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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

क्या यह सच है कि लाखामंडल मंदिर में शव के अंदर आत्मा वापिस आ जाती है ?

क्या यह सच है कि लाखामंडल मंदिर में शव के अंदर आत्मा वापिस आ जाती है?


विधि का विधान है जिस व्यक्ति का जन्म हुआ है उसकी मृत्यु निश्चित है जो एक बार चला जाता है वह कभी वापस नहीं आता । लेकिन जन्म और मृत्यु तो ईश्वर का खेल है ईश्वर के चमत्कार के आगे कुछ भी नहीं है अगर भगवान चाहे तो उनके आगे सृष्टि के नियमों में भी परिवर्तन हो जाता है । भोलेनाथ का एक ऐसा चमत्कारी मंदिर है जहां अगर शव को लेकर जाया जाए तो आत्मा उस शव में वापस प्रवेश कर जाती है शायद आपको इस पर यकीन ना हो लेकिन यह सच है ।

लाखामंडल शिव मंदिर का इतिहास.. यह मंदिर देवभूमि उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से 128 किलोमीटर की दूरी पर बसे लाखामंडल नामक स्थान पर मौजूद है । मान्यता के अनुसार द्वापर युग में महाभारत काल के समय दुर्योधन ने पांडवों और उनकी माता कुंती को जीवित जला देने के लिए यहां एक लाशाग्रह का निर्माण किया था लेकिन पांडव इस लाशाग्रह से बच निकले थे । पांडव जिस गुफा से बचकर निकले थे वह ऐतिहासिक गुफा आज भी यहां मौजूद है।

लाखामंडल शिवलिंग की खासियत… यहां पर पाए जाने वाले शिवलिंग की खासियत है कि हर शिवलिंग का रंग अलग-अलग है शिवलिंग हजारों साल पुराने हैं लेकिन इतने समय तक जमीन के नीचे दबे रहने के कारण भी इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा । लाखामंडल में मौजूद शिवलिंग को महामंडलेश्वर के नाम से जाना जाता है इस मंदिर के आगमन में एक शिवलिंग है जिसके बारे में यह माना जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना अज्ञातवास में पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर ने की थी । यह शिवलिंग ग्रेफाइट का बना हुआ है और जब भी इस पर जल चढ़ाया जाता है यह चमकने लगता है इस दौरान इस शिवलिंग में आपका चेहरा बिल्कुल साफ दिखाई देगा।

लाखामंडल शिव मंदिर का चमत्कार… मंदिर के आंगन में इस शिवलिंग के सामने 2 द्वारपाल पश्चिम की ओर मुंह करकर खड़े हैं माना जाता है किसी भी मृत व्यक्ति को इनके सामने रख दिया जाता है । पुजारी द्वारा अभिमंत्रित जल छिड़कने पर वह फिर से जीवित हो जाता है जीवित होते ही वह देवों के देव महादेव को याद करता है और उनका नाम लेता है ‌। उसके बाद उसे पुजारी के हाथ से चावल, दूध और गंगाजल दिया जाता है गंगाजल ग्रहण करकर उसकी आत्मा फिर से शरीर त्याग कर चली जाती है इसका रहस्य आज तक कोई नहीं जान सका।

द्वारपाल का रहस्य… इस मंदिर में दो द्वारपाल खड़े हैं जिनमें से एक का हाथ कटा हुआ है जो एक अनसुलझा रहस्य मंदिर है । मंदिर के प्रांगण में एक चट्टान पर पैरों के निशान मौजूद हैं जिन्हें यहां के स्थानीय लोग माता पार्वती के पैरों के निशान बताते हैं । स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां आने वाला कोई भी व्यक्ति खाली हाथ नहीं लौटता महादेव सभी की मनोकामना पूरी करते हैं ।

चित्र साभार: गूगल

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