कल है दशहरा, जानें विजयादशमी पूजा एवं शस्त्र पूजा मुहूर्त, पढ़ें महत्व
विजयादशमी 2021 पूजा मुहूर्त
इस वर्ष विजयादशमी का पावन पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग और रवियोग में है। सर्वार्थ सिद्धि योग प्रात: 06:22 बजे से सुबह 09:16 बजे तक और रवि योग पूरे दिन है। ऐसे में आप विजयादशमी की पूजा सर्वार्थ सिद्धि योग में करें तो उत्तम है। हालांकि दशहरा को अभिजित मुहूर्त दिन में 11:44 से दोपहर 12:30 बजे तक है। इसमें भी आप पूजा कर सकते हैं। लेकिन सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा अच्छा रहेगा। विजयादशमी के दिन देवी अपराजिता की पूजा होती है।
विजयादशमी 2021 शस्त्र पूजा मुहूर्त
अपने देश में विजयादशमी के पावन पर्व पर शस्त्र पूजा की भी परंपरा है। इस वर्ष विजयादशमी पर शत्र पूजा के लिए विजय मुहूर्त दोपहर 02:02 बजे से दपेहर 02:48 बजे तक है। इस मुहूर्त में आप शस्त्र पूजा कर सकते हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग में भी कर सकते हैं।
दशहरा का महत्व
भगवान श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता का हरण करने वाले लंका के राजा रावण का वध आश्विन शुक्ल दशमी को किया था। पौराणिक कथाओं के अनुसार भीषण युद्ध के बाद दशमी को रावण का वध हुआ और श्रीराम ने लंका विजय प्राप्त की, इसलिए इस दिन को विजयादशमी या दशहरा के रुप में मनाया जाता है। वहीं, मां दुर्गा ने महिषासुर के साथ 10 दिनों तक भीषण संग्राम किया और आश्विन शुक्ल दशमी को उसका वध कर दिया। इस वजह से भी उस दिन को विजयादशमी के रुप में मनाया जाने लगा। ये दोनों ही घटनाएं बुराई पर अच्छाई और अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक हैं।
दशहरा पर क्यों होता है शस्त्र पूजन,
जानें किस तरह शुरू हुई ये परंपरा
Dussehra 2021: दशहरा बुराई पर अच्छाई और असत्य पर सत्य की जीत का पर्व है. मान्यता है इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त की थी. दशहरे के इस पर्व को विजय दशमी के नाम से भी जानते हैं. साथ ही मान्यता ये भी है कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का इसी दिन वध किया था. दशहरा के दिन शस्त्र पूजन करने की परंपरा सदियों पुरानी है.
दशहरे के दिन शस्त्र पूजन की परंपरा सदियों पुरानी
युद्ध के लिए क्षत्रिय करते थे दशहरे का इंतजार
Dussehra 2021: दशहरा (Dussehra) अश्विन माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार 15 अक्टूबर 2021 दिन शुक्रवार को देशभर में ये पर्व मनाया जाएगा. इस दिन विशेष रूप से शस्त्र पूजन (Shashtra Puja Dussehra) का विधान है. दशहरा को विजय दशमी भी कहते हैं. इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का पूजन होता है. मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. यह भी कहा जाता है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए इस दिन शस्त्र पूजा करनी चाहिए. आइये जानते हैं इस परंपरा से जुड़ा इतिहास और क्यों होता है शस्त्र पूजन.
दशहरा का महत्व
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर नाम के असुर का वध कर देवताओं को उसके आतंक से मुक्ति दिलाई थी. इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध कर माता सीता को उसकी कैद से मुक्त कराया था. इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है. प्राचीन समय से इस दिन सनातन धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है. इस दिन लोग शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी करतें हैं. वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है.
इसलिए शुरू हुई ये परंपरा
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरविंद मिश्र ने बताया कि दशहरा किस भी कार्य के लिए शुभ है. प्राचीन समय में क्षत्रिय दशहरे का इंतजार युद्ध पर जाने के लिए किया करते थे. मान्यता थी कि इस दिन जिस तरह भगवान श्रीराम ने असत्य को परास्त कर विजय हासिल की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर नाम की बुराई का अंत किया था, उसी प्रकार दशहरे के दिन जो भी युद्ध शुरू होता है, उसमें उनकी जीत निश्चित होती थी. युद्ध पर जाने से पहले शस्त्र पूजन होता था. तभी से ये परंपरा शुरू हुई. वहीं इस दिन को ब्राह्मण विद्या ग्रहण करने के लिए भी चुनते थे.
शमी के वृक्ष की पूजा से मिलता शुभ फल
मान्यता है कि यदि इस दिन शमी के वृक्ष की पूजा कर किसी भी नए कार्य जैसे दुकान, व्यवसाय आदि की शुरुआत की जाए, तो उसमें भी निश्चित ही सफलता मिलती है. पुराणों के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर चढ़ाई करने जा रहें थे तो उन्होंने शमी के वृक्ष के सामने अपना शीश झुकाया था और लंका पर विजय की कामना की थी.
. इस बार दशहरा (Dussehra 2021) सर्वार्थ सिद्धि, कुमार एवं रवि जैसे महा योग में मनाया जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9.16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रहेगा। इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा मकर राशि में होगा। सुबह 9.16 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, जो कि बहुत शुभ माना जाता है इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 1.52 से 2.35 मिनट तक रहेगा।
इस विधि से करें दुर्गा प्रतिमा और जवारों का विसर्जन
विसर्जन के पूर्व दुर्गा प्रतिमा का गंध, चावल, फूल, आदि से पूजा करें तथा इस मंत्र से देवी की आराधना करें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद हाथ में चावल व फूल लेकर देवी भगवती का इस मंत्र के साथ विसर्जन करना चाहिए-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
इस प्रकार पूजा करने के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए, लेकिन जवारों को फेंकना नही चाहिए। उसको परिवार में बांटकर सेवन करना चाहिए। इससे नौ दिनों तक जवारों में व्याप्त शक्ति हमारे भीतर प्रवेश करती है। माता की प्रतिमा, जिस पात्र में जवारे बोए गए हो उसे तथा इन नौ दिनों में उपयोग की गई पूजन सामग्री का श्रृद्धापूजन विसर्जन कर दें।
इस विधि से करें शस्त्र पूजन
- दशहरे (Dussehra 2021) पर विजया नाम की देवी की पूजा की जाती है। यह पर्व शस्त्र द्वारा देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले एवं कानून की रक्षा करने वाले अथवा शस्त्र का किसी अन्य कार्य में उपयोग करने वालें लोगों लिए महत्वपूर्ण होता है।
- इस दिन यह सभी अपने शस्त्रों की पूजा करते है, क्योंकि यह शस्त्र ही प्राणों की रक्षा करते हैं तथा भरण पोषण का कारण भी हैं। इन्ही अस्त्रों में विजया देवी का वास मान कर इनकी पूजा की जाती है।
- सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र किया जाता है फिर महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाया जाता है।
- इसके बाद दल का नेता कुछ देर के लिए शस्त्रों का प्रयोग करता है। इस प्रकार से पूजन कर शाम को रावण के पुतले का दहन कर विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है।
विजय दशमी पर हर हिंदू को शस्त्र पूजा करनी है... ये शस्त्र सूक्तियां आज नोट कर लें.
-शस्त्र निष्क्रिय होते हुए भी सक्रिय होता है... मतलब अगर वो कहीं किसी आलमारी में पड़ा पड़ा जंग खा रहा हो तो भी अपना काम करता रहता है उसकी मौजूदगी ही शत्रुओं के बुरे और कुत्सित विचारों को नष्ट करने के लिए काफी होती है ।
-दुनिया में अशांति इसलिए है क्योंकि सज्जनों ने शस्त्रों का त्याग कर दिया है और दुर्जन सदैव की तरह शस्त्रों से लैस हैं यही वजह है कि दुर्जन हावी हैं और धरती पर अनाचार फैलता जा रहा है
-दुनिया को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है एक जिनके पास शस्त्र होता है और दूसरा जिनके पास शस्त्र नहीं होता है... जिनके पास शस्त्र होता है वो सदैव निडर और वीर बने रहते हैं और जिनके पास शस्त्र नहीं होते हैं और वो सदैव भयभीत होते हैं और कायर पुरुष बने रहते हैं
-जिस घर में अस्त्र शस्त्र होते हैं उस घर की स्त्रियों पर कभी किसी की कुदृष्टि डालने की हिम्मत भी नहीं होती है और जिनके घर में अस्त्र शस्त्र नहीं होते हैं उनकी स्त्रियों के साथ राह चलते छेड़खानी होती है लव जिहाद जैसी घटनाएं होती हैं और वो सदैव थाने के चक्कर ही लगाते रह जाते हैं... उन्हें बदनामी के सिवाय कभी कुछ हासिल नहीं होता है
-सत्यमेव जयते... यानी सत्य की ही विजय होती है इस तरह की सूक्तियों के भरोसे बैठने से कोई फायदा नहीं है... सत्य तो हिंदुओं के साथ ही है फिर उनका पलायन क्यों हो रहा है ? सत्य तो युद्धिष्ठिर के साथ था लेकिन फिर भी वन वन भटकते रहे... जब युद्धिष्ठिर ने शस्त्र उठाया तभी सत्यमेव जयते हुआ । इसीलिए अब कहावतें बदल गई हैं... ये कलियुग है और कलियुग में सदैव शस्त्र मेव जयते होता है... यानी जिसके पास शस्त्र होगा उसी की विजय होगी । इसलिए शस्त्र की खरीद करो... अपने पास सदैव शस्त्र रखो ।
-ज्योतिष के हिसाब से भी ध्यान दें... शस्त्र का मतलब है... मंगल ग्रह... अगर आपके पास शस्त्र है तो आपका मंगल मजबूत है और अगर आपका मंगल मजबूत है तो आप शत्रुओं पर सदैव विजय प्राप्त करते रहेंगे... इसलिए अपनी भुजाओं को शस्त्रों से मजबूत करें ।
- एक बार अपने हाथ में शस्त्र लेकर देखो... तब आपको ये महसूस होगा कि देशद्रोही शत्रु चींटियों के समान हैं। शस्त्र का होना ही आत्मविश्वास वर्धक महान मानसिक औषधि है इसका नित्य सेवन करते रहो ।
- राष्ट्र के शत्रुओं की संख्या गिनकर चिंता में मत पड़ो... चिंता सदैव इस बात की करो कि तुम्हारे पास कितने अस्त्र शस्त्र है... सदैव सुनिश्चित करो कि तुम्हारे अस्त्र शस्त्रों की संख्या तुम्हारे शत्रुओं की संख्या से ज्यादा हो
- जैसा को तैसा जवाब देना सीखो... शिकायत मत करो... शिकायत लेकर किसके पास जा रहे हो... ये संविधान... कानून... प्रशासन और व्यवस्था सिर्फ उनके लिए है जो शक्तिशाली हैं । कायर लोगों का साथ तो भगवान भी नहीं देता.. कायर लोग सिर्फ शिकायत करते रह जाते हैं... इतने दिनों में आपको ये अवश्य महसूस हुआ होगा कि प्रशासन भी सदैव अत्याचार करने वाले शक्तिशालियों का साथ ही देता है
- अपनी सुरक्षा की ज़िम्मेदारी खुद लो... कोई सेना... कोई सरकार तुमको बचाने नहीं आएगी... जब तुम पर संकट आएगा तो उस वक्त तुम और सिर्फ तुमको ही उसका सामना करना होगा... तुम्हारे सिवाय कोई तुम्हारी प्राण रक्षा नहीं कर सकेगा ।
- इसीलिए नियमानुसार शस्त्रों का संचय करो... सदैव पराक्रमी बनो... सज्जन बनो लेकिन कायर नहीं... शस्त्र धारण करके सज्जन बनो तभी तुम्हारी सज्जनता सुशोभित होगी ।
- इस सूक्ति का नित्य पठन करते रहें “कोई सिंह को, वन के राजा के रूप में अभिषेक या संस्कार नहीं करता है अपने पराक्रम के बल पर सिंह स्वयं जंगल का राजा बन जाता है”
- इस पोस्ट को एक अभियान की तरह धीरे धीरे आगे बढ़ाइए । जब दशहरा आएगा तो कम से कम एक करोड़ हिंदुओं की तस्वीरें शस्त्र के साथ पूजा करते हुए सोशल मीडिया पर होनी चाहिए । हमारे शूरवीरों की इन तस्वीरों को देखकर ही देशद्रोहियों के हौंसले पस्त हो जाएंगे । ऐसा मेरा विश्वास है ।
प्लीज शेयर इन ऑल ग्रुप्स एंड फैमिली मेंबर्स ॥
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डिस्क्लेमर
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