श्री राम के नाम से पत्थरो के तैरने की news
जब लंका पहुँची ,
तब वहाँ की public में काफी gossip हुआ
कि भैया जिसके नाम
से ही पत्थर तैरने लगें , वो आदमी क्या गज़ब
होगा।इस तरह
की बेकार की अफ़वाहों से परेशान रावण ने
तैश में आकर
announce करवा दिया कि कल रावण के नाम
लिखे हुए पत्थर
भी पानी में तिराये जायेंगे। और अगले दिन
लंका में public
holiday declare कर दिया गया।निश्चित
दिन और समय पर
सारी population रावण का चमत्कार देखने
पहुँच गयी।Set
time पर रावण अपने भाई - बँधुओं ,
पत्नियों तथा staff के
साथ वहाँ पहुँचे और एक भारी से पत्थर पर
उनका नाम
लिखा गया। Labor लोगों ने पत्थर
उठाया और उसे समुद्र में
डाल दिया -- पत्थर सीधा पानी के भीतर !
सारी public इस
सब को साँस रोके देख रहे थी जबकी रावण
लगातार मन ही मन
में मँत्रोच्चारण कर रहे थे। अचानक, पत्थर
वापस surface पर
आया और तैरने लगा। Public पागल हो गयी ,
और 'लँकेश
की जय' के कानफोड़ू नारों ने आसमान
को गुँजायमान कर दिया।
एक public celebration के बाद रावण अपने
लाव लश्कर के
साथ वापस अपने महल चले गये और public
को भरोसा हो गया कि ये राम - वाम
तो बस ऐसे ही हैं , पत्थर
तो हमारे महाराज रावण के नाम से भी तिरते
हैं।पर उसी रात
को मँदोदरी ने notice किया कि रावण bed
में लेटे हुए बस
ceiling को घूरे जा रहे थे।“ क्या हुआ स्वामी ?
फिर से
acidity के कारण नींद नहीं आ रही क्या ?”
eno दराज मे
पडी है ले कर आऊँ ? - मँदोदरी ने पूछा।“ मँदु !
रहने दो ,*
आज तो इज़्ज़त बस लुटते लुटते बच गयी।
आइन्दा से ऐसे
experiment नहीं करूंगा। " ceiling
को लगातार घूर रहे रावण
ने जवाब दिया।मँदोदरी चौंक कर उठी और
बोली , “
ऐसा क्या हो गया स्वामी ?”रावण ने अपने
सर के नीचे से हाथ
निकाला और छाती पर रखा , “ वो आज
सुबह याद है पत्थर
तैरा था ?”मँदोदरी ने एक curious smile के
साथ हाँ मे सर
हिलाया।“ पत्थर जब पानी में नीचे
गया था , उसके साथ साथ
मेरी साँस भी नीचे चली गयी थी। " रावण ने
कहा।इसपर
confused मँदोदरी ने कहा , “ पर पत्थर वापस
ऊपर
भी तो आ गया था ना । वैसे ऐसा कौन
सा मँत्र पढ़ रहे थे आप
जिससे पानी में नीचे गया पत्थरवापस आकर
तैरने लगा ?”इस
पर रावण ने एक लम्बी साँस ली और बोले , “
मँत्र-वँत्र कुछ
नहीं पढ़ रहा था बल्कि बार बार बोल
रहा था कि 'हे पत्थर !
तुझे राम की कसम , PLEASE डूबियो मत भाई
!! जय श्री राम !!