना अनानास खाए .

- एक हफ्ते तक दिन में २-३ बार छाछ में भुना हुआ जीरा , सेंधा नमक और काली मिर्च डाल कर ले .

- एक बड़ा चम्मच कसा हुआ नारियल ले . is पर ४० मि.ली. erand का tel ले . फिर करीब तीन घंटे बाद एक glaas दूध ले .

- पीच का ज्यूस भी वर्म्स को हटाता है .

- सुबह खाली पेट गरम पानी में एक चम्मच सेंधा नमक डाल कर ले .

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