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शनिवार, 18 सितंबर 2021

असली और नकली वेबसाइट में अंतर कैसे करें ?

आजकल साइबर अपराधी वेबसाइट्स की नकल बनाकर लोगों को ठग रहे हैं, बिलासपुर के तीन मामले ऐसे हैं जिनमें लोगों को फर्जी कस्टमर केयर की वेबसाइट के माध्यम से लूटा गया। पीड़ितों ने गूगल सर्च करके कस्टमर केयर का जो फ़ोन नंबर निकाला जो कंपनी का नहीं ठगों का था।

इससे बचने के लिए असली और फर्जी वेबसाइट में अंतर करना आना चाहिए इसके लिए सबको तकनीकी विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है, बस हमें कुछ बातें पता होनी चाहिए , जैसे-कि ये

वेबसाइट का यूआरएल जाँचें

मैंने कई बार देखा है कि व्हाट्सप्प समूहों पर ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स के नाम से कई प्रकार के आकर्षक ऑफर्स आते रहते हैं, यहाँ पर मैं फ्लिपकार्ट का उदाहरण ले रहा हूँ। फ्लिपकार्ट के नाम पर बहुत से यूआरएल लोगों को ठग रहे हैं कुछ उदाहरण देखिए

चित्र स्रोत[1]

नकली वेबसाइट में प्रायः अनावश्यक अक्षर होते हैं जो असली वेबसाइट में नहीं होते तथा कई बार डोमेन नेम अलग होता है .com की जगह .biz .info .org .me जैसे डोमेन देखने को मिलते हैं।

लोग बस शुरू के अक्षर देखते हैं और मान लेते हैं कि यह वेबसाइट असली ही होगी इनसे बचने के लिए हमें ज्ञात होना चाहिए कि फ्लिपकार्ट का असली डोमेन "flipkart.com" है इसी प्रकार अमेज़न का डोमेन यूएस में "amazon.com" और भारत में "amazon.in" है, खरीदी करनी हो तो इसी से कीजिए इससे मिलती जुलती किसी दूसरी साईट से नहीं और हाँ यदि सामान घर तक पहुँचने में कोई समस्या आए तो इसी वेबसाइट के हेल्प सेण्टर पर अपनी शिकायत दर्ज करें गूगल पर कस्टमर केयर का नंबर सर्च न करें नहीं तो बिलासपुर वालों के समान आप भी ठगे जाएँगे।

डोमेन नेम देखकर असली या नकली वेबसाइट का पता लगाया जा सकता है इसके लिए हमें मालूम होना चाहिए कि अलग-अलग काम के लिए डोमेन नेम भी अलग दिए जाते हैं।

  • भारत में पंजीकृत वेबसाइट्स का डोमेन नेम ".in" होता है, यह भारत का कंट्री कोड है। सभी देशों का अपना कोड होता है।
  • भारतीय सरकारी साइट्स के अंत में "gov.in" डोमेन होता है।
  • शैक्षणिक संस्थाएँ ".edu" का उपयोग करती हैं।
  • व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए ".com" डोमेन है।
  • ".org" डोमेन किसी संगठन के वेबसाइट के लिए होता है।

असली और नकली वेबसाइट में भेद करने का दूसरा सरल तरीका

एड्रेस बार को ध्यान से देखें

प्रतिष्ठित वेबसाइट्स "https" का उपयोग करती हैं। "http" एक प्रोटोकॉल है जो वेब पर डाटा संचार सुगम बनाता है, इसके आगे लिखे अक्षर "s" से पता चलता है कि वेबसाइट पर विजिट करना सुरक्षित है। वेब ब्राउज़र के एड्रेस बार में बाईं ओर कोने में हम https लिखा हुआ देख सकते हैं या इसके स्थान पर ताले का चिह्न बना होता है। नकली वेबसाइट में यह चिह्न नहीं होता और कई बार ब्राउज़र भी not secure लिख कर चेतावनी देता है। ताले के चिह्न पर क्लिक करके वेबसाइट को सर्टिफिकेट किसने दिया और यह कब तक वैध है इन सबकी विस्तृत जानकारी मिल जाती है।

चित्र स्रोत[2]

तीसरा तरीका

वेबसाइट चेकर पर जाएँ

इंटरनेट पर कुछ ऐसी वेबसाइट्स हैं जो नकली वेबसाइट की पहचान करने में सहायता करती हैं। इन चेकर वेबसाइट से हम किसी भी वेबसाइट की संभावित सुरक्षा खामियों, उसकी वैधता इत्यादि के बारे में जान सकते हैं। नीचे दिए गए चित्र में जिस वेबसाइट चेकर पर मैं गया उसने फ्लिपकार्ट धमाका के बारे बताया कि इसे गूगल सेफ ब्राउज़िंग द्वारा ब्लैकलिस्ट किया गया है, अर्थात धमाका करने वाली यह वेबसाइट नकली है।

चित्र स्रोत [3]

नकली वेबसाइट की पहचान के लिए इन तीनों के अतिरिक्त वेबसाइट की साइट सील, ट्रस्ट सील, प्राइवेसी पॉलिसी इत्यादि से भी अनुमान लगाया जा सकता है कि वेबसाइट असली है अथवा नकली।


फुटनोट

[2] How to Identify Fake Websites[3] Sucuri Security

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