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रविवार, 17 नवंबर 2024

अगस्त्य हरीतकी अवलेह खाँसी, अस्थमा, साइनस और एलर्जी जैसे रोगों की आयुर्वेदिक औषधि

अगस्त्य हरीतकी अवलेह खाँसी, अस्थमा, साइनस और एलर्जी जैसे रोगों की आयुर्वेदिक औषधि■

अगस्त्य हरीतकी एक बेजोड़ क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो फेफड़ों को शक्ति देती है और Upper Respiratory Tract के रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं अगस्त्य हरीतकी अवलेह के बारे में पूरी डिटेल .....

अगस्त्य हरीत की अवलेह को हरीतकी अवलेह, अगस्त्य रसायन और अगस्त्य रसायनम जैसे नामों से जाना जाता है. यह आयुर्वेदिक ग्रन्थ शारंगधर संहिता का योग है, यह अवलेह है यानि हलवे की तरह की दवा है ठीक वैसा ही जैसा च्यवनप्राश होता है।

इसका मेन इनग्रीडेंट हरीतकी या हर्रे है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जैसे....

हरीतकी- 1200 ग्राम 

बिल्व या बेल 

अरणी 

श्योनका 

पटाला 

गंभारी 

बृहती 

कंटकारी 

शालपर्णी 

प्रिश्नपर्णी 

गोक्षुर 

कौंच बीज 

शंखपुष्पी 

कपूर कचरी 

बला 

गजपीपल 

अपामार्ग 

पिपरामूल 

चित्रकमूल 

भारंगी 

पुष्करमूल प्रत्येक 96 ग्राम 

जौ - 3 किलो 73 ग्राम 

पानी - 15.36 लीटर 

गाय का घी - 192 ग्राम 

तिल तेल - 192 ग्राम 

पिप्पली - 192 ग्राम 

शहद - 192 ग्राम 

गुड़ - 4 किलो 800 ग्राम 

इसे आयुर्वेदिक अवलेह पाक निर्माण विधि से अवलेह बनाया जाता है।

▪️▪️अगस्त्य हरीतकी अवलेह के गुण ....

यह कफ़ और वात दोष पर असर करती है, तासीर में थोड़ा गर्म है. यह कफ़-श्वास नाशक(Antitussive, Mucolytic), आम पाचक(Detoxifier), एंटी एलर्जिक, सुजन नाशक(Anti-inflammatory), एंटी बैक्टीरियल, एंटी ऑक्सीडेंट और पाचन शक्ति ठीक करने वाले(Digestive Stimulant) गुणों से भरपूर है।

 ◼️◼️अगस्त्य हरीतकी अवलेह के फ़ायदे ...

फेफड़े और साँस के रोगों के लिए यह बेहद असरदार है। यह एक आयुर्वेदिक रसायन है, शरीर को ताक़त देता है, पाचन ठीक करता है और बल बढ़ाता है. इसके इस्तेमाल से कई तरह के रोग दूर होते हैं जैसे....

सर्दी-खाँसी, अस्थमा, एलर्जी, ब्रोंकाइटिस, अंदरूनी बुखार, साँस की तकलीफ़ 
पुराना साइनस(Sinusitis), Allergic Rhinitis, तपेदिक या T.B. के बाद की कमज़ोरी 

भूख की कमी, हिचकी, मुंह का स्वाद पता नहीं चलना, IBS, कब्ज़, पाचन शक्ति की कमज़ोरी वगैरह 

गाढ़ा, जमा हुवा कफ़ को निकालता है चाहे खाँसी में हो या ब्रोंकाइटिस में...

◼️◼️अगस्त्य हरीतकी अवलेह की मात्रा और सेवन विधि ....

दस से बीस ग्राम तक गर्म पानी के साथ सुबह शाम लेना भोजन के बाद लेना चाहिए, यह व्यस्क व्यक्ति का डोज़ है. बच्चे, युवा और बुजुर्गों में उनकी उम्र के अनुसार डोज़ देना चाहिए।

ब्रोंकाइटिस में इसके साथ सितोपलादि चूर्ण, प्रवाल पिष्टी और टंकण भस्म के साथ लेने से पुरानी से पुरानी ब्रोंकाइटिस में लाभ होता है।

इसे एक साल के बच्चे से लेकर साठ साल तक के बुज़ुर्ग में यूज़ कर सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. वात और कफ़ दोष में असरदार है, पित्त दोष में इसे सावधानी से लेना चाहिए. जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ा हुआ हो वो भी इसे यूज़ कर सकते हैं, इस से कोलेस्ट्रॉल नहीं बढ़ता बल्कि कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है।

 ▪️▪️अगस्त्य हरीतकी अवलेह का साइड इफ़ेक्ट ...

वैसे तो इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है पर इसे लेने से मोशन थोड़ा लूज़ हो सकता है, हरीतकी मिला होने से. पित्त प्रकृति वालों को सिने में जलन हो सकती है।

▪️▪️परहेज़...

अगस्त्य हरीतकी का इस्तेमाल करते हुवे दूध का इस्तेमाल कर सकते हैं पर दही, आइसक्रीम, फ़ास्ट फ़ूड और तेल मसाले वाले भोजन नहीं करना चाहिए।

▪️कृपया ध्यान दें, आयुर्वेदिक दवाओं की सटीक खुराक आयु, ताकत, पाचन शक्ति का रोगी, बीमारी और व्यक्तिगत दवाओं के गुणों की प्रकृति पर निर्भर करता है।

शनिवार, 16 नवंबर 2024

श्राद्ध पर कौआ बनकर खाने नहीं आऊंगा , जो खिलाना है अभी खिला दे।

"अरे भाई, बुढ़ापे का कोई इलाज नहीं होता। नब्बे पार कर चुके हैं, अब बस सेवा कीजिए," डॉक्टर ने नीरज के पिता को देखते हुए कहा।

"डॉक्टर साहब, कुछ तो तरीका होगा। आजकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है," नीरज ने चिंतित स्वर में कहा.....

"नीरज बाबू, मैं अपनी तरफ से दुआ ही कर सकता हूँ। बस आप इन्हें खुश रखिए। इससे बेहतर कोई दवा नहीं है और इन्हें लिक्विड देते रहिए, जो इन्हें पसंद हो।" डॉक्टर ने मुस्कुराते हुए अपना बैग समेटा और बाहर निकल गए.....

नीरज अपने पिता की हालत से बहुत चिंतित था। उसे यह सोचकर ही बेचैनी होती थी कि पिता के बिना जीवन कैसा होगा। माँ के गुजरने के बाद अब सिर्फ पिता का आशीर्वाद ही था जो उसे जीने की ताकत देता था। उसे अपने बचपन और जवानी के दिन याद आने लगे, जब पिता हर दिन कुछ न कुछ लेकर घर आते थे। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, मानो आसमान भी दुखी हो।

नीरज ने खुद को संभाला और पत्नी राधिका से कहा, "राधिका, आज सबके लिए मूंग दाल के पकौड़े और हरी चटनी बनाओ। मैं बाजार से जलेबी लेकर आता हूँ।"

राधिका ने दाल पहले ही भिगो रखी थी इसलिए वह भी तुरंत काम में लग गई। कुछ ही देर में रसोई से पकौड़ों की खुशबू आने लगी। नीरज भी जलेबियाँ लेकर घर लौट आया था। उसने जलेबी रसोई में रखी और पिता के पास बैठ गया। उनका हाथ अपने हाथ में लेकर नीरज बोला, "पापा, आज आपकी पसंद की चीजें लेकर आया हूँ। थोड़ी सी जलेबी खाएँगे ?"

पिता ने धीरे से आँखें झपकाईं और हल्की मुस्कान दी। वह धीमी आवाज़ में बोले "पकौड़े बन रहे हैं क्या ?"

"हाँ, पापा। आपकी पसंद की हर चीज अब मेरी भी पसंद है। राधिका जरा पकौड़े और जलेबी तो ले आओ" नीरज ने आवाज़ लगाई।

राधिका प्लेट में पकौड़े और जलेबियाँ लेकर आई। नीरज ने एक पकौड़ा उठाकर पिता को दिया। "लीजिए पापा, एक और लीजिए," उसने कहा।

"बस...अब पेट भर गया। थोड़ी सी जलेबी दे दो," पिता बोले।

नीरज ने जलेबी का एक छोटा टुकड़ा उठाकर उनके मुँह में डाल दिया। पिता उसे प्यार से देख रहे थे।

"नीरज, सदा खुश रहो बेटा। मेरा दाना-पानी अब पूरा हो गया," पिता बोले।

"पापा, आपको तो सेंचुरी पूरी करनी है। आप मेरे तेंदुलकर हो," नीरज की आँखों में आँसू आ गए।

पिता मुस्कुराए और बोले, "तेरी माँ पेवेलियन में इंतज़ार कर रही है। अगला मैच खेलना है। मैं तुम्हारे बेटे के रूप में लौटूंगा तब खूब खाऊंगा, बेटा।"

पिता उसे देखे जा रहे थे। नीरज ने प्लेट एक तरफ रख दी, लेकिन पिता की आँखें लगातार उसकी ओर टिकी रहीं। अब उनकी आँखें भी नहीं झपक रही थीं। नीरज समझ गया कि पिता की जीवन यात्रा पूरी हो चुकी थी।

तभी उसे याद आया कि पिता अक्सर कहते थे, "श्राद्ध पर कौआ बनकर खाने नहीं आऊंगा , जो खिलाना है अभी खिला दे।"

माँ-बाप का सम्मान करें और उन्हें जीते जी खुश रखें......🙏🙏

शुक्रवार, 15 नवंबर 2024

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिलाई सूर्यनगरी को एलिवेटेड रोड की सौगात


*938 करोड़ से बनेगी जोधपुर एलिवेटेड रोड, 7.6 किमी लंबी फोर लेन होगी, टेंडर जारी*
*केंद्रीय मंत्री शेखावत ने दिलाई सूर्यनगरी को एलिवेटेड रोड की सौगात* 

 *जोधपुर, 15 नवंबर।* केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के प्रयासों से जोधपुर एलिवेटेड रोड के बहुप्रतीक्षित ड्रीम प्रोजेट का मार्ग प्रशस्त हो गया है। जोधपुर की हार्टलाइन महामंदिर चौराहा से आखलिया चौराहे तक बनने वाली एलिवेटेड रोड फोर लेन की होंगी। करीब 7.6 किलोमीटर लंबी रोड पर 938 करोड़ से अधिक खर्च आएगा। एनएचआई ने टेंडर जारी कर दिया है।

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने जोधपुर के इस ड्रीम प्रोजेट का स्वीकृत करने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने बताया कि टेंडर प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद जल्द ही इसका शिलान्यास कर निर्माण कार्य आरम्भ करवा दिया जाएगा। इससे जोधपुर के विकास को पंख लगेंगे और हार्टलाइन पर यातायात का दबाव कम होगा। 
भाजपा सम्भाग मीडिया प्रमुख अचल सिंह मेड़तिया ने बताया कि जोधपुर में एलिवेटेड रोड का प्लान बरसों से चल रहा था, लेकिन यह मूर्तरूप लेने का नाम नहीं ले रहा था। केंद्रीय मंत्री शेखावत के अनवरत अथक प्रयास के बाद जोधपुर को इसकी सौगात मिली है। शेखावत ने इसको लेकर अनेक बार केंद्रीय मंत्री गडकरी से मिलकर चर्चा की। इसे लेकर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ बैठक की। करीब एक साल पहले नवंबर 2023 में जब नितिन गडकरी एक निजी कार्यक्रम में जोधपुर आए थे, तब शेखावत के साथ उन्होंने प्रस्तावित एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट को लेकर रूट देखा था। गडकरी ने जूना खेड़ापति मंदिर, आखलिया चौराहा, बॉम्बे मोटर, पांचवीं रोड, शनिश्चर जी का थान, जालोरी गेट, पुरी तिराहा तक गाड़ी में बैठकर मार्ग का अवलोकन किया था।  

राजस्थान विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के दौरान केंद्रीय मंत्री शेखावत ने भरोसा दिलाया था कि जोधपुर का यह महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट विकास की गति को बढ़ाने वाला है। इससे जोधपुरवासियों को यातायात के दबाव से मुक्ति मिलेगी। लोकसभा चुनाव प्रचार के समय केंद्रीय मंत्री शेखावत ने वादा किया था कि चुनाव के तीन चार माह बाद इसका काम आरम्भ करवा दिया जाएगा। इस वादे को पूरा करते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत के प्रयासों से ही इसका टेंडर जारी हो सका है। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचआई) ने इसके लिए 938.59 करोड़ का टेंडर जारी किया है। जोधपुर एलिवेटेड रोड 7.6 किलोमीटर लंबी फोर लेन होंगी। 

 *यह होगा रूट* 
- महामंदिर चौराहा से शुरू होकर आखलिया तिराहे तक बनेगी। 
- पावटा सर्किल से राइकाबाग बस स्टैंड की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- कलेक्ट्रेट के मुख्य गेट के पास से एलिवेटेड रोड को जोड़ेगी।
- पुरी तिराहे से रेलवे स्टेशन की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- पांचवीं रोड से 12वीं रोड की तरफ टू-लेन उतरेगी।
- आखलिया चौराहे तक बनेगी।

मंगलवार, 12 नवंबर 2024

आज कल चिकन गुनिया फैल रहा है, चिकन गुनिया ठीक होने के बाद अपना दर्द शरीर की हड्डियों में छोड़ जाता है....

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आज कल चिकन गुनिया फैल रहा है, चिकन गुनिया ठीक होने के बाद अपना दर्द शरीर की हड्डियों में छोड़ जाता है....

इसके लिए हम आपके साथ एक आयुर्वेदिक तेल शेयर कर रहे है .. घर पर बनाइए और इसका लाभ उठाए....

▪️▪️चिकनगुनिया के दर्द से राहत दिलाने वाला तेल.....


▪️▪️सामग्री ....

◼️50  - ग्राम सरसों का तेल 

◼️50  - ग्राम सफेद तिल का तेल 

◼️15  - लौंग 

◼️1  - टुकडा दालचीनी 

◼️2  - टेबल स्पून अजवायन 

◼️1  - टेबल स्पून मेथी दाना 

◼️1  - छोटा टुकडा अदरक पिसा हुआ 

◼️1 -  टी स्पून हल्दी 

◼️2  - बडे पीस कपूर 

◼️1 टेबल स्पून एलोवेरा जैल 

◼️◼️विधि .....

कढाई मे दोनो तेल डाल कर तेज गैस पर गर्म करो ।

फिर गैस को धीमी करके हल्दी और कपूर को छोड कर  सारी चीजो को डाल दो , जब तक सारी चीजे जल न जाए और उन का सत तेल मे ना आ जाऐ , करीब 20-25 मिनट लगेंगे इन्हें जलने मे....

 जब ये भून जाएगें तब तेल का रंग गहरा हो जाएगा फिर गैस बंद कर दे और उसमे हल्दी ,कपूर मिला दे जब तक कपूर घुल ना जाए तब तक तेल को ठंडा होने दे.....

 फिर तेल को छान कर एक शीशी मे भर कर रखो , कैसा भी बुरा  दर्द हो  इसकी  मालिश से गायब हो जाएगा ।

कृपया कोई भी पेन किलर ना खाऐ तबियत खराब हो जाएगी चिकन गुनिया में  ये तेल बहुत असरदार है बनाकर मालिश करके देखे जिन्हें तकलीफ हो 
चिकनगुनिया में पैरों में और जाइंट पेन ज्यादा होता है यह तेल 100% फायदेमंद है लगाते ही आराम आना शुरू हो जाएगा पहले दिन से . दिन मे 3 बार मालिश करें |
www.sanwariyaa.blogspot.com

रविवार, 10 नवंबर 2024

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

बिना धर्मशास्त्र पढ़े शुद्ध पञ्चाङ्ग बनाने की विधि

सृष्टि के आरम्भ का स्क्रीनशॉट संलग्न है ।
इसमें दिन=२२, मास=१२ और ईस्वी = −1955929993 है । ईस्वी पर ध्यान न दें,अहर्गण = −714402296627 अर्थात् वर्तमान कलियुग−आरम्भ से 714402296627 दिन पहले वर्तमान सृष्टि का आरम्भ था,रविवार के दिन ।

संलग्न स्क्रीनशाटॅ में उससे दो दिन पहले से आरम्भ है जिस कारण अहर्गण दो दिन पहले ⋅⋅⋅२७ के बदले ⋅⋅⋅२९ है क्योंकि अहर्गण ऋणात्मक है ।

सामान्य सनातनी वर्ष में ३६० तिथियाँ एवं मलमास (अधिमास) वाले सनातनी वर्ष में ३९० तिथियाँ होती हैं ।

जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होते हैं जिस कारण उस वर्ष में भी ३९० तिथियाँ होती हैं ।

हर सनातनी वर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही होता है जिसकी १५वीं तिथि को पूर्णमासी होता है जब चन्द्रमा चित्रा में अथवा बगल में होते हैं और अगले दिन वैशाख का आरम्भ होता है । इस नियम का अनुसरण करते हुए “कुण्डली−सॉफ्टवेयर” के पञ्चाङ्ग बटन द्वारा एवं पृथक “अधिमास” सॉफ्टवेयर की उसमें सहायता लेते हुए समूची सृष्टि का विस्तृत पञ्चाङ्ग बनाया जा सकता है ।

आजकल पण्डितों की परिपाटी है कि जिस वर्ष में क्षयमास होता है उसमें दो अधिमास होने के कारण क्षयमास और एक अधिमास का लोप मानकर केवल एक अधिमास को पञ्चाङ्ग में दिखाया जाता है किन्तु यह शास्त्रविरुद्ध है क्योंकि ऐसा करने पर क्षयमास और उस तथाकथित लुप्त मलमास में सामान्य धार्मिक मास वाले धर्मकर्म करने पड़ेंगे जो अनुचित है । ऐसा योग बहुत दिनों पर आता है,लाहिड़ी जी की पुस्तक Advance Ephemeris के पृष्ठ ९२ में १९१३−२०२६ ईस्वी के ११४ वर्षों के मलमासों की सूची है जिसमें उनके दृग्ग्णितीय सारिणी की मलमास−सूची है किन्तु नीचे पादटिप्पणी में उसी सारिणी को सूर्यसिद्धान्तीय बनाने के सुझाव हैं । यह सारिणी बंगाल की है,अतः दूरस्थ स्थलों के लिए गलत हो जायगी । बंगाल के लिए भी उनकी सारिणी की जाँच “अधिमास” सॉफ्टवेयर द्वारा कर लें ।

एक सौरवर्ष (सूर्यसिद्धान्तीय वर्ष) में 365.25875648148148148148148148148 सावनदिन होते हैं जिसका प्रमाण यह है कि सूर्यसिद्धान्त के अनुसार एक महायुग में 1577917828 सावनदिन होते हैं,और सूर्यसिद्धान्त एवं पुराणों के अनुसार एक महायुग में ४३२०००० सौरवर्ष होते हैं । सूर्योदय से अगले सूर्योदय को सूर्य−सावनदिन कहते हैं,बुध के पूर्वी क्षितिज पर दैनिक उदय से अगले उदय तक को बुधसावनदिन कहते हैं,आदि⋅⋅⋅ । केवल “सावनदिन” का अर्थ सूर्य−सावनदिन होता है । सूर्य के एक अंश भ्रमण को सौरदिन कहते हैं,संक्रान्ति से ३० सौरदिनों तक अर्थात् अगली संक्रान्ति तक के काल को सौरमास कहते हैं । संक्रान्ति के धार्मिक कर्म सौरदिन के अनुसार होते हैं,वरना समूचे वर्ष के समस्त धार्मिक कर्म सूर्योदयकालीन तिथि के अनुसार होते हैं । जन्माष्टमी,दीपावली जैसे कुछ विशिष्ट पर्वों के विशिष्ट नियम होते हैं किन्तु निम्न विधि ध्यान से पढ़ेंगे तो उनका निर्णय भी सही तरीके से कर सकेंगे ।

संलग्न स्क्रीनशॉट में सृष्टि के प्रथम सावनदिन का विस्तृत पञ्चाङ्ग भी है जिसका आरम्भ है ग्रहस्पष्ट से और नीचे “पर्वादि” के आगे “तिथ्यन्त = निशीथोत्तर” लिखा है । किसी भी सावनदिन के चार खण्ड होते हैं,(१) सूर्योदय से स्पष्ट मध्याह्न तक,(२) स्पष्ट मध्याह्न से सूर्यास्त तक,(३) सूर्यास्त से स्पष्ट मध्यरात्रि अथवा निशीथ तक,(४) और वहाँ से सूर्योदय तक । वाञ्छित सावनदिन के किस खण्ड में सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त है वह सॉफ्टवेयर से देख लें,जैसा कि सृष्टि के प्रथम सावनदिन की सूर्योदयकालीन तिथि का अन्त “निशीथोत्तर” है । तब अपने स्थान के सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग की ११४ वर्षों अथवा १९ के गुणक वर्षों के सारे पिछले पञ्चाङ्ग इकट्ठे करके उसमें देखें कि वाञ्छित मास के उसी पक्ष की उसी तिथि का अन्त उसी खण्ड,जैसे कि निशीथोत्तर,में किन−किन वर्षों में है,और तब उनमें जो जो सूर्योदयकालीन तिथि पर आधारित धार्मिक व्रत−पर्व आदि हैं उसकी नकल उतार लें । धर्मशास्त्र पढ़कर व्रत−पर्व बनाने पर कभी कभार गलती भी हो सकती है किन्तु बिना धर्मशास्त्र पढ़े उक्त विधि द्वारा आप अपने क्षेत्र का सर्वमान्य शास्त्रीय पञ्चाङ्ग बना सकते हैं — पूरी सृष्टि और पूरे संसार के किसी भी स्थान का । इस विधि की सटीकता का कारण यह है कि सर्वाधिक प्रचलित पारम्परिक स्थानीय पञ्चाङ्ग,जैसे कि काशी के लिए हृषीकेश पञ्चाङ्ग, में स्थानीय पण्डित समुदाय के सामूहिक निर्णय के अनुसार व्रतपर्व होते हैं । दृग्गणित और सूटबूट वाले पण्डितों के पञ्चाङ्ग का उपयोग इस कार्य में न करें,वे पक्के नास्तिक होते हैं किन्तु सच्चे आस्तिकों से कई गुणे तेज “जय श्री राम” के उद्घोष लगाते हैं । हाल के कुछ दशकों के पञ्चाङ्ग अल्प विश्वसनीय हैं क्योंकि उनपर आधुनिकतावादियों का वर्चस्व है,पुराने पण्डितों की धर्म में अधिक आस्था रहती थी,अतः पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करके उपरोक्त तिथिखण्ड−सारिणी बना लेंगे तो स्वयं पञ्चाङ्गकार बन जायेंगे । 

प्रथम Row में सभी वर्षों की संख्या भरें,शेष Rows में १ से १५ तक तिथियाँ भरें,कभी कभी तिथिवृद्धि होने से एक संख्या बढ़ जाती है जिस कारण कुल १६ तिथियों सहित वर्ष को मिलाकर कुल १७ Rows हैं । पत्र का शीर्षक “मास पक्ष” रखें, जैसे कि “चैत्र शुक्लपक्ष” ।

इससे भी अधिक पाण्डित्य चाहिए तो चौखम्बा की पुस्तक “वर्षकृत्य” पढ़ें,दुर्भाग्यवश वह केवल संस्कृत में है,उसमें वर्ष के सभी धार्मिक कर्मों का विस्तार से वर्णन है किन्तु पूजन में उसकी आवश्यकता पड़ेगी,पञ्चाङ्ग बनाने में नहीं ।

स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें,क्योंकि अब अच्छे स्थानीय पञ्चाङ्ग भी व्यवसायवादियों के आधिपत्य में जा रहे हैं जिनकी रुचि केवल धन में है,धर्म में नहीं;और संस्कृत विषविद्यालयों में भी प्रोफेसर्पों का वर्चस्व होता जा रहा है ।यद्यपि गणित में दक्ष न होने के कारण अधिकांश संस्कृत प्रोफेसर मुझे गरियाते हुए मिलेंगे किन्तु अभीतक उनमें से भारी बहुमत की आस्था धर्मशास्त्र में है और उनमें ऐसे बहुत से विद्वान हैं जो धर्मशास्त्र का अच्छा ज्ञान भी रखते हैं किन्तु दुर्भाग्य है कि मेरा विरोध करते हैं जिस कारण मेरे सॉफ्टवेयर का लाभ नहीं उठा पाते । इसका कारण है भ्रष्ट अधिकारियों से मिलीभगत के फलस्वरूप कई भ्रष्ट प्रोफेसर्पों का वर्चस्व फण्ड में घोटाला करने के उद्देश्य से स्थापित है । राजधन का प्रवेश होगा तो धर्म का क्षय होगा ही,क्योंकि राजधन में निरीह जनता के आँसू और कभी−कभार रक्त भी मिश्रित रहता है । सच्चे ब्राह्मण राजधन से दूर रहते थे,अग्रहार आदि दान लेने की परिपाटी कुषाण काल से आरम्भ हुई जिसे गुप्त राजाओं ने बढ़ाया,और धनलोलुपों का बाहुल्य होने के ही कारण समाज धर्मच्युत हुआ तो दासता झेलनी पड़ी ।

धर्म की स्थापना का नारा बहुत लोग लगाते हैं,किन्तु सही पञ्चाङ्ग के बिना धर्म की स्थापना असम्भव है । अतः स्वयं पञ्चाङ्गकार बनना सीख ही लें । इसकी पद्धति निम्न है ।

एक पन्ने पर आड़ी तिरछी रेखाओं की ऐसी सारिणी बनायें जिसमें १७ क्षैतिज Rows एवं यथासम्भव उर्ध्व Columns हों । वेदाङ्ग ज्योतिष की परम्परा के अनुसार Columns के गुणक में होनी चाहिए,न्यूनतम ५७ और अधिकतम ११४ अथवा अधिक वर्षों के पुराने पञ्चाङ्ग उपलब्ध रहेंगे तो उतने ही Columns बनेंगे,एक पन्ने में न बनें तो अधिक पन्ने उसी में गोन्द द्वारा चिपका दे । वर्ष के हर पक्ष के लिए ऐसा एक पत्र चाहिए । उसकी हर तिथि के आगे ५७−११४ वर्षों की उसी मास पक्ष तिथि के तिथिखण्डों की संख्या १ से ४ तक भर दें,जैसे कि चौथे खण्ड निशीथोत्तर की संख्या ४ है । ऐसी सारिणी बन जायगी तो सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक किसी भी वर्ष का शुद्ध पञ्चाङ्ग उस स्थान के लिए आप आसानी से बना सकेंगे जहाँ के पारम्परिक पञ्चाङ्ग की सहायता से आपने उक्त सारिणी बनायी थी । मैंने मिथिला के डेढ़ सौ वर्षों के पञ्चाङ्गों द्वारा सारिणी बनायी थी किन्तु मेरे तथाकथित शिष्य ने मेरे समूचे पुस्तकालय को नष्ट कर डाला । उससे अच्छा चुरा ही लेता,उसके घर में तो रहता!उस सारिणी के फोटोस्टैट के कुछ पन्ने कहीं बचे हैं,मिल गये तो स्क्रीनशॉट पोस्ट कर दूँगा ।

बहुत पुराने मिथिला पञ्चाङ्गों का एक बण्डल भी बचा है,किन्तु अब उनता श्रम करना दूभर है । हृषीकेश पञ्चाङ्ग का प्रभावक्षेत्र अधिक है,अतः इसके सारे पुराने पञ्चाङ्गों का सङ्कलन करें और सारिणी बनायें । आपस में सहयोग की भावना से कुछ लोग जुट जायें तो सम्भव है । तब यदि उसे “कुण्डली सॉफ्टवेयर” में जोड़ दिया जाय तो ४३० करोड़ वर्षों का पूरे संसार का विस्तृत पञ्चाङ्ग तैयार हो जायगा जिसकी सत्यता का खण्डन कोई पण्डित नहीं कर सकेगा ।

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विश्व इतिहास में पहली बार पञ्चाङृग बनाने की सही और सुगम पद्धति सार्वजनिक की जा रही है जिसके नीचे कई टिप्पणियों को देखकर लगता हे कि जिनलोगों की इस विषय में रुचि नहीं है वे चुप भी नही रह सकते,अनजाने में विषयान्तर करके लोगों का ध्यान भटकाना चाहते हैं ।

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शुक्रवार, 8 नवंबर 2024

मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतना।

 

मादा बिच्छू की मृत्यु बहुत बहुत बहुत ही दु:खदायी रूप में होती है!! नीचे दिया गया चित्र एक मादा बिच्छु का है , इसकी अस्थिमज्जा पर मौजूद ये इसके बच्चे हैं, ये सभी बच्चे जन्म लेते ही अपनी मां की पीठ पर बैठ जाते हैं और अपनी भूख मिटाने हेतु तुरंत ही अपनी माँ के शरीर को ही खाना प्रारम्भ कर देते हैं, और तब तक खाते हैं जब तक कि उसकी केवल अस्थियां ही शेष ना रह जाए। वो तड़पती है , कराहती है , लेकिन ये पीछा नहीं छोड़ते , और ये उसे पलभर में नहीं मार देते बल्कि कई दिनों तक यह मौत से बदतर असहनीय पीड़ा को झेलती हुई दम तोड़ती है। मादा बिच्छु की मौत होने पश्चात् ही ये सभी उसकी पीठ से नीचे उतरते हैं !

लख चौरासी के कुचक्र में ऐसी असंख्य योनियां हैं , जिनकी स्थितियां अज्ञात हैं , कदाचित् इसीलिए भवसागर को अगम और अपार कहा गया है।*

ऋषिमत के मुताबिक यह भी मनुष्य योनि में किए गये कर्मों का ही भुगतान है। अर्थात् इन्सान इस मनुष्य जीवन में जो कर्म करेगा , नाना प्रकार की असंख्य योनियों में इन कर्मों के आधार से ही उसे दुःख सुख मिलते रहेंगे।

यह तय है !!!*

चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय

दोय पाटन के बीच में, साबुत बचा ना

मेरा हिसाब कर दीजिये।

 

एक महिला भागी भागी डाक्टर के क्लिनिक पर गईं, वी थोड़ी घबराई और सहमी हुई थी।

डाक्टर साहब की नज़र उस खूबसूरत महिला पर पड़ी तो उसे नंबर से पहले बुलवा लिया।

"जी, क्या प्राब्लम है आपकी?" डाक्टर ने पूछा। (डॉक्टर थोड़े दिलफेंक किस्म के थे)

महिला: "जी मुझे कोई प्राब्लम नहीं है.. प्राब्लम मेरे हसबैंड की है मुझे लगता है कि वो मानसिक रोगी होते जा रहे हैं।"

डाक्टर: "अच्छा, क्या करते हैं? आप पर हाथ उठाते हैं या आपके साथ मिसबिहेव करते हैं?"

महिला: "नहीं नहीं, धमकियां देते हैं और ये भी कहते हैं कि "मेरा हिसाब कर दो".. *"मेरा हिसाब कर दो।"*

डाक्टर: "आप परेशान न हों, कहां हैं आपके हसबैंड साथ नहीं लाए आप उनको?"

महिला: "डाक्टर साहब, मैं उनको साथ नहीं ला सकती थी, वो घर पर हैं"।

डाक्टर: "जी, मैं समझ सकता हूँ।"

डाक्टर साहब हर खूबसूरत औरत के साथ गहरा रिश्ता बना लेते थे।

महिला: अगर आप अपनी गाड़ी और ड्राइवर मेरे साथ भिजवा दें तो मैं अपने हसबैंड को आसानी से ले आऊंगी।"

डाक्टर ने अपने ड्राइवर को आदेश दिया कि मैडम के साथ जाओ.. अब महिला क्लिनिक से निकलकर गाड़ी में बैठ गईं और ड्राइवर से कहा कि फलां ज्वैलरी शाॅप ले चलो।

ज्वैलरी शाॅप आते ही महिला काफी नाज़ो अंदाज से उतरीं और शाॅप में चली गईं.. एक बहुत ही महंगा सा सेट पसंद किया पैक करवाया और जब पेमेंट की बारी आई तो...

महिला बोलींः "मैं फलां डाक्टर की वाइफ हूँ अभी मुझे ये सेट लेना बहुत जरूरी था इसलिये जल्दी में आ गई मेरे पास पूरे पैसे भी नहीं हैं और न ही कार्ड है.. आप मेरे साथ अपने शाॅप के किसी आदमी को भेज दीजिये और डाक्टर साहब पेमेंट दे देंगे।"

ज्वैलरी शाॅप के मालिक ने सोचा कि बड़ा अमाउंट है मुझे ही जाना चाहिए इस बहाने घूम भी लूंगा और वो जाकर गाड़ी में बैठ गये..पर महिला गाड़ी में नहीं बैठीं और ड्राइवर से कहा कि इनको डाक्टर साहब के पास ले जाओ..

ड्राइवर ज्वेलरी शाॅप के मालिक को लेकर क्लिनिक पहुंचा और डाक्टर से बोला कि "मैडम नहीं आईं मगर उन्होंने इन साहब को भेजा है।"

डाक्टर साहब ने धीरज रखते हुए ड्राइवर के साथ आए सज्जन को देखा और इंतज़ार करने को कहा .. जब उनकी बारी आई तो डाक्टर साहब बड़े नरम लहजे में बोलेः "हां तो बताइये जनाब, कैसे हैं आप?

ज्वेलरी शाॅप के मालिक ने जवाब दियाः "जी डाक्टर साहब, मैं ठीक हूँ।"

डाक्टर साहबः "तो क्या परेशानी और तकलीफ है आपको?"

ज्वेलरी शाॅप का मालिक: *"डाक्टर साहब"*

*"मेरा हिसाब कर दीजिये।"*...😎😜..

मंगलवार, 5 नवंबर 2024

साइबर क्राइम #cybercrime पर एक सलाह (लंबा संदेश है, लेकिन बहुत उपयोगी है)।


साइबर क्राइम पर एक सलाह (लंबा संदेश है, लेकिन बहुत उपयोगी है)।

  1. अगर आपको कोई कॉल करके कहे कि TRAI आपकी फोन सेवा बंद कर रही है, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  2. अगर FedEx से कॉल आए और पैकेज के बारे में पूछताछ के लिए कोई बटन दबाने को कहा जाए, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  3. अगर कोई पुलिस अधिकारी आपको कॉल करके आपके आधार कार्ड के बारे में बात करे, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  4. अगर आपको 'डिजिटल अरेस्ट' के तहत होने का दावा किया जाए, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।




  5. अगर कहा जाए कि आपके नाम से भेजे गए पैकेज में ड्रग्स पाए गए हैं, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  6. अगर आपसे कहा जाए कि आप किसी को इस बारे में न बताएं, तो उनकी बात न मानें। साइबर क्राइम पुलिस को 1930 पर सूचित करें।

  7. अगर वे आपसे WhatsApp या SMS से संपर्क करें, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  8. अगर कोई कॉल करके कहे कि गलती से आपके UPI आईडी पर पैसे भेज दिए हैं और उसे वापस चाहते हैं, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  9. अगर कोई कॉल करके कहे कि वह सेना या CRPF से है और आपकी कार, वॉशिंग मशीन या सोफा खरीदना चाहता है और अपनी आईडी दिखाता है, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  10. अगर कोई Swiggy या Zomato से कॉल करके पता सत्यापित करने के लिए बटन दबाने को कहे, तो प्रतिक्रिया न दें। यह एक ठगी है।

  11. अगर वे ऑर्डर या राइड रद्द करने के लिए OTP साझा करने को कहें, तो प्रतिक्रिया न दें। किसी भी स्थिति में, OTP किसी से भी साझा न करें।

  12. वीडियो कॉल पर कभी भी जवाब न दें।

  13. अगर आपको संदेह हो, तो फोन बंद करें और उस नंबर को ब्लॉक कर दें।

  14. किसी भी नीले रंग के लिंक पर क्लिक न करें।

  15. अगर आपको पुलिस, CBI, ED, या आयकर विभाग से नोटिस मिले, तो ऑफलाइन सत्यापित करें।

  16. हमेशा यह जांचें कि ऐसे पत्र अधिकृत सरकारी पोर्टल्स से आए हैं या नहीं।

डिजिटल सुरक्षा के लिए, किसी को भी फोन या संदेश पर अपना पता, स्थान, फोन नंबर, आधार, पैन, जन्म तिथि, या कोई भी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें। यहां तक कि कॉल पर अपना नाम भी साझा करने से बचें। उन्हें बताएं कि चूंकि उन्होंने आपको कॉल किया है, इसलिए उन्हें आपका नाम, नंबर और जो भी जानकारी वे 'सत्यापित' करना चाहते हैं, पहले से पता होना चाहिए। भले ही उनके पास आपकी जानकारी हो, पुष्टि करने या किसी वार्तालाप में फंसने से बचें। बस कॉल काटें और नंबर को ब्लॉक कर दें।

इन सभी मामलों में और इसी प्रकार के अन्य मामलों में, खुद को सुरक्षित रखने का सबसे आसान तरीका है - कॉल काटें, नंबर नोट करें और ब्लॉक करें। कॉल के दौरान किसी भी बटन को न दबाएं, उनकी बात न सुनें। केवल कॉल काटें, नंबर ब्लॉक करें। याद रखें, अगर वे आप पर दबाव बना रहे हैं, डराने की कोशिश कर रहे हैं, या तुरंत प्रतिक्रिया देने को मजबूर कर रहे हैं, तो यह एक ठगी है।

साइबर ठग नए-नए तरीके से आपको फंसाने और ठगने की कोशिश कर रहे हैं। एक व्यावहारिक उपाय है कि किसी भी बैंक से जुड़े लेनदेन के लिए स्मार्टफोन का उपयोग न करें; इसके बजाय पुराने कीपैड फोन का उपयोग करें।

उपरोक्त सभी के बावजूद, अगर आप ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो अपनी प्रतिष्ठा की परवाह किए बिना बिना किसी झिझक के स्थानीय साइबर पुलिस में रिपोर्ट करें, क्योंकि यही वह चीज़ है जिसे ठग आपके खिलाफ इस्तेमाल करते हैं।
















 साइबर क्राइम रोकथाम के लिए गृहमंत्री अमित शाह का बड़ा फैसला। हर महीने आई4सी टीम करेगी राज्यों का दौरा। साइबर ठगों पर सबसे बड़ा वार हेल्पलाइन 1930 के ज़रिए हुआ संभव। 2 साल में धोखाधड़ी के 306 करोड़ रुपए लोगों को मिली वापस। गृहमंत्री अमित शाह के निर्देश पर अब इससे जुड़ेंगे देशभर के थाने। सायबर हेल्पलाइन कैसे काम करती है, देखिए।


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सोमवार, 4 नवंबर 2024

ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ |

1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे।
2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं।
3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है।
4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है।
5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है।
6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है।
7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है।

8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का।
9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में।
10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी।
11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी।
12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला।
13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला।
14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ।

15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं।
16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं।
17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए।
18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में।
19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर।

श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था?
नहीं तो जानिये-
1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए,
2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए,
3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे,
4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था,
5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की |
6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए,
7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था,
8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए,
9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए,
10- अनरण्य से पृथु हुए,
11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ,
12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए,
13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था,
14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए,
15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ,
16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित,
17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए,
18- भरत के पुत्र असित हुए,
19- असित के पुत्र सगर हुए,
20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था,
21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए,
22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए,
23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे |
24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है |
25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए,
26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे,
27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए,
28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था,
29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए,
30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए,
31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे,
32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए,
33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था,
34- नहुष के पुत्र ययाति हुए,
35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए,
36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था,
37- अज के पुत्र दशरथ हुए,
38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए |
इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने..।
*यह जानकारी  महीनों के परिश्रम के बाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । पांच ग्रुप  को भेज कर धर्म लाभ कमाये*
 *राम_चरित_मानस🚩जय श्री राम*

जय श्री राम 🙏🙏 🙏🙏

शनिवार, 26 अक्तूबर 2024

#दिवाली की रात संपूर्ण लक्ष्मी पूजन की सरल विधि**31अक्टूबर2024*

*#दिवाली की रात संपूर्ण लक्ष्मी पूजन की सरल विधि*

*31अक्टूबर2024* 
*#लक्ष्मी पूजन संपूर्ण विधि*

सनातन धर्म में दीपावली पर अपने घर में सद्गुरुदेव, भगवान गणपति, माँ लक्ष्मी, माँ सरस्वती एवं कुबेर इनके विशेष पूजन का विधान है । वैदिक मान्यता के अनुसार दीपावली पर मंत्रोच्चारणपूर्वक इन पंच देवों के स्मरण पूजन से अंतर एवं बाह्य महालक्ष्मी की अभिवृद्धि तथा जीवन में सुख-शांति का संचार होता है । सर्वसाधारण श्रद्धालु भावपूर्वक वैदिक विधि-विधान का लाभ ले सकें, इस हेतु लक्ष्मी पूजन की अत्यंत संक्षिप्त विधि यहाँ प्रस्तुत की जा रही है ।

● विधि :-

1️⃣🪔 स्वयं स्वच्छ व पवित्र पूजा गृह में ईशान कोण अथवा पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठ जायें तथा अपने सम्मुख दायीं ओर लाल व बायीं ओर सफेद कपड़े का आसन बिछाएँ ।

2️⃣🪔 लाल आसन पर गेहूँ से स्वास्तिक बनाएं । सफेद आसन पर चावल का अष्टदल कमल बनायें । अब घी का दीपक जलाकर अपने सम्मुख दायीं ओर रख दें ।

🌷🌷 ॐ दीपस्थ देवताय नमः – इस मंत्र से दीपक को पुष्प एवं चावल चढ़ायें ।

3️⃣🪔 अब स्वयं को व अन्य परिवारजनों को "ॐ गं गणपतये नमः" मंत्र से तिलक लगायें व ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र से सभी को मौली बाँध दें ।

4️⃣🪔 ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय‘ मंत्र को उच्चारित कर अपनी शिखा को गाँठ लगायें….फिर

🌷 ॐ केशवाय नमः स्वाहा,
🌷 ॐ माधवाय नमः स्वाहा,
🌷 ॐ नारायणाय नमः स्वाहा

इन तीन मंत्रों से तीन आचमनी जल हाथ पर लेकर पीयें व ‘ॐ गोविन्दाय नमः’ इस मंत्र से हाथ धो लें ।

 5️⃣🪔 अब अपने बायें हाथ में जल लेकर दायें हाथ से अपने शरीर व पूजन-सामग्री पर निम्न मंत्र से छींटें.. ~

🌷🌷 ॐ अपवित्रः पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा ।
यः स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः ॥

6️⃣🪔 फिर अपने आसन के नीचे एक पुष्प रखकर 🌷‘ॐ हाँ पृथिव्यै नमः’ इस मंत्र से भूमि एवं अपने आसन को मानसिक प्रणाम कर लें ।

7️⃣🪔 इसके बाद मलिन वृत्तियों, विघ्नों आदि से रक्षा के निमित्त निम्न मंत्र से अपने चारों ओर चावल या सरसों के कुछ दाने डालें ।

🌷 ॐ अपसर्पन्तु ते भूता ये भूता भूमिसंस्थिताः ।

🌷 ये भूता विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया ॥

भूमि पर स्थित जो विघ्न डालने वाली मलिन वृत्तियाँ हैं, वे सब कल्याणकारी देव की कृपा से दूर हो, नष्ट हो ।

8️⃣🪔 अब हाथ में कुछ पुष्प लेकर निम्न मंत्र से अपने श्री सद्गुरुदेव का स्मरण करें~

🌷🌷 ॐ आनन्दमानन्दकरं प्रसन्नं स्वरूपं निजभाव युक्तं ।
योगीन्द्र मीड्यं भवरोग वैद्यं श्री सद्गुरु नित्यं नमामि ॥

आनंद स्वरूप, आनंद दाता, सदैव प्रसन्न रहने वाले, ज्ञान स्वरूप, निजस्वभाव में स्थित, योगियों, इन्द्रादि के द्वारा स्तुति के योग्य एवं भवरोग के वैद्य जन-विधि श्री सद्गुरुदेव को मैं नित्य नमस्कार करता हूँ । फिर गुरुदेव को मानसिक प्रणाम करके पुष्प अपने आगे थाली में रख दें । लाल व सफेद आसन के बीच पुष्पासन पर सदगुरुदेव का श्रीचित्र स्थापित करें ।

9️⃣🪔 तत्पश्चात् भगवान गणपति का मानसिक ध्यान इस प्रकार करें :-

🌷🌷 ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ: ।
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥

कोटि सूर्यों के समान महा तेजस्वी, विशालकाय और टेढ़ी सूंड वाले गणपति देव ! आप सदा मेरे सब कार्यों में विघ्नों का निवारण करें ।

🔟🪔 भगवान गणपति की मूर्ति को थाली में रखकर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र से स्नान करायें । फिर शुद्ध कपड़े से पोछकर गेहूँ के स्वास्तिक पर दूर्वा का आसन रखकर उस पर बैठा दें । 
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1️⃣1️⃣🪔 फिर ‘ॐ गं गणपतये नमः’ इसी मंत्र से उनको तिलक करें, पुष्प-दूर्वा चढ़ायें, धूप करें, गुड़ का नैवेद्य दें, दीपक से आरती करें ।

 इसके बाद ‘ॐ भूर्भुवः स्वः ऋद्धि सिद्धि सहित श्रीमन्महागणाधिपतये नमः’ इस मंत्र से मानसिक प्रणाम करें ।

1️⃣2️⃣🪔 अब माँ लक्ष्मी के पूजन हेतु भगवान नारायण सहित उनका इस प्रकार ध्यान करें :-

🌷🌷 सिद्धिबुद्धिप्रदे देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनी ।
हरिप्रिये महादेवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥
नमस्तेऽस्तु महामाये सर्वस्यातिहरे देवि l

शंखचक्रगदाहस्ते महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते ॥

यस्यस्मरणमात्रेण जन्मसंसारबन्धनात् ।

विमुच्यते नमस्तस्मै विष्णवे प्रभ विष्णवे ॥

‘सिद्धि-बुद्धि प्रदात्री, भुक्ति-मुक्ति दात्री, विष्णुप्रिया महादेवी महालक्ष्मी ! तुझे नमस्कार है । सबके दुःखों का हरण करने वाली महादेवी, हे महामाया ! तुझे नमस्कार है । शंख-चक्र-गदा हाथ में धारण करने वाली हे महालक्ष्मी ! तुझे नमस्कार है । जिनके स्मरणमात्र से (प्राणी) जन्मरूप संसार के बंधन से मुक्त हो जाता है, उन समर्थ भगवान विष्णु को नमस्कार है ।

1️⃣3️⃣🪔 इसके बाद थाली में लक्ष्मी जी की मूर्ति या चाँदी के श्रीयंत्र अथवा चांदी के सिक्के को नारायण सहित ध्यानकरते हुए निम्न मंत्र से स्नान करायें :-

🌷🌷 गंगा सरस्वती रेवा पयोष्णी नर्मदा जलैः ।

स्नापितोऽसि महादेवी ह्यतः शांतिं प्रयच्छमे ॥

1️⃣4️⃣🪔 फिर लक्ष्मी जी की मूर्ति या श्रीयंत्र को चावल के अष्टदल कमल पर स्थापित करें ।
फिर निम्न मंत्र :-

‘श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा ।’

यह मंत्र को पढ़ते हुए कुमकुम का तिलक करें, मौली चढ़ायें, पुष्प माला पहनायें, धूप करें, दीपक कपूर की आरती दें तथा नैवेद्य चढ़ायें । फिर पान के पत्ते पर सुपारी, इलायची, लौंग आदि रखकर चढ़ायें ।

 🍎🍎फल, दक्षिणा आदि सब इसी मंत्र से चढ़ायें ।

 1️⃣5️⃣🪔 तत्पश्चात् निम्न मंत्र से क्षमा-प्रार्थना करें :

🌷🌷 ‘आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम् ।

पूजां चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वरि ।।’

1️⃣5️⃣🪔 इसके बाद निम्न मंत्र की एक माला करें :

🌷🌷 ॐ नमो भाग्यलक्ष्म्यै च विद्महे ।

अष्टलक्ष्म्यै च धीमहि ।

तन्नो लक्ष्मीः प्रचोदयात् ।।

1️⃣6️⃣ फिर हाथ में जल लेकर संकल्प करें कि भगवान व गुरु की भक्ति प्राप्ति के निमित्त सत्कर्म की सिद्धि हेतु हमने जो भगवान लक्ष्मी-नारायण का पूजन जप किया है, वह परब्रह्म परमात्मा को अर्पण है ।
*(सीखें वैदिक ज्योतिष बेसिक पाठ्यक्रम2माह(फीस 551/2माह-,व्हाट्सएप करें 9717838787)*
1️⃣7️⃣🪔 फिर आरती करके ‘ॐ तं नमामि हरिं परम्’ इसका तीन बार उच्चारण करें । 

1️⃣8️⃣🪔 जहाँ लक्ष्मी-पूजन किया है उन्हीं दोनों स्थापनों के सामने ही कलश-पूजन करें ।

 🌷🌷कलश-पूजन :

 💦 जल से भरे हुए तांबे के कलश को मौली बाँधकर उस पर पीपल के पांच पत्ते रखें, उस पर एक नारियल रखें व सभी तीर्थ-नदियों का निम्न मंत्र से आवाहन करें :-

🌷🌷 गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।

नर्मदे सिंधु कावेरि जलेऽस्मिन् संनिधिं कुरु ॥

1️⃣9️⃣🪔 फिर भगवान सूर्य को प्रार्थना करें कि वे इस कलश को तीर्थत्व प्रदान करें :-

🌷🌷ब्रह्माण्ड कर तीर्थानि करे स्पृष्टानि ते रवै ।

तेन सत्येन मे देव तीर्थ देहि दिवाकर ।।

2️⃣0️⃣🪔 इसके बाद उस कलश को पूर्व आदि चारों दिशाओं में तिलक करेंगे । नारियल पर भी तिलक कर व चावल चढ़ाकर अपने आगे भूमि पर कुमकुम से एक स्वास्तिक बनाकर उस पर स्थापित करें ।

2️⃣1️⃣🪔 अब भगवान वासुदेव को प्रार्थना करें कि वरुण कलश के रूप में स्थित आप हमारे परिवार में शांति व सात्विक लक्ष्मी की वृद्धि करें । 

2️⃣2️⃣🪔 अब हाथ में पुष्प लेकर निम्न मंत्र से माँ सरस्वती का मानसिक ध्यान कर पुष्प श्वेत आसन पर चढ़ा दें :-

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमामाद्यां जगद्व्यापिनीं वीणापुस्तकधारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम् ।

हस्ते स्फाटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम् वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम् ॥

जिनका रूप श्वेत है, जो ब्रह्म विचार परम तत्व हैं, जो सब संसार में व्याप रही हैं, जो हाथों में वीणा और पुस्तक धारण किये रहती हैं, अभय देती हैं, मूर्खता रूपी अंधकार को दूर करती हैं, हाथ में स्फटिक मणि की माला लिये रहती हैं, कमल के आसन पर विराजमान हैं और बुद्धि देने वाली हैं, उन आद्या परमेश्वरी भगवती सरस्वती की मैं वंदना करता हूँ ।

2️⃣3️⃣ फिर ‘ॐ कुबेराय नमः’ इस मंत्र से कुबेर का ध्यान करते हुए अपनी तिजोरी आदि में हल्दी, दक्षिणा, दूर्वा आदि रखें ॥ॐ शुभमस्तु ॥
॥जय सिया राम जी॥

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