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शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है

#सोने_की_चिड़िया_वाले_देश_का_असली_राजा_कौन ?
बड़े ही शर्म की बात है कि #महाराज_विक्रमादित्य के बारे में देश को लगभग शून्य बराबर ज्ञान है, जिन्होंने भारत को सोने की चिड़िया बनाया था, और स्वर्णिम काल लाया था ।

★उज्जैन के राजा थे गन्धर्वसैन , जिनके तीन संताने थी , सबसे बड़ी लड़की थी मैनावती , उससे छोटा लड़का भृतहरि और सबसे छोटा वीर विक्रमादित्य...बहन मैनावती की शादी धारानगरी के राजा पदमसैन के साथ कर दी , जिनके एक लड़का हुआ गोपीचन्द , आगे चलकर गोपीचन्द ने श्री ज्वालेन्दर नाथ जी से योग दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , फिर मैनावती ने भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग दीक्षा ले ली ।
★आज ये देश और यहाँ की संस्कृति केवल विक्रमादित्य के कारण अस्तित्व में है
अशोक मौर्य ने बोद्ध धर्म अपना लिया था और बोद्ध बनकर 25 साल राज किया था
भारत में तब सनातन धर्म लगभग समाप्ति पर आ गया था, देश में बौद्ध और जैन हो गए थे ।
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★रामायण, और महाभारत जैसे ग्रन्थ खो गए थे, महाराज विक्रम ने ही पुनः उनकी खोज करवा कर स्थापित किया
विष्णु और शिव जी के मंदिर बनवाये और सनातन धर्म को बचाया
विक्रमादित्य के 9 रत्नों में से एक कालिदास ने अभिज्ञान शाकुन्तलम् लिखा, जिसमे भारत का इतिहास है
अन्यथा भारत का इतिहास क्या मित्रो हम भगवान् कृष्ण और राम को ही खो चुके थे
हमारे ग्रन्थ ही भारत में खोने के कगार पर आ गए थे,
उस समय उज्जैन के राजा भृतहरि ने राज छोड़कर श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से योग की दीक्षा ले ली और तपस्या करने जंगलों में चले गए , राज अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को दे दिया , वीर विक्रमादित्य भी श्री गुरू गोरक्ष नाथ जी से गुरू दीक्षा लेकर राजपाट सम्भालने लगे और आज उन्ही के कारण सनातन धर्म बचा हुआ है, हमारी संस्कृति बची हुई है ।
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★महाराज विक्रमादित्य ने केवल धर्म ही नही बचाया
उन्होंने देश को आर्थिक तौर पर सोने की चिड़िया बनाई, उनके राज को ही भारत का स्वर्णिम राज कहा जाता है
विक्रमादित्य के काल में भारत का कपडा, विदेशी व्यपारी सोने के वजन से खरीदते थे
भारत में इतना सोना आ गया था की, विक्रमादित्य काल में सोने की सिक्के चलते थे , आप गूगल इमेज कर विक्रमादित्य के सोने के सिक्के देख सकते हैं।
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★हिन्दू कैलंडर भी विक्रमादित्य का स्थापित किया हुआ है
आज जो भी ज्योतिष गणना है जैसे , हिन्दी सम्वंत , वार , तिथीयाँ , राशि , नक्षत्र , गोचर आदि उन्ही की रचना है , वे बहुत ही पराक्रमी , बलशाली और बुद्धिमान राजा थे ।
कई बार तो देवता भी उनसे न्याय करवाने आते थे ,
विक्रमादित्य के काल में हर नियम धर्मशास्त्र के हिसाब से बने होते थे, न्याय , राज सब धर्मशास्त्र के नियमो पर चलता था
विक्रमादित्य का काल प्रभु श्रीराम के राज के बाद सर्वश्रेष्ठ माना गया है, जहाँ प्रजा धनि और धर्म पर चलने वाली थी ।
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पर बड़े दुःख की बात है की भारत के सबसे महानतम राजा के बारे में कांग्रेसी और वामपंथीयों का इतिहास भारत की जनता को शून्य ज्ञान देता है ।
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                           जय जय महाकाल

भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद

*read full story*
*दीपक चौरसिया जाने-माने पत्रकार ने जो कुछ कहा एवं लिखा है उसे आप लोगों से शेयर करने से बाध्य हूँ क्योंकि इसमे सच्चाई है, और मुझे बहुत पसन्द आई।*

*भाजपा मोदी से पहले और मोदी के बाद*
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जब तक भाजपा वाजपेयीजी की विचारधारा पर चलती रही, वो राम के बताये मार्ग पर चलती रही। मर्यादा, नैतिकता, शुचिता इनके लिए कड़े मापदंड तय किये गये थे। परन्तु   कभी भी पूर्ण बहुमत हासिल नहीं कर सकी।

जहाँ करोड़ों रुपये के घोटाले- घपले करने के बाद भी कांग्रेस बेशर्मी से अपने लोगों का बचाव करती रही, वहीं पार्टी फण्ड के लिए मात्र एक लाख रुपये ले लेने पर भाजपा ने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष बंगारू लक्षमण को हटाने में तनिक भी विलंब नहीं किया। 
परन्तु चुनावों में नतीजा??
वही ढाक के तीन पात...

झूठे ताबूत घोटाला के आरोप पर तत्कालीन रक्षामंत्री जार्ज फर्नांडिस का इस्तीफा, 
परन्तु चुनावों में नतीजा?? 
वही ढाक के तीन पात...

कर्नाटक में येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते ही येदियुरप्पा को भाजपा ने निष्कासित करने में कोई विलंब नहीं किया.....
परन्तु चुनावों में नतीजा??? 
वही ढाक के तीन पात...

खैर....
फिर  होता है नरेन्द्र मोदी का पदार्पण । मर्यादा पुरुषोत्तम राम के नक्शे कदम पर चलने वाली भाजपा को वो कर्मयोगी कृष्ण की राह पर ले आते हैं।

कृष्ण अधर्मी को मारने में किसी भी प्रकार की गलती नहीं करते हैं। छल हो तो छल से, कपट हो तो कपट से, अनीति हो तो अनीति से..... अधर्मी को नष्ट करना ही उनका ध्येय होता है। 
इसीलिए वो अर्जुन को सिर्फ कर्म करने की शिक्षा देते हैं।

कुल मिलाकर सार यह है कि, 
अभी देश दुश्मनों से घिरा हुआ है, नाना प्रकार के षडयंत्र रचे जा रहे हैं। इसलिए अभी हम नैतिकता को अपने कंधे पर ढोकर नहीं चल सकते हैं। नैतिकता को रखिये ताक पर, और यदि इस देश को बचाना चाहते हैं, तो सत्ता को अपने पास ही रखना होगा। वो चाहे किसी भी प्रकार से हो, साम दाम दंड भेद किसी भी प्रकार से....

बिना सत्ता के आप कुछ भी नहीं कर सकते हैं। इसलिए भाजपा के कार्यकर्ताओं को चाहिए कि,
कर्ण का अंत करते समय कर्ण के विलापों पर ध्यान ना दें । सिर्फ ये देखें कि.........
अभिमन्यु की हत्या के समय उनकी नैतिकता कहाँ चली गई थी.....

कर्ण के रथ का पहिया जब कीचड़ में धंस गया तब भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा, 
पार्थ देख क्या रहे हो, इसे समाप्त कर दो।
संकट में घिरे कर्ण ने कहा, यह अधर्म है.....! 
भगवान कृष्ण ने कहा, 
अभिमन्यु को घेर कर मारने वाले और द्रौपदी को भरी दरबार में वेश्या कहने वाले के मुख से आज अधर्म की बातें शोभा नहीं देती ....!! 
आज राजनीतिक गलियारा जिस तरह से संविधान की बात कर रही है तो लग रहा है जैसे हम पुनः महाभारत युग में आ गए हैं...
विश्वास रखो महाभारत का अर्जुन नहीं चूका था आज का अर्जुन भी नहीं चूकेगा

*यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः!*
*अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानम सृजाम्यहम !*

चुनावी जंग में अमित शाह   जो कुछ भी जीत के लिए पार्टी के लिए कर रहे हैं वह सब उचित है...

.  अटल बिहारी वाजपेयी   की तरह एक वोट का जुगाड़ न करके आत्मसमर्पण कर देना क्या एक राजनीतिक चतुराई थी....???

अटलजी ने अपनी व्यक्तिगत नैतिकता के चलते एक वोट से अपनी सरकार गिरा डाली और पूरे देश को चोर लुटेरों के हवाले कर दिया.....

साम, दाम, भेद, दण्ड राजा या क्षत्रिय द्वारा अपनायी जाने वाली नीतियाँ हैं जिन्हें उपाय-चतुष्ठय (चार उपाय) कहते हैं....

राजा को राज्य की व्यवस्था सुचारु रूप से चलाने के लिये सात नीतियाँ वर्णित हैं ,

उपाय चतुष्ठय के अलावा तीन अन्य हैं- 
माया, उपेक्षा तथा इन्द्रजाल...!!!

राजनीतिक गलियारे में ऐसा विपक्ष नहीं है जिसके साथ नैतिक - नैतिक खेल खेला जाए.... सीधा धोबी पछाड़ आवश्यक है....!!!

*जय हिन्द...*

*One more*
*-:अनजाना इतिहास:-*
बात 1955 की है। सउदी अरब के बादशाह "शाह सऊद"  प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर भारत आए थे। वे 4 दिसम्बर 1955 को दिल्ली पहुँचे जहाँ उनका पूरे शाही अन्दाज़ में स्वागात किया गया शाह सऊद दिल्ली के बाद वाराणसी भी गए। 
सरकार ने दिल्ली से वाराणसी जाने के लिए, "शाह सऊद" के लिए, एक विशष ट्रेन में विशेष कोच की व्यवस्था की। शाह सऊद, जितने दिन वाराणसी में रहे उतने दिनों तक बनारस के सभी सरकारी इमारतों पर "कलमा तैय्यबा" लिखे हुए झंडे लगाए गए थे।😡😡

वाराणसी में जिन जिन रास्तों से "शाह सऊद" को गुजरना था, उन सभी रास्तों में पड़ने वाली मंदिर और मूर्तियों को परदे से ढक दिया गया था। 

इस्लाम की तारीफ़ और हिन्दुओं का मजाक बनाते हुए शायर "नज़ीर बनारसी" ने एक शेर कहा था -👇🏻
*अदना सा ग़ुलाम उनका, गुज़रा था बनारस से॥*
*मुँह अपना छुपाते थे, काशी के सनम-खाने॥*

अब खुद सोचिये कि क्या आज मोदी और योगी के राज में किसी भी बड़े से बड़े तुर्रम खान के लिए ऐसा किया जा सकता है। आज ऐसा करना तो दूर, कोई करने की सोच भी नहीं सकता। हिन्दुओं जबाब दो तुम्हे और कैसे अच्छे दिन देखने की तमन्ना थी ?

*आज भी बड़े बड़े ताकतवर देशों के प्रमुख भारत आते हैं और उनको वाराणसी भी लाया जाता है, लेकिन अब मंदिरों या मूर्तियों को छुपाया नहीं जाता है बल्कि उन विदेशियों को गंगा जी की आरती दिखाई जाती है और उनसे पूजा कराई जाती है।* 🙏
*ये था दोगले कांग्रेसियों का हिंदुत्व दमन😡*
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कुछ को मै जगाता हूँ- कुछ को आप जगाऐं।

         *राष्ट्रधर्म सर्वोपरि🚩*
*🇮🇳जय हिन्द-जय भारत🇮🇳*

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