जय श्री कृष्णा, ब्लॉग में आपका स्वागत है यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें। मैं हर इंसान के लिए ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ। धन्यवाद, "साँवरिया " #organic #sanwariya #latest #india www.sanwariya.org/
What is QR code in Hindi (QR Code क्या है और कैसे काम करता है ?)तो क्या आप भी उन्ही लोगों मे से है जिन्हे QR Code को स्कैन करके पेमेंट करना ज्यादा अच्छा लगता है।
पर क्या आप जानते है QR Code क्या है (What is QR code in Hindi)
आज छोटे दुकान से लेके बड़े -बड़े कॉम्पनियों के अपने QR code होते है।जिसे
हम स्कैन करके बड़े ही आसानी से उस कंपनी के URL या उस प्रोडक्ट की जानकारी
पा लेते है।वैसे तो हर कोई QR code बना सकता है।
QR code कैसे बनाए हम इस आर्टिकल मे जानेंगे।QR code आज हर जगह देखने को मिलता हम जब भी किसी को UPI पेमेंट करते है तो दुकानदार हमे अपना QR code स्कैन करने को कहता है और इंटरनेट की मदद से पेमेंट पूरा जाता है। पलक झपकते ही
QR Code क्या है(What is QR code in Hindi)
Full form of QR code/QR code का पूरा नाम होता है Quick ResponseCode जो की दिखने मे एक सफेद पेज पर बने चौकोर ग्रिड मे व्यवस्थित काले वर्ग के होते है।
जिसे किसी भी कैमरा द्वारा
स्कैन करके पड़ा जा सकता है।इसका स्तेमाल आज ज्यादा तर UPI पेमेंट करने के
लिए कीया जाता है तथा किसी भी प्रोडक्ट मे इसे लगाया जाता है।
जिसमे उस प्रोडक्ट की सारी जानकारी होती है। QR code को कोई भी इस्तेमाल कर सकता है
चाहे वह पर्सनल यूज के लिए हो या प्रोफेसनल यूज के लिए इसे आप अपने विजिटिंग कार्ड मे भी प्रिन्ट कर सकते है जिसमे आप अपना ईमेल तथा वेबसाईट और पता स्टोर कर सकते है।
यह बार कोड UPC (universal product code) से तेज पड़ने तथा ज्यादा मेमोरी होने के वजह से महसूर है इसे स्कैन करने पर बहुत ही तेजी से आप इसके अंदर छिपे डेटा को पढ़ सकते है।
QR Code का इतिहास – History of QR Code in Hindi?
इसे सन 1994 में DENSO WAVE द्वारा जापान में announce किया गया है।जो की अपने तेज गति से डेटा को पड़ने के लिए महसूर है।
Smartphone से QR Code कैसे स्कैन करे
यदि
आप अपने स्मार्ट फोन से QR Code को स्कैन करना चाहते है तो यह बड़ा ही आसान
है।यह निर्भर करता है की आपको QR Code किस काम के लिए स्कैन करना है
जैसे किसी को online payment करना है या किसी भी प्रोडक्ट या विजिटिंग कार्ड की QR Code को स्कैन करना है
Online payment के लिए QR Code कैसे स्कैन करे जाने
यदि आप किसी को UPI payment करना चाहते है तो आप सबसे पहले अपने किसी भी UPI Payment एप को खोले
जैसे Google pay, Phone Pe
जब आप इनमे से कोई आप खोलेंगे तो आपको Google pay मे ऊपर left साइड कोने
मे और Phone Pe मे ऊपर के Right side मे आपको QR स्कैन का लोगों या फिर
ऑप्शन दिखेगा आपको उसे खोलना है
और आपका स्कैनर खुल जाएगा आब किसी भी UPI QR Code के सामने रखे स्कैनर उसे पलक झपकते ही स्कैन कर लेगा।
किसी अन्य QR Code जैसे किसी विजिटिंग कार्ड के QR Code को कैसे स्कैन करे जाने
यदि आप इसी प्रोडक्ट या फिर विजिटिंग कार्ड पर बने QR Code को स्कैन अपने स्मार्ट फोन से करना चाहते है
तो इसके लिए आप गूगल प्ले स्टोर पर जाए और किसी भी QR Code स्कैनर को डाउनलोड करे और इंस्टाल हो जाने पर उसे खोले और स्कैन करे .
QR Code मे क्या स्टोर करे
QR Code मे क्या स्टोर करे यह सवाल आपके मन मे भी आ रही होगी तो हम जानते है। QR Code आज कोई भी बना सकता अगर आप भी चाहते है
अपने बिजनस या अपने विजिटिंग कार्ड मे QR Code भी जोड़ना चाहते है तो QR Code कैसे बनाए हम आगे जानेंगे फिलहाल जानते है।
QR Code मे क्या स्टोर करे हम QR Code मे किसी भी तरह का URL,LINK,तथा अपने ईमेल आइडी और फोन नंबर और बिजनस का पता स्टोर कर सकते है।
आप अपने वेबसाईट का URL भी स्टोर कर सकते है। ताकि लोग सीधे आपके QR Code को स्कैन करके आपके वेबसाईट पर पहुच जाए । इत्यादि .
QR Code के प्रकार -Types of QR Code in Hindi?
QR code क्या है -What is QR code in Hindi आपने जाना अब हम जानते है QR Code के प्रकार QR Code दो तरह के होते है।
Static QR Code
Dynamic QR Code
Static
QR Code को किसी भी आम सूचना को प्रकाशित करने के लिए कीया जाता है। इसे
बनाने वाले इससे काफी कम जानकारी ही हासिल कर पते है। जैसे इसे कितनी बार
स्कैन कीया गया है और कौन से प्लेटफॉर्म से स्कैन कीया गया है OS या
ANDROID.
वही Dynamic QR Code के निर्माता इस QR Code
काफी जानकारी हासिल कर पाते है जैसे -जिसने स्कैन कीया उसका नाम स्कैन करने
वाले की ईमेल आईडीQR Code को कितनी बार स्कैन किया गया ,इत्यादि.
QR Code कैसे बनाए – How to Generate QR code in Hindi
QR
Code kse bnae यदि आप भी अपने बिजनस के लिए QR Code Generate करना चाहते
है।तो यद बिल्कुल ही आसान है। इसे कोई भी Generate कर सकता है।
स्टेप 1- सबसे पहले अपने स्मार्ट फोन के गूगल प्ले स्टोर मे जाए .
स्टेप 2- वहाँ सर्च करे QR code Generator.
स्टेप 3 -अब आपके सामने कई QR code Generator के लिस्ट आएंगे इसनमे से कोई भी इंस्टाल करे.
स्टेप 4- अब आप Generator खोले और बनाए अपना QR code.
मुझे
उम्मीद है What is QR code in Hindi (QR Code क्या है)QR code कैसे बनाए
?आपको आपको पूरा समझ आ गया होगाआपने आज QR code को कैसे बनाए ये भी जाना
मैंने यह आर्टिकल बहुत ही आसान सबद्धों ने लिखा है ताकि आपको What is QR
code in Hindi (QR Code क्या है) अच्छे से समझ आ सके यदि आपका इससे जुड़ा
कोई सवाल हो तो हमसे जरूर पूछे और कैसी लगी आपको यह जानकारी नीचे कमेन्ट कर
के जरूर बताए और इस आर्टिकल को शेयर करे धन्यबाद.
आज हम जानेंगे आज के दुनिया मे स्मार्ट फोन हम मानव की जरूरत सी बन चुकी
है.स्मार्टफोन के मदद से हमारे जीवन के काम करने के तौर तरीकों मे बहुत ही
बदलाओ सा हो गया है.
ऐसे मे हम अगर बात करते है स्मार्ट फोन की तो
हमे Android शब्द सुनने को जरूर मिलता है और आप मे से बहुतों लोग इसका
स्तेमाल बी करते है पर Android Kya Hota Hai इसकी जानकारी हमे पूरी तरह
नहीं होती जिसके लिए मुझे लगा क्यू ना आपको एंड्रॉयड क्या है हिन्दी मे
इसकी जानकारी आपलोगों तक पहुचाया जाए.
ताकि जब भी Android शब्द का
जिक्र हो तो आप इसे दूसरों को भी समझा सके की Android क्या होता है और इसका
काम क्या है ताकि आप एक स्मार्ट यूजर कहलाए.Androidके साथ साथ आपने Windows और iOS स्मार्ट फोन के बारे मे भी सुना होगा पर आज हम Android के बारे मे जानेंगे की Android Operating System Kya Hai विस्तार से.
Android एक ओपन सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम
है जिसका स्तेमाल स्मार्टफोन मे सबसे ज्यादा कीया जाता है यह पूरे दुनिया
मे ऑपरेटिंग सिस्टम के मामले मे सबसे प्रसिद्ध ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे Google के द्वारा बनाया गया है और यह linux kernel के ऊपर आधारित ऑपरेटिंग सिस्टम है और यह बहुत ही user Friendly है जिसे बड़े ही आसानी से कोई भी स्तेमाल कर सकता है.
Android
open source होने के वजह से इसे ज्यादा तर मोबाईल कंपनी द्वारा उनके
स्मार्ट फोन मे डाला जाता है और क्यू की यह ओपन सोर्स है इसके चलते Android
ऑपरेटिंग सिस्टम वाले फोन हमे सस्ते दामों पर मिल जाता है.
सुरू से
लेकर आज तक इसके कई वर्ज़न आ चुके है जिनमे Android 1.0 Alpha ,Android 4.1
Jelly Bean, Android 5.0 Lollipop, 6.0 Marshmallow, Android 10 इत्यादि
सामील है जिनके बारे मे हम आगे जानेंगे.
Fact-भारत
मे 90% से 94% स्मार्टफोन एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम वाले स्तेमाल कीये
जाते है और वही बात करे पूरे दुनिया मे तो करीब 70 %से 85% स्मार्ट फोन
एंड्रॉयड के स्तेमाल कीये जाते है .
Open-source क्या है?
ओपन
सोर्स उसे कहते है जिसके सोर्स कोड आम डेवलपर्स के लिए उपलब्ध हो और उसमे
किसी भी तरह परिवर्तन कीया जा सके और इसके लिए किसी को किसी भी तरह का कोई
चार्ज नहीं देना होता है.
उदाहरण
के और पर आप जिस भी कंपनी का स्मार्टफोन स्तेमाल करते है वो रहता तो
Android ही है पर कंपनी उसमे कुछ परिवर्तन कर अपने खुद के UI (User interface ) डाल कर देती है जैसे realme के स्मार्ट फोन मे हमे (Realme ui 2.0) और Oneplus के फोन मे (Oxygen OS 11) देखने को मिलता है.
एंड्रॉयड का इतिहास-History of Android in Hindi
गूगल से पहले एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम Android Inc की थी जिसके फाउन्डर Andy Rubin,
Rich Miner, Nick Sears और Chris White थे.इहोने इसपर सुरुवात मे काम कीया
और क्यू की इनके पास कुछ खास फन्डिंग ना होने के कर इसे गूगल को 2005 मे
बेचना पड़ा.
गूगल से पहले एंड्रॉयड (Android Inc)
की थी जिसके फाउन्डर Andy Rubin, Rich Miner, Nick Sears और Chris White
थे.इहोने इसपर सुरुवात मे काम कीया और क्यू की इनके पास कुछ खास फन्डिंग ना
होने के कर इसे गूगल को 2005 मे बेचना पड़ा और गूगल ने Android को खरीदने
के बाद इन्ही चारों को उसका मुख्य बनाया.
बाद मे March 2013 मे Andy
Rubin को इसे छोड़ किसी और प्रोजेक्ट पर अपना समय देने का सोचा और आगे चलकर
Android को Sundar Pichai के देख रेख मे रखा गया और सन 2007 एंड्रॉयड मे
अपना पहला वर्ज़न लौंच कीया और एक एक कर इसमे कई सुधार कर नए नए वर्ज़न
मार्केट मे लौंच कीया गया.
Android OS की Evolution – Android Beta से Pie तक का सफ़र
यह
कहना बिल्कुल भी गलत नहीं की आज एंड्रॉयड दुनिया का सबसे लोकप्रिय
ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे समसे ज्यादा स्मार्टफोन के लिए पसंद कीया जाता है
वही आजकल इसका उपयोग कुछ स्मार्ट टीवी इत्यादि मे भी किया जा रहा है.
यदि
बात लकरे एंड्रॉयड की तो इसे Google और Open Handset Alliance मिलकर
डेवेलप कीया था तब से लकर आज तक बाजार मे इसके कई वर्ज़न आ चुके है वही इसमे
पहले से बहुत ज्यादा सुधार हो चुका और अब का एंड्रॉयड एक अड्वान्स OS है.
एंड्रॉयड
के बारे मे सबसे रोचक बात यह है की इसके हर वर्ज़न को Alphabetic order के
हिसाब से कोड नेम दिए जाते है जैस Cupcake, Donut, Éclair, Froyo,
Gingerbread, Honeycomb, Ice cream sandwich, Jelly Bean, KitKat,
Lollipop, Marshmallow, Nougat, Oreo और Pie और यह सभी नाम किसी ना किसी
desserts के नाम पर रखा गया है.
Android Versions के नाम और API level (Android versions, name, and API level)
हमने
एंड्रॉयड क्या है और Android के इतिहास के बारे मे जाना अब हम एंड्रॉयड
द्वारा सुरू से लकर अभी तक के वर्ज़न के नाम और उनमे हुए अपडेट के बारे मे
जानते है और आपने इन सभी मे से एक दो ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल जरूर
कीया होगा अगर आप एंड्रॉइड स्मार्टफोन का स्तेमाल करते होंगे तो.
Code name
Version numbers
API level
Release date
Alpha
1.0
1
September 23, 2008
Beta
1.1
2
February 9, 2009
Cupcake
1.5
3
April 27, 2009
Donut
1.6
4
September 15, 2009
Eclair
2.0 – 2.1
5 – 7
October 26, 2009
Froyo
2.2 – 2.2.3
8
May 20, 2010
Gingerbread
2.3 – 2.3.7
9 – 10
December 6, 2010
Honeycomb
3.0 – 3.2.6
11 – 13
February 22, 2011
Ice Cream Sandwich
4.0 – 4.0.4
14 – 15
October 18, 2011
Jelly Bean
4.1 – 4.3.1
16 – 18
July 9, 2012
KitKat
4.4 – 4.4.4
19 – 20
October 31, 2013
Lollipop
5.0 – 5.1.1
21- 22
November 12, 2014
Marshmallow
6.0 – 6.0.1
23
October 5, 2015
Nougat
7.0
24
August 22, 2016
Nougat
7.1.0 – 7.1.2
25
October 4, 2016
Oreo
8.0
26
August 21, 2017
Oreo
8.1
27
December 5, 2017
Pie
9.0
28
August 6, 2018
Android 10
10.0
29
September 3, 2019
Android 11
11
30
September 8, 2020
Android 12
no data
no data
no data
Android different Versions Code name/Version numbers/API level/Release date
Android Versions और उनके Features
हम यहाँ जानते है सुरू से अभी तक Android Versions के बारे मे.
Android 1.0 Alpha
यह
September 23, 2008 मे सबसे पहला variant आया था और इसके बाद दो variant
जिनके नाम Astro और Bender जिसे पब्लिक मे लौंच नहीं कीया गया था.
Android 1.5 Cupcake
यह एक variant स्वीट के नाम पर रखा गया था इसमे कोई बदलाओ कीया गया इसमे आपका स्क्रीन अपने आप घूमती थी फोन के हिसाब से और third party virtual keyboard ,video recording and playback ,animated screen transitions इत्यादि का सपोर्ट देखने को मिला.
Android 1.6 Donut
यह variant September 29, 2009 मे लौंच हुआ इसमे GSM के साथ साथ हमे CDMA का भी सपोर्ट देखने को मिला.
Android 2.1 Eclair
Android
Donut के लॉन्च होने के ठीक दो महीने बाद October 26 ,2009 Android 2.1
Eclair लौंच हुआ जिसमे हमे Live navigation यानि गूगल मैप का सपोर्ट देखने
को मिल और इसके साथ साथ टेक्स्ट तो स्पीच ,expanded Account sync, Exchange
email support, Bluetooth 2.1 इत्यादि का सपोर्ट मिला.
Android 2.3 Froyo
Android
2.3 Froyo May 20, 2010 मे लौंच हुआ यह नाम frozen yogurt से मिलकर बना जो
Linux kernel 2.6.32 पर based था.इसमे हमे वाईफाई और हॉट स्पॉट का सपोर्ट
देखने को मिला.
Android 2.3 Gingerbread
2.3
Gingerbread को December 6, 2010 को लौंच हुआ जिसमे यूजर इंटरफेस मे कई
बदलाओ देखने को मिला.इसमे हमे एक्स्ट्रा लार्ज स्क्रीन देखने को मिली साथ
ही साथ Faster Text Input, Copy और Paste के फीचर भी हमे देखने को
मिले.एंड्रॉयड के इस वर्ज़न के सॉफ्टवेयर मे कई सुधार कीये गए और यह पहले से
ज्यादा तेज था और इसमे हमे कई नए हार्डवेयर तथा अन्य सपोर्ट देखने को
मिला.
Android 3.2 Honeyco mb
February
22, 2011 को Android 3.2 Honeycomb लौंच हुआ जो बड़े स्क्रीन के लिए डिजाइन
कीया गया था जैसे टैबलेट इत्यादि इसमे हमे वर्चुअल और होलोग्राफिक User
Interface देखने को मिला साथ ही साथ इसमे हम multiple browser tabs का
उपयोग कर सकते थे.
साथ ही साथ इसमे कैमरा पहले से जल्दी खुलता था और यह वर्ज़न वीडियो कॉल को भी सपोर्ट करता था.
Android 4.0 Ice Cream Sandwich
October
19, 2011 को लौंच हुआ Android 4.0 Ice Cream Sandwich जिसमे हमे Face
unlock सिस्टम देखने को मिला और यह पहली बार था और साथ ही साथ इसमे कई
सुधार भी कीये गए थे.
Android 4.1 Jelly Bean
June
27, 2012 को Android 4.1 Jelly Bean के नाम से लौंच हुआ यह Linux kernel
3.0.31 के ऊपर based था जिसमे हमे bi-directional text, ability to turn
off notifications on apps, offline voice detection.
इसके साथ
Google Wallet, shortcuts and widgets, multichannel audio, Google Now
search application, USB audio, audio chaining इत्यादि देखने को मिले और
आगे चलकर इसमे और भी अपडेट आए जो की 4.2 और 4.3 था.
Android 4.4 “KitKat”
October
2013 मे लौंच हुआ Android 4.4 “KitKat” जिसे बहुत ही ज्यादा पसंद कीया गया
लौंच होने से पहले इसका नाम Key Lime Pie होना था बर बाद KitKat कंपनी के
साथ डील होने के बाद इसका नाम Android 4.4 “KitKat” रखा गया.
Android 5.0 Lollipop
October
15, 2014 को गूगल ने लौंच कीया Android 5.0 Lollipop जिसमे एंड्रॉयड का
पूरा फ़ील ही बदल गया इसमे कई बदलाओ कीये गए जैसे इसमे हमे Material Design
बहुत ही बेहतर देखने को मिल साथ ही साथ colourful interfaces, playful
transitions इत्यादि हमे मिला
Android का यह वर्ज़न को लोगों ने खूब पसंद कीया और इसमे Battery Life मे भी काफी सुधार कीया ज चुका था.
Android 6.0 Marshmallow
Android
6.0 Marshmallow को गूगल ने लौंच कीया October 5, 2015 को जो की इसके
पिछले वर्ज़न से काफी मिलता झूलता था पर इसमें हमे कोई और सपोर्ट जैसे फिंगर
प्रिन्ट अन्लाक और USB type C देखने को मिला इत्यादि.
Android 7.0 Nougat
October
4, 2016 को Android 7.0 Nougat का अपडेट आया जिसमे हमे Night
Light ,Fingerprint swipe down gesture, Daydream VR Mode, Circular app
icons support इत्यादि का सपोर्ट देखने को मिला.देखा जाए तो इसमे इसके आलवे
भी कोई बड़े अपडेट हमे देखने को मिले.
Android 8.0 OREO
August
18, 2017 को गूगल ने अपना नया अपडेट लोगों के सामने लाया जिसका नाम था
Android 8.0 OREO जिसमे हमे कोई बेहतर सुविधा देखने को मिली जैसे Enhanced
Battery Life ,Smart Text Selection ,Better Google Assistant, Autofill
feature और इत्यादि.
Android 9.0 Pie
August 6, 2018 को गूगल ने लौंच कीया Android 9.0 Pie जिसमे हमे Adaptive Battery, Adaptive Brightness, App Actions इत्यादि जैसे नए फीचर देखने मिला.
Android 10
Android
10 को गूगल ने लौंच कीया September 3, 2019 को जिसमे पहले इसे गूगल के
द्वारा इसका नाम Android Q कहा जा रहा था बाद मे इसका नाम Android 10 रखा
गया.
इसमे हमे gesture controls मे काफी सेटिंग देखने को मिला इसके साथ साथ हमे इसमे डार्क मोड का भी सपोर्ट देखने को मिला.
इसमे जो हमे शेयर शीट मिलती और वह पहले से काफी फास्ट मिला.
इसमे हमे QR Code द्वारा वाईफाई पसवॉर्ड शेरिंग का ऑप्शन देखने मिल और इत्यादि.
Android 11
इसे
गूगल ने लौंच कीया September 8, 2020 जो की गूगल का लेटेस्ट अपडेट है इसमे
हमे परफॉरमेंस मे सुधार देखने को मिला उसके साथ साथ इसमे हमे एप के
पर्मिसन मे काफी सेटिंग देखने को मिली
वही इसमे हमे ज्यादा इस्तेमाल
करने वाले एप को पिन करने का ऑप्शन देखने को मिल इसके अलावे भी हमे इसमे
हमे काफी और फीचर्स देखने को मिलता है.
Android 12
Android
12 को बहुत जल्द ही हम स्तेमाल कर पाएंगे फिलहाल गूगल ने इसका developer
preview लौंच कीया जिसे हम बीटा टेस्टिंग भी कह सकते है. आने वाले
2021,जुलाई से सप्टेंबर के बीच यह हमे स्तेमाल करने को मिल सकता है.
कहा यह भी जा रहा है की Pixel devices मे हमे इसका अपडेट देखने को सकता है और तो और हमे Pixel flagship फोन मे भी इसका अपडेट देखने को मिल सकता है.
अगर हम बात करे Android 12 मे मिलने वाले फीचर्स की तो इसमे हमे
Blueish tint.
Settings menu tweak.
Enhanced screenshots .
Share sheet image edit.
Customization (जैसे -Home Screen grid इत्यादि मे)
Media Player interface
Notifications के डिजाइन मे बदलाओ.
App shortcuts menu.
Nearby Share for Wifi passwords
People Space widget.
New picture-in-picture controls.
Hidden features ,इत्यादि जैसे फीचर्स देखने को मिलेगा.
Android Version क्या है ?
जैसा
की हम सभी जानते किसी भी चीज को बनाने के बाद उसमे और भी सुधार कीया जाता
है ठीक उसी प्रकार गूगल समय समय पर अपने Android प्लेटफॉर्म मे बहतेर बनाता
है पहले से और उसमे कोई फीचर भी जोड़ता है.
इसके बाद हार्डवेयर कंपनी
जी की किसी भी मोबाईल का हार्डवेयर तयार करती है जैसे की Realme ,MI
,सैमसंग इत्यादि.ये सभी Android के लेटेस्ट वर्ज़न को अपने संयत फोन ने डाल
कर मार्केट मे बेचती है.
Android का वर्ज़न जितना ही लेटेस्ट होता है उसके लिए उतना मजबूत हार्डवेयर की जरूरत पड़ती है जैसे प्रोसेसर ,रैम इत्यादि क्यू की कोई भी नया वर्ज़न पहले से ज्यादा फीचर्स को जोड़कर आता है.
मोबाईल
कंपनी अक्सर कमजोर हार्डवेयर वाले फोन मे Android के पुराने वर्ज़न को डाल
कर देती है ताकि हार्डवेयर बैलन्स रहे अच्छे प्रकार से काम करे.
Stock Android क्या है ?
गूगल
जो ऑपरेटिंग सिस्टम बनती है उसका नामAndroid है जिसे की बनाने के बाद
मोबाईल कंपनी को बेचती है.यह मोबाईल कंपनी गूगल से ऑपरेटिंग सिस्टम खरीदने
के बाद क्यू की एंड्रॉयड ओपन सोर्स है.
तो मोबाईल कंपनी उसमे अपने
हिसाब से कई बदलाओ कर के उसके डिजाइन मे बदलाओ करते है जैसे की MIUI
,Real-me UI, Oxygen US इत्यादि.ये सभी होते तो Android ही पर क्यू की
कंपनी ने उसमे कई बदलाओ कीये होते है उसे वह अपना रखा नाम देकर स्मार्ट फोन
मे डालती है.
वही Stock Android गूगल का प्योरAndroid होता है(यानि
बिना की छेड़ छाड़ के )जिसे पूरी तरह से गूगल द्वरा ही डिजाइन कीया जाता
है.जिसमे कोई भी एक्स्ट्रा एप और कोड ना होने के वजह से इसमे हैंग होने की
समस्या कम आती है और फोन की रैम भी काफी बचती है.
Stock Android वाले
फोन को गूगल का अपडेट जल्दी से जल्दी मिल जाता है वही बाके UI मे इसकी कोई
समय सीमा नहीं होती क्यू की उन्हे इसमे बदलाओ करने मे काफी समय लग जाते
है.
गूगल के Nexus फोन इत्यादि मे आपको स्टॉक Android देखने को मिल जाता है.
यदि
आप चाहते है की आपको अपने फोन मे कोई भी फालतू के बिना आपके स्तेमाल वाले
एप आपको ना मिले और आपको Android के नए अपडेट हमेशा टाइम पर मिले तथा आपका
फोन हैंग होने के चांस नहीं के बराबर हो तो आप स्टॉक Android वाला फोन ले
सकते है.
Android Tips
Android के futures
दुनिया
मे सबसे ज्यादा स्तेमाल होने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम बन चुका है एंड्रॉयड और
यह होने पीछे काही ना कही इसके futures इसके लिए बड़े मैने रखते है जिसके
वहज से एंड्रॉयड को इतना पसंद कीया था है तो जानते है एंड्रॉयड के फीचर्स
के बारे मे.
1. User Interface
एंड्रॉयड
के यूजर इंटरफेस को हर पीढ़ी के लोगों द्वारा पसंद कीया है जाता है क्यू की
इसका UI बहुत ही यूजर फ़्रेंडली होता है जिसके हर एक विकल्प को आप बड़े ही
आसानी से खोज सकते है.इसे सीखने के लिए आपको ज्यादा वक्त नहीं लगता है.
2. Multiple Language Support
इसका
दूसरा कारण है एंड्रॉयड का की भाषा जी हाँ एंड्रॉयड पूरे 100 से भी ज्यादा
भाषा को सपोर्ट करता है आप देश या दुनिया के किसी रिसन मे रहते है हो
एंड्रॉयड आप किसी भी भाषा मे उपयोग कर सकते है.
3.Multi Tasking
जी हाँ अगर आप एक ही फोन मे एक समय मे अनेकों टास्क करना पसंद करते है तो इसके लिए एंड्रॉयड बेस्ट है क्यू की यह Multi Tasking बहुत ही अच्छे से सपोर्ट करता है और समय-समय पर इसमे कई सुधार भी कीये जाते है.
4.Connectivity
अगर बाद कर तो एंड्रॉयड हमे सभी तरह के Network से बेहतर Connectivity प्रदान करता है जैसे Bluetooth, NFC , Wi-Fi ,Hotspot ,CDMA ,GSM ,4 G , 5G इत्यादि.
Android के विशेषता
एंड्रॉयड क्या है आपने जाना अब हम जान लेते है Android के कुछ विशेषता के बारे मे.
Android की सबसे बड़ा विशेषता यह है की पूरी तह ओपन सोर्स है.
किसी भी संरत फोन मे Android को डालने के बाद वह एक तेरह का मिनी कंप्युटर बन जात है.
Android प्लेटफॉर्म के लिए हमे लाखों एप स्तेमाल करने के लिए काफी आसानी से मिल जाता है.
Android पूरी तरह से user friendly जिसे कोई भी बड़े ही आसानी से स्तेमाल कर सकता है.
Android काफी तेजी से काम करने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम है.
क्या Android updates के पैसे देने पड़ते हैं?
यह
सवाल अक्सर हमारे दिमाग मे आता है किस की हमए एंड्रॉयड को अपडेट करने के
लिए पैसे देने पड़ते है तो मै आपको बता दु यह बईकुल ही फ्री है यदि आप कोई
स्मार्ट फोन लेते है तो कंपनी द्वारा जो एंड्रॉयड वर्ज़न दिया जाता है
उसमे
बाद मे कुछ सुधार कर सारे यूजर को फिर से अपडेट प्रवाइड कराया जाता है
जिसे करने के बाद आपके फोन की परफॉरमेंस मे सुधार आता है इसके आलवा कई नए
फीचर भी आपको देखने को मिलते है.
एंड्रॉयड अपडेट निर्भर करता है आपके आप कौन सा फोन है कंपनी एक ना एक बार किसी भी फोन मे अपडेट जरूर भेजती है.
एंड्रॉयड का मतलब क्या है ?
एंड्रॉयड
एक ऑपरेटिंग सिस्टम होता है जो की Linux kernel के ऊपर काम करता है इसे आप
सिस्टम सॉफ्टवेयर भी मान सकते है जो किसी भी स्मार्टफोन को संचालित करने
मे मदद करता है.
एंड्रॉयड वर्ज़न क्या है ?
जब किसी भी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम मे कोई सुधार और कई बदलाओ के साथ नए रूप मे लाया जाए तो वही नया वर्ज़न कहलाता है.
एंड्रॉयड के नवीनतम वर्ज़न के नाम क्या है ?
Android 10,Android 11,Android 12 एंड्रॉयड के नवीनतम वर्ज़न है जो नए स्मार्टफोन मे आपको अधिक देखने को मिलता है.
एंड्राइड कौन सा सॉफ्टवेयर है?
एंड्रॉयड एक ऑपरेटिंग सीस्टम है जिसे गूगल द्वारा लौंच किया गया और यह पूरी तरह ओपन सोर्स है.
मुझे उम्मीद है Android क्या है ?
Android Kya Hai (What is Android in Hindi)
आपको अच्छे से समझ मे आ गया होगा एंड्रॉयड क्या होता है हिन्दी मे
आपको
मैंने इस लेख मे एंड्रॉयड के सभी वर्ज़न के बारे मे बताया ताकि आप सभी के
बारे मे जान सके कैसा लगा आपको ये लेख कमेन्ट मे जरूर बताए और पोस्ट को
अपने दोस्तों मे शेयर जरूर करे धन्यबाद
जब हम कही सुनते है जैसे Samsung
Pay मे.आज बहुतों लोग ऐसे है जिनके फोन मे NFC होता है पर उन्हे पता नहीं
होता की NFC क्या है और NFC का स्तेमाल क्या है ?
वैसे तो Bluetooth
का नाम हम सब ने सुना है और शायद आपने इसका उपयोग भी कीया हो पर उसी से
मिलता झूलता एक वायरलेस technology है NFC जिसके फायदे अनेक है और इसका
भविष्य मे उपयोग भी बड़ने वाले है.
NFC के द्वारा किसी भी दो डिवाइस के बीच सिर्फ एक दूसरे से टच कर के छोटे Data को एक दूसरे डिवाइस मे पाया और भेजा जा सकता है.
NFC के कुछ फायदे है तो नुकसान भी है जिसे हम आगे पड़ेंगे तो जानते है विस्तार से NFC क्या है? (What is NFC in Hindi) और कैसे काम करता है.
NFC क्या है? (What is NFC in Hindi)
NFC का पूरा नाम है Near Field Communication
इसका उपयोग बहुत ही कम दूरी मे दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकते है वो भी
बिना किसी वायर के इसका उपयोग छोटे डेटा का आदान प्रदान करने के लिए कीया
जाता है.
NFC मे Electromagnetic Radio Field का इस्तेमाल कीया जाता
है किसी भी दो डिवाइस के बीच डेटा का आदान प्रदान करने मे जिसके लिए हमे
दोनों NFC डिवाइस को आपस मे पास रखना होता है.
NFC 106kbps से लेके
424kbps तक डेटा सपोर्ट करता है.और अगर बात करे इसकी रेंज की तो यह 4cm से
लेकर 6c के दूरी तक दूसरे NFC डिवाइस से जुड़ सकता है.
सीधी
भाषा मे समझे तो अगर आपका मोबाईल NFC को सपोर्ट करता है तो यही आप अपने
डिवाइस के NFC को ऐक्टिव कर देते है तो उस डिवाइस के नजदीक मे
Communication field बन जाता है और एसा होने पर आप यदि दूसरे NFC डिवाइस को
उसके पास टच करते है तो दोनों ही आपस मे जुड़ जाते है.
Connection जुडते ही आप एक डिवाइस से दूसरे डिवाइस मे किसी भी तरह का फाइल या डेटा का आदान पप्रदान कर सकते है.
NFC
को काम करने के लिए कसी भी तरह की पावर की जरूरत नहीं होती क्यू की किसी
भी चालू NFC के पास आटे ही यह electromagnetic field produced करता है और
अपने काम जितना पावर उत्तपन होजता है.
जो की बहुत जी कम होता है.अगर हम बात करे इसकी डेटा transmission frequency की तो यह 13.56 megahertz होती है.
NFC के प्रकार (Types of NFC in Hindi)
NFC क्या है आपने जाना पर एनएफसी दो प्रकार के होते है.
Active NFC
Passive NFC
Active NFC
Active NFC डिवाइस का स्तेमाल किसी भी स्मार्टफोन और touch payment जैसे
जगह कीया जाता है Active NFC को ऐक्टिव रहने के लिए पावर की जरूरत पड़ती है
और यह डेटा को पाने और भजने दोनों मे ही सकछम रहता है.
Passive NFC
वही अगर हम बात करे Passive NFC की
तो यह किसी भी NFC डिवाइस को डेटा भेज सकता है इसे काम करने के लिए किसी
भी तरह का कोई पॉवर की जरूरत नहीं होती है इसका एक बेहतरीन उदाहरण है NFC
tag.
NFC tag क्या है ?
भले ही आप नअ जानते हो की NFC tag क्या है पर अपने जीवन मे आपने इसका स्तेमाल कभी ना कभी जरूर कीया होगा यह तो भविष्य मे करेंगे.
NFC
tag एक छोटा सा माइक्रोचिप होता है जिसमे किसी छोटे डेटा या इनफार्मेशन
स्टोर कीया जाता है.ताकि आप जब भी उस टैग को किसी भी NFC डिवाइस के पास रखे
तो वो कमांड रिसीव करले.
उदाहरण से जाने जैसे मेट्रो टोकन क्या है हम सभी जानते है जी हाँ मेट्रो टोकन Passive NFC डिवाइस होता जिसे Active NFC डिवाइस यानि मेट्रो स्टेशन मे दाखिल होने के लिए मेट्रो टोकन टच करते ही गेट खुल जात है.
क्यू
की उस मेट्रो टोकन मे आप की स्टेशन से यत्रा कर रहे है और कहा जक जाएंगे
यह डेटा स्टोर रहता है और Active NFC डिवाइस उसे पड़ लेता है.
NFC Modes क्या है
NFC क्या है ? आपने जाना अब NFC Modes के बारे मे जानते है
NFC Modes को तीन पार्ट मे बात जाता है जिनके नाम है
Peer-to-peer
Reader/writer
Card emulation
Peer-to-peer
Peer-to-peer मोड
मे डेटा को ट्रांसफर होने के लिए दोनों ही NFC डिवाइस का ऐक्टिव होना
जरूरी होता है इसका स्तेमाल आपको स्मार्टफोन मे देखने को मिलता है जब भी हम
किसी डेटा को ट्रांसफर करते है दोनों डिवाइस के NFC को ऐक्टिव करना होता
है.
Reader/writer
Reader/writer मोड की बात करे तो इसका सबसे अच्छा उदाहरण है NFC टैग यह one-way होता है जिसके से इसमे स्टोर डेटा पड़ा या लिखा जा सकता है.
Card emulation
Card emulation मोड मे हम NFC को किसी कार्ड के रूप मे स्तेमाल कर सकते है जैसे क्रेडिट कार्ड या फिर डेबिट कार्ड.
NFC कैसे काम करता है
NFC क्या है यही आप जान गए तो आगे जानते है यह काम कैसे करता है जैसा की आपने ऊपर जाना NFC को दो भागों मे बात गया है पहला Active NFC डिवाइस और दूसरा Passive NFC डिवाइस जैसा की आप जान चुके है Active NFC डिवाइस को पावर की जरूरत होती है
इसे
ऐक्टिव करते ही यह आपने आस पास electromagnetic field produced करता और
Passive NFC इसके संपर्क मे आटे ही ऐक्टिव हो जाता है और Passive NFC मे
स्टोर डेटा को Active NFC पड़ पाता है.इसलिए NFC को Near Field
Communication कहा जाता है.
Android फोन से NFC टैग मे डेटा कैसे स्टोर करे
यही
आप भी चाहते है की आपने कामों को आसान बनाने के लिए NFC tag का स्तेमाल
करना चाहते है यह बेहद ही आसान है इसके लिए आपका डिवाइस NFC से लैस होना
छिए और आपके पास NFC Tag होना चाहिए.
अपने Android फोन से NFC टैग मे डेटा स्टोर करने के लिए सबसे पहले अपने प्ले स्टोर मे जाए और एक application डाउनलोड जिसका नाम है NFC task.
इसे खोलते ही आपको इसमे पहला ऑप्शन दिखेगा जिसमे आपको NFC tool डाउनलोड करने को कहा जाएगा आपको यह कर लेना है.
आप
अपने NFC टैग मे इसी टूल की मदद से डेटा राइट कर सकते है. इसे राइट करने
के बाद डेटा को पड़ा जाता है और NFC task की मदद से टास्क परफॉर्म होता है.
यहाँ आपको कई ऑप्शन देखने को मिलेगा आप अपने काम के हिसाब से डेटा राइट कर सकते है.
यदि
आप अपने टैग मे स्टोर डेटा को मिटाना चाहते है तो आपको इसमे मिटाने का भी
ऑप्शन मिल जाता जिसे मिटाकर नया डेटा स्टोर कीया जाता है.
NOTE –
NFC tag मे स्टोर डेटा किसी और डिवाइस से भी मिटाया जा सकता है यानि कोई
भी अगर आप इसे हमेशा के लिए स्टोर रखना चाहते है तो आपको NFC टूल मे Lock
Tag का विकल्प मिलता है उसे लॉक कर देना और हाँ एक बार लॉक हो जाने के बाद
इसे दुबारा मिटाया नहीं जा सकता चाहे वो आप खुद क्यू ना हो.
NFC का स्तेमाल
NFC के वैसे बहुत सारे स्तेमाल है पर हम उनमे से कुछ के स्तेमाल जानते है.
Data transfer
आप
इसके मदद से किसी भी दो दो फोन के बीच डेटा ट्रांसफर कर सकते है वो भी
सिर्फ टच कर के इसमे ब्लूटूथ और wi-fi की तरह pairing करने की जरूरत नहीं
पड़ती.
Device pairing
इसके द्वारा आप किसी भी NFC सपोर्ट डिवाइस के द्वारा बस एक दूसरे से टच कर के कनेक्ट कर सकते है जैसे ब्लूटूथ डिवाइस.
Payment
आप
इसमे मदद से बिना कार्ड की जानकारी बताए आप अपने फोन मे कार्ड की जानकारी
स्टोर करके फोन को पेमेंट टर्मिनल से टच कर के पेमेंट कर सकते है.
NFC Tag
यह
एक छोटा स टैग होता है जिसमे आप अपनी चोटी जानकारी इसमे स्टोर कर सकते है
जैसे आप की टेबल पर बैठे है और आप अपने फोन मे जिस भी किसी ऐप का सबसे
ज्यादा स्तेमाल करते है.
आप उसका डेटा अपने NFC टैग मे स्टोर कर टेबल
मे पेस्ट कर देंगे आप आप जब भी उस टैग से अपने फोन को टच करेंगे वह एप
आपके फोन मे खुल जाएगा.
इसमे आप अपने वाईफाई ले पसवॉर्ड इत्यादि स्टोर कर सकते है जिसे टच करते ही वह डिवाइस वाईफाई से जुड़ जाएगा बिना पिन किसी को बताए.
Smart Business Card
Smart business card
business card NFC से लैस होता है जिसमे आप कार्ड के ऊपर लिखे डेटा के
आलवा NFC मे स्टोर कर सकते है जिसे अपने मोबाईल से टच करते ही वो
इनफार्मेशन हमे अपने फोन पर धिक जाती है.
Theft Control
यह
आपके किसी भी बहुमूल्य समान इत्यादि को चोरी होने से बचा सकता है जहां
RFID proximity की मदद से इसके पास से गुजरने वाले NFC tags के रेंज मे आले
जी अलार्म बजने लगता है
Manufacturing Industries
इसका
इस्तेमाल Manufacturing Industries मे काफी कीया जाता है जहां किसी भी
निर्माण हो रहे सामानों के पार्ट्स इत्यादि को ट्रैक करने मे मदद करता है
जहा इसके अंदर स्टोर unique identification number के द्वारा कसी भी समान
इत्यादि को ट्रैक कीया जाता है.
Keyless Access
इसके
स्तेमाल से आपको किसी भी तरह के चाभी की जरूरत नहीं होती जहां आप एक टच से
लॉक खोल सकते है चाहे वह कोई गाड़ी का दरवाजा हो या घर का यह NFC tag के
मदद से होता है वही identification badges के मदद से आप किसी भी गाड़ी को
एक्सेस करने मे यह आपकी मदद करता है.
इसके अलावा भी NFC उपयोग अनेकों फील्ड मे अलग अलग कार्यों के लिए कीया जाता है.
NFC के Advantages
NFC कसी भी cashless payment मे हमारे पेमेंट को आसान बनाता है.
इसके द्वारा हम बिना अपना कार्ड नंबर इत्यादि बताए पेमेंट कर सकते है वह भी सिर्फ एक टच से.
इसके स्तेमाल से हम दो NFC डिवाइस को बिना किसी झंझट के एक दूसरे से कनेक्ट कर सकते है.
NFC के जरिए हम Smart Business Card बना सकते है जहां सिर्फ एक टच से आप अपनी card की जानकारी किसी से भी शेयर कर सकते है.
इसके उपयोग से आप किसी को भी अपनी वाईफाई पसवॉर्ड बताने से बच सकते है.
यह उपयोग मे काफी आसान है जिसमे किसी भी तरह की झंझट वाली सेटिंग नहीं होती है.
इसमे हम किसी भी प्रकार का डेटा स्टोर बड़े ही आसानी से कर सकते है.
NFC के Disadvantages
यह हमे हर तरह के स्मार्ट फोन मे देखने को नहीं मिलता जिसके कारण हमे इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते है.
यह बहुत ही कम दूरी पर डेटा ट्रांसफर करता है.
यह पावर अधिक खपत करता है.
इसके स्तेमाल के लिए दोनों ही डिवाइस मे NFC होना आवश्यक है.
इसकी
data transfer rate काफी धीमी होती जिसके कारण आप चीड़ सकते है वही इसमे हम
बड़े डेटा को नहीं ट्रांसफर कर सकते है क्यू की समय काफी लग सकता है.
NFC से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल के जवाब (FAQ)
NFC devices की Read Range कितनी होती है?
क्यू की NFC Magnetic field के द्वारा काम करता है इस कारण इसकी range 1cm से लकर 10 cm तक हो सकती है.
NFC का पूरा नाम क्या है ?
NFC का पूरा नाम Near Field Communication होता है.
मुझे उम्मीद है NFC क्या है?/NFC Kya Hai (What is NFC in Hindi)
या NFC मोड क्या है आप पूरा समझ चुके होंगे NFC का स्तेमाल बहुत सारे
फील्ड मे है और आने वाले दिनों मे यह सभी स्मार्ट फोन मे हमे देखने को
मिलेगा मैंने बहुत ही आसान सबद्धो मे आपको NFC क्या होता है बताया है
यही
आपको यह जानकारी पसंद आया हो तो इससे अपने दोस्तों मे share जरूर करे और यदि
आप इस तरह की जानकारी अपने ईमेल पर चाहते है तो इस BLOG को सबस्क्राइब
जरूर करे.
कैसे पता करें कि हमारी आई. डी. पर कुल कितने मोबाइल नंबर चालू हैं?
हाल
ही में भारत सरकार के संचार विभाग (DOT) की तरफ से एक ऐसा वैब पोर्टल (Web
Portal) तैयार किया गया , जिसके माध्यम से आप पता कर सकते है कि आपके
सरकारी आई. डी. (पहचान पत्र) पर कितने मोबाइल नंबर हाल में चालू है | पहचान
पत्र जैसे कि आधार कार्ड, चुनाव आयोग से मिला वोटर पहचान पत्र , ड्राईविंग
लाइसेंस, पासपोर्ट आदि कुछ कुछ भी हो सकता है |
इस
पर जाकर आपको आपना कोई भी चालू मोबईल नंबर डालना होगा जिससे आपके उस
मोबाईल नंबर पर आपको ओ. टी. पी. प्राप्त होगा | आपको वह ओ. टी. पी. डालना
होगा |
ऐसा
करते ही आपको, आपके पहचान पत्र पर जितने भी मोबाईल नंबर निकले हुए है, वो
सब दिखने लगेगें | यहीं पर आपको यह विकल्प भी उपलब्ध होगा जो हर मोबाईल
नंबर के सामने दिया गया होगा, जिस पर आप क्लिक करके उस नंबर को बंद करने की
रिक्वेस्ट ( प्राथना ) दे सकते है | यह नंबर वह भी हो सकता होगा जो आपके
पहचान पत्र पर अवैध तरीके से आपको बिना बताए निकलवाया गया हो |
Updated on(अद्यतन किया गया) :- 01–06–2021 —
पहले
संपूर्ण डेटा अपलोड नहीं हुआ था, इसलिए मोबाईल नंबरों की संपूर्ण जानकारी
नहीं मिल रही थी | अगर आपको भी आपके सभी मोबाईल नंबर नहीं दिखते तो आप कुछ
दिनों के बाद दोबारा देख सकते है | तब आप निश्चित ही पूरी जानकारी मिलेगी |
आजकल
साइबर अपराधी वेबसाइट्स की नकल बनाकर लोगों को ठग रहे हैं, बिलासपुर के
तीन मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों को फर्जी कस्टमर केयर की वेबसाइट के माध्यम
से लूटा गया। पीड़ितों ने गूगल सर्च करके कस्टमर केयर का जो फ़ोन नंबर
निकाला जो कंपनी का नहीं ठगों का था।
इससे
बचने के लिए असली और फर्जी वेबसाइट में अंतर करना आना चाहिए इसके लिए सबको
तकनीकी विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, बस हमें कुछ बातें पता होनी
चाहिए , जैसे-कि ये
वेबसाइट का यूआरएल जाँचें
मैंने
कई बार देखा है कि व्हाट्सप्प समूहों पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के नाम
से कई प्रकार के आकर्षक ऑफर्स आते रहते हैं, यहाँ पर मैं फ्लिपकार्ट का
उदाहरण ले रहा हूँ। फ्लिपकार्ट के नाम पर बहुत से यूआरएल लोगों को ठग रहे
हैं कुछ उदाहरण देखिए
चित्र स्रोत[1]
नकली
वेबसाइट में प्रायः अनावश्यक अक्षर होते हैं जो असली वेबसाइट में नहीं
होते तथा कई बार डोमेन नेम अलग होता है .com की जगह .biz .info .org .me
जैसे डोमेन देखने को मिलते हैं।
लोग
बस शुरू के अक्षर देखते हैं और मान लेते हैं कि यह वेबसाइट असली ही होगी
इनसे बचने के लिए हमें ज्ञात होना चाहिए कि फ्लिपकार्ट का असली डोमेन "flipkart.com" है इसी प्रकार अमेज़न का डोमेन यूएस में "amazon.com" और भारत में "amazon.in"
है, खरीदी करनी हो तो इसी से कीजिए इससे मिलती जुलती किसी दूसरी साईट से
नहीं और हाँ यदि सामान घर तक पहुँचने में कोई समस्या आए तो इसी वेबसाइट के
हेल्प सेण्टर पर अपनी शिकायत दर्ज करें गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च न
करें नहीं तो बिलासपुर वालों के समान आप भी ठगे जाएँगे।
डोमेन
नेम देखकर असली या नकली वेबसाइट का पता लगाया जा सकता है इसके लिए हमें
मालूम होना चाहिए कि अलग-अलग काम के लिए डोमेन नेम भी अलग दिए जाते हैं।
भारत में पंजीकृत वेबसाइट्स का डोमेन नेम ".in" होता है, यह भारत का कंट्री कोड है। सभी देशों का अपना कोड होता है।
भारतीय सरकारी साइट्स के अंत में "gov.in" डोमेन होता है।
शैक्षणिक संस्थाएँ ".edu" का उपयोग करती हैं।
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए ".com" डोमेन है।
".org" डोमेन किसी संगठन के वेबसाइट के लिए होता है।
असली और नकली वेबसाइट में भेद करने का दूसरा सरल तरीका
एड्रेस बार को ध्यान से देखें
प्रतिष्ठित वेबसाइट्स "https" का उपयोग करती हैं। "http" एक प्रोटोकॉल है जो वेब पर डाटा संचार सुगम बनाता है, इसके आगे लिखे अक्षर "s"
से पता चलता है कि वेबसाइट पर विजिट करना सुरक्षित है। वेब ब्राउज़र के
एड्रेस बार में बाईं ओर कोने में हम https लिखा हुआ देख सकते हैं या इसके
स्थान पर ताले का चिह्न बना होता है। नकली वेबसाइट में यह चिह्न नहीं होता
और कई बार ब्राउज़र भी not secure लिख कर चेतावनी देता है। ताले के चिह्न पर
क्लिक करके वेबसाइट को सर्टिफिकेट किसने दिया और यह कब तक वैध है इन सबकी
विस्तृत जानकारी मिल जाती है।
चित्र स्रोत[2]
तीसरा तरीका
वेबसाइट चेकर पर जाएँ
इंटरनेट
पर कुछ ऐसी वेबसाइट्स हैं जो नकली वेबसाइट की पहचान करने में सहायता करती
हैं। इन चेकर वेबसाइट से हम किसी भी वेबसाइट की संभावित सुरक्षा खामियों,
उसकी वैधता इत्यादि के बारे में जान सकते हैं। नीचे दिए गए चित्र में जिस
वेबसाइट चेकर पर मैं गया उसने फ्लिपकार्ट धमाका के बारे बताया कि इसे गूगल
सेफ ब्राउज़िंग द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है, अर्थात धमाका करने वाली यह
वेबसाइट नकली है।
चित्र स्रोत [3]
नकली
वेबसाइट की पहचान के लिए इन तीनों के अतिरिक्त वेबसाइट की साइट सील,
ट्रस्ट सील, प्राइवेसी पॉलिसी इत्यादि से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि
वेबसाइट असली है अथवा नकली।
लगभग
रोज ही कोई न कोई फिशिंग का शिकार बन रहा है। लोगों में जागरूकता की कमी
इसका सबसे बड़ा कारण है। इसी को ध्यान में रखते हुए यह लेख लिखा गया है।
इसका उद्देश्य आपकी जानकारी को बढ़ाना है जिससे आप फिशिंग से अपने और अपने
चाहने वालों को बचा सकें।
फिशिंग
( Phishing )अर्थात - व्यक्तिगत जानकारी, जैसे पासवर्ड और क्रेडिट कार्ड
नंबर, ऑनलाइन प्रकट करने के लिए व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए
प्रतिष्ठित कंपनियों से ईमेल भेजने की धोखाधड़ी की प्रथा।
जिस
प्रकार मछली को चारा डाल कर फँसाया जाता है ठीक वैसे ही ठगबुद्धि वाले लोग
अपने शिकार को स्पैम सन्देश, नकली विज्ञापन, नकली वेबसाइट्स या कभी-कभी
फ़ोन कॉल्स के माध्यम से भी फँसाते हैं। अधिकतर मामलों में लोगों का डर उनके
फँसने की वजह बनता है।
फिशिंग
के कई तरीके प्रचलन में हैं और ये बिलकुल विश्वसनीय स्रोतों से आए हुए
लगते हैं यदि इन्हें समय रहते पहचान लिया जाए तो आप नुकसान से बच सकते हैं।
आईए अब देखें फिशिंग के कुछ सामान्य तरीके और कैसे उनकी पहचान की जाए :-
ईमेल
के माध्यम से फिशिंग - ईमेल के माध्यम से धोखाधड़ी करने का तरीका काफी समय
से चल रहा है। किसी जानी-मानी कंपनी या किसी बैंक के नाम का इस्तेमाल करके
लोगों को फँसाया जाता है, प्रायः इनमें निजी या वित्तीय जानकारी मांगी जाती
है। इन मेल्स के साथ किसी वेबसाइट का लिंक होता है जो कि लोगों को असली
लगती है , ऐसे किसी लिंक या अटैचमेंट पर क्लिक करने पर लोग चोरों के जाल
में फँस जाते हैं। अनुमान है कि ९७ % लोग असली और नकली ईमेल एड्रेस की
पहचान नहीं कर पाते।
बचाव के उपाय
अज्ञात स्रोत से आने वाले ईमेल के साथ के लिंक पर क्लिक न करें और अटैचमेंट्स को डाउनलोड न करें।
जिस
ईमेल अड्रेस से मेल आया है उसकी स्पेलिंग जाँच करें, अधिकाँश मामलों में
देखा गया है फर्जी एड्रेस की स्पेलिंग गलत होती है और हाँ ईमेल में व्याकरण
की गलतियों की भी जाँच करें, एक-एक अक्षर ध्यान से पढ़ें।
अपनी
निजी और वित्तीय जानकारी जैसे कि आपका एटीएम कार्ड नंबर; cvv, पिन इत्यादि
किसी भी ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर विशेषकर सोशल मीडिया में शेयर नहीं करें।
बैंक
के कर्मचारी आपसे कभी भी आपके एटीएम या क्रेडिट कार्ड की जानकारी नहीं
मांगते , यदि ईमेल में आपकी जानकारी मांगी गई है तो अपने बैंक की शाखा से
सम्पर्क कीजिए।
आपका
बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया है, आपके नेट बैंकिंग अकाउंट में किसी ने
अनाधिकृत लॉग इन किया। यदि ईमेल के सब्जेक्ट में इस प्रकार की भाषा का
प्रयोग हुआ है तो ऐसे मेल्स को तुरंत स्पैम रिपोर्ट कर दीजिए।
याद रखें , वैध व्यवसाय हमेशा संपर्क विवरण प्रदान करते हैं, जबकि फर्जी ईमेल में सम्पर्क विवरण नहीं दिया जाता।
फ़ोन
कॉल के माध्यम से - भारत में अक्सर लोग फर्जी कॉल्स के शिकार होते रहते
हैं। ईमेल फिशिंग और इसमें केवल माध्यम का अंतर है बाकि इसमें भी जालसाज
अपने शिकार को फोन के द्वारा सम्पर्क करके निजी या वित्तीय जानकारी की मांग
करते हैं। ऐसा करने के लिए या तो लोगों को डर दिखाया जाता है जैसे कि यदि
आपने अपने बैंक खाते की जानकारी नहीं दी तो आपका खाता बंद हो सकता है; आपको
जुर्माना देना पड़ सकता है आदि-आदि। आपकी लॉटरी लगी है अपने बैंक खाते की
जानकारी दीजिए ताकि हम राशि आपके खाते में जमा कर सकें , कभी-कभी इस प्रकार
का लालच देकर धोखेबाज अपना काम कर जाते हैं। मुझे हैरानी तब होती है जब
बैंक में काम करने वाले लोग भी इनका शिकार हो जाते हैं।
इनसे कैसे बचें
कभी
भी फोन पर अपनी वित्तीय जानकारी न दें, उसे बातों में उलझा कर इंटरनेट पर
उसकी कंपनी के बारे में पता करें। यदि किसी असली कंपनी के नाम पर कॉल आया
है तो उनसे सम्पर्क कर इस कॉल के बारे में बताएं। कोई अपने को बैंक का
कर्मचारी बताता है तो अपने बैंक से तत्काल सम्पर्क करें।
ऐसे कॉल्स में जालसाजों द्वारा दिए गए नंबर पर कॉल न करें और न ही कोई रिचार्ज करें।
पॉप-अप
मैसेज के माध्यम से - इंटरनेट पर सर्फिंग करते समय कभी-कभी अनचाहे संदेश
प्रकट हो जाते हैं ज्यादातर में किसी प्रकार की चेतावनी होती है
सावधान आपका ऑपरेटिंग सिस्टम पुराना हो गया है हैकर्स के निशाने पर है तुरंत अपग्रेड करें।
सावधान आपके कंप्यूटर में वायरस घुस आए हैं, इन्हें हटाने के लिए हमसे सम्पर्क करें।
सावधान ………..
सावधान ………..
इन पॉप-अप्स पर क्लिक करने पर ये आपको किसी अन्य वेबसाइट पर ले जाएंगे जो कि आपको फँसाने के लिए बनाई होती है।
पॉप-अप मैसेज की धोखधड़ी से खुद को बचाने के लिए आप ये उपाय कर सकते हैं -
संदेशों को ध्यान से पढ़ें। खराब वर्तनी, अव्यवसायिक चित्र और खराब व्याकरण जैसे धोखाधड़ी के स्पष्ट संकेत देखें।
कभी भी इन पॉप-अप्स पर क्लिक न करें।
संदेह होने पर एंटीवायरस द्वारा पुरे सिस्टम को स्कैन करें।
फिशिंग के द्वारा धोखाधड़ी से स्वयं को बचाने के लिए सतर्कता और जागरूकता कारगर उपाय हैं।