शचीन्द्रनाथसान्याल क्रांतिकारी पुण्यतिथी 07 फरवरी
इतिहास साक्षी है कि भारत को #गुलामी की बेडियां से आज़ाद कराने में जबरदस्त संघर्ष हुवा , जिसमे सम्मिलित होने वाली उन सभी हुतात्माओ को हमारा सादर नमन .... इन महान व्यक्तित्व में से एक क्रांतिकारी थे, #शाचीन्द्र नाथ सान्याल ।
सान्याल जी, ने राष्ट्रीय एवं क्रांतिकारी आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया ओर नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व भी किया । आप 'गदर पार्टी' और 'अनुशीलन संगठन' के दूसरे स्वतंत्रता संघर्ष के प्रयासों के कार्यकर्ता और संगठनकर्ता भी रहे । वर्ष 1923 में "#हिन्दुस्तानरिपब्लिकन एसोसिएशन" से #भगत सिंह एवं अन्य साथियों को "हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातांत्रिक संघ" के रूप में विकसित किया । आपने जीवन में दो बार '#कालापानी' की सज़ा भुगती । आपने 'हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन' के गठन के साथ ही देश बन्धुओं के नाम से एक अपील जारी भी की थी, जिसमें आपने भारत को पूर्ण स्वतंत्रता के लक्ष्य के साथ और सम्पूर्ण एशिया के महासंघ बनाने की परिकल्पना प्रस्तुत की ।
दोस्तो, आज ही के दिन यानि 07 फरवरी को #शतीन्द्रजी ने अंतिम श्वास लिया । देश के लिए कठोर कारावास में रहते हुए आपको क्षय रोग हो गया, अपने ही घर में आपको नजरबंद रखा गया, जहा आपका निधन हो गया ।
संभव है कि आज 07 फरवरी को कुछ भारतीय युवा पाश्चात्यकरण की अंधी दौड़ में इस सभ्यता का हिस्सा बनेंगे... बहुत से #गुलाब के पुष्प उनकी फेस बुक व्हाट्सप, इंस्टाग्राम की वॉल से लेकर हाथो में भी नजर आयेंगे ओर कुछ अपनी प्रियतमा के साथ भी नजर आएंगे ..... कोरोना के कारण अभी भी स्कूल कॉलेज नियमित नही है ....लेकिन फिर भी वो पाश्चात्करण की मैराथन दौड़ दौड़ेंगे... नतीजा..... संस्कृति पर हमला .....ओर धीरे धीरे बालाजी के मंदिर में जाकर मत्था टेकने वाले हमारे ही लोग .. कही ओर जाकर मोमबती जलायेगे.......
साथियों , अगर आपको सही लगे तो आज मेरे कहने से एक गुलाब भारत देश के वीर क्रातिकारी #शचीन्द्रनाथसान्याल को अर्पण कर दीजियेगा, जिन्होंने हमे स्वतन्त्र भारत में खुली हवा में श्वास लेने हेतु अपने प्राणो तक की आहुति दे दी थी ।
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