*कांग्रेस और हिंदुत्व*
*इतने के बाद भी हिन्दू कांग्रेस को नहीं समझ सके*
अनुच्छेद 25, 28, 30 (1950)
एचआरसीई अधिनियम (1951)
एचसीबी एमपीएल (1956)
धर्मनिरपेक्षता (1975)
अल्पसंख्यक अधिनियम (1992)
पीओडब्ल्यू अधिनियम (1991)
वक्फ अधिनियम (1995)
राम सेतु हलफनामा (2007)
भगवा आतंकवाद (2009)
अनुच्छेद 25 द्वारा धर्मांतरण को वैध बनाया
उन्होंने अनुच्छेद 28 में हिंदुओं से धार्मिक शिक्षा छीन ली
लेकिन अनुच्छेद 30 में मुस्लिम और ईसाई को धार्मिक शिक्षा की अनुमति दी
उन्होंने एचआरसीई अधिनियम 1951 बनाकर हिंदुओं से सभी मंदिर और मंदिरों का पैसा छीन लिया जो सरकारी खजानें में जाता है
उन्होंने हिंदु बहुविवाह को समाप्त कर दिया तलाक कानून,
हिंदू कोड बिल के तहत दहेज कानून द्वारा परिवारों को नष्ट कर दिया
लेकिन मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीया कानुन) को हाथ नहीं लगाया। उन्हें बहुविवाह की अनुमति दी ताकि वे अपनी जनसंख्या में वृद्धि करते रहें
1954 में विशेष विवाह अधिनियम लाया गया ताकि मुस्लिम आसानी से हिंदू लड़कियों से शादी कर सके
उन्होंने आपातकाल लगाया और जबरदस्ती संविधान में *सेकुलरिज्म* शब्द जोड़ा और जबरन भारत को *धर्मनिरपेक्ष* बना दिया
लेकिन कांग्रेस यहीं नहीं रुकी।
1991 में वे अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम लाए और मुस्लिम को अल्पसंख्यक घोषित किया, हालांकि धर्मनिरपेक्ष देश में बहुसंख्यक अल्पसंख्यक नहीं हो सकते है
उन्होंने अल्पसंख्यक अधिनियम के तहत मुसलमानों को छात्रवृत्ति, सरकारी लाभ जैसे विशेष अधिकार दिए
1992 में, उन्होंने हिंदुओं को कानूनी तरीके से अपने मंदिरों को वापस लेने से रोक दिया और पूजा स्थल अधिनियम द्वारा हिंदुओं से 40000 मंदिरों को छीन लिया
कांग्रेस यहीं नहीं रुकी 1995 में ,
उन्होंने वक्फ बोर्ड एक्ट द्वारा मुस्लिम को किसी भी जमीन पर दावा करने, किसी भी हिंदू की जमीन छीनने का अधिकार दिया और मुस्लिम को भारत का दूसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक बना दिया।
और हिंदू विरोधी धर्मयुद्ध में चरम बिंदु 2009 था जब कांग्रेस ने भगवा आतंकवाद शब्द गढ़कर हिंदू धर्म को आतंकवादी धर्म घोषित किया वहीं कांग्रेस ने अपने 136 साल के इतिहास में कभी भी इस्लामिक आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया
कांग्रेस धीरे-धीरे बहुत चालाकी से हिंदुओं से एक-एक करके हिंदू अधिकारों को छीनते गए और अब हिंदू पूरी तरह से नग्न हो गए हैं
और मजेदार बात यह है कि अधिकांश हिंन्दुओं को इस छल कपट का पता भी नहीं है और कुछ को इन बातों का ज्ञान है पर पदलोभ और मुफ्तखौरी के कारण शतुर्मुर्ग की तरह अपना सर जमीन में गाडे़ हुए है |
उनके पास अपना मंदिर नहीं है, उनके पास उनकी धार्मिक शिक्षा व्यवस्था नहीं है, उनके बाप दादा की पुश्तेनी जमीन उनकी स्थायी नहीं है।
और वे सवाल भी नहीं पूछते हैं क्यों मस्जिद और चर्च मुक्त हैं लेकिन मंदिर सरकार के नियंत्रण में हैं
सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसा, कॉन्वेंट मिशनरी स्कूल क्यों हैं लेकिन सरकार द्वारा वित्त पोषित गुरुकुल नहीं?
वक्फ अधिनियम क्यों है लेकिन हिंदू भूमि अधिनियम नहीं?
मुस्लिम पर्सनल लाॕ बोर्ड क्यों है लेकिन हिंदू पर्सनल लाॕ बोर्ड नहीं?
एक देश में दो कानुन क्युं ?
अगर भारत धर्मनिरपेक्ष देश है तो बहुसंख्यक अल्पसंख्यक क्यों है?
स्कूलों में रामायण महाभारत क्यों नहीं पढ़ाई जाती?
औरंगजेब ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए तलवार का इस्तेमाल किया, कांग्रेस ने हिंदू धर्म को नष्ट करने के लिए संविधान, अधिनियम, बिल का इस्तेमाल किया
और जहां तलवार विफल रही, वहां संविधान ने किया।
और फिर मीडिया है।
अगर कोई इन सवालों को पूछने की कोशिश करता है, तो उसे सांप्रदायिक, भगवा आतंकवादी घोषित कर दिया जाता है
यदि कोई राजनेता इन गलतियों को सुधारने का प्रयास करता है तो उसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कहा जाता है
*याद रखें कि इसमें सिर्फ 80 साल लगे शक्तिशाली रोमन धर्म का गिरना ।*
*हिंदू को रोमन सभ्यता के पतन के बारे में अवश्य पढ़ना चाहिए। कोई बाहरी ताकत उन्हें पराजित नहीं कर सकती थी, वे अपने ही शासक कॉन्सटेंटाइन एन द्वारा ईसाई धर्म से आंतरिक रूप से हार गए थे।*
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