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गुरुवार, 11 जनवरी 2024

नए वाहन कानून में अज्ञानता और बहकावे के चलते ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर जा रहे हैं । हड़ताल पर जाने से पहले ये समझें और सभी को समझाएं*🙏🏼जनहित में जारी🙏🏼


*नए वाहन कानून में अज्ञानता और बहकावे के चलते ट्रक ड्राइवर हड़ताल पर जा रहे हैं । हड़ताल पर जाने से पहले ये video जरूर सुने,समझें और सभी को समझाएं*🙏🏼जनहित में जारी🙏🏼

ड्राइवर की हड़ताल के पीछे संपूर्ण विपक्ष की चाल है राम मंदिर स्थापना महोत्सव में विघ्न डालने का आप समझिए tulkit गैंग की प्लानिंग को
मारना चाहिए इन लोगों को जनता ने भी जो नए कानून का विरोध कर रहे यह कानून इसीलिए लाया गया है की लापरवाही से जो कट मार के गाड़ियां चलाते हैं उनको सख्त सजा का प्रावधान हो तो सड़क हादसे रुकेंगे आए दिनों कई घर बर्बाद हो रहे लापरवाही से गाड़ियां चलाने वाले ना जाने कितने परिवार के लोगो युवाओं की जान ले रहे हैं नशा करके उनकी गति पर नियंत्रण होना जरूरी है
राम मंदिर के खिलाफ षडयंत्र है ट्रांसपोर्ट हड़ताल!!! मैंने आपसे पहले ही कहा था सावधान रहने की और षडयंत्र समझने की आवश्यकता है। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के यज्ञ में आसुरी शक्तियों ने हड्डी डालना शुरू कर दिया है। अब इसी से जुड़ी ट्रांसपोर्ट हड़ताल की "हड्डी प्लानिंग" को समझिए - 
1. ट्रांसपोटर्स हड़ताल करेंगे तो आम जनता को हर वस्तु की तंगी होगी। पेट्रोल पंप पर लाइन लगेगी आदि इत्यादि। जनता परेशान होगी। यानी राम मंदिर की खुशियों में खलल पड़ेगा।

2. इस देश की ट्रांसपोर्ट यूनियन पर किनका कब्ज़ा है? ये वही लोग हैं जो किसान आंदोलन के दौरान देश में अराजकता फैला रहे थे। सबसे ज़्यादा ट्रांसपोर्ट के व्यपार से कौन जुड़ा है? 

3. देखिएगा... इस आंदोलन को सबसे ज़्यादा हवा कौन देंगे... वही दल जिनके रामद्रोही होने का पुराना रिकॉर्ड है। 

4. अब पूरा टूलकिट गैंग ट्रक ड्राइवर की मजबूरी बताएगा। लेकिन वो ये नहीं बताएंगे कि सड़क पर वाहन चलाने वाले हम और आप जैसे 95% लोग हैं। नया कानून सब पर लागू होगा, फिर सिर्फ 5% को ही क्यों भड़काया जा रहा है?

5. ये टूलकिट गैंग ट्रक ड्राइवर्स का रोना बतायेगा... लेकिन ये उन लोगों का दर्द नहीं बाटेंगे जिनके अपने ट्रकों के पहिये के नीचे रौंदे गए हैं। 

6. नए कानून करीब 10 दिन पहले पास हुए। हड़ताल अब क्यों? राम मंदिर का डर इन असुर शक्तियों को भयभीत कर रहा है।

7. आप खुद सोचिए... जब आप हाइवे पर वाहन चलाते हैं तो क्या ये ट्रक सबसे ज़्यादा कानून नहीं तोड़ते? अपने अनुभव के आधार पर सोचिए। क्या इन पर लगाम नहीं लगाया जाना चाहिए?

जान लीजिए, ये सब राम मंदिर के खिलाफ देश विरोधी और सनातन के दुश्मनों का षड्यंत्र है। अब आप वही गलती मत करना, जो आपने CAA विरोधी आंदोलन, किसान आंदोलन और पहलवान आंदोलन में की थी!!!

स्वामी विवेकानंद जयंती। 12 जनवरी देशभर में मनाया जाएगा राष्ट्रीय युवा दिवस

स्वामी विवेकानंद जयंती आज
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देशभर में मनाया जाएगा राष्ट्रीय युवा दिवस
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हर साल 12 जनवरी को पूरे भारतवर्ष में उत्साह और खुशी से राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है। इसी दिन स्वामी विवेकानंद जी की जयंती भी होती है। 1984 में भारत सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती के दिन को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई और 1985 से हर साल 12 जनवरी यानी स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन पर राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन को युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के विचार और आदर्शों के महत्व को बढ़ावा देना है।

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस?
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देश का भविष्य देश के युवाओं पर निर्भर करता है। इसलिए किसी भी देश के विकास में उस देश के युवाओं का अहम योगदान होता है। ऐसे में यह बेहद जरूरी हो जाता है कि, युवाओं को सही मार्गदर्शन मिले। इसी उद्देश्य से हर साल राष्ट्रीय युवा दिवस मनाया जाता है।

स्वामी विवेकानंद के जीवन से जुड़ी बातें 
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स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में हुआ था।
विवेकानंद का असली नाम नरेंद्रनाथ दत्त था और ये विख्यात आध्यात्मिक गुरु थे।
विवेकानंद जब 25 साल के थे, तभी इन्होंने सांसारिक मोह माया का त्याग कर दिया और संन्यासी बन गए।
1897 में इन्होंने कोलकाता में रामकृष्ण मिशन और 1898 में गंगा नदी के किनारे बेलूर में रामकृष्ण मठ की स्थापना की।
अपनी मृत्यु से दो साल पहले 1900 में स्वामी विवेकानंद यूरोप से आखिरी बार भारत आए और बेलूर की ओर चल पड़े।
उन्होंने अपना अंतिम समय शिष्यों के साथ बिताया और 04 जुलाई 1902 को विवेकानंद ने अंतिम सांस ली।

12 जनवरी को क्यों मनाया जाता है युवा दिवस?
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स्वामी विवेकानंद धर्म, दर्शन, इतिहास, कला, सामाजिक विज्ञान और साहित्य के ज्ञाता थे। भारतीय शास्त्रीय संगीत में भी इनकी गहरी रुचि थी। स्वामी जी के विचार और कार्य आज भी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। विवेकानंद के अनमोल और प्रेरणादायक विचार युवाओं को प्रोत्साहित करते हैं। यही कारण है कि, स्वामी विवेकानंद की जयंती यानी 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इस दिन विद्यालयों और कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रम के आयोजन होते हैं, रैलियां निकाली जाती हैं और व्याख्यान होते हैं।


यह कहावत तो मशहूर हैं कि हमारे देश में दुध - दही की नदियाँ बहती थी ! यदि इतना दुध - दही था , तो पक्का घी भी बहुत मात्रा में होता होगा !

यह कहावत तो मशहूर हैं कि हमारे देश में दुध - दही की नदियाँ बहती थी ! यदि इतना दुध - दही था , तो पक्का घी भी बहुत मात्रा में होता होगा ! इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि भोजन घी में ही बनता होगा !!
महाभारत काल मे कृष्ण का मक्खन से संबंध बताया गया रामायण काल में लिखा है कि राम के आने पर घी के दिये जलाये गये !

हमारे यहाँ तेल का उल्लेख पुराने ज़माने में कम देखने को मिला है !

सबसे पुराना तेल ऑलिव ऑयल बना था , कहा जाता है ऑलिव नामक बीजों से फ़िलिस्तीनी और इज़राइल में यह बनाया गया , जिसे 3000 ईसा साल पुराना बताते हैं !

चीनी और जापानी ने सोया तेल का उत्पादन 2000 ईसा पूर्व के रूप में किया था !

मैक्सिको और उत्तरी अमेरिका में, मूंगफली और सूरजमुखी के बीज को पानी में उबालने कर उसका उपयोग करना शुरू किया था !!

सरसों कई सदियों से दुनिया में सबसे अधिक उगाए और इस्तेमाल किए जाने वाले मसालों में से एक रहा है। , ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति प्राचीन मिस्र में हुई थी।

यूनानियों ने सरसों को औषधि और मसाले के रूप में प्रयोग किया रोमनों ने इसे भोजन और दवा दोनों के रूप में उपयोग किया जाता था । रोमन लोग सरसों को उत्तरी फ़्रांस में ले आए

पाम तेल सबसे पहले अफ़्रीका में बनाया गया परन्तु बाद में मलेशिया और इंडोनेशिया ने इसकी खेती शुरू कर दी और आज 85% पॉम ट्री यहीं है !

पॉम ऑयल सुगंधित नही होता है इसलिए विदेशों में इसे व्यंजन बनाने में काम लेते हैं और व्यंजनों को तलने के लिए भी काम लेते हैं !

यह सब जानने के बाद लगता है कि भारत में तेल का प्रयोग बहुत देरी से हुआ हैं , हमारे यहाँ घी का प्रयोग ही होता होगा ! हमारी प्राचीन संस्कृति मे बहुत तला - भूना भोजन का ज़िक्र भी नही आता है !!

नारियल के तेल का आयुर्वेद मे ज़िक्र आता है कि यह मालिश के लिए काम मे लिया जाता था !

आयुर्वेद में सिर्फ़ घी को ही सेहत के लिए लाभकारी बताया है , तेल का ज़िक्र सिर्फ़ मालिश के लिए ही आता है , कई जगह बताया गया है कि घी याददाश्त सुधारने में मददगार है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि घी हमें बुद्धिमान बनाता है !! घी में ब्यूटाइरेट होता है, जो शरीर की सूजन को दूर करता है। !!

विटामिन-ए की भरपूर मौजूदगी इसे खास बनाती है। यह उन लोगों के लिए भी रामबाण है, जिन्हें लैक्टोज इनटॉलरेंस है यानी जिन्हें दूध ठीक से नहीं पचता या पी नहीं पाते, वे घी हजम कर सकते हैं !!

राजस्थान राज्य के पारंपरिक भोजन का यदि ज़िक्र करूँ तो वहाँ राजा - महाराजा के ज़माने में भोजन घी में ही पकता था दाल , बाटी , चुरमा , घेवर , मालपुआ और अन्य मिठाइयाँ , पंजाब या अमृतसर की बात करें तो वहाँ भी पारंपरिक तरीक़े से घी में पके छोले और कुलचे घी में ही बनाये जाते हैं ! सरसों का साग दाल मक्खनी घी से ही बनता है ! वाराणसी की तरफ़ शुद्ध घी की चाट , पुडी देखने को मिलेगी ! दक्षिण भारत की तरफ़ आये तो आज भी पारंपरिक रेस्टोरेन्ट उपमा , हलवा , दाल सभी घी में बनाते हैं ! चावल और इडली में भी ऊपर से घी डालकर ही खाया जाता है

खिचड़ी का उल्लेख बहुत प्राचीन काल से होता आया है और वो शुद्ध देशी घी में ही बनती थी —
जय श्री राम

माता सीता की यह रोचक लोककथा आपका दिल जीत लेगी, धन के भंडार भर देगी..

*माता सीता की यह रोचक लोककथा आपका दिल जीत लेगी, धन के भंडार भर देगी...*
इस कहानी को सीता माता कहती थी और श्रीराम
सुना करते थे। एक दिन श्रीराम भगवान को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ गया तो सीता माता कहने लगी कि भगवान मेरा तो बारह वर्ष का नितनेम (नित्य नियम) है। अब आप बाहर जाएंगे तो मैं अपनी कहानी किसे सुनाऊंगी? श्रीराम ने कहा कि तुम कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाना और वहां जो औरतें पानी भरने आएंगी उन्हें अपनी कहानी सुना देना। 

सीता माता कुएं की पाल पर जाकर बैठ जाती हैं। एक स्त्री आई उसने रेशम की जरी की साड़ी पहन रखी थी और सोने का घड़ा ले रखा था। सीता माता उसे देख कहती हैं कि बहन मेरा बारह वर्ष का नितनेम सुन लो। पर वह स्त्री बोली कि मैं तुम्हारा नितनेम सुनूंगीं तो मुझे घर जाने में देर हो जाएगी और मेरी सास मुझसे लड़ेगी। उसने कहानी नहीं सुनी और चली गई। उसकी रेशम जरी की साड़ी फट गई, सोने का घड़ा मिट्टी के घड़े में बदल गया।  
सास ने देखा तो पूछा कि ये किस का दोष अपने सिर लेकर आ गई है? बहू ने कहा कि कुएं पर एक औरत बैठी थी उसने कहानी सुनने के लिए कहा लेकिन मैने सुनी नही जिसका यह फल मिला। 
 
बहू की बात सुनकर अगले दिन वही साड़ी और घड़ा लेकर सास कुएं की पाल पर गई। सास को वहीं माता सीता बैठी मिलीं तो माता सीता ने कहा कि बहन मेरी कहानी सुन लीजिए...  सास बोली कि एक बार छोड़, मैं तो चार बार कहानी सुन लूंगी... . 
 
राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम
तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम
दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम
शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम
जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम
खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे
 
श्री राम जय राम जय-जय राम
 
सास बोली कि बहन कहानी तो बहुत अच्छी लगी। कहानी सुनकर सास घर चली गई और उसकी साड़ी फिर से रेशम जरी की बन गई। मिट्टी का घड़ा फिर सोने के घड़े में बदल गया। बहू कहने लगी सासू मां, आपने ये सब कैसे किया? सास ने कहा कि बहू तू दोष लगा के आई थी और मैं अब दोष उतारकर आ रही हूं. . . बहू ने फिर पूछा कि वह कुएं वाली स्त्री कौन है? सास बोली कि वे सीता माता थीं... वे पुराने से नया कर देती हैं, खाली घर में भंडार भर देती हैं, वह लक्ष्मी जी का वास घर में कर देती हैं, आदमी की जो भी इच्छा हो उसे पूरा कर देती हैं.... बहू बोली कि ऎसी कहानी मुझे भी सुना दो.... सास बोली कि ठीक है तुम भी सुनो और सास ने कहानी शुरु की...  

राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम
तपी रसोई जियो राम, माखन मिसरी खाओ राम
दूध बताशा पियो राम,सूत के पलका मोठो राम
शाल दुशाला पोठो राम, शाल दुशाला ओढ़ो राम
जब बोलूं जब राम ही राम, राम संवारें सब के काम
खाली घर भंडार भरेंगे सब का बेड़ा पार करेंगे
 
श्री राम जय राम जय-जय राम
 
कहानी सुनकर बहू बोली कि कहानी तो बहुत अच्छी है.. .. सास ने कहा कि ठीक है इस कहानी को रोज कहा करेगें। अब सास-बहू रोज सवेरे उठती, नहाती-धोती और पूजा करने के बाद नितनेम की सीता की कहानी कहती। एक दिन उनके यहां एक पड़ोस की औरत आई और बोली कि बहन जरा सी आंच देना तो वह बोली कि आंच तो अभी हमने जलाई ही नहीं।

 पड़ोसन ने कहा कि तुम सुबह चार बजे से उठकर क्या कर रही हो फिर? उन्होंने कहा कि सुबह उठकर हम पूजा करते हैं फिर सीता माता की नितनेम की कहानी कहते हैं। 

पड़ोसन ने उनकी बात सुनकर फिर कहा कि सीता माता की कहानी कहने से तुम्हें क्या मिला? वे बोली कि इनकी कहानी कहने से घर में भंडार भर जाते हैं। सारे काम सिद्ध होते हैं, मन की इच्छा भी पूरी होती है। पड़ोसन कहती है कि बहन ऎसी कहानी तो मुझे भी सुना दो फिर। वह बोली कि ठीक है तुम भी यह कहानी सुन लो... 
 
राम आए लक्ष्मण आए देश के पुजारी आए 
नितनेम का नेम लाए आओ राम बैठो राम ……………..

सारी कहानी सुनने के बाद पड़ोसन कहने लगी बहन कहानी तो मुझे बहुत अच्छी लगी। अब वह पड़ोसन भी नितनेम सीता माता की कहानी कहने लगी। कहानी कहने से सीता माता ने पड़ोसन के भी भंडार भर दिए। अब  तो पूरे मोहल्ले में नितनेम की कथा चल पड़ी.. हर किसी की मनोकामना पूरी होने लगी...

 
हे सीता माता ! जैसे आपने उनके भंडार भरे, वैसे ही आप हमारे भी भंडार भरना। कहानी सुनने वाले के भी और कहानी कहने वाले के भी।
 
उत्तरप्रदेश, बिहार, हिमाचल प्रदेश और हरियाणा के कुछ क्षेत्रों में आज भी यह कथा सीता जयंती पर चाव से सुनाई जाती है।
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🚩 *राम काज किये बिना मोहें कहा विश्राम*
🙏🏻🚩 *जय श्रीराम* 🙏🏻🚩

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22 जनवरी को हम क्या करेंगे?.आपके जीवन में दो बार दिवाली मनाने का योग

*22 जनवरी को हम क्या करेंगे?*🚩
 √.घर के द्वार को सजाएंगे🚩
 √.रंगोली बनाएंगे🚩
 √.दीपों की माला पहनाएंगे🚩
 √.राम दीपक जलाएंगे🚩
 √. फूल और पत्तों के तोरण लगाएंगे🚩
 √. कंदील लगाएंगे🚩
 √.पटाखे फोड़ेंगे🚩
 √.घर में मिठाइयां बनाएंगे🚩
 √.मीठे भोजन का आनंद सभी को मिलेगा🚩
 √.नये कपड़े पहनकर मंदिर जायेंगे🚩
 √.झंडे लगाए जाएंगे🚩
 √.आपके जीवन में दो बार दिवाली मनाने का योग *500 साल के इंतजार के बाद आया है इसलिए ऐसा करें और अपने पड़ोसियों को भी बताएं।*
  हम सभी को गर्व है कि हम हिन्दू हैं में भी यह सब करुंगा

🚩 *राम काज किये बिना मोहें कहा विश्राम*
🙏🏻🚩 *जय श्रीराम* 🙏🏻🚩

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