दक्षिणावर्ती शंख………………
इस संसार में अनेकों वस्तुएं ऎसी होती है जो किसी चमत्कार से कम नहीं है। ऎसी चमत्कारी वस्तुओं में दक्षिणावर्ती शंख भी एक है। शंख की महिमा और महत्तव प्रत्येक अनुष्ठान में विशेष रूप से हैं। साधारणत: मंदिर में रखे जाने वाले शंख उल्टे हाथ के तरफ खुलते हैं और बाज़ार में आसानी से ये कहीं भी मिल जाते हैं लेकिन दक्षिणावर्ती शंख एक दुर्लभ वस्तु है।
शंख बहुत प्रकार के होतें हैं , लेकिन प्रचलन में मुख्य रूप से दो प्रकार के शंख है प्रथम वामवर्ती शंख......
दूसरा दक्षिणावर्ती शंख ...
वामवर्ती शंख का पेट बांयी ओर को खुला होता है |तंत्र शास्त्र में वामवर्ती शंख की अपेक्षा दक्षिणावर्ती शंख को विशेष महत्त्व दिया गया है | यह शंख वामवर्ती शंख के विपरीत इनका पेट दायीं ओर खुला होता है | इस प्रकार दायीं ओर की भंवर वाला शंख " दक्षिणावर्ती " कहलाता है |प्रायः सभी दक्षिणावर्ती शंख मुख बंद किये होते हैं | यह शंख बजाये नहीं जाते हैं , केवल पूजा रूप में ही काम में लिए जाते हैं | शास्त्रों में दक्षिणावर्ती शंख के कई लाभ बताये गए है :-
**राज सम्मान की प्राप्ति
**लक्ष्मी वृद्धि
**यश और कीर्ति वृद्धि
**संतान प्राप्ति
**बाँझपन से मुक्ति
**आयु की वृद्धि
**शत्रु भय से मुक्ति
**सर्प भय से मुक्ति
**दरिद्रता से मुक्ति
**दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर उसे जिसके ऊपर छिड़क दिया जाये . वह व्यक्ति तथा वस्तु पवित्र हो जाता है |
**सीधे हाथ की तरफ खुलने वाले शंख को यदि पूर्ण विधि-विधान के साथ लाल कपड़े में लपेटकर अपने घर में अलग- अलग स्थान पर रखें तो हर तरह की परेशानियों का हल हो सकता है।
**दक्षिणावर्ती शंख को तिजोरी मे रखा जाए तो घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
**वास्तु-दोषों को दूर करता है
**दक्षिणावर्ती शंख जहां भी रहता है, वहां धन की कोई कमी नहीं रहती।
**दक्षिणावर्ती शंख को अन्न भण्डार में रखने से अन्न, धन भण्डार में रखने से धन, वस्त्र भण्डार में रखने से वस्त्र की कभी कमी नहीं होती। शयन कक्ष में इसे रखने से शांति का अनुभव होता है।
** इसमें शुद्ध जल भरकर, व्यक्ति, वस्तु, स्थान पर छिड़कने से दुर्भाग्य, अभिशाप, तंत्र-मंत्र आदि का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
** किसी भी प्रकार के टोने-टोटके इस शंख के आगे निष्फल हो जाते हैं।
# पूजन की विधि ……………………
तंत्र शास्त्र के अनुसार दक्षिणावर्ती शंख को विधि-विधान पूर्वक जल में रखने से कई प्रकार की बाधाएं शांत हो जाती है और भाग्य का दरवाजा खुल जाता है। साथ ही धन संबंधी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। दक्षिणावर्ती शंख को लक्ष्मी का स्वरूप माना जाता है। इसका शुद्धिकरण इस प्रकार करना चाहिए- लाल कपड़े के ऊपर दक्षिणावर्ती शंख को रखकर इसमें गंगाजल भरें और कुश के आसन पर बैठकर इस मंत्र का जप करें-
“ऊँ श्री लक्ष्मी सहोदरया नम:”
इस मंत्र की कम से कम 5 माला जप करें और इसके बाद शंख को पूजा स्थान पर स्थापित कर दें।
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दरिद्रता निवारण एवं लक्ष्मी की प्राप्ति के लिये दीपावली के दिन या फिर किसी शुक्रवार को अष्ट धातु में बने कुबेर एवं श्री यंत्र, लघु नारियल के अतिरिक्त एकाक्षी नारियल, कमलगट्टा का कुछ दाना, 11चित्ति कौडी, 11 गौमती चक्र, गणेश लक्ष्मी बना चांदी का सिक्का, काला लाल गुंजा के दानों को दक्षिणावर्ति शंख में अरवा चावल के साथ रख कर दीपावली के दिन कुमकुम आदि लगा कर दीपावली पूजन करें. पूजा करने के दूसरे दिन उसे लाल वस्त्र में लपेट कर लक्ष्मी की आराधना करते हुए तिजोरी अथवा धन रखने के स्थान में रखें तथा नित्य पूजा करें. ऐसा करने से लक्ष्मी स्थिर रहती है एवं दरिद्रता करा नाश होता है
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