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रविवार, 7 अक्तूबर 2012

महाभारत में अठारह संख्या का महत्त्व


महाभारत में अठारह संख्या का महत्त्व
महाभारत कथा में १८ (अठारह) संख्या का बड़ा महत्त्व है. महाभारत की कई घटनाएँ १८ संख्या से सम्बंधित है. कुछ उदाहरण देखें:

महाभारत का युद्ध कुल १८ दिनों तक हुआ था.
कौरवों (११ अक्षोहिनी) और पांडवों (७अक्षोहिनी) की सेना भी कुल १८ अक्षोहिनी थी.
महाभारत में कुल १८ पर्व हैं (आदि पर्व, सभा पर्व, वन पर्व, विराट वरव, उद्योग पर्व, भीष्म पर्व, द्रोण पर्व, अश्वमेधिक पर्व, महाप्रस्थानिक पर्व, सौप्तिक पर्व, स्त्री पर्व, शांति पर्व, अनुशाशन पर्व, मौसल पर्व, कर्ण पर्व, शल्य पर्व, स्वर्गारोहण पर्व तथा आश्रम्वासिक पर्व).
गीता उपदेश में भी कुल १८ अध्याय हैं.
इस युद्ध के प्रमुख सूत्रधार भी १८ हैं (ध्रितराष्ट्र, दुर्योधन, दुह्शासन, कर्ण, शकुनी, भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य, अश्वस्थामा, कृतवर्मा, श्रीकृष्ण, युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव, द्रौपदी एवं विदुर).
महाभारत के युद्ध के पश्चात् कौरवों के तरफ से तीन और पांडवों के तरफ से १५ यानि कुल १८ योद्धा ही जीवित बचे.
महाभारत को पुराणों के जितना सम्मान दिया जाता है और पुराणों की संख्या भी १८ है
द्वारा : वंदे मातृ संस्कृति

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