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रविवार, 25 सितंबर 2022

नवरात्र 2022 विशेष* *घटस्थापन कलश विशेष मुहूर्त पूजन सम्पूर्ण विधि और जाप मंत्र

‼️  *जय माता दी* ‼️

 *नवरात्र 2022 विशेष* 

 *घटस्थापन कलश विशेष मुहूर्त पूजन सम्पूर्ण विधि और जाप मंत्र:-* 

नवरात्रि 26 सितंबर 2022, सोमवार से शुरू हो रहे हैं जी दरअसल नवरात्रि के पहले दिन शुक्ल व ब्रह्म योग का अद्भभुत संयोग बनने के कारण इसे बेहद खास माना जा रहा है आपको बता दें कि इस साल नवरात्रि पर माता रानी हाथी की सवारी से पृथ्वी पर आने वाली हैं जी दरअसल हाथी की सवारी को बेहद शुभ माना जा रहा है.

 *शुक्ल व ब्रह्म योग का महत्व:-* 
पंडित.संजय शास्त्री के अनुसार आप सभी को बता दें कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह 08 बजकर 06 मिनट तक शुक्ल योग रहेगा जी हाँ और इसके बाद ब्रह्म योग शुरू होगा वहीं शास्त्रों के अनुसार, शुक्ल व ब्रह्म योग में किए गए कार्यों को बेहद शुभ फलदायी माना गया है.

 *घर की इस दिशा में स्थापित करना होता है शुभ:-* 

मां दुर्गा की मूर्ति को घर में उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में स्थापित करें मन जाता है कि अगर इस दिशा में माता की मूर्ति स्थापित कर दी जाए, तो शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है आप घर के उत्तर या पश्चिम दिशा में भी मां दुर्गा की मूर्ति की स्थापना की सकती है इन दिशाओं में स्थापित करने से भक्त का मुख पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर होगा, जिसे पूजा के लिए शुभ माना गया है और ऐसे पूजा करने से व्यक्ति में चेतना जागृत होती है और दक्षिण दिशा से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. 

 *घटस्थापना का शुभ मुहूर्त:-* 

आश्विन घटस्थापना सोमवार, सितम्बर 26, 2022 को की जाएगी
घटस्थापना मुहूर्त - 06:11 AM से 07:51 AM तक रहेगा इसकी अवधि - 01 घण्टा 40 मिनट तक रहेगी घटस्थापना अभिजित मुहूर्त - 11:48 AM से 12:36 PM तक रहेगा अवधि - 00 घण्टे 48 मिनट तक.

 *नवरात्रि के पहले दिन बन रहे ये शुभ संयोग:-* 
ब्रह्म मुहूर्त- 04:36 AM से 05:23 AM।
अभिजित मुहूर्त- 11:48 AM से 12:36 PM।
विजय मुहूर्त- 02:13 PM से 03:01 PM।
गोधूलि मुहूर्त- 06:01 PM से 06:25 PM।
अमृत काल    12:11 AM, सितम्बर 27 से 01:49 AM

 *इन मुहूर्त में न करें कलश स्थापना:-* 
राहुकाल- 07:41 AM से 09:12 AM
यमगण्ड-10:42 AM से 12:12 PM
दुर्मुहूर्त-12:36 PM से 01:24 PM

*कैसे करें कलश स्थापना:-?*
शारदीय नवरात्रों में कलश स्थापना का काफी महत्व माना जाता है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करके मां शैलीपुत्री की पूजा की जाती है, जो लोग 9 दिनों का व्रत रख रहे हैं, उन्हें कलश स्थापना के साथ ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का सच्चे मन से संकल्प लेना चाहिए. सोमवार से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्रि में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त का समय इस बार 1.40 घंटे का है.

 *पूजा में इस्तेमाल होने वाली सामग्री:-* 
सबसे पहले मां दुर्गा की प्रतिमा, दुर्गा चालीसा और आरती की किताब, दीपक, घी/ तेल, फूल, फूलों का हार, पान, सुपारी,  लाल झंडा, इलायची, बताशे या मिसरी, असली कपूर, उपले, फल व मिठाई, कलावा, मेवे, हवन के लिए आम की लकड़ी, जौ, वस्त्र, दर्पण, कंघी, कंगन-चूड़ी, सिंदूर, केसर, कपूर, हल्दी की गांठ और पिसी हुई हल्दी, पटरा, सुगंधित तेल, चौकी चाहिए होगी.

 *ऐसे करें कलश स्थापना* 
कलश स्थापना करने के लिए माता की चौकी को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए. इस चौकी को गंगाजल छिड़ककर पवित्र कर लें. अब चौकी पर लाल रंग से स्वास्तिक बनाकर कलश स्थापित करें. इस कलश में आम के पत्ते लगाएं और गंगाजल भरें. कलश में आप एक सुपारी, कुछ सिक्के, दूर्वा, हल्दी की एक गांठ भी डाल सकते हैं. कलश के मुख पर एक लाल वस्त्र से नारियल लपेट कर रखें. कलश स्थापना के बाद मां दुर्गा के शैलपुत्री अवतार की पूजा करें. हाथ में फूल लेकर मां की आरती करें. आप पूजा में 'ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै.' इस मंत्र का जप करें.
पं.संजय शास्त्री के अनुसार नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है नौ दिवसीय इस पर्व में 9 रातों तक तीन देवियां – मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां काली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है.

शारदीय नवरात्रि हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है और दशमी तिथि को माता दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ समाप्त होती है इस बार शारदीय नवरात्रि 26 सितंबर को शुरू होकर 5 अक्टूबर 2022 को समाप्त होगी.

नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के भक्त उपवास रखते हुए पूजा अर्चना करते हैं आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
हर किसी के जीवन में यूं तो उतार-चढ़ाव लगे ही रहते है देखा जाये तो व्यक्ति अपनी परेशानियों में घिरा रहता है, कई तरह के उपाय करने के बाद भी उसका समाधान प्राप्त नहीं कर पाता ऐसे में वो खुद से और जीवन से निराश होने लगता है.
सच्चे मन से नवरात्र में माँ की पूजा की जाये तो समस्त बाधाओं और बंधनों से मुक्त करा देती है इसलिए मनोकामना पूर्ति, लक्ष्य की सिद्धि, तंत्र-मंत्र के लिए नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा के मंत्रों का जाप होता है.  
 *माता को प्रसन्न करने के खास मंत्र:-* 
 *‘मां दुर्गा के सिद्ध मंत्र’* 

 *1- शत्रु के विनाश के लिए मंत्र* 

रक्त बीज वधे देवि चण्ड मुण्ड विनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।


*2- सौभाग्य की प्राप्ति के लिए मंत्र*

वन्दि ताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्य दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

*3- अपने कल्याण के लिए मंत्र*

सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवी नारायणी नमोस्तुते।।

*4- समस्त बाधाओं से मुक्ति के लिए मंत्र* 

शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

5- *बीमारियों से मुक्ति के लिए मंत्र* 

देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

 *जगत के कल्याण के लिए* 

विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

*7- धन और विद्या प्राप्ति के लिए*

विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।


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