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शुक्रवार, 15 सितंबर 2023

ये ढाई फीट की गाय देती है तीन लीटर दूध, 14 साल की मेहनत से तैयार हुई अनूठी 'ब्रीड'


ये ढाई फीट की गाय देती है तीन लीटर दूध, 14 साल की मेहनत से तैयार हुई अनूठी 'ब्रीड'

पुंगनूर गाय का रेट अभी एक लाख से पांच लाख तक है, जो कि रेट मिनिएचर पुंगनूर का है. लेकिन डॉ. राजू ने अभी तक मिनिएचर पुंगनूर किसी को बेचा नहीं है बल्कि मुफ्त में दिया है. कई विदेशी लोग मिनिएचर पुंगनूर गाय उनसे मांग रहे हैं, लेकिन डॉ. राजू ने किसी विदेशी को यह गाय अभी तक नहीं दिया है.

ढाई फीट की गाय मिनिएचर पुंगनूर
आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में एक वैद्य ने 14 साल के अथक परिश्रम के बाद पुंगनूर गाय में नस्ल सुधार किया है. पुंगनूर को सबसे छोटी गाय का दर्ज प्राप्त है. इस वैद्य ने नस्ल सुधार के बाद ढाई फीट की पुंगनूर गाय विकसित की है. इस गाय का नाम उन्होंने मिनिएचर पुंगनूर रखा है. वैसे पुंगनूर की सामान्य ऊंचाई तीन से पांच फीट के बीच होती है. जबकि मिनिएचर पुंगनूर की ऊंचाई ढाई फीट तक है. नस्ल सुधार के बाद तैयार इस ब्रीड को विकसित करने वाले वैद्य का नाम है डॉ. कृष्णम राजू. डॉ. राजू गौशाला चलाते हैं और इस गौशाला का नाम नाड़ीपति गोशाला है. 

'किसान तक' से एक बातचीत में डॉ. राजू कहते हैं, पुंगनूर जब पैदा होती है तो उसकी हाईट 16 इंच से 22 इंच तक होती है. लेकिन मिनिएचर पुंगनूर की ऊंचाई 7 इंच से 12 इंच तक होती है. पुंगनूर 112 साल पुरानी ब्रीड है जबकि मिनिएचर पुंगनूर को 2019 में विकसित किया गया है. डॉ. राजू के मुताबिक, असली पुंगनूर वैदिक काल में वशिष्ट और विश्वामित्र ऋषि के समय में हुआ करती थी. लेकिन जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन हुआ, स्थान बदला, वैसे-वैसे पुंगनूर की ऊंचाई बढ़ती गई. पहले पुंगनूर की ऊंचाई ढाई से तीन फीट होती थी जिसे ब्रह्मा ब्रीड कहते थे.

डॉ. राजू बताते हैं कि अभी पूरे देश में गायों की केवल 32 नस्ल बच गई है, जबकि प्राचीन काल में 302 के आसपास नस्ल की गायें हुआ करती थीं. डॉ. राजू ने पुंगनूर की ऊंचाई कम करने में कैसे सफलता पाई? इसके बारे में वे कहते हैं.

पुंगनूर की हाईट अभी तीन से पांच फीट होती है, लेकिन डॉ. राजू ने इसे घटाकर दो-ढाई फीट तक किया है. इसके बारे में वे बताते हैं, आंध्र प्रदेश के लाइवस्टॉक रिसर्च स्टेशन, पलमानेर से पुंगनूर सांड का वीर्य लिया. यह वीर्य उस सांड का लिया गया जो पुंगनूर में सबसे छोटा था. इस वीर्य से पुंगनूर गाय में कृत्रिम गर्भाधान किया गया. इससे पैदा हुए छोटे से छोटे सांड का वीर्य लिया, उसे फिर पुंगनूर गायों में कृत्रिम गर्भाधान कराया. यह कोशिश लगातार कई साल तक चलती रही और अंत में डॉ. राजू को दो फीट तक छोटी गाय तैयार करने में सफलता हासिल हो गई. सबसे छोटी मिनिएयर पुंगनूर की ऊंचाई 2.5 फीट है जिसे 17 दिसंबर 2019 को विकसित किया. 14 साल की मेहनत के बाद डॉ. राजू को सफलता मिली और इसके लिए कई अवॉर्ड भी मिल चुके हैं. डॉ. राजू अभी दुनिया के सबसे छोटी गाय की नस्ल सुधार करने के लिए जाने जाते हैं.
इसके लिए डॉ. राजू ने 1600 गायों पर रिसर्च की. पुंगनूर गाय को छोटी करने के पीछे डॉ. राजू का तर्क है कि पहले गायों को घर में ही रखा जाता था. लेकिन तब एक एकड़ तक में घर होते थे. तब बड़ी गायें घर में रखी जाती थीं क्योंकि घर के अहाते में जगह की कमी नहीं होती थी. अब घर छोटी जगहों में बनाए जाते हैं. इसलिए छोटे घर में छोटी गाय होनी चाहिए. छोटी गाय का खर्च भी कम आएगा. डॉ. राजू कहते हैं, गाय की सांस से कई बीमारियों का इलाज शास्त्रों में बताया गया है. इसी लिहाज से घरों में गायों को रखने के लिए छोटी नस्ल विकसित की गई. 

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