यह ब्लॉग खोजें

शुक्रवार, 23 नवंबर 2012

यदि कोई व्यक्ति आपके सवाल के जबाब में आपका अपेक्षित उत्तर नहीं देता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गलत है..

कक्षा दूसरी में पढन वाले अतुल से कक्षा शिक्षिका ने गणित का एक सवाल पूछा "" अतुल, यदि में तुमको एक सेव, एवं एक सेव एवं एक सेव दूं , तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जावेगें ?

अतुल "" मेडम जी... चार सेव ""

मेडम को लगा कि अतुल ने सवाल को ठीक से समझा नहीं है..उसने फिर से सवाल को दोहराया "" अतुल , घ्यान से सुनो..यदि में तुमको एक सेव दूं ..फिर एक सेव दूं...फिर एक सेव दूं ..तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जाय...ेगे.

छोटे अतुल ने अपनी उंगलियों पर केलकुलेट किया... उत्तर दिया "" चार सेव ""

मेडम झुझंला गई..उन्होने अपनी झुझलाहट को कंट्रोल किया एवं सोचा कि शायद छोटे अतुल को सेव पंसद नहीं है इसलिये वह सवाल पर घ्यान ही नहीं दे रहा है..उन्हे याद आया कि अतुल आम बहुत पंसद करता है... उन्होने फिर अपना सवाल दोहराया ...
बेटा अतुल..घ्यान से सुनो...यदि में तुमको एक आम फिर एक आम एवं फिर एक आम दूं तो ..तुम्हारे पास कितने आम हो जावेगें ?

छोटे अतुल ने कांउट किया "" मेडम जी तीन आम ""

मेडम का चेहरा..खुशी से दमक उठा...चेहरे पर मुस्काराहट आ गई..उन्हे अपने प्रयास पर गर्व महसूस हुआ...कि चलो छात्र की समझ में गणित आ या तो.

उन्होने फिर से अतुल से पूछा अच्छा अब बोलो ""यदि में तुमको एक सेव दूं ..फिर एक सेव दूं...फिर एक सेव दूं ..तो तुम्हारे पास कितने सेव हो जायेगे""

अतुल ने सहम कर उत्तर दिया "" मेडम जी चार ""

मेडम झल्ला गई....उन्होने ने झल्लाकर कहा "" कैसे अतुल..कैसे ""

मासूम अतुल सहम गया...उसने अपना हाथ सहमते हुये अपने स्कूल बेग में डाला..उसके हाथ में एक सेव था ..उसने मेडम को दिखाते हुये कहा सहम कर कहा "" एक सेव मेरे पास पहले से है ""

।।यदि कोई व्यक्ति आपके सवाल के जबाब में आपका अपेक्षित उत्तर नहीं देता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह गलत है..उसे पूर्ण् रूप से गलत घोषित करने से पूर्व उसका नजरिया जान लेना जरूरी है ।।

जब अचानक आने लगें चक्कर तो क्या करें और क्या न करें...

जब अचानक आने लगें चक्कर तो क्या करें और क्या न करें....
______________________________________________________

थोड़ी देर तक बैठे रहने के बाद आप जैसे ही उठते हैं, आपके आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है, आपको चक्कर आने लगते हैं। ऐसा लगता होगा कि आपके चारो ओर की चीजें तेजी से घूम रही हैं। आज हम चक्कर आने की बीमारी के निदान के बारे में आपको बताएंगे। चक्कर आना या सिर घूमना एक सामान्य समस्या है। यह स्वय में एक बीमारी भी है और अनेक बीमारियों का एक लक्षण भी।

कारण- चक्कर आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन दिमाग से जुड़ी या कान से जुड़ी समस्याएं अधिकांश इसका मुख्य कारण होती है। इसके अलावा ब्लडप्रेशर में परिवर्तन, स्पॉन्डिलोसिस, शरीर में खून की कमी, खून में ग्लूकोज की मात्रा बहुत बढऩे या कम होने और अत्यधिक शारीरिक व मानसिक तनाव से भी मरीज को चक्कर का अनुभव हो सकता है।


चक्कर आने पर तुरंत करें ये घरेलू उपाय-
-नारियल का पानी रोज पीने से भी चक्कर आने बंद हो जाते है।
- 20 ग्राम मुनक्का घी में सेंककर सेंधा नमक डालकर खाने से चक्कर आने बंद हो जाते है।
- सिर चकराने पर आधा गिलास पानी में दो लौंग डालकर उसे उबाल लें और फिर उस पानी को पी लें। इस पानी को पीने से लाभ मिलता है।
10 ग्राम आंवला, 3 ग्राम काली मिर्च और 10 ग्राम बताशे को पीस लें। 15 दिनों तक रोजाना इसका सेवन करें चक्कर आना बंद हो जाएगा।
- रोजाना जूस पीने से चक्कर आने बंद हो जाएंगे। लेकिन ध्यान रखें कि जूस में किसी प्रकार का मीठा या मसाला नहीं डालें। जूस की जगह चाहें तो ताजे फल भी खा सकते हैं।


चक्कर आते हैं तो क्या खाएं.....
- हरी सब्जियों का अधिक मात्रा में सेवन करें।
- अंगूर, अनार, आम, सेब, संतरा, मौसमी आदि फलों का सेवन करें या रस पिएं।
- आंवले, फालसे, शहतूत का शरबत पीने से उष्णता नष्ट होने से चक्कर आने की विकृति नष्ट होती है।
-रात को 4-5 बादाम जल में डालकर रखें। प्रात: उनके छिलके उतार करके, बादाम पीसकर, दूध में मिलाकर सेवन करें।
-प्रतिदिन सुबह-शाम दूध का सेवन करें। दूध में घी डालकर पिएं।
- सेब या गाजर का मुरब्बा प्रतिदिन खाएं और दूध पिएं।
- दूध में बादाम का तेल डालकर पिएं।
- जिन लोगों को चक्कर आते हैं उन्हें दोपहर के भोजन के 2 घंटे पहले और शाम के नाश्ते में फलों का जूस पीना चाहिए।


क्या न खाएं-
- जंक फूड, चाय व कॉफी से परहेज करें।
- अधिक मसालेदार न खाएं।
- नॉनवेज और ज्यादा ऑइली खाने से भी बचें

मस्तक पर तिलक प्रति दिन जरुर करना चाहिए

मस्तक पर तिलक प्रति दिन जरुर करना चाहिए

अपने देश में है मस्तक पर तिलक लगाने की प्रथा प्रचलित है। यह प्राचीन है। मनुष्य के मस्तक के मध्य में विष्णु भगवान का निवास है,इसलिए तिलक इसी स्थान पर लगाया जाना चाहिए है।
स्त्रियां लाल कुंकुम का तिलक
लगाती हैं। यह भी बिना प्रयोजन नहीं है। लाल रंग ऊर्जा एवं स्फूर्ति का प्रतीक होता है। तिलक स्त्रियों के सौंदर्य में अभिवृद्धि करता है। तिलक लगाना देवी की आराधना
से भी जुड़ा है। देवी की पूजा करने के बाद माथे पर तिलक लगाया जाता है। तिलक देवी के आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
हिन्दु परम्परा में मस्तक पर तिलक लगाना शूभ माना जाता है इसे सात्विकता का प्रतीक माना जाता है विजयश्री प्राप्त करने के उद्देश्य रोली, हल्दी, चन्दन या फिर कुम्कुम का तिलक या कार्य की महत्ता को ध्यान में रखकर, इसी प्रकार शुभकामनाओं के रुप में हमारे तीर्थस्थानों पर, विभिन्न पर्वो-त्यौहारों, विशेष अतिथि आगमन पर आवाजाही के उद्देश्य से भी लगाया जाता है ।
मस्तिष्क के भ्रु-मध्य ललाट में जिस स्थान पर टीका या तिलक लगाया जाता है यह भाग आज्ञाचक्र है । शरीर शास्त्र के अनुसार पीनियल ग्रन्थि का स्थान होने की वजह से, जब पीनियल ग्रन्थि को उद्दीप्त किया जाता हैं, तो मस्तष्क के अन्दर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है । पीनियल ग्रन्थि के उद्दीपन से आज्ञाचक्र का उद्दीपन होगा । इसी वजह से धार्मिक कर्मकाण्ड, पूजा-उपासना व शूभकार्यो में टीका लगाने का प्रचलन है /
उस के उद्दीपन से हमारे शरीर में स्थूल-सूक्ष्म अवयन जागृत हो सकें । इस आसान तरीके से सर्वसाधारण की रुचि धार्मिकता की ओर, आत्मिकता की ओर, तृतीय नेत्र जानकर इसके उन्मीलन की दिशा में किया गया / जिससे आज्ञाचक्र को नियमित उत्तेजना मिलती रहती है ।
तन्त्र शास्त्र के अनुसार माथे को इष्ट इष्ट देव का प्रतीक समझा जाता है / हमारे इष्ट देव की स्मृति हमें सदैव बनी रहे इस तरह की धारणा , ध्यान में रखकर, मन में उस केन्द्रबिन्दु की स्मृति हो सकें । शरीर व्यापी चेतना शनैः शनैः आज्ञाचक्र पर एकत्रित होती रहे । अतः इसे तिलक या टीके के माध्यम से आज्ञाचक्र पर एकत्रित कर, तीसरे नेत्र को जागृत करा सकें ताकि हम परा – मानसिक जगत में प्रवेश कर सकें ।
मनोविज्ञान की दृष्टि से भी तिलक लगाना उपयोगी माना गया है। माथा चेहरे का केंद्रीय भाग होता है/ उसके मध्य में तिलक लगाकर, दृष्टि को बांधे रखने का प्रयत्न किया जाता है। तिलक हिंदू संस्कृति का पहचान है। तिलक केवल धार्मिक मान्यता नहीं है/ तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है/ चन्दन को पत्थर पर घिस कर लगाते है / ऐनक के सामने हमारी मुखमंडल की आभा काफी सौम्य दिखता है/ तिलक से मानसिक उतेज़ना पर काफी नियंत्रण पाया जा सकता है

महर्षि भरद्वाज द्वारा लिखा गया विमानशास्त्र

महत्वपूर्ण जानकारी

हिन्दू धर्मं के पवित्र ग्रन्थ जैसे रामायण और महाभारत में विमानों का वर्णन मिलता है ! कई हिन्दू विरोधी इस तथ्य भले ही हास्यात्मक बनाये पर सत्य ये है क़ि विमान शास्त्र में बहुत ही गूढ़ रहष्य छिपा है ये तो NASA वैज्ञानिक ही जानते है जिन्होंने MYSORE , कर्नाटक से विमान शास्त्र का वर्णन लिया है और उस पर अनुसंधान कर रहे है !

...महर्षि भरद्वाज द्वारा लिखा गया विमानशास्त्र में "शकुन विमान " का वर्णन मिलता है ! जिसको श्री G.R.JOSYER ने 1979 में विस्तृत रूप से बताया और वर्णन भी किया है !

श्री G. R JOSYER जो की Director of the International Academy of Sanskrit Investigation , Mysore थे ! उनका एक संग्राहलय है !

इनके और कई भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसंधान को D. Hatcher Childress द्वारा प्रकाशित किये गए ! ये एक अमेरिकन प्रकाशक और लेखक है जिन्होंने विमान शास्त्र के ऊपर लिखे गए लेख और अनुशंधान को प्रकाशित किया है !

इन्टरनेट पर उनकी links भी मौजूद है जिसमे भारतीय बैज्ञानिकों द्वारा किये गए अनुसंधान का वर्णन दिया है ! जिसका स्त्रोत source: Technology of the Gods - The Incredible Sciences of the Ancients नामक किताब से लिया है !

मित्रों , एक बात गौर करने की है कि हमारे शास्त्र, रामायण और महाभारत अभी भी कई ऐसे रहष्य छिपे हुए है जिनको हम पहचान नहीं पा रहे है ! और दुसरे लोग इसे पहचान कर इसका उपयोग भी कर रहे है ये बात किसी से छिपी नहीं और facebook के माध्यम से भी हमने कई मित्रों प्रयासों से अपने धर्मं कि वैज्ञानिकता को जाना है !

उम्मीद है आप इसे अपने लोगों तक जरूर पहुंचाएंगे !
जयतु संस्कृतं ! जयतु भारतं

function disabled

Old Post from Sanwariya