[7:13pm, 13/06/2014] Kailash ladha O+ blood: सोच बदल दीजिये, सितारे बदल जायेंगे
कश्तियाँ बदलने की जरुरत नही
रुख बदल दीजिये, किनारे बदल जायेंगे।।
मित्रों भूलकर भी भाग्य, संयोग, चमत्कार या परमात्मा की मर्जी जैसे शब्द कभी इस्तेमाल नहीं करें। अपने दिमाग में लिख लीजिये कि इस संसार में आपके भाग्य को बनाने में या बिगाड़ने में किसी को रूचि नहीं है।
आपकी अपनी सोच, मान्यताएँ, आपके कर्म, आपका हर पल भाग्य का निर्माण कर रहे होते हैं।
आप कंगाल बनकर भूखे मरो या करोड पति बन जीवन के सारे उपभोग करो परमात्मा को कोई फर्क नहीं पड़ता। ईश्वर कानून बनाकर सो गया ये चुनाव आपको स्वयं करना है।
आपके जीवन या भाग्य का कोई यहाँ निर्णायक नहीं है। किसी को आपके जीवन की बर्बादी या विकास में रूचि नहीं है। इस संसार में सब कुछ 'परफेक्ट' नियम के अनुसार हीं घटित होता है।
तोड़ दो अपनी पुरानी मान्यताओं को, भाग्यवादिता को, बंद करीए परमात्मा से सारे दिन मांगना। तुम सागर से चम्मच भरो या ड्रम क्या वह तुम्हें रोक रहा है? बंद करिये ज्योतिषियों और तांत्रिको के पीछे भागना जो अपने जीवन का विकास करना नहीं जानते, जो आपके भीतर भाग्य, भविष्य, ऊपरी हवा, ग्रहों एवं ईश्वर की नाराजगी का भय पैदा कर आपको पंगु और लाचार बनाते हैं। अरे जिन्हें अपनी ही कुंडली नहीं मालूम, जो खुद अपने और अपने परिवार का भविष्य नहीं जानते उन भटके, लालची, अंधे लोगों के हाथ आप अपने जीवन की लगाम क्यों सौप रहे हो ? कोई शनि, मंगल, कोई ग्रह इस संसार में आपका भाग्य बनाने या बिगाड़ने के लिये नही घूमता। आप खुद ही अपने भय या विश्वास पैदा कर खुद ही उसके जाल में जकड़ कर लाभ या हानि उठाते हैं।|
फेंक दीजिए अपनी सारी नगों से भरी हुई अंगूठियाँ, ये घरों में लटके हुए तंत्र मंत्र और यंत्र, जो आपकी लाचारगी, कमजोरीयों, आपके डर और आत्मविश्वास की कमी को दर्शाते हैं, जो यह साबित करते हैं कि आपका स्वयं और परमात्मा पर बिल्कुल श्रधा नहीं है। बंद कीजिए परमात्मा को रिझाना, उसकी चापलूसी करना, वह तो हर फूल को पूर्णरूप से खिलने के लिए पैदा करता है। अमीरी परमात्मा की देन है, गरीबी आपका अपना चुनाव है, आपकी अपनी अज्ञानता है।
अरे
हमसे ज्यादा ईश्वर ने हमारा किया विचार है
खूब लुटाने बैठा वो लूट लो जो तैयार है
राधे-राधे...
[7:13pm, 13/06/2014] Kailash ladha O+ blood: मेरे जीवन का अनुभव हैं ये
मै सत्य की खोज में निकला था। इसलिये हस्त रेखा पर रिसर्च की, तीन वर्ष की रिसर्च के बाद पता चला की ये रेखाएँ तो मानसिक सोच के साथ बदलती रहती हैं। तो फिर भविष्य का निर्धारण कैसे करें। फिर ज्योतिष का अध्यन किया, तो उसमे मैंने देखा की अच्छे-बुरे कर्म को करके भविष्य को बनाया और बिगाड़ा जा सकता हैं। इससे भी संतुष्ट नही हुआ फिर दर्शन- शास्त्र का अध्ययन किया इसमें पाया कि हमारे जीवन में जो कुछ भी अच्छा बुरा हो रहा हैं वो तो हमारे भावों का ही परिणाम हैं।
आप दान करने का कर्म करते हो तो उसके पीछे आपका विश्वास रूपी भाव जुड़ता हैं। स्टोन पहनते हो तो उसके पीछे भी भाव जुड़ता है की इसके पहनने से ये फल मिलेगा। तो जब सब-कुछ आपके मन के विश्वास से घटित हो रहा हैं तो ये आडम्बर क्यों अपना रहे है हम लोग। मूर्ती में कोई परमात्मा नही बसता बल्कि परमात्मा तो तुम्हारे विश्वास में बसता हैं। मूर्ती तो मात्र आधार बनती हैं।
हाँ आप लोगो के लिये अभी इन बातों से निकलना मुश्किल हैं क्योंकि लम्बे समय से आप इन सब से जुड़े हैं।
पर सत्संग करते रहिये मित्रों में आपको धीरे-धीरे वो सब कुछ बताऊंगा।
राधे-राधे...