हैप्पी #रोजडे (व्यंग्य)
श्रीमतीजी से आदेश मिला.. मंदिर में पूजा के लिये पुष्प लाना है ..
मै सूर्य-उदय से पूर्व ही फुल-माला की दुकान पहुचा , माली को 10/- का सिक्का देते हुवे ,बोला "एक गुलाब की माला देना", माली ने 10 का सिक्का वापस पकड़ाते बोला , अंकल, "आज गुलाब की माला , रोज के हिसाब से नही मिलेगी, आज कीमत में इजाफा है" मैने पुछा, क्यों भाई, वित्त मंत्री ने इस #बजट में गुलाब पर भी कोई भारी #टैक्स लगा दिया ? या सारे गुलाब स्वर कोकिला लताजी जी को अर्पण कर दिए है .. माली बोला , नही, ऐसा कुछ नही है, आज “रोजडे” है , इस कारण 10 रूपयें में गुलाब की माला नही, एक फूल मिल जाएगा .…....मैं रोजड़े को समझने का प्रयास करने लगा ही था कि इतने में....
एक #युवा, जिसका वजन मुश्किल से 40-45 किलोग्राम का रहा होगा , फर्राटेदार फटफट की आवाज करते हुवे #रॉयल इनफील्ड पर आया, मुह में भरी #गुटके की पीक, बीच सडक पर थूका , गुलाब का गुच्छ खरीदा , बदले में 100/- का नोट पकड़ाया ओर सुल्तान की तरह वापस नये गुटके के पाउच को मुह में डाला, पन्नी को सड़क पर फैका ओर फटफट करते हुवे आगे चला, उसके जाने के बाद मेरी नजर गुटके की पन्नी पर गई, जिस पर मोटे अक्षर से लिखा था, तम्बाकू खाने से होता है #कैंसर ....इतने में दो स्कूटी मेरे पास आकर रुकी, दोनो चालक के मुँह मास्क व स्काफ से बंदे हुवे थे, मैंने सोचा सर्दी ज्यादा है , ओर कोरोना भी है....लेकिन पिछवाडे का खुला बदन देख समझ आया कि वाहन चालक वर्तमान काल की #देवी रूपा है ....दोनो देवियों ने गुलाब गुच्छ खरीदे ओर #शिक्षण संस्थान के विपरीत दिशा में चलती बनी ....
गुलाबो की भारी मात्रा में खरीद फरोख्त देखकर वहां खड़े युवाओ से मैंने पुछा "बेटे आज तुम सभी लोग गुलाब किसके लिए लेकर खरीद रहे हों ? क्या आज भी तुम्होरे विघालय में बसन्त उत्सव मनाया जा रहा है ? या भारत राष्ट्र के वीर महान क्रांतिकारी #शर्चीद्र नाथ सान्याल , जिनकी आज 07 फरवरी को पुण्य तिथि है उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने जा रहे हो ।
लडको ने कहा, अंकल हम “रोजडे” मना रहे है जो 07 फरवरी को आता है और .... ओर वो लडके अपने अपने हाथों में रोज लेकर मन्तव्य करते हुए अपने गन्तव्य की ओर चल दिए ओर मैं 10 का सिक्का पुनः अपनी जेब में डाल कर बिना #गुलाब खरीदे ही घर की ओर चलने लगा ....
पैदल ही अपने घर की ओर जा ही रहा था कि कि बीच खेतो में से कुछ #रोजडे(चौपाहिया जानवर) मुझे दिखाई दिये जिसके शरीर पर, सिर पर, कान पर, पूछ पर, किसी भी अंग पर #गुलाब नजर नही आया, मैं अब यह सोचने लगा कि युवा तो यह कह रहे था कि आज #रोजडे है ओर इस “रोजडे” के शरीर पर तो एक भी #गुलाब का फुल नही तो फिर आज गुलाब के फुल इतने मंहगे क्यु ? ………ओर मैं इसी सोच के साथ आगे चलने लगा ..........
शेष कल (अगर सोचने का समय मिला तो लिखने का प्रयास करूगा)😊
आनंद जोशी, जोधपुर