यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 24 जुलाई 2023

मणिपुर से आ रही वीडियो ने देश को बुरी तरह से झंझोर दिया है। इस पर आपकी कोई टिप्पणी?

 

मणिपुर हिंसा वर्तमान समय में लगभग 80 दिनों से उपर से हो रही है। नागा,मैती और कुकी इन तीनो जनजातियों की गलती है हिंसा में। जिन दो महिलाओं की वीडियो को लेकर सारा बबाल हो रहा है वो 3–4 मई की है जो ठीक संसद के मानसून सत्र के पहले आई।सूत्र तो ये भी कहते हैं की कई महिलाओं शायद 200 से लेकर 2000 की इज्जत तार तार हुई।ये वीडियो सामने न आती तो कुछ विशेष प्रवृति के मनावतावादियों के छाती में दूध शायद न उतरता।दरअसल महिलाओं को हमेशा से समाज में एक व्यक्ति के तौर पर नही बल्कि एक वस्तु के रूप में प्रस्तुत किया गया है।एक ऐसी वस्तु जिसका मान मर्दन कर सामने वाले प्रतिद्वंदी को नीचा दिखाया जा सके।युद्धकाल और आपातकाल में महिलाएं खासकर कम उम्र की स्त्री की इज्जत को नीलाम करने वाले नरपिचाषों से स्वयं को बचाकर रखना बेहद कठिन कार्य है।इसके बारे में हम मुंह उठाकर कितना भी लिखें परंतु उस स्वाभिमानी नवयोवना के अलावा रूह कंपा देने वाली इस स्तिथि को कोई नहीं समझ सकता जिसने इसका सामना किया हो। कहते हैं किसी महिला ने ही इस कृत्य के लिए इनको उकसाया था।

आज समाज की हालात बद से बद्तर हो चुकी है। इसे सिर्फ मणिपुर तक ही क्यों देखा जाए। महिलाएं स्वयं को एक बाजारू वस्तु के रूप में प्रस्तुत करने में गौरवान्वित महसूस करती है।जीतने कम कपड़े हम उतने हाई क्लास सोच वाले और मॉर्डन।इसे तो समाज सहर्ष स्वीकार कर रहा है।

मणिपुर की घटना गलत तो ये सही कैसे 👇

आज जो गंदगी परोसी जा रही है उसपर समाज क्यूं नही बोलता ,सोचा है कभी कितना नीचे गिर चुके हैं।🤔

मणिपुर गलत तो बंगाल सही कैसे 👇

नीचे की तस्वीर भी मणिपुर की महिलाओं की ही है 👇 ये सही था क्या

नीचे जो तस्वीर है वो सूत्रों के अनुसार ऐसा कहा जाता है बंगाल की ही है हो सकता है न भी हो ।ये नग्न महिला पुलिस को खदेड़ रही है।यहां मानवता कहां गई।

दो अमर्यादित तस्वीर हटानी जरूरी थी सो हटा दी। दूसरे को नसीहत देने से पहले स्वयं के आचरण पर गौर करना चाहिए। उन तस्वीरों से किसी की भावना आहत हुई है खासकर किसी बहन की तो क्षमा चाहूंगा। 🙏पर क्या करूं कुछ लोगों को आईना दिखाना जरूरी हो जाता है। मैं स्वयं मर्यादा का पालन न करूं तो दूसरों से उम्मीद बेमानी है।

सूत्रों के अनुसार ये मुर्शिदाबाद बंगाल की है।मोदी को मानवता और नारीवाद के नाम पर कोसने वाले लिब्रांड कोरापुत्रों अपने मोतियाबिंद वाला काला चश्मा नैनो पर चढ़ा कर लिखते रहो,नारीवाद का एकतरफा RR करने वाले इसपर क्या बोलोगे 👆👇my body my choice इतना काफी है इसे सही साबित करने को क्यूं

एकतरफा सोच रखकर लिखने वाले अपनी पीछे वाली जेब में अपनी पक्षपाती सोच की बत्ती बनाकर डाल लें तो बेहतर रहेगा।

खुद से स्वयं का मॉर्डनाइजेशन के नाम पर दैहिक शौषण करना सही कैसे

ये मोहतरमा कहती है अनपढ़ रूल कर रहे जिसका खुद का पति पूरे देश में पान और गांजा बेचता फिरता है।जिसका सामाजिक बहिष्कार नही होता 🤔अनपढ़ कौन ये या हम।

एक महिला बिना कपड़ों के हो या पूरे कपड़ों में उसे खिलौना ही समझा जाता है जिसमे महिलाएं भी 100% जिम्मेदार हैं ।

बेटियों के साथ साथ बेटों को भी जिस दिन हर घर में बचपन से अच्छे संस्कार मिलेंगे तो शायद स्तिथि थोड़ी बेहतर हो सके

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणी करें

टिप्पणी: केवल इस ब्लॉग का सदस्य टिप्पणी भेज सकता है.

function disabled

Old Post from Sanwariya