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शनिवार, 18 मई 2024

कभी-कभी विचार आता है कि 1500 ई. के बाद के ब्रिटिश कितनेसाहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर, अनजान रास्ते और अनजान जगहों पर जाकर लोगों को गुलाम बनाया.

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  *बहुत सटीक व तार्किक विश्लेषण*


     कभी-कभी विचार आता है कि 
  1500 ई. के बाद के ब्रिटिश कितने
साहसी और बुद्धिमान रहे होंगे, जिन्होंने 
     एक ठण्डे प्रदेश से निकलकर, 
अनजान रास्ते और अनजान जगहों पर 
        जाकर लोगों को गुलाम बनाया.

        अभी भी देखा जाए तो 
    ब्रिटेन की जनसंख्या और क्षेत्रफल 
    गुजरात के बराबर है, लेकिन उन्होंने 
        दशकों नहीं शताब्दियों तक
       दुनिया को गुलाम बनाए रखा.

   भारत की करोड़ों की जनसंख्या को
    मात्र कुछ लाख या हजार लोगों ने 
     गुलाम बनाकर रखा, और केवल 
       गुलाम ही नहीं बनाया बल्कि 
     खूब हत्यायें और लूटपाट भी की.

        उनको अपनी कौम पर
            कितना गर्व होगा 
             कि मुठ्ठी भर लोग
      दुनिया को नाच नचाते रहे.

    भारत के एक जिले में शायद ही 
   50 से ज्यादा अंग्रेज रहे होंगे लेकिन
  लाखों लोगों के बीच, अपनी धरती से 
     हजारों मील दूर आकर, अपने से 
   संख्या में कई गुना अधिक लोगों को
      इस तरह गुलाम रखने के लिए 
          अद्भुत साहस रहा होगा.

      अगर इतिहास देखते हैं तो 
             पता चलता है 
          कि उनके पास हम पर 
 अत्याचार करने के लिए लोग भी नहीं थे 
  तो उन्होंने हम में से ही कुछ लोगों को 
               भर्ती किया था, 
     हम पर अत्याचार करने के लिए, 
             हमें लूटने के लिए.
🤔
    सोचकर ही अजीब लगता है कि 
   हम लोग अंग्रेजों के सैनिक बन कर, 
  अपने ही लोगों पर अत्याचार करते थे.
     चंद्रशेखर, बिस्मिल जैसे मात्र कुछ 
         गिनती के लोग थे, जिन्हें 
              हमारा ही समाज 
           हेय दृष्टि से देखता था.

         आज वही नपुंसक समाज 
       उन चंद लोगों के नाम के पीछे 
अपना कायरतापूर्ण इतिहास छुपाकर 
           झूठा दम्भ भरता है.
  *अरब के रेगिस्तान से कुछ भूखे*
     *जाहिल, आततायी लोग आए,*
  *और उन्होंने भी हमको लूटा, मारा,*
       *बलात्कार किया. और हम*
            *वहाँ भी नाकाम रहे.*

        उन्होंने हमारे मन्दिर तोड़े, 
  हमारी स्त्रियों से बलात्कार किये, लेकिन 
            हमने क्या किया ?
    वो दिन में विवाह में लूटपाट करते हैं, 
◆ तो रात को चुपचाप विवाह करने लगे, 
    जवान लड़कियों को उठा ले जाते हैं,
◆ तो बचपन में ही शादी करने लगे और 
        अगर उसमें ही असुरक्षा हो, तो 
◆    बेटी पैदा होते ही मारते रहे.
      बुरा लगता तो ठीक है, लेकिन 
       ★ यही हमारी सच्चाई है. ★

   *हमने 1000 सालों की दुर्दशा से*
           *कुछ नहीं सीखा.*

          आज एक जनसँख्या
      उन्हीं अरबी अत्याचारियों को 
       अपना पूर्वज मानने लगी है.

          कुछ उन ईसाइयों को
      अपना पूर्वज मानने लगी है,  
   यानि हम स्वाभिमानहीन लोग हैं,
       स्वतंत्रता मिलने पर भी 
      हम मानसिक गुलाम ही रहे.

     दूसरी तरफ हमारी व्यवस्थाएं भी 
      सड़ी हुई हैं , जिन्होंने इन सभी 
          नाकामियों का कभी
         मंथन ही नहीं किया.
   हमारे ऊपर जब आक्रमण हो रहे थे 
     और हम जब एक युद्धकाल से 
               गुजर रहे थे, 
     हमारी बहुसंख्यक जनसँख्या
       इस मानसिकता में थी कि
    *"कोउ नृप हो हमें का हानि"* 

       मतलब उनको युद्ध से, 
          राज्य से, राजा से 
         कोई मतलब नहीं था.
     ये सब बस क्षत्रिय के काम थे.
       उनको करना है तो करें, 
        नहीं करना तो नहीं करें.

यही कारण था कि मुस्लिम आक्रमण से 
  राजस्थान क्षेत्र छोड़कर समस्त भारत
     धराशाही हो गया था, क्योंकि
     राजस्थान में क्षत्रिय जनसँख्या 
अधिक थी तो संघर्ष करने में सफल रहे.
        ऐसे ही कुछ क्षेत्र और थे 
          जो इसमें सफल हुए.

  आज इजरायल बुरी तरह शत्रुओं से 
     घिरा हुआ है लेकिन सुरक्षित है , 
  क्योंकि .. वहाँ के प्रत्येक व्यक्ति की 
देश और धर्म की सुरक्षा की जिम्मेदारी है 
        लेकिन हमने ये कार्य केवल
   क्षत्रियों पर छोड़ दिया था, जबकि
      फ़ौज में भी युद्ध के समय 
  माली, नाई, पेंटर, रसोइया आदि 
 सभी लड़ाका बनकर तैयार रहते हैं.

     लेकिन हमने युद्धकाल में भी 
   परिस्थितियों को नहीं समझा और 
      अपनी योजनायें नहीं बनाई 
        अपनी व्यवस्थाएँ नहीं बदली.



      जरा विचार करके देखिए कि
    मुस्लिमों एवं अंग्रेजों से जिस तरह
   क्षत्रिय लड़े,  अगर पूरा हिन्दू समाज
    क्षत्रिय बनकर, लड़ा होता तो क्या
     हम कभी गुलाम हो सकते थे ?
           सामान्य परिस्थिति में 
         समाज को चलाने के लिए 
     उसको वर्गीकृत किया ही जाता है ,
 लेकिन 
  विपत्तिकाल में नीतियों में परिवर्तन भी 
     किया जाता है, लेकिन हम इसमें 
   पूरी तरह नाकाम लोग हैं. इसलिए 
        1000 सालों से दुर्भाग्य 
           हमारे पीछे पड़ा है.

   अटल जी एक भाषण में कहते हैं कि 
       एक युद्ध जीतने के बाद जब 
          1000 अंग्रेजी सैनिकों ने 
        विजय-जुलूस निकाला था, तो 
   सड़क के दोनों तरफ 20000 लोग 
               देखने आए थे.

        अगर ये 20000 लोग 
      पत्थर-डण्डे से भी मारते, तो 
  1000 सैनिकों को भागते भी नहीं बनता, 
         लेकिन ये 20 हजार लोग 
        केवल युद्व के मूक दर्शक थे.

    आज भी कुछ खास नहींं बदला है.
        मुगलों और अंग्रेजों का स्थान
   एक खास dynasty ने ले लिया और 
     वामपंथियों/सेकुलरों के रूप में 
       खतरनाक गद्दारों की फौज भी 
                पैदा हो गई.

       लेकिन सबसे बड़ी विडंबना
   यह है कि हम आज भी बंटे हुए हैं.
          100 करोड़ होकर भी 
              मूक दर्शक बने हुए हैं.

           भले ही कुछ लोग 
         कुछ जागृति पैदा करने में 
             सफल हुए हों, 
           पर बिना संपूर्ण जागृति 
            इस देश के दुर्भाग्य का 
                      अंत नहींं होगा.

           सही है कि हम ...
    इतिहास से सीखने वाले नहीं हैं,
  चाहे खुद इतिहास बनकर रह जाएं.


*इस संदेश को कम से कम पांच ग्रुप मैं जरूर भेजे*
*कुछ लोग नही भेजेंगे लेकिन मुझे यकीन है आप जरूर भेजेंगे


🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

           *विचारणीय लेख* ✍️

गर्मियों में बहुत लाभदायक है , गुलकंद (gulkand) ....

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गर्मियों में बहुत लाभदायक है , गुलकंद (gulkand) ....

गुलाब के फूल की पत्त‍ियों से बनाया जाता है ।

और इसे गुलाब (ROSE) का जैम (Jam) भी कहते हैं।

 इसे खाने से शरीर की सारी गर्मी दूर हो जाती है, और दिमाग (Brain) तेज़ होता है।

 और कब्ज के रोग को दूर करने के लिए तो दादी-नानी इस नुस्खे को आजमाती रहती हैं ।

और यह बहुत अच्छा माउथ फ्रेशनर (Mouth freshener) भी है तो फिर आज हम आपको गुलकंद (gulkand) बनाना बताते हैं…

▪️▪️आवश्यक सामग्री ...

◾ताजी गुलाब की पंखुड़ि‍यां  =250 ग्राम

◾पिसी हुई मिश्री या फिर बुरा = 500 ग्राम

◾छोटी इलायची = एक छोटा चम्मच पिसी हुई

◾ सौंफ = एक छोटा चम्मच पिसी हुई

▪️▪️विधि ....

सबसे पहले एक कांच के बड़े से बर्तन में एक परत गुलाब की पंखुड़ि‍यों की डालें ।

और अब इस पर थोड़ी सी मिश्री डालें।

और इसके बाद दोबारा से एक परत गुलाब की पंखुड़ि‍यों की रखें।

और फिर थोड़ी सी मिश्री डालें और मिश्री के ऊपर इलायची और सौंफ डाल दें|

और इसके बाद बची हुई गुलाब की पंखुड़ि‍यों और मिश्री को कांच के बर्तन में डाल दे ।

और फिर ढक्कन बंद करके धूप में 8 से 10 दिन तक रखे|

धूप में रखने से मिश्री जो पानी छोड़ेगी गुलाब की पंखुड़ि‍यां उसी पानी में गलेंगी ।

जब सारी सामग्री एक सार हो जाए तो फिर इसका प्रयोग करें, 


आप चाहे तो इसके 1 चमच्च में 250 mg या 

दो चुटकी प्रवालपिष्टि मिलाकर भी ले सकते है।

 यह आपको गर्मी से होने वाली समस्त विकारों को दूर करने में समर्थ है।



गर्मियों में विशेष उपयोगी-पुदीना....

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गर्मियों में विशेष उपयोगी-पुदीना....

पुदीना गर्मियों में विशेष उपयोगी एक सुगंधित औषध है  यह रुचिकर, पचने में हलका, तीक्ष्ण, ह्रदय-उत्तेजक, विकृत कफ को बाहर लानेवाला, गर्भाशय-संकोचक , चित्त को प्रसन्न करनेवाला हैं ।

◼️पुदीने के सेवन से भूख खुलकर लगती है और वायु का शमन होता हैं । यह पेट के विकारों में विशेष लाभकारी है । श्वास, मुत्राल्पता तथा त्वचा के रोगों में भी यह उपयुक्त है ।

▪️▪️औषधि प्रयोग....

1] पेट के रोग .....

अपच, अजीर्ण, अरुचि, मंदाग्नि, अफरा, पेचिश, पेट में मरोड़, अतिसार, उलटियाँ, खट्टी डकारें आदि में पुदीने के रस में जीरे का चूर्ण व आधे नींबू का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है ।

2] मासिक धर्म ....

पुदीने को उबालकर पीने से मासिक धर्म की पीड़ा तथा अल्प मासिक स्राव में लाभ होता है । अधिक मासिक स्त्राव में यह प्रयोग न करें ।

3] गर्मियों में ....

गर्मी के कारण व्याकुलता बढ़ने पर एक गिलास ठंडे पानी में पुदीने का रस तथा मिश्री मिलाकर पीने से शीतलता आती है ।

4] पाचक चटनी ....

 ताजा पुदीना, काली मिर्च, अदरक, सेंधा नमक, काली द्राक्ष और जीरा – इन सबकी चटनी बनाकर उसमें नींबू का रस निचोड़ कर खाने ने रूचि उत्पन्न होती है, वायु दूर होकर पाचनशक्ति तेज होती है । पेट के अन्य रोगों में भी लाभकारी है ।

5]. उलटी-दस्त, हैजा ....

 पुदीने के रस में नींबू का रस, अदरक का रस एवं शहद मिलाकर पिलाने से लाभ होता है ।

6] सिरदर्द ....

पुदीना पीसकर ललाट पर लेप करें तथा पुदीने का शरबत पिएं ।

7] ज्वर आदि....

गर्मी में जुकाम, खाँसी व ज्वर होने पर पुदीना उबाल के पीने से लाभ होता है।

7] नकसीर ....

नाक में पुदीने के रस की 3 बूँद डालने से रक्तस्त्राव बंद हो जाता है ।

8] मूत्र-अवरोध ....

 पुदीने के पत्ते और मिश्री पीसकर 1 गिलास ठंडे पानी में मिलाकर पिएं ।

10] गर्मी की फुंसियाँ ....

समान मात्रा में सूखा पुदीना एंव मिश्री पीसकर रख लें । रोज प्रात: आधा गिलास पानी में 4 चम्मच मिलाकर पिएं ।

11] हिचकी .....

पुदीने या नींबू के रस-सेवन से राहत मिलती है ।

▪️▪️विशेष....

 ▪️पुदीने का ताजा रस लेने की मात्रा है 5 से 20 ग्राम । 

▪️पत्तों का चूर्ण लेने की मात्रा 3 से 6 ग्राम ।

 ▪️काढ़ा लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम । 

▪️अर्क लेने की मात्रा 20 से 40 ग्राम।

▪️बीज का तेल लेने की मात्रा आधी बूँद से 3 बूँद ।