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शुक्रवार, 5 अप्रैल 2019

चैत्र नवरात्र आरम्भ (06 अप्रैल2019)

चैत्र नवरात्र आरम्भ (06 अप्रैल2019)

मां दुर्गा के नौ रुपों का पूजन यानि नवरात्रों का आरंभ  6 अप्रैल 2019 के दिन से होगा। पंचांग के अऩुसार चैत्र नवरात्रों से ही हिंदु नवसंवत्सर का आरंभ होता है,इस सम्वत्सर का नाम "परिधावी"  है।।
चैत्र मास के इस नवरात्र को ‘वार्षिक नवरात्र’ कहा जाता है ।।

इस पर्व पर जहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा का विधान है,,,वहीं नवरात्रों में मां दुर्गा के रुप में  कन्या या कुमारी पूजन का भी विशेष विधान है।नवरात्र के इन प्रमुख नौ दिनों में लोग नियमित रूप से पूजा पाठ और व्रत का पालन करते हैं।

दुर्गा पूजा के नौ दिन तक देवी दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ  इत्यादि धार्मिक किर्या पौराणिक कथाओं में शक्ति की आराधना का महत्व व्यक्त किया गया है।

इसी आधार पर आज भी माँ दुर्गा जी की पूजा संपूर्ण भारत वर्ष में बहुत हर्षोउल्लास के साथ की जाती है। वर्ष में दो बार की जाने वाली दुर्गा पूजा एक चैत्र माह में और दूसरा आश्विन माह में की जाती है।

घट स्थापना:- नवरात्रों की पूजा का आरंभ घट स्थापना से शुरू होता है। इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प किया जाता है। व्रत का संकल्प लेने के पश्चात मिटटी की वेदी बनाकर जौ बौया जाता है फिर घट स्थापित किया जाता है।घट के ऊपर मां की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है तथा "दुर्गा सप्तशती" का पाठ किया जाता है। पाठ पूजन के समय अखंड दीप भी जलाया जाता है।।

घट स्थापना शुभ मुहूर्त:-
प्रातः04:00 ब्रह्म मुहूर्त अति श्रेष्ठ है।।
 पश्चात 08बजकर 09 मिनट से लेकर 10 बजकर 19 मिनट तक शुभ रहेगा व अभिजित मुहुर्त दोपहर12:15 से 01:05 मिनट तक व इसके अलावा चौघड़िया अनुसार अमृत,लाभ,शुभ,चर बेला में भी स्थापना की जा सकती है।।

नवरात्रों का महत्व:-
माना जाता है नवरात्रों में मां धरती पर साक्षा्त रुप में उपस्थित रहती है..नवरात्रे के पहले दिन माता दुर्गा के कलश की स्थापना कर पूजा प्रारम्भ की जाती है।जो भी मां की सच्चे मन से पूजा-पाठ, व्रत और हवन करता है। मां उसकी सभी इच्छाएं पूरी करती है।
नवरात्रों का समय तंत्र और मंत्र के कार्यों के लिए भी शुभ माना जाता है और बिना मंत्र के कोई भी साधाना पूर्ण नही होती है। जो भी व्यक्ति ग्रह दोष से पीड़ित हो वह भी मां की उपासना करके अपने सभी ग्रहों को शांत कर सकता है और मां का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है।।

गृहस्थ व्यक्ति भी मां का पूजन करके अपने जीवन में आ रही सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है।  इन में की गई पूजा -पाठ का फल व्यर्थ नहीं जाता है। नवरात्रों में मां अपने भक्तों को उनकी साधना के अनुसार फल देती है। इन दिनों में किया गया दान पुण्य का विशेष लाभ देता है।

चैत्र नवरात्र 2019 तिथिया:-
पहला नवरात्र, प्रथमा तिथि, 6 अप्रैल 2019, दिन शनिवार
दूसरा नवरात्र, द्वितीया तिथि  7 अप्रैल 2019, दिन रविवार
तीसरा नवरात्रा, तृतीया तिथि, 8 अप्रैल 2019, दिन सोमवार
चौथा नवरात्र, चतुर्थी तिथि, 9 अप्रैल 2019, दिन मंगलवार
पांचवां नवरात्र , पंचमी तिथि , 10 अप्रैल 2019, दिन बुधवार
छठा नवरात्रा, षष्ठी तिथि, 11 अप्रैल 2019, दिन बृहस्पतिवार
सातवां नवरात्र, सप्तमी तिथि , 12 अप्रैल 2019, दिन शुक्रवार
आठवां नवरात्रा , अष्टमी तिथि, 13 अप्रैल 2019, दिन शनिवार
नौवां नवरात्र नवमी तिथि 14 अप्रैल, दिन रविवार।।


विशेष:-राम नवमी राम जन्मोत्सव शनिवार को मनाया जाएगा।।

शुभेच्छाएँ:- भक्तिपथ परिवार आप सभी के लिए माँ भगवती से आपके उज्जवल भविष्य,सुख समृद्धि,यश,वैभव, ऐश्वर्य की कामना करता है।।नवरात्रि में माँ जगत्जननी आप की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें।


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एक सुन्दर मर्मस्पर्शी कहानी || कर्मो की दौलत |

एक सुन्दर मर्मस्पर्शी कहानी .............👇�👇�👇�
                 || कर्मो की दौलत ||

        एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत इकट्ठा करके( एकतरह शाही खजाना ) आबादी से बाहर जंगल एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने मे सारे खजाने को खुफिया तौर पर छुपा दिया था खजाने की सिर्फ दो चाबियां थी एक चाबी राजा के पास और एक उसकेएक खास मंत्री के पास थी इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम ना था एक रोज़ किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला , तहखाने का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हो गया और अपने खजाने को देख देख कर खुश हो रहा था , और खजाने की चमक से सुकून पा रहा था।

        उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा की खजाने का दरवाजा खुला है वो हैरान हो गया और ख्याल किया कि कही कल रात जब मैं खजाना देखने आया तब शायद खजाना का दरवाजा खुला रह गया होगा, उसने जल्दी जल्दी खजाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहां से चला गया . उधर खजाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ , और दरवाजे के पास आया तो ये क्या ...दरवाजा तो बाहर से बंद हो गया था . उसने जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू किया पर वहां उनकी आवाज सुननेवाला उस जंगल में कोई ना था ।

        राजा चिल्लाता रहा , पर अफसोस कोई ना आया वो थक हार के खजाने को देखता रहा अब राजा भूख और पानी की प्यास से बेहाल हो रहा था , पागलो सा हो गया.. वो रेंगता रेंगता हीरो के संदूक के पास गया और बोला ए दुनिया के नायाब हीरो मुझे एक गिलास पानी दे दो.. फिर मोती सोने चांदी के पास गया और बोला ए मोती चांदी सोने के खजाने मुझे एक वक़्त का खाना दे दो..राजा को ऐसा लगा की हीरे मोती उसे बोल रहे हो की तेरे सारी ज़िन्दगी की कमाई तुझे एक गिलास पानी और एक समय का खाना नही दे सकती..राजा भूख से बेहोश हो के गिर गया ।

        जब राजा को होश आया तो सारे मोती हीरे बिखेर के दीवार के पास अपना बिस्तर बनाया और उस पर लेट गया , वो दुनिया को एक पैगाम देना चाहता था लेकिन उसके पास कागज़ और कलम नही था ।

        राजा ने पत्थर से अपनी उंगली फोड़ी और बहते हुए खून से दीवार पर कुछ लिख दिया . उधर मंत्री और पूरी सेना लापता राजा को ढूंढते रहे पर बहुत दिनों तक राजा ना मिला तो मंत्री राजा के खजाने को देखने आया , उसने देखा कि राजा हीरे जवाहरात के बिस्तर पर मरा पड़ा है , और उसकी लाश को कीड़े मोकड़े खा रहे थे . राजा ने दीवार पर खून से लिखा हुआ था...ये सारी दौलत एक घूंट पानी ओर एक निवाला नही दे सकी...

        यही अंतिम सच है |आखिरी समय आपके साथ आपके कर्मो की दौलत जाएगी , चाहे कितनी बेईमानी से हीरे पैसा सोना चांदी इकट्ठा कर लो सब यही रह जाएगा |इसीलिए जो जीवन आपको प्रभु ने उपहार स्वरूप दिया है , उसमें अच्छे कर्म लोगों की भलाई के काम कीजिए बिना किसी स्वार्थ के ओर अर्जित कीजिए अच्छे कर्मो की अनमोल दौलत जो आपके सदैव काम आएगी |

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हनुमान चालीसा का अदभुत रहस्य, जिसे जान अकबर को भी झुकना पड़ा

हनुमान चालीसा का अदभुत रहस्य,
जिसे जान अकबर को भी झुकना पड़ा...!

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भगवान को अगर किसी युग में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है तो वह युग है कलियुग। इस कथन को सत्य करता एक दोहा रामचरितमानस में तुलसीदास जी ने लिखा है

नहिं कलि करम न भगति बिबेकू। राम नाम अवलंबन एकू॥
कालनेमि कलि कपट निधानू। नाम सुमति समरथ हनुमानू॥

भावार्थ:-कलियुग में न कर्म है, न भक्ति है और न ज्ञान ही है, राम नाम ही एक आधार है। कपट की खान कलियुग रूपी कालनेमि के (मारने के) लिए राम नाम ही बुद्धिमान और समर्थ श्री हनुमान्‌जी हैं॥
जिसका अर्थ है की कलयुग में मोक्ष प्राप्त करने का एक ही लक्ष्य है वो है भगवान का नाम लेना। तुलसीदास ने अपने पूरे जीवन में कोई भी ऐसी बात नहीं लिखी जो गलत हो। उन्होंने अध्यात्म जगत को बहुत सुन्दर रचनाएँ दी हैं।
ऐसा माना जाता है कि कलयुग में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले भगवान हैं। उन्होंने हनुमान जी की स्तुति में कई रचनाएँ रची जिनमें हनुमान बाहुक, हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा प्रमुख हैं।
हनुमान चालीसा की रचना के पीछे एक बहुत जी रोचक कहानी है जिसकी जानकारी शायद ही किसी को हो। आइये जानते हैं हनुमान चालीसा की रचना की कहानी :-
ये बात उस समय की है जब भारत पर मुग़ल सम्राट अकबर का राज्य था। सुबह का समय था एक महिला ने पूजा से लौटते हुए तुलसीदास जी के पैर छुए। तुलसीदास जी ने नियमानुसार उसे सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद दिया।
आशीर्वाद मिलते ही वो महिला फूट-फूट कर रोने लगी और रोते हुए उसने बताया कि अभी-अभी उसके पति की मृत्यु हो गई है। इस बात का पता चलने पर भी तुलसीदास जी जरा भी विचलित न हुए और वे अपने आशीर्वाद को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त थे।
क्योंकि उन्हें इस बात का ज्ञान भली भाँति था कि भगवान राम बिगड़ी बात संभाल लेंगे और उनका आशीर्वाद खाली नहीं जाएगा। उन्होंने उस औरत सहित सभी को राम नाम का जाप करने को कहा। वहां उपस्थित सभी लोगों ने ऐसा ही किया और वह मरा हुआ व्यक्ति राम नाम के जाप आरंभ होते ही जीवित हो उठा।
यह बात पूरे राज्य में जंगल की आग की तरह फैल गयी। जब यह बात बादशाह अकबर के कानों तक पहुंची तो उसने अपने महल में तुलसीदास को बुलाया और भरी सभा में उनकी परीक्षा लेने के लिए कहा कि कोई चमत्कार दिखाएँ। ये सब सुन कर तुलसीदास जी ने अकबर से बिना डरे उसे बताया की वो कोई चमत्कारी बाबा नहीं हैं, सिर्फ श्री राम जी के भक्त हैं।
अकबर इतना सुनते ही क्रोध में आ गया और उसने उसी समय सिपाहियों से कह कर तुलसीदास जी को कारागार में डलवा दिया। तुलसीदास जी ने तनिक भी प्रतिक्रिया नहीं दी और राम का नाम जपते हुए कारागार में चले गए। उन्होंने कारागार में भी अपनी आस्था बनाए रखी और वहां रह कर ही हनुमान चालीसा की रचना की और लगातार 40 दिन तक उसका निरंतर पाठ किया।
चालीसवें दिन एक चमत्कार हुआ। हजारों बंदरों ने एक साथ अकबर के राज्य पर हमला बोल दिया। अचानक हुए इस हमले से सब अचंभित हो गए। अकबर को इसका कारण समझते देर न लगी। उसे भक्ति की महिमा समझ में आ गई। उसने उसी क्षण तुलसीदास जी से क्षमा मांग कर कारागार से मुक्त किया और आदर सहित उन्हें विदा किया। इतना ही नहीं अकबर ने उस दिन के बाद तुलसीदास जी से जीवनभर मित्रता निभाई।
इस तरह तुलसीदास जी ने एक व्यक्ति को कठिनाई की घड़ी से निकलने के लिए हनुमान चालीसा के रूप में एक ऐसा रास्ता दिया है। जिस पर चल कर हम किसी भी मंजिल को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह हमें भी भगवान में अपनी आस्था को बरक़रार रखना चाहिए। ये दुनिया एक उम्मीद पर टिकी है। अगर विश्वास ही न हो तो हम दुनिया का कोई भी काम नहीं कर सकते।
बिनु बिस्वास भगति नहिं तेहि बिनु द्रवहिं न रामु।
राम कृपा बिनु सपनेहुँ जीव न लह बिश्रामु॥

भावार्थ:-बिना विश्वास के भक्ति नहीं होती, भक्ति के बिना श्री रामजी पिघलते (ढरते) नहीं और श्री रामजी की कृपा के बिना जीव स्वप्न में भी शांति नहीं पाता॥
जय श्री राम जी
जय श्री हनुमानजी

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6 अप्रेल 2019 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत् २०७६



🚩"भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६ (6 अप्रेल 2019)" की आप सभी को अग्रिम हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।*
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*🚩चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :👇👇*

*🚩* इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।

*🚩.* सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।

*🚩.* प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।

*🚩.* शक्ति और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।

*🚩.* सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।

*🚩.* स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया |

*🚩.* सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार भगवान झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।

*🚩.* विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना। विक्रम संवत की स्थापना की ।

*🚩.* धर्मराज युधिष्ठिर जी का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।

🚩 संघ संस्थापक प पू डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार का जन्म दिन ।

🚩 महर्षि गौतम जयंती

*भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :👇👇👇*

*🚩.* वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।

*🚩.* फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।

*🚩.* नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।

*भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :👇👇👇*

*🚩.* हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें , झंडे, बैनर....आदि लगावे ।

*🚩.* आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।

*🚩.* इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।

*🚩.* आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।

*🚩.* घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।

*🚩.* इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।

🚩 प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें । झंडी और फरियों से सज्जा करें ।

🚩 इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें

🚩 वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा
यात्राएं कवि सम्मेलन, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें ।

🚩 चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम ।

*🙏🚩आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "भारतीय नववर्ष" हर्षोउल्लास के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।*

*🚩 भारतमाता की जय🚩*

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भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६ (६ अप्रैल,२०१९ )

ॐ..🚩"भारतीय नववर्ष, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०७६
(६ अप्रैल,२०१९ )" युगाब्द ५०२१ वर्ष, दिन

शनिवार की आप सभी को अग्रिम हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ ।🚩🌹

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व :
1. इसी दिन के सूर्योदय से ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की।
2. सम्राट विक्रमादित्य ने इसी दिन राज्य स्थापित किया। इन्हीं के नाम पर विक्रमी संवत् का पहला दिन प्रारंभ होता है।
3. प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक का दिन यही है।
4. शक्ति(मां दुर्गा) और भक्ति के नौ दिन अर्थात् नवरात्र का पहला दिन यही है।
5. सिखो के द्वितीय गुरू श्री अंगद देव जी का जन्म दिवस है।
6. स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने इसी दिन आर्य समाज की स्थापना की एवं कृणवंतो विश्वमआर्यम का संदेश दिया |
7. सिंध प्रान्त के प्रसिद्ध समाज रक्षक वरूणावतार संत झूलेलाल इसी दिन प्रगट हुए।
8. विक्रमादित्य की भांति शालिवाहन ने हूणों को परास्त कर दक्षिण भारत में श्रेष्ठतम राज्य स्थापित करने हेतु यही दिन चुना।
9. युधिष्ठिर का राज्यभिषेक भी इसी दिन हुआ।
भारतीय नववर्ष का प्राकृतिक महत्व :
1. वसंत ऋतु का आरंभ वर्ष प्रतिपदा से ही होता है जो उल्लास, उमंग, खुशी तथा चारों तरफ पुष्पों की सुगंधि से भरी होती है।
2. फसल पकने का प्रारंभ यानि किसान की मेहनत का फल मिलने का भी यही समय होता है।
3. नक्षत्र शुभ स्थिति में होते हैं अर्थात् किसी भी कार्य को प्रारंभ करने के लिये यह शुभ मुहूर्त होता है।
भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :
1. हम परस्पर एक दुसरे को नववर्ष की शुभकामनाएँ दें।
2. आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
3 . इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
4. आपने घरों के द्वार, आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
5. घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
6. इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें। माथे पर तिलक लगाए और लोगों को लगाकर नव वर्ष की बधाई दे।
आप सभी से विनम्र निवेदन है कि "भारतीय नववर्ष" हर्षोउल्लास और उत्सव के साथ मनाने के लिए "समाज को अवश्य प्रेरित" करें।
* धन्यवाद *
भारतमाता की जय...विश्व गुरु भारत को प्रणाम।🌹🌻🌺🚩🙏

5 मिनट अपनी संस्कृति की झलक को पढ़े

5 मिनट अपनी संस्कृति की झलक को पढ़े-

1 जनवरी को क्या नया हो रहा है ?
* न ऋतु बदली.. न मौसम
* न कक्षा बदली... न सत्र
* न फसल बदली...न खेती
* न पेड़ पौधों की रंगत
* न सूर्य चाँद सितारों की दिशा
* ना ही नक्षत्र।।
1 जनवरी आने से पहले ही सब नववर्ष की बधाई देने लगते हैं। मानो कितना बड़ा पर्व है।
नया केवल एक दिन ही नही होता..
कुछ दिन तो नई अनुभूति होनी ही चाहिए। आखिर हमारा देश त्योहारों का देश है।
ईस्वी संवत का नया साल 1 जनवरी को और भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। आईये देखते हैं दोनों का तुलनात्मक अंतर:
1. प्रकृति-
1 जनवरी को कोई अंतर नही जैसा दिसम्बर वैसी जनवरी.. चैत्र मास में चारो तरफ फूल खिल जाते हैं, पेड़ो पर नए पत्ते आ जाते हैं। चारो तरफ हरियाली मानो प्रकृति नया साल मना रही हो I
2. वस्त्र-
दिसम्बर और जनवरी में वही वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरते हाथ पैर..
चैत्र मास में सर्दी जा रही होती है, गर्मी का आगमन होने जा रहा होता है I
3. विद्यालयो का नया सत्र- दिसंबर जनवरी वही कक्षा कुछ नया नहीं..
जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलो का रिजल्ट आता है नई कक्षा नया सत्र यानि विद्यालयों में नया साल I
4. नया वित्तीय वर्ष-
दिसम्बर-जनबरी में कोई खातो की क्लोजिंग नही होती.. जबकि 31 मार्च को बैंको की (audit) कलोसिंग होती है नए वही खाते खोले जाते है I सरकार का भी नया सत्र शुरू होता है I
5. कलैण्डर-
जनवरी में नया कलैण्डर आता है..
चैत्र में नया पंचांग आता है I उसी से सभी भारतीय पर्व, विवाह और अन्य महूर्त देखे जाते हैं I इसके बिना हिन्दू समाज जीबन की कल्पना भी नही कर सकता इतना महत्वपूर्ण है ये कैलेंडर यानि पंचांग I
6. किसानो का नया साल- दिसंबर-जनवरी में खेतो में वही फसल होती है..
जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटती है नया अनाज घर में आता है तो किसानो का नया वर्ष और उतसाह I
7. पर्व मनाने की विधि-
31 दिसम्बर की रात नए साल के स्वागत के लिए लोग जमकर मदिरा पान करते है, हंगामा करते है, रात को पीकर गाड़ी चलने से दुर्घटना की सम्भावना, रेप जैसी वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल और भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों का विनाश..
जबकि भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होता है पहला नवरात्र होता है घर घर मे माता रानी की पूजा होती है I शुद्ध सात्विक वातावरण बनता है I
8. ऐतिहासिक महत्त्व- 1 जनवरी का कोई ऐतेहासिक महत्व नही है..
जबकि चैत्र प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् की शुरुआत, भगवान झूलेलाल का जन्म, नवरात्रे प्रारंम्भ, ब्रहम्मा जी द्वारा सृष्टि की रचना इत्यादि का संबंध इस दिन से है I
अंग्रेजी कलेंडर की तारीख और अंग्रेज मानसिकता के लोगो के अलावा कुछ नही बदला..
अपना नव संवत् ही नया साल है I
जब ब्रह्माण्ड से लेकर सूर्य चाँद की दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पौधों की नई पत्तिया, किसान की नई फसल, विद्यार्थी की नई कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होते है। जो विज्ञान आधारित है I
अपनी मानसिकता को बदले I विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना को पहचाने। स्वयं सोचे की क्यों मनाये हम 1 जनवरी को नया वर्ष..?
"केबल कैलेंडर बदलें.. अपनी संस्कृति नहीं"
आओ जागेँ जगायेँ, भारतीय संस्कृति अपनायेँ और आगे बढ़े I

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