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सोमवार, 6 मई 2024

क्या आप जानते हैं कॉंग्रेस के चुनाव चिह्न की कहानी ?

नरेश धाकड़ प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय विचार मंच मध्य प्रदेश नई दिल्ली भारत। 

*क्या आप जानते हैं कॉंग्रेस के चुनाव चिह्न की कहानी ?*
कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले हजरत ईमाम हुसैन (अली) को इस्लामिक शौर्य, इस्लामिक संघर्ष और इस्लामिक बलिदान का प्रतीक माना जाता है।

*इस्लाम में मूर्ति या फोटो पूजा 'हराम' है, इसलिए किसी भी फोटो या मूर्ति की पूजा ना करके केवल इस ०५ उंगलियों वाले हाथ के पंजे को ही अव्वल निशान के रूप में पूजा जाता है, और इसी इस्लामिकता के प्रतीक चिह्न को 'कांग्रेस' ने अपना चुनाव चिह्न बनाया।* 

लगभग 99% हिंदुओं को इस बात की जानकारी नहीं थी। जबकि अधिकांश मुसलमानों को यह बात शुरू से ही पता थी। लेकिन कहीं हिन्दू कांग्रेस को वोट देना बंद ना कर दें इसलिए कोई इस पर बात भी नहीं करता था।

*मुसलमानों का धार्मिक निशान 'हाथ का पंजा' होने के कारण मुसलमान अधिक शिद्दत से कांग्रेस का कोर वोटर बनकर जुड़ा रहा जबकि हिंदुओं को इसकी जानकारी नहीं होने के कारण* और कांग्रेस के स्वतंत्रता आंदोलन को अपना पेटेंट बनाकर प्रस्तुत करने के कारण जुड़ाव होने के कारण हिन्दू अब तक कांग्रेस से जुड़ा रहा।

*इंदिरा गांधी से पहले तक कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह 'दो बैलों की जोड़ी', फिर 'गाय और बछड़ा' होता था, परंतु कांग्रेस ने भीतर ही भीतर अपना इस्लामीकरण पूरी तरह कर लिया ताकि उनका कोर वोटर मुसलमान संतुष्ट रहे। जनप्रतिनिधि अधिनियम की धारा १३० और चुनाव आचार संहिता के नियमानुसार मानव शरीर का कोई भी अंग चुनाव चिह्न नहीं हो सकता है, लेकिन इसके बावजूद सन् १९७७ ईस्वी से लेकर अब तक "हाथ का पंजा" कांग्रेस का चुनाव चिन्ह बना हुआ है।* 

*इंदिरा गांधी ने कांग्रेस के विघटन के बाद जब कांग्रेस (आई) को बनाई तो एक स्लोगन बहुत प्रचलित था- "अली का पंजा आलीशान, इंदिरा जी का यही निशान।" परंतु विडम्बना देखिये हिन्दू समाज कभी इन षड्यंत्रों को समझ ही नहीं पाया और मूर्खों की तरह अंधानुकरण कर अपनी ही कब्र खोदने में लगा रहा।* यदि आप बड़े बुजुर्गों से बात करेंगे तो वे इसकी पुष्टि अवश्य करेंगे कि इस प्रकार के नारे उस समय कांग्रेस की पहचान हुआ करते थे। *कांग्रेस ने आज तक भारत का इस्लामीकरण करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ा और आगे भी निरंतर लगी हुई है।* 

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*महारानी गायत्री देवी..*
जयपुर राजघराने की एक ऐसी महिला जिसके चारों तरफ नौकरों की फ़ौज होती थी, जिनकी सुंदरता और कार्यों aकी देशभर में सम्मान मिला करता था जो संसद में खड़ी होकर कांग्रेस की धज्जियां उड़ा देती थी बस उनके इसी तेवर से चिढ़ी इंदिरा गांधी ने उनको तिहाड़ में बन्द करवा दिया।

मुंबई में इलाज करवाकर महारानी दिल्ली पहुँची ही थी कि पुलिस उन्हें और उनके भाई भवानी सिंह को राजनीतिक नहीं बल्कि वित्तीय कानूनों में गिरफ्तार कर तिहाड़ में फेंक देती है।

एक ऐसे कमरे में बन्द किया गया जिसमें दो चारपाई भी न आये, शौचालय के नाम पर एक गड्ढा था जो गंदगी से बजबजा रहा था

जेल में यौनकर्मी औरतों को उन्हें गाली देने के लिए छोड़ दिया गया था जो ब्लेड दिखाकर महारानी को धमकी देती थी तेरा चेहरा बिगाड़ दूँगी।

पांच महीने होते होते महारानी गायत्री देवी की तबियत एकदम से नाज़ुक हो गया, अस्पताल में भर्ती तो करवाया मगर वहां भी ऐसा कमरा जिसमें चूहों ने अपनी दुनिया बसाई थी।

इंदिरा गांधी ने उन्हें इतना मजबूर किया कि उनको लिखकर देना पड़ा कि वो इमरजेंसी का सपोर्ट करती हैं साथ ही राजनीति से सन्यास भी ले रही हैं तब जाकर उनको रिहा किया गया।

ऐसी थी कांग्रेस की अम्मा इंदिरा गांधी! ए है कॉंग्रेस के काले कारनामे। इंदिरा गांधी के काले कारनामे बहुचर्चित हैं, लेकिन दुर्भाग्य है कि फिर भी देश की कुछ मूर्ख चमचे, मनमानी तौर पर बने हुए नकली गांधी परिवार पर न्यौछावर हैं।

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