यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 28 सितंबर 2025

प्लास्टिक से सड़कों तक – भारत का अनोखा सफर

🌍✨ प्लास्टिक से सड़कों तक – भारत का अनोखा सफर ✨🌍
मदुरै (तमिलनाडु) के डॉ. राजगोपालन वासुदेवन, थिआगराजर कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग के रिटायर्ड केमिस्ट्री प्रोफेसर, ने सड़क निर्माण की दुनिया बदल दी। 🚧

👉 साल 2002 में उन्होंने एक नया तरीका खोजा –
जहाँ कूड़े की प्लास्टिक को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर बिटुमेन (गुड) के साथ मिलाया जाता है और सड़क बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

💡 इस तकनीक से:
✅ प्लास्टिक कचरे की समस्या कम होती है ♻️
✅ सड़कें ज़्यादा मज़बूत और टिकाऊ बनती हैं 🛣️
✅ बारिश से कम खराब होती हैं 🌧️
✅ रखरखाव का खर्च घट जाता है 💰

🇮🇳 आज भारत में 1 लाख किलोमीटर से ज़्यादा सड़कें इस तकनीक से बनी हैं और कम से कम 11 राज्यों ने इसे अपनाया है।

🌟 पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास में उनके योगदान के लिए, डॉ. वासुदेवन को 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

👏 वे सचमुच “Plastic Man of India” कहलाने के हकदार हैं।

#PlasticManOfIndia #EcoFriendlyRoads #SustainableInnovation #PadmaShri #GreenInfrastructure #WasteToWealth #ScienceForGood #RoadToSustainability 🌱🚀

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

function disabled

Old Post from Sanwariya