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बुधवार, 21 अगस्त 2019

क्या गांधारी के 100 बेटे थे, जिसका मतलब है कि एक आदमी उस समय 250 साल के आसपास उम्र का होना चाहिए?


क्या गांधारी के 100 बेटे थे, जिसका मतलब है कि एक आदमी उस समय 250 साल के आसपास उम्र का होना चाहिए?

आपने दो तथ्यों को इस प्रशन में प्रकट किया है जो सत्य है परन्तु इनका आपस मे कोई लेना देना नही हैं।
पहला तथ्य- गांधारी के १०० पुत्र थे।
दूसरा तथ्य- उस समय आदमी कि उम्र २५० वर्ष थी
तो पहले आइए जानते हैं कि कौरवों का जन्म कैसे हुआ ।
धृतराष्ट्र का विवाह गांधारी के साथ हुआ था। विवाह के पश्चात् एक बार ऋषि व्यास हस्तिनापुर पहुंचे और तब गांधारी ने उनकी बहुत अच्छे से सेवा की जिससे ऋषि व्यास बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने गांधारी को १०० पुत्रों का आशीर्वाद दिया। इसके कुछ समय बाद गांधारी लगभग दो साल तक गर्भवती रही और प्रसव के दौरान गांधारी ने एक मृत मांस के लोथड़े को पैदा किया। ऋषि व्यास ने आदेश दिया कि उस मांस के लोथड़े को १०० टुकड़ो में काट दिया जाए। परन्तु गांधारी ने उन्हें कहा कि उन्हें एक पुत्री की भी इच्छा है। तब ऋषि व्यास ने लोथड़े को स्वयं १०१ टुकड़ों में काटकर अलग – अलग घड़ों में बंद किया। एक साल बाद उन घड़ों में से गांधारी के १०० पुत्रों और एक पुत्री दुःशला का जन्म हुआ।[1]
तो यहाँ पर आपको समझ आ गया होगा कि सभी का जन्म एक-एक करके अलग-अलग वर्षो में नही अपितु एक ही समय मे अलग-अलग घड़ो में हुआ था।

कौरवों के नाम
1. दुर्योधन
2. दुःशासन
3. दुःसह
4. दुःशल
5. जलसंघ
6. सम
7. सह
8. विंद
9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष
11. सुबाहु
12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण
14. दुर्मुख
15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण
17. शल
18. सत्वान
19. सुलोचन
20. चित्र
21. उपचित्र
22. चित्राक्ष
23. चारुचित्र
24. शरासन
25. दुर्मद
26. दुर्विगाह
27. विवित्सु
28. विकटानन्द
29. ऊर्णनाभ
30. सुनाभ
31. नन्द
32. उपनन्द
33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा
35. सुवर्मा
36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु
38. महाबाहु
39. चित्रांग
40. चित्रकुण्डल
41. भीमवेग
42. भीमबल
43. बालाकि
44. बलवर्धन
45. उग्रायुध
46. सुषेण
47. कुण्डधर
48. महोदर
49. चित्रायुध
50. निषंगी
51. पाशी
52. वृन्दारक
53. दृढ़वर्मा
54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति
56. अनूदर
57. दढ़संघ
58. जरासंघ
59. सत्यसंघ
60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा
62. उग्रसेन
63. सेनानी
64. दुष्पराजय
65. अपराजित
66. कुण्डशायी
67. विशालाक्ष
68. दुराधर
69. दृढ़हस्त
70. सुहस्त
71. वातवेग
72. सुवर्च
73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी
75. नागदत्त
76. उग्रशायी
77. कवचि
78. क्रथन
79. कुण्डी
80. भीमविक्र
81. धनुर्धर
82. वीरबाहु
83. अलोलुप
84. अभय
85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय
87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी
89. विरवि
90. चित्रकुण्डल
91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि
93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान
95. दीर्घबाहु
96. सुजात
97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी
99. विरज
100. युयुत्सु
101. दुहुसलाई
102. दुःशला(पुत्री)
अलग-अलग ग्रंथों में कौरवों के कुछ नामों में परिवर्तन भी मिलते हैं।

अब आते है अपकी दूसरी बात पर,
अगर हम चिरंजीवियों (अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम) की बात नही करे तो ८,६४,०० वर्ष की कालावधि का द्वापरयुग में मनुष्य की आयु 1000 वर्ष और लंबाई 11 फिट बतायी गई है।[2] तो मुमकिन है कुछ व्यक्ति २५० वर्ष या इससे अधिक भी जिवित रहे हो।

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